Tuesday, September 17, 2024
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अजीत झा

देसिल बयना सब जन मिट्ठा

कानून से खेलो, हिंदुत्व की कब्र खोदो… क्योंकि वे जब आएँगे सारे गुनाह दफन हो जाएँगे

वक्त है चेत जाने का। खुद की आवाज बनने का। गिरोह घात लगाए बैठा है। उसे नहीं कुचला तो वह गजवा-ए-हिंद के ख्वाब बुनने वालों के पीठ पर हाथ फेरेगा और आपको भगवा आतंकवादी घोषित कर देगा।

जहाँ से मुश्किल मोर्चे ले रहे अमित शाह, वहीं से मुफ्ती मोहम्मद सईद ने टेके थे घुटने!

यूॅं तो नॉर्थ ब्लॉक ने कई गृह मंत्री देखे हैं। पटेल से लेकर शाह तक। पर ज्यादातर के नाम भी याद नहीं आते। कड़े फैसलों की वजह से पटेल याद किए जाते हैं। शाह भी उसी राह पर हैं। लेकिन, कुछ ऐसे भी हुए हैं जो आतंकी हमले के वक्त भी हर घंटे सूट बदल रहे थे।

इसी मजहबी उन्माद में जला था भोला, 8-70 साल की 200 हिंदू महिलाओं से हुआ था रेप

CAA के विरोध में जिस तरह का मजहबी उन्माद आज दिख रहा है, कुछ ऐसा ही 2001 में दिखा था। हिंदुओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया। छोटी-छोटी बच्चियों का रेप किया गया। अगवा कर धर्मांतरण करवाया गया। संपत्ति पर कब्जा कर हिंदुओं की हत्या की गई।

मी लॉर्ड ने बख्श दिया पर राहुल गाँधी को मन से माफ नहीं कर पाएँगे कॉन्ग्रेसी

उस भूल के लिए अब सुप्रीम कोर्ट ने भी राहुल गॉंधी को बख्श दिया है। मोदी ने तो शायद आम चुनावों के नतीजों के बाद ही माफ कर दिया हो। लेकिन, क्या वे कॉन्ग्रेसी और वामपंथी राहुल गाँधी को कभी मन से माफ कर पाएँगे जिनके सपने में वे आज भी शपथ लेते रहते हैं?

अयोध्या कांड: रथी आडवाणी, सारथी मोदी… और राम मंदिर की वह लहर जिसने खोद दी ‘सेक्युलरों’ की कब्र

इस यात्रा ने सत्ता में भाजपा को स्थापित करने के बीज बोए। आज उसकी जड़ें इतनी फैल गई हैं कि जो नेहरू कभी राम को बेदखल करने पर अमादा थे, आज उनकी ही राजनीति के वारिस मंदिर-मंदिर प्रदक्षिणा को मजबूर हैं। बाकायदा मुनादी की जाती है उनके जनेऊधारी हिन्दू होने की।

2-2 बार सीएम को धूल चटाई, राहुल गाँधी के करीब आते ही 10 महीने में 2 बार हारे

1996 और 2005 का हरियाणा विधानसभा चुनाव - दोनों बार ओम प्रकाश चौटाला हार गए। दिलचस्प कि दोनों बार चौटाला बतौर मुख्यमंत्री चुनाव लड़ रहे थे। आखिर दोनों उन्हें हराया किसने - रणदीप सुरजेवाला ने। लोग उन्हें जाइंट किलर कहने लगे। लेकिन फिर वो राहुल गाँधी के करीबी हुए और इतिहास गवाह है कि...

2005 में सोनिया ने सुनील दत्त की नहीं सुनी, मौत के 14 साल बाद उनका कहा ही सत्य है

समय के फेर देखिए। जब सुनील दत्त को अनसुना कर संजय निरुपम को कॉन्ग्रेस में लाया गया तब सोनिया गॉंधी पार्टी की अध्यक्ष हुआ करती थीं। सुनील दत्त के जाने के 14 साल बाद जब वही निरुपम पार्टी को आँखें दिखा रहे हैं तो सोनिया ही पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष हैं!

‘हिन्दू जनजागरण का सेनापति’ जिसने नेपथ्य से थाम रखी थी राम मंदिर आंदोलन की डोर

हिंदुओं का धर्मांतरण रोकने का अभियान हो या अयोध्या आंदोलन, असली रणनीतिकार मोरोपंत पिंगले ही थे। उनकी बनाई योजना के कारण ही देशभर में करीब तीन लाख रामशिलाएँ पूजी गईं। 25 हजार शिला यात्राएँ अयोध्या के लिए निकलीं। 40 देशों से पूजित शिलाएँ अयोध्या आईं।