Tuesday, November 5, 2024
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लालू परिवार की 6 करोड़ की संपत्ति जब्त, तेजस्वी यादव की दिल्ली की ‘D ब्लॉक’ वाली प्रॉपर्टी भी: जमीन के बदले नौकरी केस में ED की कार्रवाई

लैंड पर जॉब घोटाला कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए-1 के शासनकाल सन 2004-2009 के बीच की है। बिहार में 15 साल तक लगातार सत्ता के सिरमौर रहे लालू प्रसाद यादव उस समय केंद्रीय रेल मंत्री थे। सन 2008 में रेलवे में नौकरी देने के बदले अभ्यर्थियों से रिश्वत के रूप में जमीन ली गई।

लैंड फॉर जॉब घोटाला में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने लालू यादव और उनके परिजनों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। लालू परिवार की करीब 6 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त कर ली है। ये संपत्ति पटना, दिल्ली और गाजियाबाद में हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ED ने लालू यादव और उनके परिवार से जुड़ी जिन संपत्तियों को कुर्क किया है वह पटना जिले के बिहटा, महुआबाग और दानापुर में हैं। इसके अलावा तेजस्वी यादव की दिल्ली की ‘डी ब्लॉक’ वाली संपत्ति और लालू की बेटी हेमा यादव की प्रॉपर्टी जब्त करने की करने की बात भी कही जा रही है। प्रवर्तन निदेशालय ने कुर्क की गई संपत्तियों का कुल मूल्य 6 करोड़ 2 लाख रुपए आँका है। हालाँकि इन संपत्तियों का बाजार मूल्य कहीं अधिक होने का अनुमान है।

बता दें कि रेलवे में नौकरी के बदले जमीन अपने नाम करने के आरोप में सीबीआई ने दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में 3 जुलाई 2023 को एक नई चार्जशीट दाखिल की थी। सीबीआई ने कोर्ट में कहा था कि आरोपितों ने घोटाला एक अलग तरीके से किया गया था, इसलिए पुरानी चार्जशीट होने के बाद भी एक नई चार्जशीट दाखिल की जा रही है। सीबीआई ने नई चार्जशीट में लालू यादव के साथ ही उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव व उनकी कंपनियों तथा अन्य लोगों को आरोपित बनाया था।

लैंड पर जॉब घोटाला (Land for job scam) कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए-1 के शासनकाल सन 2004-2009 के बीच की है। बिहार में 15 साल तक लगातार सत्ता के सिरमौर रहे लालू प्रसाद यादव उस समय केंद्रीय रेल मंत्री थे। सन 2008 में रेलवे में नौकरी देने के बदले अभ्यर्थियों से रिश्वत के रूप में जमीन ली गई। ये जमीन पटना सहित अन्य जगहों पर ली गई।

अभ्यर्थियों को रेलवे के ग्रुप-डी में नौकरी देने के लिए रेलवे की तरह से कोई नोटिफिकेशन नहीं निकाला गया। जिन लोगों ने जमीनें दीं, उन्हें तीन दिन के अंदर रेलवे में मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में नौकरी दे दी गई। जिन लोगों को नौकरी दी गई, उनमें से कुछ लोगों ने फर्जी प्रमाण-पत्र का भी उपयोग किया।

सीबीआई ने अपनी जाँच में पाया कि लालू यादव को पटना को 1.05 लाख वर्ग फीट जमीन दी गई। इन जमीनों का सौदा नकद में और बेहद कम कीमत पर किया गया। लालू यादव और उनके परिजनों को 7 उम्मीदवारों ने नौकरी के बदले में जमीने दी थी। इनमें से 5 जमीनों की बिक्री हुई थी, जबकि दो गिफ्ट के तौर पर दिए गए थे।

क्या हुई थी डील?

केंद्रीय जाँच एजेंसी CBI ने अपनी इन्वेस्टिगेशन में पाया कि इसमें सिर्फ लालू यादव ही नहीं, उनके पर्सनल असिस्टेंट रहे भोला यादव, उनकी पत्नी राबड़ी, बेटा तेजस्वी यादव, बेटी मीसा भारती, हेमा यादव सहित कुछ उम्मीदवारों भी शामिल हैं। इस मामले में सीबीआई ने मई 2022 में भ्रष्टाचार का नया केस दर्ज किया था।

मामला-1: जाँच में सीबीआई ने पाया कि फरवरी 2007 में पटना के रहने वाले हजारी राय ने 9527 वर्ग फीट अपनी जमीन एके इन्फोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को बेच दी। यह जमीन 10.83 लाख रुपए में बेची गई थी। बाद में हजारी राय के दो भतीजों दिलचंद कुमार और प्रेमचंद कुमार को रेलवे में नौकरी मिली।

सीबीआई की जाँच में यह बात भी सामने आई कि साल 2014 में एके इन्फोसिस्टम के सारे अधिकार और उसकी सारी संपत्तियाँ राबड़ी देवी और मीसा भारती के नाम पर चली गईं। साल 2014 में राबड़ी देवी ने इस कंपनी के ज्यादातर शेयर खरीद लिए और इस कंपनी की डायरेक्टर बन गईं।

मामला-2: नवंबर 2007 में पटना की रहने वाली किरण देवी नाम की महिला ने अपनी 80,905 वर्ग फीट की जमीन लालू यादव की बेटी मीसा भारती के नाम पर कर दी। यह सौदा सिर्फ 3.70 लाख रुपए में हुआ था। बाद में किरण देवी के बेटे अभिषेक कुमार को मुंबई में भर्ती किया गया।

मामला-3: इसी तरह 6 फरवरी 2008 को पटना के रहने वाले किशुन देव राय ने अपनी 3375 वर्ग फीट जमीन लालू यादव की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को बेच दी। यह जमीन 3.75 लाख रुपए में बेची गई थी। इसके बदले में किशुन राय के परिवार के तीन लोगों को रेलवे में नौकरी दी गई।

मामला-4: इसी तरह फरवरी 2008 में पटना के महुआबाग में रहने वाले संजय राय ने 3,375 वर्ग फीट की अपनी प्लॉट को राबड़ी देवी को बेच दिया। यह प्लॉट 3.75 लाख रुपए में बेची गई। इसके बदले में संजय राय और उनके परिवार के दो सदस्यों को रेलवे में नौकरी दी गई थी।

मामला-5: इसी तरह मार्च 2008 में ब्रिज नंदन राय ने 3375 वर्ग फीट की अपनी जमीन गोपालगंज के रहने वाले ह्रदयानंद चौधरी को 4.21 लाख रुपए में बेच दी। बाद में ह्रदयानंद चौधरी ने यह जमीन लालू यादव की बेटी हेमा को तोहफे में दे दी। ह्रदयानंद चौधरी को साल 2005 में हाजीपुर में रेलवे में भर्ती किया गया था।

सीबीआई ने अपनी जाँच में पाया कि ह्रदयानंद चौधरी लालू यादव का रिश्तेदार नहीं था, इसके बावजूद उसने जमीन लालू यादव की बेटी को गिफ्ट किया था। जिस वक्त यह जमीन गिफ्ट की गई थी, उस वक्त उसकी कीमत लगभग 62 लाख रुपए थी।

मामला-6: मार्च 2008 में विशुन देव राय ने अपनी 3375 वर्ग फीट की जमीन सिवान के रहने वाले ललन चौधरी को बेची। उसी साल ललन के पोते पिंटू कुमार को पश्चिमी रेलवे में भर्ती कराया गया। इसके बाद फरवरी 2014 में ललन चौधरी ने यह जमीन लालू यादव की एक और बेटी हेमा यादव को गिफ्ट कर दी।

मामला-7: इसी तरह मई 2015 में पटना के रहने वाले लाल बाबू राय ने अपनी 1360 वर्ग फीट जमीन राबड़ी देवी को 13 लाख रुपए में बेच दी। सीबीआई की जाँच में पता चला कि साल 2006 में लाल बाबू राय के बेटे लाल चंद कुमार को रेलवे में नौकरी दी गई थी।

करोड़ों की जमीन कौड़ियों के भाव लिए

CBI जाँच में पाया कि लालू यादव और उनके परिवार ने बिहार में 1.05 लाख वर्ग फीट की जमीन सिर्फ 26 लाख रुपए में हासिल की थी। वहीं, उस समय के सर्किल रेट के अनुसार उन जमीनों की कुल कीमत 4.40 करोड़ रुपए के करीब थी। सीबीआई ने यह पाया कि जमीन की खरीद के मामले में अधिकतर जमीनों के लिए नकद में पैसे दिए गए थे।

सीबीआई ने यह पाया कि 7 लोगों से करोड़ों रुपए की जमीन लेकर 12 लोगों को नौकरी दी गई थी। इन जमीनों को या तो सीधे लालू परिवार को बेच दिया गया, गिफ्ट कर दिया गया या फिर अन्य लोगों के जरिए रूट करके अंतत: लालू परिवार को दे दी गई।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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