कर्नाटक की हुबली-धारवाड़ महानगरपालिका के आयुक्त ईश्वर उल्लागड़ी ने ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी के कार्यक्रमों के आयोजन और गणेश मूर्ति स्थापित करने की अनुमति दे दी है। इसके लिए कर्नाटक हाईकोर्ट ने महानगरपालिका को निर्देश दिया था। गणेश चतुर्थी आयोजन की अनुमति देने पर अंजुमन-ए-इस्लाम ने आपत्ति जताई थी।
कर्नाटक के प्रमुख शहर हुबली-धारवाड़ में हिन्दुओं ने ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी से सम्बंधित कार्यक्रम करने की अनुमति माँगी थी। इसकी अनुमति देने को लेकर महानगरपालिका के मेयर और सदस्यों ने 31 अगस्त 2023 को ही प्रस्ताव पारित किया गया था। हालाँकि, इसकी आधिकारिक अनुमति आयुक्त द्वारा दी जानी थी।
आयुक्त द्वारा अनुमति देने में देरी होने के पीछे नगरपालिका के आयुक्त ईश्वर उल्लागड़ी पर कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार के दबाव के आरोप लग रहे थे। इसके विरोध में भाजपा के स्थानीय नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किया था और धरने पर बैठ गए थे।
भाजपा नेताओं का कहना है कि आयुक्त द्वारा अनुमति मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति के चलते रोकी जा रही है। भाजपा विधायक महेश तेंगिन्कई ने आयुक्त के इस रवैये का विरोध करते हुए कहा था कि ईदगाह की जमीन महानगरपालिका की ही है।
वहीं आयुक्त ईश्वर उल्लागड़ी ने कहा था कि वह अनुमति देने से पहले अन्य तथ्यों पर विचार करेंगे। उन्होंने कहा था कि कानून व्यवस्था सम्बंधित राय के लिए पुलिस कमिश्नर से बात करेंगे। भाजपा कार्यकर्ताओं ने सिर्फ इस आधार पर अनुमति नहीं देने का विरोध किया था और आयुक्त दफ्तर के बाहर धरने पर बैठ गए थे।
हिन्दू कार्यकर्ताओं ने ईदगाह मैदान में गणेश मूर्ति लगाकर 11 दिनों तक कार्यक्रम के आयोजन करने की अनुमति की माँग की थी। महानगरपालिका की अनुमति के विरोध में अंजुमन-ए-इस्लाम नाम के मुस्लिम संगठन ने कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका देकर निर्णय रद्द करने का आग्रह किया था। हालाँकि, कोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी।
कोर्ट का आदेश आने के बाद महानगरपालिका के आयुक्त ईश्वर उल्लागड़ी ने अनुमति पत्र आयोजन करने वाले मंडल के सदस्यों को सौंप दिया। हालाँकि, आयोजन की अनुमति मात्र तीन दिनों के लिए ही दी गई है। ईदगाह मैदान को लेकर लम्बे समय से विवाद होता आया है। अंजुमन इस्लाम इस जमीन पर 999 वर्षों के लीज का दावा करती है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, यहाँ 1992 में भाजपा और विश्व हिन्दू परिषद ने तिरंगा लहराने के प्रयास किए थे। अंजुमन-ए-इस्लाम ने इस आपत्ति जताई थी। उस दौरान राज्य में कॉन्ग्रेस की सरकार थी और उसने इसकी अनुमति नहीं दी थी। वर्ष 1994 में भी कर्नाटक सरकार ने भाजपा नेता उमा भारती को तिरंगा लहराने से रोकने के लिए शहर में कर्फ्यू लगा दिया था। इसके बाद हुए दंगों में कई मृत्यु हुई थी।
अंजुमन-ए-इस्लाम का कहना है कि उसे वर्ष 1921 में इस मैदान की 999 सालों की लीज मिली थी, परन्तु 2010 में कर्नाटक हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट इस जमीन का मालिक हुबली-धारवाड़ महानगरपालिका को माना था और अंजुमन का मालिकाना हक खत्म कर दिया था। तब से इसका उपयोग पार्किंग और बाजार लगाने के लिए किया जा रहा है।