सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में शख्स ने शुक्रवार (11 मार्च 2022) को याचिका दायर करते हुए अपनी पत्नी पर धोखाधड़ी का आपराधिक मुदकमा दर्ज कराने का आग्रह किया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि जिससे उसकी शादी कराई गई है, वह महिला नहीं है और उसका जननांग पुुरुष का है। उसने सबूत के तौर पर मेडिकल रिपोर्ट भी पेश की।
याचिका में ये कहा है कि यह बात उसकी पत्नी और पत्नी के पिता को बात पता थी। इसके बावजूद उसके साथ जान-बूझकर शादी कराई गई। पति ने आरोप लगाया है कि वह अपनी पत्नी के साथ संबंध नहीं बना सकता है। ऐसे में उसके साथ वह कैसे रह सकता है। उसने कहा कि उसकी पत्नी और ससुर के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने इस मामले में पहले पत्नी से जवाब माँगा। हालाँकि, जब याचिकाकर्ता ने एक मेडिकल रिपोर्ट पेश की, जिसमें खुलासा हुआ कि उसकी पत्नी के पास लिंग और अपूर्ण हाइमन है। इसके बाद कोर्ट इस मामले पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया।
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एनके मोदी ने अदालत को बताया कि यह मामला भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत एक आपराधिक अपराध है, क्योंकि पत्नी एक ‘पुरुष’ निकली है। उन्होंने दलील देते हुए कहा कि इस बारे में मेडिकल रिकॉर्ड कहता है कि यह किसी जन्मजात विकार का मामला नहीं है। यह ऐसा मामला है, जहाँ मुवक्किल को एक पुरुष से शादी करके धोखा दिया गया।
इस पर अदालत ने पूछा, “क्या आप कह सकते हैं कि लिंग केवल इसलिए नहीं है, क्योंकि एक अपूर्ण हाइमन है? मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया है कि उसके अंडाशय सामान्य हैं।” इस पर मोदी ने दलील देते हुए कहा, “न केवल ‘पत्नी’ के पास महिला का लिंग है, बल्कि पुरुष लिंग भी है। मेडिकल रिपोर्ट स्पष्ट रूप से कहती है। जब उसके पास पुरुष लिंग है तो वह महिला कैसे हो सकती है?”
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी द्वारा याचिकाकर्ता पति के खिलाफ दायर IPC की धारा 498A (क्रूरता) के मामले का भी संज्ञान लिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस शिकायत में याचिकाकर्ता की पत्नी, ससुर और मध्य प्रदेश पुलिस को नोटिस जारी कर छह सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है।
दरअसल मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर का है। एक शख्स ने अगस्त 2017 में ग्वालियर के मजिस्ट्रेट के समक्ष एक शिकायत देते हुए कहा कि साल 2016 में उसकी शादी हुई थी और जिस लड़की से शादी हुई वह महिला है ही नहीं और उसके पास पुरुष का जननांग है। वह शादी की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं है। इसलिए उसकी पत्नी और ससुर के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज की जाए। मजिस्ट्रेट ने मई 2019 में पत्नी के खिलाफ धोखाधड़ी का संज्ञान लिया।
दूसरी ओर, पत्नी ने दावा किया कि शिकायतकर्ता ने दहेज के लिए उसके साथ क्रूरता किया। इस बीच ग्वालियर के एक अस्पताल में पत्नी का चिकित्सकीय परीक्षण किया गया और शिकायतकर्ता और उसकी बहन के बयान दर्ज किए गए। इसके बाद आरोपित पत्नी और उसके पिता को समन जारी किया गया।
समन मिलने के बाद पत्नी और ससुर ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने जून 2021 में मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट का कहना था कि मेडिकल सबूत पत्नी पर मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त नहीं थे। वरिष्ठ वकील मोदी मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उसी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में बहस कर रहे थे।