Sunday, September 8, 2024
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‘संविधान नहीं, कुरान मानेंगे’: अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के आतंकियों की पैरवी करेगा जमीयत, मदनी का ऐलान

अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को लगभग 70 मिनट के भीतर 21 बम धमाके हुए थे। इन धमाकों में 56 लोगों की मौत हो गई थी।

अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट मामले में विशेष अदालत ने 18 फरवरी 2022 को 38 आतंकियों को फाँसी की सजा सुनाई। साथ ही 11 को आजीवन कारवास की सजा सुनाई गई थी। इन आतंकियों के बचाव में जमीयत उलेमा-ए-हिंद आगे आया है। उसने इनके लिए उच्च अदालतों में कानूनी लड़ाई लड़ने की बात कही है। वहीं ब्लास्ट के मास्टरमाइंड सफदर नागौरी ने संविधान की जगह कुरान को तरजीह देने की बात कही है। नागौरी को भी फाँसी की सजा सुनाई गई है और फिलहाल वह भोपाल सेंट्रल जेल में बंद है।

जमीयत के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने विशेष अदालत के फैसले को ‘अविश्वसनीय’ बताया है। इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने का ऐलान किया है। मौलाना अरशद मदनी दारुल उलूम देवबंद के प्रिंसिपल भी हैं। रिपोर्ट के अनुसार मदनी ने कहा है कि जिनको सजा सुनाई गई है उनकी हाईकोर्ट में परैवी देश के नामी वकील करेंगे। जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट जाने की भी बात उन्होंने कही है।

वहीं दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस मामले में सजा सुनाए गए नागौरी के साथ सिमी के 5 और आतंकी भोपाल की जेल में बंद हैं। इनके नाम शिवली, शादुली, आमिल परवेज, कमरुद्दीन नागौरी, हाफिज और अंसाब हैं। इनमें अंसाब को उम्रकैद और अन्य 5 को फाँसी की सजा सुनाई गई है। रिपोर्ट के अनुसार सजा सुनाए जाने के बाद बाद भी नागौरी के चेहरे पर कोई शिकन नहीं दिखा। उसने जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे से कहा, “संविधान हमारे लिए मायने नहीं रखता, हम कुरान का फैसला मानते हैं।”

बता दें कि वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उस समय अहमदाबाद शहर में 26 जुलाई 2008 को लगभग 70 मिनट के भीतर 21 बम धमाके हुए थे। इन धमाकों में 56 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 200 लोग घायल हो गए थे। इस मामले में अहमदाबाद पुलिस ने 20 प्राथमिकी दर्ज की थी, जबकि सूरत में 15 अलग से FIR दर्ज की गईं थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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