AltNews के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर (Muhammad Zubair) की जमानत याचिका पर मंगलवार (12 जुलाई 2022) को सुनवाई करते हुए दिल्ली की एक अदालत ने इसे 14 जुलाई (गुरुवार) तक के लिए स्थगित कर दिया है। उधर, सुप्रीम कोर्ट ने सीतापुर पुलिस द्वारा दायर FIR को रद्द करने वाली याचिका पर अंतिम के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 7 सितंबर 2022 की तारीख तय की है।
सोमवार (11 जुलाई 2022) को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि उसके द्वारा जुबैर को दिया गया अंतरिम प्रोटेक्शन अगले आदेश तक जारी रहेगा। बता दें कि जुबैर पर अपने ट्वीट के माध्यम से दूसरे वर्ग का अपमान करने और दो समुदायों के बीच नफरत फैलाने का आरोप है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेंद्र कुमार जांगला (Devendra Kumar Jangla) ने यह निर्णय दिया। दरअसल, कोर्ट ने इस तथ्य को ध्यान में रखा कि मोहम्मद जुबैर पर एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई चल रही है।
मोहम्मद जुबैर की ओर से पेश अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने एक बार फिर अपनी दलील दी कि जिस ट्वीट पर कार्रवाई की गई है, वह 1983 की फिल्म ‘किसी से ना कहना’ की है। इस फिल्म को सभी लोगों ने देखा है।
ग्रोवर ने आगे कहा, “एक गुमनाम ट्विटर हैंडल दिल्ली पुलिस को टैग करता है और कहता है कि उसने (मोहम्मद जुबैर) ने मेरी भावनाओं को ठेस पहुँचाई है। इसकी टाइमिंग को देखिए … अज्ञात हैंडल से ट्वीट आने के कुछ घंटे बाद प्राथमिकी दर्ज की गई है।”
उन्होंने कहा कि इस फिल्म के बनने के 37 साल तक कोई झगड़ा या फसाद नहीं हुआ। बार एंड बेंच के अनुसार, ग्रोवर ने कहा कि यह गुमनाम ट्विटर प्रोफाइल साल 2021 में बनाया गया है और इसका सिर्फ एक फॉलोअर है। उन्होंने कहा कि कोई भी एल्गोरिदम इस हैंडल को जुबैर के ट्वीट तक नहीं जा सकती। नाम ट्विटर हैंडल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा,
इस पर लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने अदालत में तर्क दिया कि वह भोपाल में हैं, इसलिए जवाब दाखिल करने के लिए उन्हें समय दिया जाए, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट जुबैर से संबंधित एक अलग मामले की सुनवाई कर रहा था। इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई 14 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी।
बता दें जुबैर पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153 ए (धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 295 (किसी भी वर्ग के धर्म का अपमान करने के इरादे से पूजा स्थल को नुकसान पहुँचाना या अपवित्र करना) के तहत मामला दर्ज किया गया था। बाद में इसमें विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 की धारा 35 और IPC की धारा 201 (सबूत नष्ट करना) और 120 बी (आपराधिक साजिश) भी जोड़े गए।
जुबैर के खिलाफ हनुमान भक्त नाम के एक ट्विटर हैंडल ने शिकायत की थी और आरोप लगाया था कि जुबैर ने हिंदू भगवान के नाम पर तस्वीर ट्वीट कर उसकी धार्मिक भावनाओं का अपमान किया है। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने 27 जून को उसे गिरफ्तार कर लिया।
जुबैर को 28 जून को चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया और उसे 4 दिनों के लिए और पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। इसके बाद उसे 2 जुलाई को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
इसके बाद मोहम्मद जुबैर ने कोर्ट में जमानत के लिए याचिका दाखिल की है। वहीं, इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने जुबैर के खिलाफ दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की है। इनमें से एक सीतापुर और एक लखीमपुर खीरी में दर्ज की गई है।