अगस्त 2017 में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता अहमद पटेल को जीत मिली थी। इस चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करते हुए अहमद पटेल के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट में एक याचिका दायर किया गया। इस याचिका को अहमद पटेल के खिलाफ चुनाव लड़ रहे भाजपा उम्मीदवार बलवंत सिंह राजपूत ने दायर किया जिसे कांग्रेस ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। कांग्रेस के इस अपील को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।
इसके बाद कांग्रेस नेता ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया। सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व में दो जजों की बेंच ने इस याचिका को खारिज कर दिया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट में चल रहे इस मामले में किसी भी तरह से दखल देने से इनकार कर दिया। इस तरह कांग्रेस नेता अहमद पटेल को गुजरात उच्च न्यायालय में उनकी सदस्यता पर चल रहे मुकदमे का सामना करना पड़ेगा।
मामला कुछ इस तरह है
अगस्त 2017 में राज्य सभा के 10 सीटों के लिए चुनाव हो रहे थे। इस चुनाव में गुजरात की एक सीट से कांग्रेस पार्टी की तरफ से अहमद पटेल चुनाव लड़ रहे थे। पटेल के सामने भाजपा की तरफ से बलवंत सिंह राजपूत चुनौती दे रहे थे। इस चुनाव में दो विधायकों की सदस्यता को चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया। ये दोनों ही विधायक इस चुनाव में भाजपा को समर्थन दे रहे थे। सदस्यता रद्द होने की वजह से इनके वोट की वैल्यू शून्य हो गयी। इस तरह कुल मतों की संख्या 45 से घटकर 44 हो गई। भाजपा नेता अपने विरोधी अहमद पटेल से महज दो वोटों से हार गए। ऐसे में यदि उन दो विधायकों के वोट का वैल्यू होता तो भाजपा उम्मीदवार चुनाव जीत गए होते।
इन विधायकों की सदस्यता रद्द की गई
इस चुनाव में कांग्रेस की तरफ से विधायक भोलाभाई गोहेल व राघव जी पटेल अपनी ही पार्टी के खिलाफ विद्रोही हो गए। अपनी पार्टी के खिलाफ उनके बगावती तेवर की वजह से अहमद पटेल का चुनाव जीतना मुश्किल हो गया। लेकिन इसी समय निर्वाचन आयोग ने दोनों विधायकों की सदस्यता रद्द कर दिया। इस घटना के बाद चुनाव में कांग्रेस की तरफ से अहमद पटेल राज्यसभा पहुँच गए।