झारखंड के दुमका में बात नहीं करने पर जिंदा जलाकर मारी गई अंकिता के मामले में पुलिस ने सनसनीखेज खुलासा किया है। झारखंड बाल कल्याण समिति ने कहा कि जब मृतक की हत्या की गई, तब वह नाबालिग थी। हालाँकि, पुलिस को इसकी जानकारी होने के बावजूद उसने रिपोर्ट में मृतक को बालिग दिखाया था।
रिपोर्टों के अनुसार, झारखंड पुलिस ने अपनी FIR में मृतक की उम्र 19 वर्ष की लिखी थी। दरअसल, अंकिता ने अपने बयान में अपनी उम्र 17 वर्ष बताई थी। इसके बाद पुलिस ने 17 साल को बढ़ाकर 19 साल कर दिया था। हालाँकि, गुरुवार (1 सितंबर 2022) को पुलिस ने माना कि लड़की की उम्र उस समय 15 वर्ष थी। इसके बाद आरोपितों के खिलाफ POCSO एक्ट की धाराएँ जोड़ीं।
माना जा रहा है कि मृतक की उम्र को बढ़ाकर उसे बालिग साबित करने की कोशिश की जा रही थी। इसके जरिए पुलिस एक तरह से आरोपित शाहरुख हुसैन और नईम खान उर्फ छोटू की मदद कर रही थी। बता दें कि इस मामले में डीएसपी नूर मुस्तफा पर आरोपितों की मदद करने का आरोप लगा है।
हालाँकि, मृतक लड़की ने मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में अपना बयान दिया था और अपनी उम्र 17 साल बताई थी, इसके बावजूद बयान वाले अंकित उम्र को काटकर वहाँ 19 वर्ष लिखा गया था। मामला सामने आने के बाद पुलिस मुख्यालय ने दुमका के डीआईजी को जाँच का निर्देश दिया है।
झारखंड बाल कल्याण समिति ने इस घटना का संज्ञान लिया था और खुलासा किया था कि 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली अंकिता नाबालिग थी। समिति ने कहा था कि मृतका की 10वीं की मार्कशीट में उसकी जन्मतिथि 26 नवंबर 2006 बताई गई है। इसके बाद पुलिस ने आनन-फानन में बताया कि लड़की की उम्र 15 साल थी।
बता दें कि DSP नूर मुस्तफा पर हिन्दू विरोधी आरोप लगने के बाद इस केस की जाँच से हटा दिया गया है। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कुछ दस्तावेज साझा करते हुए कहा था कि उनके पास डीएसपी नूर मुस्तफ़ा के आदिवासी विरोधी एवं कम्यूनल होने के प्रमाण हैं।
उन्होंने जानकारी दी कि आदिवासियों के एक शोषक ज़ुल्फ़िकार पर ST एक्ट का मामला दर्ज हुआ और वह जेल भी गया, लेकिन DSP नूर मुस्तफ़ा ने 90 दिनों तक चार्जशीट नहीं की। इसके आधार पर ज़ुल्फ़िकार को जमानत मिल गई। डीएसपी नूर मुस्तफ़ा ने जुल्फिकार के जेल से निकल जाने के कुछ ही देर बाद चार्जशीट दाखिल कर दिया था।