Thursday, May 16, 2024
303 कुल लेख

आशीष नौटियाल

पहाड़ी By Birth, PUN-डित By choice

जमात की नंगई पर केजरीवाल के मंत्री ने कहा- भाषा की परेशानी है, उन्हें हिंदी-अंग्रेजी नहीं आती है

आप गिनते जाएँगे, लेकिन जमात सदस्यों के कारनामें खत्म नहीं होंगे। बावजूद इनकी करतूतों पर पर्दा डालने की कोशिश शुरू हो गई। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री की मानें तो इसकी वजह 'भाषा' है। अस्पताल कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार इसलिए हो रहा, क्योंकि जमात के सदस्य हिंदी-अंग्रेजी नहीं जानते हैं।

नमाज पढ़ने के लिए भी जीवित रहना जरूरी: जो CAA-NRC फेसबुक पोस्ट से समझ गए, उन्हें मोदी की अपील नहीं समझ आ रही

PM मोदी ने लोगों से 21 दिन तक घरों में रहने की अपील बेहद सामान्य शब्दों में और विनम्रतापूर्वक की थी। फिर भी एक विशेष वर्ग, जिसने सत्ता-विरोधियों के एक ही इशारे में नागरिकता कानून को समझ लिया था और शाहीनबाग़ खड़ा कर दिया, के लिए यह अपील समझनी मुश्किल नजर आ रही है।

मोतीलाल नेहरू ने अपने पास बिठाकर लिखवाई थी तुलसीदास से रामचरितमानस, दिग्विजय सिंह की जानकारी अधूरी!

इस अप्रकाशित पुस्तक में यह भी खुलासा किया गया है कि जामवंत ने हनुमान को नहीं बल्कि जवाहरलाल नेहरू को उनका बल याद दिलाया था, इसके बाद ही वो स्वतंत्रता संग्राम में कूदे थे। साथ ही बताया गया था कि रावण ने मारीच नहीं बल्कि दिग्विजय सिंह को स्वर्ण मृग बनाकर सीता माता के पास भेजा था।

सनकी शासकों से अभिशप्त रही ढिल्लिका: ‘तुगलक’ केजरीवाल के कारण लंदन की जगह वुहान बनने के कगार पर

दिल्ली को लंदन बनाने का दावा करने वाले अरविंद केजरीवाल ने आज दिल्ली को वुहान बनने के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। दुर्भाग्य यह है कि जिस जनता के साथ आज उन्होंने छल किया है, उसी को वोट बैंक बनाकर वो तीसरी बार सत्ता में लौटे हैं।

दुनिया लॉकडाउन में लेकिन लल्लनटॉप अपने कर्मपथ से डिगा नहीं है

दी लल्लनटॉप अपनी ऑडियंस का ख़ास ध्यान रखते हुए उनके मतलब का फैक्ट चेक करते हुए यह भी साबित करते हुए देखा गया है कि सरसों के तेल से कोरोना वायरस से बचाव नहीं हो पाता है। यह वो ऑडियंस है जो दैनिक सस्ते इन्टरनेट की पूरी डेढ़ जीबी या तो टिकटॉक, या फिर दी लल्लनटॉप के चरणों में ही समर्पित करती है।

कोरोना एक चीनी वैज्ञानिक प्रयोग का नतीजा? चमगादड़ से मनुष्य तक वायरस के सफर का पोस्टमॉर्टम

वैज्ञानिकों ने आगाह किया था कि ऐसी ही कोई बिमारी भविष्य में भी जन्म ले सकती है। 2002 के उत्तरार्ध में, एक रहस्यमयी निमोनिया जैसी बीमारी के मामले दक्षिण-पूर्वी चीन के गुआंगडोंग प्रांत में सामने आने लगे थे।

जनता कर्फ्यू: राजदीप पूछ रहा पुलिस तो नहीं होगी घरों के बाहर? नमाज पर हुआ चुप, रामनवमी पर झूठ

राजदीप ने जनता कर्फ्यू के आह्वाहन का मजाक बनाते हुए फ़ौरन बयान दिया कि क्या जनता कर्फ्यू के दिन पुलिस उसके घर के आगे मौजूद रहेगी? दरअसल, स्पष्ट सी बात यह है कि राजदीप जैसे लोग सदियों से चली आ रही सत्ता की गुलामी के कारण स्वयं को इतना ज्यादा सुरक्षित महसूस करने लगे हैं कि कोरोना जैसी किसी महामारी का भी ये लोग उपहास बनाते नजर आते हैं।

Covid-19: मोदी की स्वास्थ्य नीति पर सवाल उठाने वाले लिबरल गिरोह की आँखें खोलने के लिए यह महामारी काफी है

यह दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि भारत जैसे विकासशील देशों में आज भी किसी बड़े पुनर्जागरण के लिए कई जिंदगियाँ दाँव पर लगानी होती हैं। स्वच्छता और बेहतर हाइजिन जैसे मुद्दों को हर गली-गाँव और अखबारों की हेडलाइन बनने तक चाइनीज वायरस कोरोना एक बड़े वर्ग को प्रभावित कर चुका था। लेकिन देर से ही सही, लोग इस ओर जागरूक हुए और शायद इसके बाद इन सब बातों का महत्व समझना शुरू कर देंगे।