Tuesday, April 30, 2024
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जयन्ती मिश्रा

अब दिल्ली को जलाया, 20 साल पहले सिखों का कत्लेआम किया: तब क्लिंटन आए थे, आज ट्रंप दौरे पर हैं

दिल्ली की हिंसा छत्तीसिंहपुरा के नरसंहार की याद दिला रही है। तब भी केंद्र में बीजेपी की सरकार थी। भारत-अमेरिका संबंध नया मोड़ ले रहा था। देश की छवि खराब करने की साजिशें तब भी रची गई थी।

शिवाजी की तलवार का इंग्लैंड कनेक्शन: सिर्फ 2000 सैनिकों से साम्राज्य खड़ा करने की कहानी

शिवाजी महाराज की तलवार पर 10 हीरे जड़े हुए थे, जो इस वक्त लंदन में हैं। उनकी तलवार प्रिंस ऑफ वेल्स एडवर्ड सप्तम को नवंबर 1875 में उनकी भारत यात्रा के दौरान कोल्हापुर के महाराज ने उपहार स्वरूप भेंट की थी। लेकिन कभी भी इस तलवार को वापस लाने के कोशिश नहीं की गई।

ट्रेन की एक सीट पर हिंदू देवी-देवता को जगह देना एहसान नहीं… यह होना चाहिए, यही वक्त की माँग है

राज्यों के धर्मार्थ विभाग कमाते तो मंदिरों से हैं, लेकिन उससे हज हाउस बनवाते हैं। ये वही पैसा है, जिससे मस्जिदों के इमामों को सैलरी दी जाती है। अगर उस करोड़ों की कमाई के बदले में सरकार किसी हिंदू देवी-देवता को ट्रेन में एक सीट दे देगी तो एहसान नहीं करेगी। और यह होना भी चाहिए।

7 दिन में गोरी, 15 दिनों में छरहरी: क्रीम बेचने वालों पर लगाम जरूरी और खुद की मानसिकता पर भी!

कॉलेज-ट्यूशन से लेकर शादी-ब्याह तक के बीच एक लड़की के मन में ब्यूटी प्रोडक्ट्स को लेकर चुनाव चलता ही रहता है कि आखिर वो किस तरह समाज के बनाए पैमानों पर निखर पाएगी और कैसे अन्य लड़कियों की तरह खुद को सुंदर बना पाएगी... और कंपनियाँ इसी का फायदा उठाती हैं।

‘सिंहगढ़ युद्द’ के 350 साल: जब ‘तानाजी’ के साथ एक छिपकली भी हुई थी वीरगति को प्राप्त

इस युद्ध के 350 साल पूरे होने पर हमें ध्यान रखने की आवश्यकता है कि तानाजी द्वारा लड़ा गया ये युद्ध आम युद्ध नहीं था। क्योंकि ये किला लगभग 4,304 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। जिस तक पहुँचने के लिए तानाजी ने यशवंती नामक गोह प्रजाति की छिपकली का प्रयोग किया था।

औरतें हलाला को मजबूर, मर्दों के लिए बनी रहे 4 बीवियों की आजादी: जिल्लत से मुक्ति कब

कभी ससुर से तो कभी देवर से। कभी मौलवी से तो कभी जीजा से। हलाला को अभिशप्त औरतें आखिर कब पितृसत्तात्मक इस्लामिक कानून से मुक्ति की आवाज बनेंगीं।

शाहीन बाग की इन औरतों का हंगामा और संविधान देने वाली उन 15 महिलाओं का हासिल

संविधान का मसौदा तैयार करने में अहम किरदार निभाने वाली उन महिलाओं ने क्या सपना देखा था और शाहीन बाग की औरतें कैसी मिसाल पेश कर रही हैं। यह जानने के लिए 26 जनवरी से बेहतर दिन नहीं हो सकता।

तिरंगे वाले हिजाब में हरे को ऊपर रखने के पीछे की मंशा क्या है?

तिरंगे में समाहित रंगों की आड़ में संदेश दिया जा रहा है कि शाहीन बाग कोई आम प्रदर्शन नहीं है। ये वो प्रदर्शन हैं, जहाँ वेदना के नाम पर अपने मनसूबों को इस्लामिक ताकतों ने खुलेआम प्रदर्शित करना शुरू कर दिया है। औचित्य की लड़ाई को अब स्पष्ट तौर पर मजहबी लड़ाई बना दिया गया है...