कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकर में मंत्री डी सुधाकर पर एक दलित महिला ने मारपीट और जातिसूचक गालियाँ देने का आरोप लगाया है। डी सुधाकर पर इस मामले में बेंगलुरु के येलाहांका थाने में मामला दर्ज किया गया है। हालाँकि, कर्नाटक हाईकोर्ट ने दलित उत्पीड़न के इस मामले में सुधाकर को राहत देते हुए पुलिस की आगे की कार्रवाई पर रोक लगा दी है।
FIR में पीड़िता ने कहा है कि मंत्री सुधाकर अपने 35-40 साथियों के साथ 9 सितम्बर 2023 को बेंगलुरु के येलाहांका इलाके की KHB कालोनी में स्थित एक आवासीय प्लाट पर जेसीबी लेकर पहुँचे थे। उस दौरान पीड़िता घर पर मौजूद नहीं थी। इसके बाद मंत्री और उनके गुर्गों ने इस प्लॉट में तोड़फोड़ शुरू कर दी।
पीड़िता ने आगे बताया है कि इसके बाद जब उसे इस संबंध में पता चला और वह घटनास्थल पर विरोध करने पहुँची तो उसकी बेटी के साथ मारपीट की गई और मंत्री ने उन्हें जातिसूचक गालियाँ दीं। इस मामले का एक कथित वीडियो भी वायरल हुआ है। पीड़िता ने इस जानकारी को पड़ोसी थाने में दर्ज करवाया, लेकिन पुलिस ने कोई भी कार्रवाई नहीं की।
पीड़िता का कहना है कि उसकी इस जमीन की फर्जी रजिस्ट्री तैयार करवाई गई है। मंत्री सुधाकर का वीडियो वायरल होने और उनके ऊपर FIR दर्ज होने के बाद भी उनको कॉन्ग्रेस नेता और राज्य के मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री बचा रहे हैं। जहाँ मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने इस मामले को गृह मंत्री के साथ बैठक करके टालने का प्रयास किया तो वहीं उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने पूरे मामले को ही झूठा बता दिया।
डी सुधाकर कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार में सांख्यकी और कार्यक्रम कार्यान्वन मामलों के मंत्री हैं। वह कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले की हिरियुर सीट से विधायक हैं। सुधाकर पर लगे आरोपों के बाद विपक्ष ने उनसे इस्तीफ़ा माँगा है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता बसावराज बोम्मई ने कहा है कि कॉन्ग्रेस दलित कल्याण की बात करती है, लेकिन उसके मंत्री दलित विरोधी हैं।
राज्य के दूसरे प्रमुख विपक्षी दल जेडी(एस) के नेता एचडी कुमारस्वामी ने भी इस मामले पर कॉन्ग्रेस सरकार की आलोचना की है। उन्होंने भी डी सुधाकर के इस्तीफे की माँग की है। सुधाकर ने इस मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसने उन्हें राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज मामले पर अंतरिम रोक लगा दी है।