राजस्थान के छात्र संघ चुनावों में कॉन्ग्रेस के संगठन NSUI की करारी फजीहत हुई है। ABVP और निर्दलीयों के खाते में ही अधिकतर सीटें गईं। राजस्थान के 11 बड़े शहर तो ऐसे रहे, जहाँ NSUI का खाता तक नहीं खुला। जोधपुर के ‘जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में’ में SFI के अरविंद सिंह भाटी की जीत हुई, लेकिन इसके लिए भी 8 घंटे का ड्रामा चला। यहाँ NSUI उम्मीदवार हरेंद्र चौधरी के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव ने चुनाव प्रचार किया था।
जयपुर की ‘राजस्थान यूनिवर्सिटी’ में निर्दलीय निर्मल चौधरी की जीत हुई। दौसा विधायक और कृषि विपणन मंत्री मुरारी लाल मीणा की बेटी निहारिका जोरवाल को हार का सामना करना पड़ा। टिकट कटने के बाद निहारिका निर्दलीय चुनाव लड़ रही थीं, लेकिन उनकी हार हुई। NSUI चौथे स्थान पर रही। उदयपुर के मोहनलाल सुखाडिया यूनिवर्सिटी में सभी पद ABVP के पास चले गए। बीकानेर महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय और अजमेर की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी में भी ABVP के खाते में ही अध्यक्ष पद गए।
अजमेर भी भी सभी पद ABVP के पास ही गए। भरतपुर के महाराजा सूरजमल यूनिवर्सिटी में भी ABVP का झंडा फहरा। हालाँकि, सीकर के दीन दयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी में SFI का दबदबा रहा। कुल मिला कर राजस्थान की 14 विश्वविद्यालयों में 5 पर ABVP, 2 पर SFI और बाकी 7 पर निर्दलीयों की जीत हुई। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर और सचिन पायलट के निर्वाचन क्षेत्र टोंक में भी NSUI की हार हुई।
राजस्थान: छात्रसंघ चुनाव में NSUI का सूपड़ा साफ, 16 मंत्रियों के गढ़ में हारा संगठन#RajasthanNews https://t.co/WXYpUZlxXo
— TV9 Bharatvarsh (@TV9Bharatvarsh) August 28, 2022
कॉन्ग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के इलाके टोंक में भी NSUI की करारी हार हुई। अशोक गहलोत के 16 मंत्रियों के इलाकों में NSUI को जीत नसीब नहीं हुई। इन मंत्रियों का इन विश्वविद्यालयों से सम्बन्ध भी रहा है। छात्र संघ चुनावों में टिकट वितरण को लेकर असंतोष भी जल्द सड़क पर आ सकता है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू होने के बाद कॉन्ग्रेस की और फजीहत हो सकती है। अगले साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव भी होने हैं।