इंतजार कीजिए, कोई मूर्ख नेता और धूर्त पत्रकार जल्द ही यह पूछेगा कि जो सेटैलाइट मार गिराया गया, उसका धुआँ तो आकाश में दिखा ही नहीं, उसके पुर्ज़े तो कहीं गिरे होंगे, उसका विडियो कहाँ है।
राहुल ने जब यह बोल दिया, और फिर कैलकुलेटर लेकर चिदम्बरम सरीखे जानकार लोग बैठे तो पता चला कि आलू से सोना भी बनने लगे, हर खेत में फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर, उसकी छतों पर भी खेती की जाए, फिर भी इतना पैसा पैदा करना नामुमकिन हो जाएगा।
ये बहुत ही धूर्त एडिटर का कमाल होता है जब वो लड़की के वक्षस्थल को घूरने को 'ग़लत बात' कहते हुए हेडलाइन बनाता है, और इमेज में वैसी ही तस्वीर लगाता है। इस आलोचना से वो अपने आप को इम्यून करना चाहता है कि 'मैं तो इस तरह के इमेज को शेयर न करने की सलाह दे रहा था'।
कॉन्ग्रेस की यही समस्या है कि वो इतना नकारा तो चौवालीस सीट पाने के बाद भी नहीं महसूस कर पाया जितना विपक्ष में कि इतने नेताओं के महागठबंधन के बाद भी मोदी को घेरने के लिए उसके पास सिवाय अहंकार और अभिजात्य घमंड के और कुछ भी नहीं है।
कल दो घटनाएँ हुईं, और दोनों ही पर मीडिया का एक गिरोह चुप है। अगर यही बात उल्टी हो जाती तो अभी तक चुनावों के मौसम में होली की पूर्व संध्या पर देश को बताया जा रहा होता कि भगवा आतंकवाद कैसे काम करता है। चैनलों पर एनिमेशन और नाट्य रूपांतरण के ज़रिए बताया जाता कि कैसे एक हिन्दू ने ट्रेन में बम रखे और समुदाय विशेष को अपनी घृणा का शिकार बनाया।
ये वही लम्पटों का समूह है जो मोदी को घेरने के लिए एक हाथ पर यह कहता है कि विकास नहीं हुआ है, रोजगार कहाँ हैं, और दूसरे हाथ पर, फिर से मोदी को ही घेरने के लिए ही, यह कहता है कि गडकरी ने सही काम किया है, उसका काम दिखता है।
गहलोत ने गम्भीरता से अपनी बात रखते हुए कहा कि अगर मोदी दोबारा जीत जाता है तो या तो यहाँ चुनाव ही नहीं होंगे या भारत में रूस या चीन जैसी स्थिति हो जाएगी। गहलोत ने आगे बताया कि मोदी चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।