Sunday, September 8, 2024
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‘शोभायात्रा में हथियार लेकर कौन जाता है?’ – चर्चा में सांसद राव इंद्रजीत, कॉन्ग्रेस का हाथ छोड़ मुख्यमंत्री बनने का था ख्वाब

राव इंद्रजीत के विरोधियों द्वारा उन पर लगाए गए आरोप कई बार सही भी लगते हैं। मोदी लहर में भाजपा में शामिल होना और फिर सांसद बनते ही मुख्यमंत्री बनने की बातें करना उनकी अवसरवादिता को दर्शाता है। साल 2018 में इंद्रजीत ने सीएम बनने की अपनी मंशा जाहिर कर दी थी।

हरियाणा के मेवात क्षेत्र के नूहं में 31 जुलाई 2023 को कट्टरपंथी मुस्लिमों की भीड़ द्वारा हिंदुओं पर किए हमले में 6 लोगों की मौत की मौत हो गई है। इस हिंसक घटना पर गुरुग्राम से भाजपा सांसद राव इंद्रजीत सिंह ने हिंदुओं पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू हथियारबंद थे और उनकी तरफ से भी उकसावे की कार्रवाई हुई।

राव इंद्रजीत सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा है, “किसने हथियार दिए उनको (हिंदुओं को) इस जुलूस में ले जाने के लिए? जुलूस में कोई तलवार लेकर जाता है? लाठी-डंडे लेकर जाता है? यह गलत है। इस तरफ से भी उकसावे की कार्रवाई हुई। मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि दूसरी तरफ से कोई उकसावे की कार्रवाई नहीं हुई।”

राव इंद्रजीत का यह बयान चर्चा में है। हरियाणा सरकार नूहं हिंसा के पीछे साजिश होने की बात कह रही है। यहाँ तक कि प्रत्यक्षदर्शी और शासन-व्यवस्था में लगे कर्मचारी भी घटना को सुनियोजित हिंसा करार दे रहे हैं, लेकिन राव इंद्रजीत का बयान हिंदुओं पर ही सवाल खड़ा कर रहा है। हालाँकि, यह पहली बार नहीं है जब दंगों के दौरान उनका बयान चर्चा में आया हो।

इससे पहले जून 2014 में मेवात के टौरू में हुई हिंसा के बाद राव इंद्रजीत पर हिंसा भड़काने का आरोप लगा था। तब राव इंद्रजीत राजस्थान के टोंक-सवाई माधोपुर से सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया और हरियाणा भाजपा के तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष रामबिलास शर्मा के साथ मेवात के पथेरी गाँव पहुँचे थे। वहाँ उसी मंच पर राव इंद्रजीत भी थे, जिससे रामबिलास शर्मा ने कहा था, “तनाव लेने का नहीं, देने का समय आ गया है।”

कौन हैं राव इंद्रजीत सिंह?

राव इंद्रजीत सिंह फिलहाल हरियाणा की गुरुग्राम लोकसभा सीट से सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री हैं। लंबे समय से गुरुग्राम का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं। इनका इतिहास देखें तो साल 1977 से लगातार 4 बार कॉन्ग्रेस की टिकट पर विधायक रहे। यही नहीं, 1998 से लेकर 2009 तक कॉन्ग्रेस के टिकट पर लोकसभा सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री रहे।

अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाले राव इंद्रजीत सिंह यादव साल 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद भाजपा की टिकट पर वह एक बार फिर लोकसभा पहुँचे। राव इंद्रजीत के विरोधियों का आरोप है कि मोदी लहर को देखते हुए उन्होंने साल 2014 में कॉन्ग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामा था।

भाजपा में आते ही जाग उठे थे CM बनने के अरमान:

राव इंद्रजीत के विरोधियों द्वारा उन पर लगाए गए आरोप कई बार सही भी लगते हैं। मोदी लहर में भाजपा में शामिल होना और फिर सांसद बनते ही मुख्यमंत्री बनने की बातें करना उनकी अवसरवादिता को दर्शाता है। साल 2018 में इंद्रजीत ने सीएम बनने की अपनी मंशा जाहिर कर दी थी।

सीएम बनने के सवाल पर उन्होंने कहा था, “मुझे देखना है कि सीएम बनने के लिए लोग मुझ पर दबाव डालते हैं या नहीं। पहले भी मैं मुख्यमंत्री बनना चाहता था। पिछली बार यानि 2014 के लोकसभा चुनाव में लोगों ने मुझे इस उम्मीद से वोट दिया था कि राव इंद्रजीत मुख्यमंत्री बनेंगे।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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