‘सभी मोदी चोर’ वाली टिप्पणी के मामले में मानहानि के केस का सामना कर रहे कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी को झारखंड उच्च न्यायालय ने तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने राहुल गाँधी की मानहानि के केस को कैंसिल करने की माँग वाली याचिका को खारिज कर दिया। मोदी समुदाय को लेकर विवादित टिप्पणी करने के मामले में राँची के ही प्रदीप मोदी नाम के एक वकील ने उनके खिलाफ मानहानि का केस दायर किया था।
घटना 3 साल पहले 2019 की है। 2 मार्च को राँची और 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार शहर में राहुल गाँधी ने लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान मोदी उपनाम को लेकर विवादित बयान दिया था। दरअसल, राँची की रैली में उन्होंने कहा था, “आखिर मोदी चोर क्यों हैं?” इसी तरह से कर्नाटक की रैली में उन्होंने कहा था, “मेरा एक सवाल है। सभी चोरों के नाम में मोदी क्यों होते हैं, चाहे वह नीरव मोदी हों, ललित मोदी हों या नरेंद्र मोदी हों? मुझे नहीं पता कि ऐसे और कितने मोदी सामने आएँगे।” इसी बयान के बाद राँची के वकील ने उनके खिलाफ केस दर्ज कराया था।
इस मामले में सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए संजय कुमार द्विवेदी की पीठ ने कहा, “प्रतिष्ठा का अधिकार, जीवन के अधिकार का आयाम है। यह अनुच्छेद 21 के तहत भी आता है। पीठ ने कहा कि यह एक स्वीकृत तथ्य है कि बयान राँची में दिया गया था। ऐसे में इससे राँची का मोदी समुदाय भी प्रभावित हुआ।”
अदालत ने कहा, “दिनांक 07.06.2019 को दिए गए बयान को कोर्ट ने देखा और पाया कि अदालत ने प्रथम दृष्टया कंटेंट का खुलासा होने के बाद संज्ञान लिया है। अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि मुकदमे में सभी तर्कों को साबित करना आवश्यक था और मानहानि के मुकदमे को रद्द करने की माँग वाली राहुल गाँधी की याचिका को खारिज कर दिया गया।”
गौरतलब है कि वकील प्रदीप ने शिकायत में दावा किया था कि राहुल गाँधी की टिप्पणी मोदी उपनाम या शीर्षक वाले सभी लोगों के प्रति अपमानजनक और मानहानिकारक थी। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा था, “इससे लोगों की नज़र में मोदी खानदान की प्रतिष्ठा कम हुई है और मोदी उपनाम वाले व्यक्तियों को बहुत दुख और पीड़ा हुई है।”
शिकायतकर्ता के मुताबिक, राहुल गाँधी ने आईपीसी की धारा 499 के अनुसार मोदी समुदाय को बदनाम किया था। उन्होंने ‘सभी मोदी चोर हैं’ कहकर मोदी समुदाय को बदनाम किया है। इसलिए वो जेल और जुर्माने की कड़ी से कड़ी सजा के हकदार हैं। इसमें जेल और जुर्माना दोनों ही शामिल हैं। इसके साथ ही आईपीसी की धारा 500 के तहत संज्ञान लिए जाने के बाद अब ये मामला राँची कोर्ट के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष चल रहा है।
राहुल गाँधी के वकील का तर्क
वहीं हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान राहुल गाँधी के वकील ने अपने तर्क में उच्च न्यायालय को बताया कि I.P.C की धारा 499 के स्पष्टीकरण -2 के अनुसार इस मामले में वही व्यक्ति शिकायत कर सकता है, जो कि पीड़ित है। राहुल गाँधी के वकील ने तर्क दिया, “राहुल गाँधी की टिप्पणी किसी व्यक्ति विशेष या आसानी से पहचाने जा सकने वाले समूहों को टार्गेट नहीं करती। इसलिए ये शिकायत बरकरार रखने योग्य नहीं थी।”
हालाँकि, इसे खारिज करते हुए शिकायतकर्ता वकील ने राहुल गाँधी के वकील के दावों को खारिज कर दिया और कहा के याचिकाकर्ता मूल रूप से राँची का मूल निवासी है। इसलिए वो एक पार्टी है और वो इस टिप्पणी से आहत हुआ है। इसलिए शिकायतकर्ता इस मामले में केस दर्ज कराने के लिए स्वतंत्र है।