प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 6 मई 2023 को कॉन्ग्रेस नेता एवं रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर को शराब घोटाले में गिरफ्तार किया था। इस घोटाले की आँच अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) तक पहुँच रही है। जिन अधिकारियों की देखरेख में 2000 करोड़ रुपए का शराब घोटाला हुआ, उन्हें बचाने का आरोप सीएम बघेल पर लगते रहे हैं।
ED ने अनवर की गिरफ्तार के बाद कहा था कि अनवर ढेबर शराब कारोबार का सरगना है। वहीं, IAS अधिकारी अनिल टुटेजा उस पैसे का प्रबंधन करते थे। एजेंसी ने दावा किया था कि शराब घोटाले की अवैध कमाई का इस्तेमाल चुनावों में किया गया। IAS टुटेजा वर्तमान में छत्तीसगढ़ के उद्योग और वाणिज्य विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत हैं।
He is the main kingpin on ground in the liquor scam in which around Rs 2000 Crore was illegally generated by the criminal syndicate. PMLA Court has granted 4 day of ED Custody.
— ED (@dir_ed) May 8, 2023
अनिल टुटेजा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खास माने जाते हैं। ये वही अधिकारी हैं, जिनका नाम राज्य के NAN घोटाले में सामने आया था। हालाँकि, भूपेश बघेल ने इन पर कार्रवाई करने के बजाए, इन्हें उद्योग एवं वाणिज्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग में संयुक्त सचिव का पद दे दिया। आरोप है कि सीएम बघेल टुटेजा को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
दरअसल, ED ने पहले इस मार्च में कई स्थानों पर तलाशी ली थी। इसके साथ ही विभिन्न व्यक्तियों के बयान दर्ज किए थे। इस दौरान यह निकल कर सामने आया कि साल 2019 से 2022 के बीच 2000 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के किया गया है। ED ने इसके सबूत भी एकत्र किए हैं।
ED का कहना है कि मनी लॉन्ड्रिंग जाँच से पता चला कि अनवर ढेबर के नेतृत्व में एक संगठित आपराधिक सिंडिकेट छत्तीसगढ़ में काम कर रहा था। अनवर ढेबर की आड़ में उच्च स्तर के राजनीतिक अधिकारियों और नौकरशाहों द्वारा अवैध काम को अंजाम दिया जा रहा था। इसके लिए उन लोगों ने व्यक्तियों एवं संस्थाओं का एक व्यापक नेटवर्क तैयार किया था।
दरअसल, अनवर ढेबर ने अन्य लोगों के साथ मिलकर बेहिसाब देसी शराब बनवाना शुरू किया था और उसे सरकारी दुकानों के माध्यम से बेचता था। इस तरह वह सरकारी खजाने में एक रुपए भी जमा किए बिना बिक्री की सारी आय खुद रख लेता था। 2019 से 2022 के बीच यह अवैध बिक्री राज्य की कुल शराब बिक्री का लगभग 30-40 प्रतिशत थी।
इस घोटाले को तीन तरीके से अंजाम दिया गया। पहला सरकारी शराब की बोतलों पर 70-150 रुपए प्रति केस अनवर दुकानदारों से कमीशन लेता था। दूसरे पैटर्न में वह नकली शराब बनाकर सरकारी दुकानों के माध्यम से बिक्री करवाता था और उसका पैसा खुद रखता था। तीसरा पैटर्न था कि लाइसेंस में कमीशन लेता था। यह एक वार्षिक कमीशन था, जिसका भुगतान मुख्य डिस्टिलर्स द्वारा डिस्टिलरी लाइसेंस प्राप्त करने और सीएसएमसीएल की बाजार खरीद में निश्चित हिस्सेदारी प्राप्त करने के लिए किया जाता था।
छत्तीसगढ़ में शराब की बिक्री 800 सरकारी दुकानों के जरिए की जाती है। निजी दुकानों को शराब बेचने का अधिकार नहीं है। दुकान चलाने वाले लोगों के मैन पावर से लेकर कैश कलेक्शन तक का काम राज्य की सरकारी कंपनी छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (CSMCL) देखती है। अनवर ढेबर अपने राजनीतिक आकाओं एवं अधिकारियों के सहयोग से CSMCL के एक आयुक्त और एमडी तक पहुँच बनाने में कामयाब हो गया।
ईडी का कहना है कि सिंडिकेट में राज्य के वरिष्ठ नौकरशाह, नेता और आबकारी विभाग के अधिकारी शामिल हैं। फरवरी 2019 में ITS अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी राज्य सरकार के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (CSMCL) में शामिल हुए। ढेबर के कहने पर तीन महीने के भीतर त्रिपाठी को इसका प्रबंध निदेशक बना दिया गया। त्रिपाठी का काम था- रिश्वत संग्रह को अधिकतम करना। आईएएस अधिकारी विकास अग्रवाल पैसा इकट्ठा करने और आईएएस अधिकारी अरविंद सिंह को रसद इकट्ठा करने के काम में लगाया गया था।
इस सिंडिकेट में मैनपावर का इस्तेमाल अग्रवाल के एक सहयोगी की कंपनी सुमसेट फैसिलिटीज लिमिटेड द्वारा प्रदान की गई थी। होलोग्राम का ठेका प्रिज्म होलोग्राफी एंड फिल्म्स सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया था। कैश कलेक्शन का काम टॉप्स सिक्योरिटीज को दिया गया था, जिसके मालिक सिद्धार्थ सिंघानिया थे, जो अग्रवाल के करीबी सहयोगी थे।
जाँच में ED ने पाया कि मार्च 2019 में देशी शराब निर्माता कंपनी छत्तीसगढ़ डिस्टिलरीज लिमिटेड, भाटिया वाइन मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड और वेलकम डिस्टिलरीज प्राइवेट लिमिटेड ने ढेबर और त्रिपाठी से मुलाकात की। डिस्टिलर्स को 75 रुपए प्रति केस कमीशन देने का आदेश दिया गया। बदले में ढेबर ने अपनी उधार दरों को बढ़ाने का वादा किया। सिंडिकेट ने कमीशन में एक बड़ी राशि एकत्र की। इसका एक बड़ा हिस्सा एक राजनीतिक दल को दिया गया था।
इतना सब कुछ फिक्स करने के बाद सिंडिकेट ने बेहिसाब कच्ची शराब बनाना शुरू कर दिया। इसे सरकारी दुकानों पर बेचा जा रहा था। इन कच्ची शराब को असली दिखाने के लिए इन पर डुप्लीकेट होलोग्राम भी लगाया गया। डुप्लीकेट बोतलें नकद में खरीदी गईं और एक डिस्टिलर को सप्लाई की गईं, जो उन्हें भरने का काम करता था।
ढेबर ने मासिक लक्ष्य निर्धारित किए। डिस्टिलर्स द्वारा हर महीने 800 पेटी देशी शराब से लदे 200 ट्रकों की आपूर्ति की जाती थी। 560 रुपए प्रति पेटी के हिसाब से शराब की सप्लाई की जाती थी। एमआरपी 2,880 रुपए प्रति केस था। बाद में इसे बढ़ाकर 3,880 रुपए कर दिया गया।
इसके अलावा, विदेशी शराब की माँग को देखते हुए और विदेशी शराब निर्माताओं से पैसे लेने में आने वाली समस्याओं को देखते हुए Fl-10A लाइसेंस को लाया गया। यह ढेबर के तीन परिचितों को मिला। इन लोगों ने विदेशी शराब खरीदने के लिए बिचौलियों की तरह काम किया और इसे सरकारी गोदामों में बेच दिया और विदेशी शराब निर्माताओं से लगभग 10% का कमीशन प्राप्त किया।
ED ने पाया कि इस सिंडिकेट की ‘ऊपर’ तक पहुँच थी। इसमें अन्य कई नेताओं और नौकरशाहों के शामिल होने की आशंका है, जिसकी जाँच केंद्रीय एजेंसी कर रही है। उधर भाजपा ने सीएम भूपेश बघेल की सरकार पर हमला बोला है। भाजपा ने कहा, “भूपेश सरकार के संरक्षण में छत्तीसगढ़ में हुआ 2000 करोड़ का शराब घोटाला… भूपेश जी, जरा आँख उठाकर बताइये तो सही, कितना बँटा और कितना घर पहुँचा?”
भूपेश सरकार के संरक्षण में छत्तीसगढ़ में हुआ 2000 करोड़ का शराब घोटाला…
— BJP Chhattisgarh (@BJP4CGState) May 7, 2023
भूपेश जी, जरा आंख उठाकर बताइये तो सही, कितना बंटा और कितना घर पहुंचा?#भूपेश_सरकार_का_शराब_घोटाला pic.twitter.com/SMeLNiYitv
विवादित IAS अधिकारी अनिल टुटेजा और NAN
साल 2015 में रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पर कॉन्ग्रेस सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। इसके बाद रमन सिंह की सरकार ने आरोपों की जाँच का आदेश दिया था। इस दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने NAN (नागरिक आपूर्ति निगम या सार्वजनिक वितरण निगम घोटाला) घोटाले का पर्दाफाश किया।
इस घोटाले में 27 लोगों पर मामला दर्ज किया गया था। जिन लोगों पर मामला दर्ज किया गया था, उनमें IAS अधिकारी अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला मुख्य आरोपित थे। साल 2015 में एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) ने एक चार्जशीट दायर की थी। इसके बाद राज्य में चुनाव हुए और सत्ता बदल गई। कॉन्ग्रेस की सरकार आते ही शुक्ला और टुटेजा के लिए चीजें बदल गईं।
टुटेजा पर लगे आरोपों को अनुचित बताते हुए बघेल के नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस सरकार ने एक SIT का गठन किया। तब से टुटेजा को बचाने और रमन सिंह को घोटाले में फँसाने की कोशिश की जा रही है। साल 2020 में टुटेजा को मामले में जमानत दिए जाने के तुरंत बाद उन्हें बघेल सरकार ने वाणिज्य और उद्योग का संयुक्त सचिव बना दिया। वहीं, शुक्ला को शिक्षा व अन्य विभागों का प्रभारी प्रमुख सचिव बनाया गया है।
भाजपा सरकार के पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने कहा था कि भूपेश बघेल की सरकार ने SIT के प्रमुख GP सिंह को कहा था कि भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, उनकी पत्नी और तत्कालीन प्रमुख सचिव अमन सिंह को फँसाना है। जब जीपी सिंह ने ऐसा करने से मना कर दिया तो उन्हें साजिश रचने का अभियुक्त बनाकर उनके खिलाफ ही कार्रवाई की गई।
राजेश मूणत ने कहा था कि भाजपा नेताओं को फँसाने के लिए अधिकारी चैट करते थे। इसमें आलोक शुक्ला निर्देश देते थे और अनिल टुटेजा इसे इसका संचालन करते थे। मूणत ने कहा कि आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा से कॉन्ग्रेस के क्या रिश्ते हैं, ये पार्टी को बताना चाहिए।
ऑपइंडिया को मिले ह्वाट्सएप चैट से हुआ था खुलासा
फरवरी 2020 में आयकर विभाग द्वारा छापेमारी के दौरान IPS अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश टुटेजा के फोन जब्त कर लिए गए थे। व्हाट्सएप पर टुटेजा के दूसरे अधिकारियों के साथ चैट में विभाग को कई अहम जानकारियाँ मिली हैं। ऑपइंडिया के पास भी यह एक्सक्लूसिव व्हाट्सएप उपलब्ध है। चैट में टुटेजा के एसआरपी कल्लूरी, इंदिरा कल्याण एलेसेला, जीपी सिंह और आरिफ शेख जैसे अधिकारियों के साथ की गई बातचीत उपलब्ध है।
चैट में उपलब्ध बातचीत से यह साफ हो गया है कि अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश टुटेजा के इशारे पर राज्य में आपराधिक न्याय प्रणाली का जमकर दुरुपयोग किया गया। व्हाट्सएप चैट से यह भी स्पष्ट होता है कि कैसे राज्य के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी NAN घोटाले के मुख्य अभियुक्तों के सहायक बनकर रह गए हैं। चैट से पता चलता है कि राज्य के प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला आरोपित टुटेजा के साथ मिलकर उनके केस को कमजोर करने और उनके विरोधियों पर मुकदमा दर्ज कराने की साजिश रच रहे थे।
राज्य के एक प्रमुख आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह द्वारा दिए गए शपथ पत्र और अनिल टुटेजा के साथ हुई व्हाट्सएप चैट से भी मामले में कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। जानकारी के मुताबिक आलोक शुक्ला के निर्देशन में अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा, अन्य बड़े पुलिस अधिकारियों और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मिलकर राजनीतिक विरोधियों की एक हिटलिस्ट तैयार की थी।
मुख्यमंत्री बघेल न सिर्फ टुटेजा की मदद कर रहे थे बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, उनके परिवार के लोगों, पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह उनकी पत्नी यास्मीन सिंह, पूर्व डीजी (पुलिस) मुकेश गुप्ता, अशोक चतुर्वेदी और चिंतामणि चंद्राकर जैसे अधिकारियों को भी फँसाने की कोशिश कर रहे थे।
19 अक्टूबर 2022 को छत्तीसगढ़ के NAN घोटाला मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में ईडी ने दावा किया कि मुख्य आरोपितों अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला की राज्य सरकार के बड़े अधिकारियों के साथ मिली भगत है। जो उन्हें बचाने की कोशिश में लगे हैं। ईडी ने मामले को राज्य से बाहर ट्रांसफर करने की अपील की थी।