Sunday, November 24, 2024
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दरभंगा में सोशल साइट्स बंद कर क्या छिपा रही बिहार पुलिस, सांसद बोले- जहाँ मुस्लिम ज्यादा, वहाँ सत्यनारायण पूजा भी नहीं कर सकते हिंदू

ऑपइंडिया को कमतौल के थाना प्रभारी ने बताया था कि शव के साथ अमानवीयता के जो दावे किए जा रहे हैं, वे झूठे हैं। विवाद की सूचना मिलने के बाद जब पुलिस मौके पर पहुँची तो शव गड्ढा खोदकर चिता पर रखा हुआ था।

मधुबनी हो या दरभंगा, किशनगंज हो या अररिया, मिथिला क्षेत्र के जिस भी इलाके में मुस्लिमों की आबादी अधिक है, हिंदू अल्पसंख्यक हो गए हैं, वहाँ पूजा तक नहीं करने दिया जाता है। सत्यनारायण भगवान की कथा नहीं होने दी जाती है। शादी-ब्याह में ढोल-बाजा नहीं बजने दिया जाता है। कहते हैं कि मस्जिद के आगे से बारात लेकर नहीं जाने देंगे।

बिहार के मधुबनी के सांसद अशोक यादव ने महादलित बुजुर्ग श्रीकांत पासवान के अंतिम संस्कार में समुदाय विशेष के लोगों के उत्पात का जिक्र करते हुए यह बात ऑपइंडिया से कही है। वैसे यह घटना दरभंगा जिले के कमतौल थाना क्षेत्र धर्मपुर-मालपट्टी गाँव की है। लेकिन यह इलाका अशोक यादव के संसदीय क्षेत्र में ही आता है। दरभंगा जिले में पिछले कुछ दिनों में कई सांप्रदायिक घटनाएँ हुई हैं।

मसलन 21 जुलाई को बिरौल थाना क्षेत्र में मोहर्रम का झंडा लगाने को लेकर विवाद हुआ। फिर 23 जुलाई को मब्बी थाना क्षेत्र के शिवधारा चौक पर भी देर रात इसी कारण तनाव पैदा हुआ। 23 जुलाई को श्रीकांत पासवान के दाह संस्कार के दौरान पथरबाजी और आगजनी की घटना हुई। 24 जुलाई को कमतौल थाना क्षेत्र के ही बरिऔल गाँव में मोहर्रम के जुलूस में डीजे बजाने पर फसाद हुआ। 25 जुलाई को मनीगाछी थाना क्षेत्र के इजरहटा गाँव में मारपीट हुई। 26 जुलाई को सिमरी थाना क्षेत्र के बनोली गाँव में मोहर्रम झंडा को लेकर विवाद हुआ। 27 जुलाई को सिंहवाड़ा थाना क्षेत्र के भवानीपुर भापुरा प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की सक्रियता से मुहर्रम झंडा लगाने पर विवाद होते-होते बचा।

यह दूसरी बात है कि दरभंगा पुलिस इन विवादों को इस तरह पेश कर रही है, जैसे ये सामान्य घटनाएँ हो। इसी कोशिश में अब दरभंगा जिले में सोशल साइट्स बंद कर दिए गए हैं। जन संपर्क उप निदेशक ने प्रेस को जारी बयान में कहा है कि विधि-व्यवस्था के कारण 27 जुलाई की शाम से 30 जुलाई 2023 की शाम तक सोशल नेटवर्किंग सेवाएँ बंद रहेंगी।

इसमें बताया गया है कि कुछ असामाजिक तत्व सोशल मीडिया के जरिए दरभंगा में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इसे देखते हुए राज्य के गृह विभाग के निर्देश पर ये सेवाएँ स्थगित करने का निर्णय लिया गया है। फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप, यूट्यूब पर वीडियो अपलोड करने सहित सोशल नेटवर्किंग की तमाम सेवाओं पर यह बंदिश लागू है।

भले दरभंगा प्रशासन ने असमाजिक तत्व, सांप्रदायिक सौहार्द जैसी सरकारी शब्दकोष के साथ यह प्रतिबंध लगाया है, लेकिन दरभंगा ​जिले में पिछले कुछ दिनों में हुई घटनाओं से आप समझ सकते हैं कि यह नौबत क्यों आई है। किनके कारण आई है। यह दूसरी बात है कि राष्ट्रीय मीडिया में इन घटनाओं को सुर्खियाँ नसीब नहीं हुई हैं। इससे भी खतरनाक स्थानीय पुलिस और प्रशासन पर एकतरफा कार्रवाई करने, पीड़ितों पर दबाव बनाने और बीच-बचाव करने वालों को भी प्रताड़ित करने जैसे आरोप लगना है।

दरभंगा में सोशल साइट्स पर बैन को लेकर प्रशासन की तरफ से मीडिया में जारी बयान

शव के साथ अमानवीय व्यवहार, हिंदुओं के घर फूँके: सांसद अशोक यादव

श्रीकांत पासवान के दाह-संस्कार के दौरान हुई घटना का हवाला देते हुए सांसद अशोक यादव ने ऑपइंडिया को बताया कि श्मशान की जिस जमीन को अपना बताकर मुस्लिम समुदायों के लोग ने विरोध किया, वहाँ कई पुश्तों से हिंदू दाह-संस्कार करते आ रहे हैं। श्मशान की जमीन नीचे हो जाने के कारण पानी लगने लगा था। मनरेगा से मिट्टी भराई उस जगह पर की गई है। उन्होंने कहा, “शव के साथ अभद्र-अमानवीय व्यवहार किया गया। इससे पहले इस तरह की घटना कभी नहीं हुई। लाश को फेंक ​दिया गया। उस पर लाठी चलाई गई और अन्य अमानवीय व्यवहार किया गया। हिंदुओं का घर जलाया गया। स्थानीय मुखिया की मोटरसाइकिल फूँक दी गई। ट्रांसफर्मर से बिजली काटकर हिंसा की गई।”

सांसद के अनुसार जो कुछ हुआ वह प्रशासन के सामने हुआ। पुलिस के लोग भी घायल हुए हैं। पुलिस को दोषियों पर कार्रवाई करनी चाहिए थी। लेकिन प्रशासन ने बीच-बचाव कराने मौके पर गए मुखिया अजय झा को ही इस मामले में घसीट दिया। उन्हें जेल भेज दिया। थाना लाकर उनको अपमानित किया गया। उनके लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने ऑपइंडिया से बातचीत में कहा, “श्मशान की जितनी भूमि खतियान में है, उसकी अविलंब घेराबंदी कर बिहार सरकार हिंदुओं को सौंप दे। दोषियों पर कार्रवाई करे ताकि भविष्य में ऐसी घटना न हो। यदि प्रशासन दोषियों पर कार्रवाई नहीं करती है तो फिर से इस तरह की घटना होने की आशंका है।”

श्रीकांत पासवान के शव के साथ क्या हुआ था

धर्मपुर गांव के 62 साल के श्रीकांत पासवान कैंसर से पीड़ित थे। मौत हो गई तो परिजन अंतिम संस्कार के लिए 23 जुलाई 2023 को शव श्मशान में ले गए। यह श्मशान मालपट्टी गांव की सीमा से लगा है। मालपट्टी गांव के मुस्लिमों ने श्मशन की जमीन को अपनी बताकर अंतिम संस्कार का विरोध किया। पत्थरबाजी से लेकर घरों पर हमले तक हुए। मीडिया रिपोर्टों में जलती चिता को फेंकने और शव पर पेशाब करने जैसे दावे तक गिए थे। लेकिन बिहार पुलिस इन दावों को नकार रही है। वह इसे अंतिम संस्कार को लेकर दो समुदाय के बीच उत्पन्न विवाद बता रही है।

ऑपइंडिया को कमतौल के थाना प्रभारी ने बताया था कि शव के साथ अमानवीयता के जो दावे किए जा रहे हैं, वे झूठे हैं। विवाद की सूचना मिलने के बाद जब पुलिस मौके पर पहुँची तो शव गड्ढा खोदकर चिता पर रखा हुआ था। प्रशासन की मौजूदगी में अंतिम संस्कार करवाया गया। उन्होंने बताया था कि पीड़ित परिवार ने भी अपनी शिकायत में शव के साथ किसी तरह की अभद्रता का जिक्र नहीं किया है। उन्होंने उपद्रव के दौरान तीन पुलिसकर्मियों के चोटिल होने की बात कही थी।

स्थानीय लोगों के अनुसार विवाद की सूचना मिलने के बाद मुखिया अजय झा मौके पर पुलिस प्रशासन के साथ पहुँचे थे। लेकिन बाद में मुस्लिमों के दबाव में उनको भी इस मामले में फँसाकर गिरफ्तार कर लिया गया। ऑल इंडिया मुस्लिम बेदारी कारवाँ नाम के एक संगठन ने 24 जुलाई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस संबंध में पत्र लिखा था। मुखिया अजय कुमार झा पर साजिश रचने का आरोप लगाते हुए कहा था कि मालपट्टी के दो दर्जन से अधिक मुस्लिमों के घरों में मुखिया के आदमी और पुलिस ने घुसकर मारपीट की।

‘बिहार को भी चाहिए यूपी का बुलडोजर मॉडल’

इसी तरह हाल में हुई अन्य घटनाओं में भी पुलिस पर मुस्लिमों के दबाव में काम करने और हिंदुओं को भी फँसाने के आरोप लग रहे हैं। सांसद अशोक यादव इसे बिहार सरकार की तुष्टिकरण का नतीजा बताते हैं। उन्होंने ऑपइंडिया से कहा, “लालू प्रसाद यादव के लिए शुरू से ही विकास का कोई मतलब नहीं रहा है। वह तुष्टिकरण और माई समीकरण की राजनीति करते रहे हैं। नीतीश कुमार की भी यह नीति रही है। बीजेपी जब साथ रही तो वे खुलकर तुष्टिकरण नहीं कर पाते थे। लेकिन अब लालू यादव से हाथ मिलाने के बाद वे भी खुलकर तुष्टिकरण करने और वोट बैंक बनाने में लगे हैं। यही कारण है कि बिहार में इस्लामी कट्टरपंथी और आतंकवादी भी खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। इसका उपचार कैसे किया जा सकता है यह बीजेपी की सरकार ने उत्तर प्रदेश में दिखाया है। यूपी में यदि इस तरह की घटना हुई होती तो अब तक बुलडोजर चल गया रहता। अब बिहार में भी ऐसी ही सरकार की आवश्यकता है।”

एक दिलचस्प तथ्य यह है कि सरकारी और प्रशासनिक स्तर पर जिस तुष्टिकरण की बात अशोक यादव कह रहे हैं, वह दरभंगा पुलिस के ट्विटर हैंडल पर भी दिखती है। महादलित श्रीकांत पासवान के अंतिम संस्कार पर बवाल करने वालों के नाम पुलिस ने नहीं बताए हैं। विरोध करने वाले लोगों की पहचान ‘अन्य समुदाय’ के तौर पर सोशल मीडिया में बताई है। लेकिन इसी पुलिस ने बहेड़ा थाना क्षेत्र में एक दलित किशोरी के साथ बलात्कार के आरोपित मनीष कुमार सिंह का नाम-पता और तस्वीर तक सोशल मीडिया में जारी की है।

एक मामले में आरोपित का नाम पता सब, दूसरे में केवल अन्य समुदाय

क्या इसी तुष्टिकरण पर पर्दा डालने की नीयत से अब सोशल नेटवर्किंग साइट पर बैन लगाने का फैसला आया है? इसका बेहतर जवाब दरभंगा का पुलिस-प्रशासन ही दे सकता है। जो वह फिलहाल पूछे जाने पर भी नहीं दे रही है।

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अजीत झा
अजीत झा
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