Tuesday, November 26, 2024
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अजीत भारती

पूर्व सम्पादक (फ़रवरी 2021 तक), ऑपइंडिया हिन्दी

आतंक का एक मजहब है: एक ने स्वीकारा, आप भी स्वीकारिए

चाहे वो मोदी हों, मर्कल हों, मैक्राँ हों, जॉनसन हो या कोई वैसा राष्ट्र जो यह नहीं चाहता कि उसके किसी एयरपोर्ट पर, चर्च में, सड़क पर, पार्क में, मंदिर पर या बस-ट्रेन में बम फूटे, छुरा चले, ट्रकों से लोगों को रौंदा जाए, तो सबसे पहला काम तो वो यह करें कि एक स्वर में इस मुसीबत को उसके पूरे नाम से स्वीकारें कि हाँ, कट्टरपंथी आतंकवाद ने इन सारे देशों में दहशत फैलाई है, जानें ली है, परिवारों को तोड़ा है।

मुंबई मेट्रो: ऐसे बॉलीवुड वालों को जब दो टके का नचनिया कहा जाता है तो बुरा नहीं लगता

ऐसी परियोजनाओं के आने या न आने से इस तरह के अमीरों को फर्क नहीं पड़ता। वो शायद मेट्रो में कभी नहीं चढ़ेंगे, क्योंकि उनके पास ड्राइवर के साथ कार उपलब्ध है। वो बुलेट ट्रेन पर भी नहीं बैठेंगे, क्योंकि वो हवाई जहाज से आते-जाते हैं। वो अगर सेट पर लेट भी पहुँचेंगे तो उनकी सैलरी नहीं कटेगी।

यूनिवर्सिटी कैम्पसों की वामपंथी हिंसा: लाल सलाम की बत्ती बनाने का समय आ चुका है, वरना ये आग लगा देंगे

तुमने सत्ता में रह कर ऐसा क्या किया कि तुम्हें हर जगह से नकार दिया गया? फिलहाल 2-3 यूनिवर्सिटी तक सिमट चुके हो। वहाँ भी जब तुम छात्रसंघ जैसी संस्था के अध्यक्ष बन जाते हो, तो अपने विरोधियों के द्वारा बुलाए लोगों को कैम्पस में घुसने तक नहीं देते, हिंसा पर उतर आते हो! आखिर तुम किस लोकतांत्रिक तरीके की बात करते हो?

बांग्लादेशी या रोहिंग्या इस देश का नहीं है, उसकी पहचान कर, अलग करना समय की माँग

इन गैरकानूनी शरणार्थियों को इकट्ठा होने दीजिए, एक बड़े जगह पर रखिए तो ये धीरे-धीरे अपने दीवार खड़े करते हैं, गैरमुस्लिम लोगों को उनके इलाके में घुसने से मना करते हैं, फिर संख्या बढ़ने पर स्थानीय प्रशासन से अपने लिए मजहबी आधार पर विशेष अधिकारों की माँग करते हैं, और एक समय आता है कि स्वीडन जैसे देश को बलात्कार के नक्शे पर नंबर एक बना देते हैं।

हिन्दीभाषियों का घमंड और कुतर्क बनाम हिन्दी से घृणा करने वाले कूढ़मगज

हिन्दीभाषियों के घमंड के दूसरे एक्सट्रीम पर वो लोग हैं जो हिन्दीभाषियों को घृणा से देखते हैं। एक बंगाली व्यक्ति ने लिखा कि हिन्दी वाले गुटखा खाने वाले हैं, गाली देने वाले हैं, भ्रूणहत्या करने वाले हैं, ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले हैं, ढोकला चुराने वाले हैं, भुजिया खाने वाले रक्तचूसक कीड़े हैं।

हिन्दी दिवस: एक भाषा ज़्यादा सीख लेने से संस्कृति कैसे बर्बाद होती है?

आप सोचिए कि हिन्दी जानने से आपकी संस्कृति कैसे प्रभावित हो रही है? अगर यह कहा जाए कि तुम तेलुगु छोड़ दो, और हिन्दी पढ़ो; तमिल में लिखे सारे निर्देश हटा दिए जाएँगे; कन्नड़ में अब नाटक या फिल्म नहीं बनेंगे; मलयालम की किताबों को जला दो... तब उसे हम कहेंगे कि 'हिन्दी थोपी जा रही है।'

‘न्यायपालिका बिकी हुई है’: वामपंथी गिरोह का अगला नैरेटिव क्योंकि इनके बाप-दादा फँस रहे हैं

यासीन मलिक पर मुकदमा खुल चुका है, 84 के दंगों पर दोबारा केस खुला है, नेशनल हेराल्ड केस है, चिदंबरम हैं, अगस्ता-वेस्टलैंड है, रामजन्मभूमि है, एनडीटीवी का प्रणय रॉय है, क्विंट का राघव बहल है, 370 का मामला सुप्रीम कोर्ट ने देखने का वादा किया है, अर्बन नक्सलियों पर मामले चल रहे हैं…

लैंडर विक्रम का नाम होता टीपू सुल्तान तो अपने तलवार से भेजता सिग्नल: वामपंथी मीडिया गिरोह

इस बात पर राहुल गाँधी ने कहा कि वो ट्रैफिक वालों से विक्रम की सेटिंग करवा देंगे, उनके पास ATM वाला 2000 का नोट है। अमित शाह ने कहा कि किसी भी सूरत में कॉन्ग्रेस को सिवाय देश की बर्बादी के, दूसरी किसी भी बात का क्रेडिट लेने नहीं देंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि विक्रम मिस्ड कॉल देगा और भाजपा कार्यकर्ता बनेगा।