Tuesday, November 19, 2024
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भले कानून देता है चार निकाह की इजाजत, पर पहली बीवी के साथ ‘मानसिक क्रूरता’ है मुस्लिमों का दूसरा निकाह: हाई कोर्ट, मुआवजा नहीं दे रहा था शौहर

मद्रास हाई कोर्ट ने अपने एक हालिया निर्णय में कहा है कि एक मुस्लिम मर्द का दूसरा निकाह करना अपनी पहली बीवी से ‘मानसिक क्रूरता’ जैसा है। हालाँकि मुस्लिम पसर्नल लॉ के कारण अदालत ने माना कि उसे दूसरा निकाह करने से रोका नहीं जा सकता। इसी मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने शरिया काउंसिल को कानूनी अधिकार नहीं होने की बात कहते हुए कहा था कि वह तलाक का प्रमाण-पत्र जारी नहीं कर सकती है।

इस मामले में शौहर ने ही हाई कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की थी। उसने निचली अदालत के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उसे पहली बीवी को गुजारा-भत्ता देने का आदेश दिया गया था। शौहर का कहना था कि दूसरे निकाह से पहले ही उसका पहला निकाह टूट गया था।

इसे साबित करने के लिए उसने शरिया काउंसिल द्वारा तलाक का जारी किया गया सर्टिफिकेट भी लगाया था। लेकिन हाई कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि जब तक अदालत आदेश नहीं देती पहला निकाह भी मान्य रहेगा। इसी आधार पर उसे पहली बीवी को 5 लाख रुपया मुआवजा और नाबालिग बच्चे के भरण-पोषण के लिए हर महीने 25 हजार रुपए देने का आदेश दिया है।

फैसला सुनाते हुए जस्टिस न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन ने कहा कि शौहर के दोबारा निकाह के कारण पहली बीवी को भावनात्मक तौर पर बेहद दुख और दर्द हुआ है। उन्होंने कहा, “मुस्लिम होने के नाते याचिकाकर्ता दूसरा निकाह करने के लिए स्वतंत्र है। लेकिन उसे इसका भुगतान करना होगा। उसके दूसरे निकाह से पहली बीवी को काफी दुख हुआ होगा। लिहाजा यह मानसिक क्रूरता है।”

निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए हाई कोर्ट ने माना कि मुस्लिमों को कानूनी तौर पर चार निकाह करने की इजाजत है। लेकिन यह कानूनी अधिकार या स्वतंत्रता उसकी बीवी के अधिकारों को सीमित नहीं करती। भले बीवी उसे दूसरा निकाह करने से नहीं रोक सकती, लेकिन भरण-पोषण का खर्च माँगना उसका अधिकार है। इसे देने से शौहर इनकार नहीं कर सकता।

अब जम्मू-कश्मीर में भी बुलडोजर एक्शन की तैयारी: बोले LG मनोज सिन्हा- आतंकियों को पनाह दी तो मिट्टी में मिला देंगे घर, नहीं दिखाएँगे रहम

जम्मू कश्मीर में भी अब आतंक के मददगारों पर बुलडोजर एक्शन होने वाला है। जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल (LG) मनोज सिन्हा ने चेतावनी दी है कि जो लोग आतंकियों को शरण देंगे, उनका घर जमींदोज कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा है कि इस कार्रवाई पर कोई समझौता नहीं होगा। LG मनोज सिन्हा ने राज्य की जनता से अपील की है कि वह आतंक के मददगारों के खिलाफ हो जाएँ।

मंगलवार (5 नवम्बर, 2024) को श्रीनगर में राब्ता-ए-आवाम नाम के एक सार्वजनिक कार्यक्रम में LG मनोज सिन्हा ने यह बात कही। उन्होंने कहा, “आतंक को पहचानना सिर्फ प्रशासन या सुरक्षाबलों का नहीं है। आवाम का भी यह काम है और अगर तीनों एक साथ तय कर लें तो इसे (आतंक) खत्म होने में एक साल से ज्यादा समय नहीं लगेगा।”

LG मनोज सिन्हा ने इसके बाद कहा, “हमारे देश में आतंक को प्रश्रय देने वाले लोग हैं और फिर कहते हैं कि हमारे ऊपर अन्याय हो रहा है। यह उचित बात नहीं है। 40000-50000 लोगों की जान जा चुकी है। कितनी महिलाएँ विधवा हो चुकी हैं, कितनी बहनों के भाई चले गए बावजूद इसके अगर जनता इन लोगों के खड़ी नहीं होती तो ये कश्मीर कभी नहीं बदलेगा।”

LG मनोज सिन्हा ने इसके बाद आतंक के मददगारों को चेताया। उन्होंने कहा, “मैं एक बार फिर कह रहा हूँ, बेगुनाह को छेड़ो मत, गुनाहगार को छोड़ो मत। अगर कोई आतंकवादी को शरण देगा तो उसका घर जमींदोज किया जाएगा। ये मैं कहना चाहता हूँ, इसमें कोई समझौता नहीं होगा।”

आतंकियों को शरण देने के खिलाफ यह बयान ऐसे समय में आया है जब बीते कुछ दिनों में लगातार सुरक्षाबलों ने कई आतंकियों को रिहायशी इलाके में मार गिराया है। हाल ही में श्रीनगर में सेना एक घर में छुपे 3 आतंकियों को मार गिराया था। सेना ने इस घर को भी जमींदोज कर दिया था।

श्रीनगर के अलावा बाकी इलाकों में भी सुरक्षाबलों ने कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में अपने ऑपरेशन तेज कर दिए हैं। बीते एक सप्ताह में लगभग 4-5 जगह ऑपरेशन हो चुके हैं। इनमें स्थानीय और पाकिस्तानी, दोनों तरह के आतंकी मार गिराए गए हैं।

LG मनोज सिन्हा ने अपने बयान में जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दिए जाने को लेकर भी बात की। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा मिलने की बात उतनी ही पक्की है जितना सूर्य का पूरब से निकलना। उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्य की नई सरकार कोशिश करेगी।

होम डिलीवरी का पोस्टर, हैप्पी दीवाली का मैसेज… 39 मौतों का सोशल मीडिया में मोहम्मद आमिर ने बनाया मजाक, अल्मोड़ा में खाई में गिर गई थी बस

उत्तराखंड के अल्मोड़ा में 4 नवंबर 2024 को 45 सवारियों से भरी एक बस खाई में गिर गई थी। हादसे में 39 लोगों की मौत हो गई थी। उत्तराखंड के ही गढ़वाल निवासी मोहम्मद आमिर को इन मौतों का सोशल मीडिया में मजाक उड़ाने पर गिरफ्तार किया गया है।

उसने इस हादसे को लेकर फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट की थी। इस करतूत से आक्रोशित स्थानीय लोगों ने 5 नवंबर को उसके खिलाफ पुलिस से शिकायत की थी।

पौड़ी गढ़वाल की धुनाकोट कोतवाली में उसके खिलाफ तहरीर दी गई। इसमें बताया गया था कि हादसे में मारे गए लोग उनके सगे-संबंधी और परिचित हैं। हादसे से पूरा इलाका दुःखी है। ऐसे मौके पर मोहम्मद आमिर ने अपनी फेसबुक प्रोफ़ाइल पर मज़ाकिया अंदाज में लाशों का चित्र शेयर किया है।

पोस्ट में मोहम्मद आमिर ने दुर्घटना की तस्वीर पर ‘होम डिलिवरी’ का पोस्टर लगाते हुए ‘हैप्पी दीवाली’ लिखा था। उसने अपने फेसबुक की स्टोरी स्टेट्स में इसे साझा किया था। कुछ ही देर में स्टेट्स वायरल हो गया और लोगों में आक्रोश फैल गया।

शिकायकर्ताओं ने मोहम्मद आमिर की करतूत को उत्तराखंड में सौहार्द बिगाड़ने का इस तरह का पहला मामला बताया है। शिकायत में चेतावनी दी गई है कि अगर आरोपित पर कड़ी कार्रवाई न हुई तो हिन्दू समाज मोहम्मद आमिर से खुद निबटने पर मजबूर होगा।

स्थानीय लोगों की तहरीर में यह भी बताया गया है कि मोहम्मद आमिर की बैजरो विकासखंड के बीरोखाल में अवैध प्रॉपर्टी भी है। इस प्रॉपर्टी पर बुलडोजर चलाने की भी माँग की गई है। इस शिकायत कॉपी को शेयर करने वाले अभिषेक सेमवाल का दावा है कि मोहम्मद आमिर कभी गढ़वाल में मजदूरी करने आया था, लेकिन अब कई डंपर खरीदकर ठेकेदार बन चुका है। उन्होंने मोहम्मद आमिर की मानसिकता को जिहादी सोच वाला बताया है।

अल्मोड़ा पुलिस के डिप्टी एसपी सदर अनुज कुमार ने बताया कि शिकायत के आधार पर आरोपित के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। मोहम्मद आमिर को गिरफ्तार कर आगे की जाँच व अन्य जरूरी कानूनी कार्रवाई की जा रही है। मोहम्मद आमिर पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं के तहत कार्रवाई की गई है।

ट्रंप जीता तो सरेआम करूँगा गोलीबारी: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बीच हमलों की धमकी देने वाला गिरफ्तार, वह भी पकड़ा गया जो शरीर पर ज्वलनशील पदार्थ डाल घूम रहा था

अमेरिका में हो रहे राष्ट्रपति चुनावों के बीच पुलिस ने आईजैक सिसेल नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। आईजैक सिसेल ने धमकी दी थी कि अगर राष्ट्रपति चुनावों में ट्रंप जीते तो वह सरेआम गोलीबारी करेगा।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उसने यह धमकी एफबीआई नेशनल हेडक्वार्टर को भेजी थी। धमकी में उसने कहा था कि उसके पास हमला करने के लिए हथियार भी है। वो इंतजार बस ट्रंप के जीतने का करना है।

वेस्ट वर्जिनिया के एफबीआई हेडक्वार्टर में भेजे गए धमकी वाले संदेश में लिखा गया, “अगर ट्रंप जीते तो मैं रुढिवादी ईसाई गंदगी पर हमला करूँगा। मेरे पास एक चुराई हुई एआर15 है और इसके निशाने पर कौन है इसका नाम मैं नहीं बता रहा ताकि मैं अपने प्लान पर काम कर सकूँ…एफबीआई तब तक कुछ नहीं कर सकती जब तक मैं हमले को अंजाम नहीं दे देता।”

बता दें एक तरफ जहाँ मास शूटिंग की धमकी देने पर आईजैक को गिरफ्तार गया है तो वहीं अमेरिका में अलग-अलग जगहों पर पुलिस को अराजक तत्वों से धमकियाँ मिलने की बात सामने आई है। कहीं बम धमाकों की बात कही जा रही है तो कहीं किसी और हमले की।

मतगणना चालू रहने के बीच वाशिंगटन डीसी से भी एक मामला सामने आया है जहाँ एक युवक को पुलिस ने इसलिए अरेस्ट किया क्योंकि उसका बदन से ज्वलनशील पदार्थ डालने जाने की गंध आ रही थी। पुलिस ने फौरन उसे अपनी हिरासत में लिया।

गौरतलब है कि इस बार अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के आसार दिख रहे हैं। द एसोसिएटिड प्रेस के आँकड़ों के अनुसार, ट्रंप को अब तक 247 इलेक्टोरल वोट मिले हैं और कमला हैरिस को 210 वोट मिले हैं।

मुस्लिम व्यापारी ने किया सनातन का अपमान, बांग्लादेश के हिंदुओं ने किया विरोध तो जिहादी बन गए पुलिस-फौजी: खोज-खोजकर पीटा, घरों में घुसकर हमला

बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथियों के बाद अब पुलिस और सेना भी हिन्दू समुदाय पर अत्याचार में जुट गई है। हिन्दुओं और उनके आराध्यों पर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले पर कार्रवाई के बजाय पुलिस उन्हें ही निशाना बना रही है। बांग्लादेश के चटगाँव में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया है जहाँ हिन्दुओं पर पुलिस का कहर बरपा है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, मंगलवार (5 नवंबर, 2024) को बांग्लादेश के चटगाँव के हज़ारी गोली में हिंदू समुदाय पर पुलिस और सेना समेत बाक़ी सुरक्षा एजेंसियों ने हमला बोल दिया। यहाँ हिन्दुओं को ढूंढ ढूंढ कर मारा पीटा गया और उनके साथ बर्बरता हुई। कई हिन्दुओ को पुलिस पकड़ ले गई।

हिन्दुओं पर यह कार्रवाई इसलिए हुई क्योंकि उन्होंने चटगाँव के एक मुस्लिम दुकानदार के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इस मुस्लिम दुकानदार उस्मान मुल्ला ने ISKCON सनातन धर्म पर अपमानजनक टिप्पणियाँ की थी। हिन्दुओं ने उसकी दुकान के बाहर प्रदर्शन किया और उस पर कार्रवाई की माँग की।

इसके बाद पुलिस और बाकी सुरक्षा एजेंसियों ने उस्मान पर कार्रवाई करने के बजाय हिन्दुओं को निशाना बनाना चालू कर दिया। वह उस्मान को दिखावे के लिए एक सुरक्षित जगह लेकर चले गए और हिन्दुओं की तलाश चालू कर दी। पुलिस के हमले में 5 हिन्दुओं को गंभीर चोटें आई हैं।

पुलिस और सुरक्षा एजेंसियाँ दावा कर रही हैं कि हिन्दुओं ने उन पर हमला किया था जिसके बाद यह कार्रवाई हुई। चटगाँव से आई वीडियो दिखाती हैं कि कैसे एक तंग इलाके में पुलिस हिन्दुओं की धरपकड़ कर रही है। पुलिस द्वारा CCTV तोड़े जाने के वीडियो भी सामने आए हैं। इस वीडियो में लाठी डंडे के साथ पुलिस वाले एक घर के भीतर दिखाई पड़ते हैं।

चटगाँव में पुलिस ने 30 हिन्दुओं को गिरफ्तार किया है। पुलिस की इस कार्रवाई के दौरान सेना की टीमें भी साथ थी, उन्होंने भी हिन्दुओं पर हमले किए। चटगाँव में इससे पहले भी हिन्दू लगातार उत्पीड़न के विरुद्ध लगातार प्रदर्शन करते आए हैं।

बांग्लादेश की पुलिस ने हाल ही में उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने पर हिन्दुओं के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर लिया था। इस मामले में दो हिन्दुओं को गिरफ्तार कर लिया गया था और 19 के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। इसको लेकर काफी बवाल हुआ था।

ST समाज का ‘प्रार्थना घर’ के नाम पर चर्च का उद्धाटन, बिशप के साथ कॉन्ग्रेस MLA भी थे: हिंदू संगठनों ने किया हनुमान चालीसा पाठ तो भागे

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक चर्च का उद्धाटन कार्यक्रम हिंदू संगठनों के विरोध के बाद रद्द करना पड़ा है। कथित तौर पर जनजातीय समाज (ST) के लिए प्रार्थना घर बनाने के नाम पर चर्च का उद्घाटन किया जा रहा था। इसके अलावा राज्य के रायगढ़ में भी ईसाई धर्मांतरण को लेकर बवाल हुआ। यहाँ प्रार्थना सभा के नाम पर महिलाओं का धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश का आरोप है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बिलासपुर के रतनपुर स्थित जनजातीय बहुल गाँव बंगलाभाठा में मंगलवार (6 नवंबर 2024) को प्रार्थना घर के उद्घाटन नाम पर लोगों का जमावड़ा किया गया। इसमें महिलाएँ और बच्चे भी शामिल थे। कार्यक्रम में बिशप डायोसिस ऑफ छत्तीसगढ़ के सुषमा कुमार के साथ कॉन्ग्रेस विधायक अटल श्रीवास्तव मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित थे।

जब हिन्दू संगठनों को चर्च के उद्धाटन की जानकारी मिली तो वे भी मौके पर पहुँच गए। उद्घाटन का विरोध करते हुए उन्होंने हनुमान चालीसा का पाठ किया। बवाल के बाद आयोजकों को कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। भाजपा नेता प्रबल प्रताप जूदेव ने कॉन्ग्रेस नेता पर धर्म परिवर्तन को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है।

हिंदू संगठनों के विरोध का नेतृत्व जूदेव ही कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस विधायक प्रार्थना सभा के नाम पर माता महामाई की धर्मनगरी को धर्मान्तरण नगरी बनाने पर तुले हुए हैं। उन्होंने प्रशासन पर भी जनजातीय समुदाय के धर्मान्तरण की साजिशों की अनदेखी का आरोप लगाया है।

इस हंगामे का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। मामले की सूचना मिलते ही फ़ौरन ही मौके पर पुलिस बल पहुँचा। पुलिस ने आक्रोशित लोगों को समझा-बुझाकर शांत किया। हालत तनावपूर्ण होता देख कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। वहीं रायगढ़ में धर्मांतरण पर हुए बवाल के बाद कॉन्ग्रेस के जिलाध्यक्ष अनिल शुक्ला ने कहा है कि राज्य में जब से बीजेपी की सत्ता आई है, धर्म परिवर्तन जैसे मामलों में इजाफा हुआ है।

माता सीता, द्रौपदी, राजा प्रियवद… छठी मैया की उपासना की पौराणिक कथाओं के बारे में जानिए: जीवन में संयम, शुद्धता और आत्म-नियंत्रण की भावना भी जागृत करता है लोकपर्व

भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में एक ऐसा पर्व है जो न केवल आस्था और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि सामुदायिक एकता और सामाजिक समरसता का भी अद्वितीय उदाहरण है। यह पर्व है – छठ पूजा। भोजपुरी क्षेत्र में इस पर्व की जड़ें इतनी गहरी हैं कि इसे ‘लोक आस्था का पर्व’ कहा जाता है। यह पर्व सूर्य देव और छठी मईया की आराधना के रूप में मनाया जाता है और 15 करोड़ से अधिक विश्व भर में फैले मैथली, मगध, बंगाली, भोजपुरी, भारतीय प्रवासी और नेपाली समाज के लिए यह आस्था का मुख्य केंद्र है।

छठ पर्व, जिसे छठी पूजा या षष्ठी पूजा भी कहा जाता है, कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू पर्व है। सूर्य की आराधना के इस अनोखे लोकपर्व का विशेष रूप से बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में व्यापक आयोजन होता है। इनके अलावा भारत के विभिन्न क्षेत्रों में और नेपाल, मॉरीशस, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, साउथ अफ़्रीका और फ़िजी जैसे देशों में भी मनाया जाता है।

यह पर्व एकमात्र ऐसा त्योहार है जो वैदिक काल से निरंतर प्रचलित है और अब यह बिहार की संस्कृति का अभिन्न अंग बन चुका है। यह पर्व बिहार की वैदिक आर्य संस्कृति की झलक प्रस्तुत करता है और ऋग्वेद में वर्णित सूर्य एवं उषा पूजन की आर्य परंपरा के अनुरूप मनाया जाता है। छठ पूजा सूर्य देवता, प्रकृति, जल, वायु और उनकी बहन छठी मईया को समर्पित है, जिन्हें देवी पार्वती के छठे रूप और भगवान सूर्य की बहन के रूप में पूजा जाता है।

पर्यावरणविदों का भी मानना है कि अन्य कई सनातनी त्योहारों पर पर्यावरण विरोधी होने का आरोप लगाया जाता है, लेकिन छठ पर्व सबसे अधिक पर्यावरण-अनुकूल हिंदू त्योहारों में से एक है। जहाँ आज अधिकांश त्योहारों का व्यवसायीकरण हो चुका है, वहीं छठ पर्व में मौसमी फलों और घर पर बनी मिठाइयों, विशेष रूप से ठेकुआ, का प्रयोग होता है, न कि मिष्ठान भंडार की मिठाइयों या चॉकलेट का।

छठ पूजा का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व

छठ पूजा की जड़ें प्राचीन वैदिक काल से जुड़ी हुई हैं। सूर्य उपासना का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है, जिसमें सूर्य को जीवनदायिनी ऊर्जा का स्रोत माना गया है। कहते हैं कि इस पूजा की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। एक कथा के अनुसार, जब पांडवों ने अपना राज्य खो दिया था, तब द्रौपदी ने सूर्य देव की उपासना की थी ताकि उनके परिवार को कठिनाइयों से मुक्ति मिले। इसके परिणामस्वरूप पांडवों को समृद्धि और विजय प्राप्त हुई।

पुराणों की कथा: एक कथा के अनुसार, राजा प्रियवद संतान सुख से वंचित थे। महर्षि कश्यप ने उनकी यह व्यथा सुनकर पुत्र प्राप्ति के लिए एक यज्ञ करवाया और यज्ञ की आहुति से प्राप्त खीर राजा की पत्नी मालिनी को दी। खीर के प्रभाव से उन्हें पुत्र प्राप्त हुआ, लेकिन वह मृत जन्मा। पुत्र के वियोग में दुखी होकर राजा प्रियवद श्मशान में अपने प्राण त्यागने का संकल्प लेने लगे। तभी ब्रह्माजी की मानस कन्या, देवी देवसेना, प्रकट हुईं और उन्होंने कहा, “हे राजन्, मैं सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हूं, इसलिए मुझे षष्ठी कहा जाता है। आप मेरी पूजा करें और अन्य लोगों को भी इस पूजा के लिए प्रेरित करें।” राजा ने पुत्र प्राप्ति की कामना से देवी षष्ठी का व्रत किया, जिसके फलस्वरूप उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन संपन्न हुई थी।

राम-सीता की कथा: एक और प्रसिद्ध कथा के अनुसार, जब भगवान राम और माता सीता 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे, तब उन्होंने कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन सूर्य देव और छठी मईया की पूजा की। इस पूजा के परिणामस्वरूप अयोध्या के लोग सुखी और समृद्ध हुए। यह परंपरा तब से आज तक चली आ रही है।

कर्ण की कथा: महाभारत के महान योद्धा कर्ण, जिन्हें सूर्य पुत्र के रूप में जाना जाता था, अपनी शक्ति और पराक्रम के लिए प्रतिदिन सूर्य देव की आराधना करते थे। उनका यह तप और सूर्य के प्रति समर्पण छठ पूजा के महत्व को और भी गहराई से दर्शाता है।

भोजपुरी समाज में छठ पूजा का महत्व

भोजपुरी भाषी समाज के लिए छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह उनके जीवन और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। भारत के बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, और झारखंड के साथ-साथ नेपाल के तराई क्षेत्रों में भी इस पर्व की धूम रहती है। यही नहीं, विश्व के विभिन्न हिस्सों में बसे भोजपुरिया समुदाय – चाहे वह अमेरिका हो, ब्रिटेन हो, या खाड़ी देश – अपने परंपरागत ढंग से इस पर्व को उसी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं।

छठ पूजा के दौरान समाज के सभी वर्गों के लोग एक साथ आकर इस पर्व को मनाते हैं। इस पर्व की सबसे खास बात यह है कि इसमें किसी भी प्रकार की धार्मिक असमानता नहीं होती। सभी एक समान श्रद्धा के साथ गंगा, कोसी, गंडक, या अन्य किसी नदी या जलाशय के किनारे एकत्र होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं।

छठ पूजा के अनुष्ठान और विधियाँ

छठ पूजा चार दिनों का पर्व है, जिसमें व्रती (व्रत रखने वाले व्यक्ति) अत्यंत कठोर नियमों का पालन करते हैं। प्रत्येक अनुष्ठान का अपना एक विशेष महत्व होता है और ये सभी अनुष्ठान आत्मशुद्धि, संयम और तपस्या का प्रतीक माने जाते हैं।

पहला दिन – नहाय-खाय: छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाय-खाय से होती है। व्रती इस दिन गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं और शुद्ध शाकाहारी भोजन करते हैं। इस भोजन में आमतौर पर कद्दू-भात और चने की दाल होती है, जिसे मिट्टी के चूल्हे पर पकाया जाता है।

दूसरा दिन – खरना: पंचमी के दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को पूजा कर प्रसाद के रूप में गुड़ की खीर, रोटी और फल ग्रहण करते हैं। खरना का प्रसाद व्रती के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है और इसे ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ होता है।

तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य: छठ के तीसरे दिन, यानी षष्ठी के दिन, व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। व्रती अपने परिवार और समुदाय के लोगों के साथ जल में खड़े होकर सूर्य को प्रसाद और अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस समय घाटों पर छठ के पारंपरिक गीत गाए जाते हैं, जो इस पूजा के सौंदर्य को और भी बढ़ा देते हैं।

चौथा दिन – उषा अर्घ्य: छठ पूजा के अंतिम दिन सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। यह अर्घ्य जीवन में नए सवेरे, आशा और नई ऊर्जा का प्रतीक है। अर्घ्य देने के बाद व्रती अपना उपवास तोड़ते हैं और प्रसाद का वितरण करते हैं।

सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान

छठ पूजा का महत्व सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अतुलनीय है। यह पर्व समाज में सामूहिकता और एकता का प्रतीक है। घाटों की सफाई, प्रसाद का वितरण और पूरी पूजा प्रक्रिया में सामूहिक सहयोग समाज के हर वर्ग को एक साथ जोड़ता है। छठ पूजा के दौरान गाए जाने वाले पारंपरिक गीत भोजपुरी संस्कृति के धरोहर हैं। ये गीत न केवल भक्ति भावना को जागृत करते हैं, बल्कि छठ पूजा के महत्व और मूल्यों को भी दर्शाते हैं।

छठ पूजा और आधुनिकता

समय के साथ आधुनिकता ने हमारे जीवन में प्रवेश किया है, परंतु छठ पूजा की पवित्रता और परंपराओं में कोई कमी नहीं आई है। आज भी शहरों में, चाहे वह दिल्ली हो, मुंबई हो या कोई अन्य महानगर, छठ पूजा उसी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है। लोग कृत्रिम तालाब और जलाशयों का निर्माण करते हैं ताकि शहरों में भी इस पूजा का आयोजन हो सके।

छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा एक ऐसा पर्व है जो जीवन में संयम, शुद्धता, और आत्म-नियंत्रण की भावना को जागृत करता है। यह हमें प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने और सामाजिक एकता को बढ़ावा देने का संदेश देता है। यह पर्व भोजपुरिया समाज की सांस्कृतिक समृद्धि और गौरव का प्रतीक है।

छठ पूजा सूर्य देवता, प्रकृति, जल, वायु और उनकी बहन छठी मईया को समर्पित है, जिन्हें देवी पार्वती के छठे रूप और भगवान सूर्य की बहन के रूप में पूजा जाता है। पर्यावरणविदों का भी मानना है कि अन्य कई सनातनी त्योहारों पर पर्यावरण विरोधी होने का आरोप लगाया जाता है, लेकिन छठ पर्व सबसे अधिक पर्यावरण-अनुकूल हिंदू त्योहारों में से एक है। जहां आज अधिकांश त्योहारों का व्यवसायीकरण हो चुका है, वहीं छठ पर्व में मौसमी फलों और घर पर बनी मिठाइयों, विशेष रूप से ठेकुआ, का प्रयोग होता है, न कि मिष्ठान भंडार की मिठाइयों या चॉकलेट का।

आइए, हम इस पर्व की महिमा को सहेजें और इसे पूरे विश्व में फैलाकर मानवता के कल्याण के लिए प्रेरणा स्रोत बनाएं। छठ पूजा हमें यह सिखाती है कि सामूहिकता और श्रद्धा में एक अद्वितीय शक्ति होती है, जो हमारे जीवन को नई दिशा और ऊर्जा प्रदान करती है।

पत्नी-बेटी और 2 बेटे को वाराणसी के करोड़पति कारोबारी ने मार डाला, घर से 10 KM दूर खुद की भी लाश मिली: अब परिवार में बची केवल वृद्ध माँ जो ठीक से बोल-चल भी नहीं सकतीं

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी और 3 बच्चों की हत्या के बाद खुद को भी गोली मारकर सुसाइड ली है। घटना सोमवार (4 अक्टूबर 2024) की है। माँ छोड़कर पूरे परिवार सहित खुद को को खत्म कर देने वाला राजेंद्र गुप्ता एक कारोबारी था। उसके परिवार में पहले भी पिता और भाई सहित 5 हत्याएँ हो चुकी हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स में इसे पारिवारिक विवाद बताया जा रहा है हालाँकि, कुछ रिपोर्ट में तांत्रिक के इशारे पर की गई हरकत बताया जा रहा है। फ़िलहाल पुलिस मामले की गंभीरता से जाँच कर रही है। घटना वाराणसी के थाना क्षेत्र भेलूपुर की है। यहाँ के भदैनी इलाके में 45 वर्षीय राजेंद्र गुप्ता अपने परिवार के साथ रहता था।

उसके परिवार में 42 वर्षीया पत्नी नीलू और 16 साल की बेटी गौरांगी के अलावा 20 और 15 साल के 2 बेटे नवेंद्र और सुवेंद्र थे। मंगलवार (5 नवंबर) की सुबह घर की नौकरानी रेनू काम के लिए वहाँ गई। उसने काफी देर तक बेल बजाया, फिर भी किसी ने दरवाजा नहीं खोला। रेनू ने धक्का देकर गेट खोला तो अंदर खून फैला हुआ था और नीलू, गौरांगी, नवेंद्र और सुवेंद्र की लाश पड़ी थी।

रेनू इस घर में पिछले 5 साल से काम कर रही थी। सोमवार की शाम 6:30 पर वह खाना बनाकर राजेंद्र के घर से लौटी थी, तब उसे सब कुछ सामान्य लगा था। रेनू ने इसकी सूचना पड़ोसियों को दी। सूचना पाकर पुलिस भी मौके पर पहुँची। मृतकों को गोली मारी गई थी। काफी खोजबीन के बाद राजेंद्र गुप्ता का कहीं पता नहीं चला।

इसी घर से मिला था राजेंद्र गुप्ता का शव

पुलिस ने राजेंद्र गुप्ता का पता लगाने के लिए उसकी मोबाइल को ट्रेस करना शुरू कर दिया। मोबाइल के लोकेश के आधार पर पुलिस 10 किलोमीटर दूर वाराणसी के रोहनिया क्षेत्र स्थित एक गाँव मीरपुर लठिया के एक निर्माणाधीन मकान में पहुँची। वहाँ राजेंद्र गुप्ता की लाश पड़ी हुई थी। लाश के पास पिस्टल भी मिला।

अभी तक यही माना जा रहा है कि राजेंद्र ने अपनी कनपटी पर गोली मारकर आत्महत्या कर लिया है। फ़िलहाल सभी शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। इधर पुलिस हत्या के कारणों की पड़ताल में जुट गई है। वहीं, घर में राजेंद्र गुप्ता की माँ जिंदा बची है। वह काफी वृद्ध हैं। उम्र अधिक होने की वजह से वे हिल-डुल पाने में असमर्थ हैं। 

तांत्रिक पर शक

इस सामूहिक नरसंहार को लेकर अभी तक प्रशासन की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। अमर उजाला सहित कई मीडिया संस्थानों में इसे किसी तांत्रिक के कहने पर राजेंद्र द्वारा किया या नरसंहार बताया जा रहा है। दावा किया गया है कि किसी तांत्रिक ने राजेंद्र को बताया था कि उसकी पत्नी नीलू गुप्ता उनके कारोबार में बाधा है।

कहा जा रहा है कि तांत्रिक की बात सुनकर राजेंद्र गुप्ता दूसरी शादी के चक्कर में पड़ गया था। इस बात को लेकर पति-पत्नी के बीच आए दिन झगड़ा होता रहता था। फ़िलहाल पुलिस इसकी सत्यता की पुष्टि में जुटी है। साथ ही उस तांत्रिक की भी तलाश कर रही है, जिसके इशारे पर इतने बडे़ नरसंहार को अंजाम दिया गया।

बेहद समृद्ध था राजेंद्र गुप्ता का परिवार

राजेंद्र गुप्ता का परिवार काफी समृद्ध था। राजेंद्र के पास वाराणसी में कुल 4 घर हैं, जिनमें 2 घर तो ऐसे हैं, जिसमें कमरों की संख्या लगभग 50 है। राजेंद्र ने इन कमरों को किराए पर दे रखा था, जिसका मासिक किराया लाखों रुपयों में आता था। इसके अलावा राजेंद्र के पास 100 से ज्यादा रिक्शे हैं। इन रिक्शों से उसे लाखों रुपए महीने में आमदनी होती थी।

इन सभी के अतिरिक्त राजेंद्र गुप्ता के पास देशी शराब के ठेके हैं। इन ठेकों पर बिक्री भी काफी अच्छी है, जिसे से प्रतिदिन हजारों रुपयों की कमाई होती है। राजेंद्र का बेटा नवेंद्र बेंगलुरु में एक मल्टीनेशनल कम्पनी में जॉब करता था। वह दीपावली की छुट्टी पर घर आया था। गौरांगी और सुवेंद्र वाराणसी के प्रतिष्ठित स्कूल डीपीएस में पढ़ते थे। घर में छठ मनाने की तैयारियाँ चल रही थीं।

घर में पहले भी हो चुकी हैं 5 हत्याएँ, राजेंद्र था आरोपित

नीलू गुप्ता राजेंद्र की दूसरी बीवी थी। राजेंद्र के परिवार में पहले भी 5 कत्ल हो चुके हैं। ये कत्ल राजेंद्र के पिता, भाई, पहली पत्नी और 2 गार्ड के हुए थे। 20 साल पहले एक गार्ड की हत्या में राजेंद्र जेल भी गया था। माना यह भी जा रहा है कि भाई, पिता और पहली पत्नी की हत्या में भी राजेंद्र का हाथ था। फ़िलहाल पुलिस उसके पुराने आपराधिक जीवन की भी पड़ताल कर रही है।

जिस ईमान खलीफ का मुक्का खाकर रोने लगी थी महिला बॉक्सर, वह मेडिकल जाँच में निकली ‘मर्द’: मानने को तैयार नहीं थी ओलंपिक कमेटी, जीता था गोल्ड

पेरिस ओलंपिक 2024 के दौरान अपने जेंडर को लेकर खबरों में आया अल्जीरिया का ट्रांस बॉक्सर ईमान खलीफ फिर चर्चा में है। कथिततौर पर उससे जुड़ी एक रिपोर्ट लीक हुई है जिसका ड्राफ्ट क्रेमलिन-बाइसिट्र अस्पताल के विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया गया है।

बताया जा रहा है कि इस रिपोर्ट में दावा है कि ईमान असल में अब भी पुरुष ही है। ये मेडिकल रिपोर्ट खुलासा करती है कि इमान के शरीर में महिलाओं के अंग (जैसे यूटरस) गायब और पुरुषों वाले कई अंग पाए गए हैं, जिसमें आंतरिक अंडकोष और XY गुणसूत्र शामिल हैं।

कहा जा रहा है कि यह स्थिति 5-अल्फा रिडक्टेस अपर्याप्तता नामक विकार से संबंधित हो सकती है, जो यौन विकास का एक विकार है और आमतौर पर जैविक पुरुषों में पाया जाता है।

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर माँग उठ रही है कि ईमान से उसका ओलंपिक पदक वापस लिया जाए। भारतीय क्रिकेटर हरभजन सिंह ने भी इस संबंध में ट्वीट ईमान से गोल्ड वापस लेने की माँग की है। उनके अलावा अन्य यूजर्स भी ईमान की तमाम वीडियो शेयर करके सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कोई बताए कि ईमान कहाँ से महिला लगता है।

गौरतलब है कि पेरिस ओलंपिक के वक्त इटली की महिला बॉक्सर एंजेला कैरिनी से ईमान के मैच के बाद उसकी ताकत देखते हुए उसके जेंडर पर सवाल खड़े हुए थे। हालाँकि ओलंपिक कमेटी इस मुद्दे पर विचार करने को तैयार नहीं थी। 46 सेकेंड में खत्म हुए मैच के बाद एंजेला ने बताया था कि ईमान ने उन्हें इतनी तेज मुक्का मारा कि उन्हें कभी किसी महिला से ऐसा मुक्का नहीं पड़ा।

दिल्ली के सिंहासन पर बैठे अंतिम हिंदू सम्राट, जिन्होंने गोहत्या पर लगा दिया था प्रतिबंध: सरकारी कागजों में जहाँ उनका समाधि-स्थल, वहाँ दरगाह का कब्जा

भारत की धरती वीरों की जननी है। इन्हीं में से एक महावीर थे हेमू। इन्हें हेमचंद्र विक्रमादित्य के नाम से भी जाना जाता है। विक्रमादित्य एक उपाधि है, जिसे देश के हिंदू शासक धारण करते आए हैं। हेमू दिल्ली के सिंहासन पर बैठने वाले अंतिम हिन्दू सम्राट थे। वे अद्वितीय योद्धा एवं कुशल रणनीतिकार थे। उन्हें मध्ययुग का नेपोलियन कहा जाता है। आज 5 नवंबर को उनकी पुण्यतिथि है।

हेमू का जन्म 1501 ईस्वी में राजस्थान के अलवर क्षेत्र में राजगढ़ के निकट माछेरी ग्राम में के एक साधारण परिवार में हुआ था। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि हेमू बिहार के सासाराम के रहने वाले थे। साधारण परिवार में जन्म लेकर एक व्यापारी से वजीर (प्रधानमंत्री) और सेनापति होते हुए उन्होंने दिल्ली के ताज तक का सफर उन्होंने अपने पराक्रम से हासिल किया।

हेमू ने अपने जीवन में 22 लड़ाइयाँ लड़ीं और विजयी रहे। आगे चलकर उन्होंने ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि धारण की। हेमू का उद्भव ऐसे समय में हुआ, जब हिंदुस्तान में मुगल एवं अफगान दिल्ली की सत्ता हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे थे। वे दिल्ली की सत्ता हासिल करने में सफल रहे, लेकिन यह अधिक समय तक कायम नहीं रही। भारतीय इतिहास की यह एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है।

हेमू की कहानी शुरू होती है व्यापार से। उनका परिवार किराने का काम करता था। हेमू जब बड़े हुए तो वे भी अपने परिवार के व्यवसाय शामिल हो गए। अकबर के जीवनीकार अबुल फ़ज़ल ने उन्हें फेरीवाला कहा है, जो रेवाड़ी की गलियों में नमक बेचा करते थे। उन दिनों ईरान-इराक से दिल्ली के मार्ग पर रिवाड़ी महत्वपूर्ण नगर था। उन्होंने शेरशाह की सेना को रसद और जरूरी सामग्री पहुँचानी शुरू कर दी थी।

हेमू में युद्ध में काम आने वाले शोरा भी बेचने लगे थे। इसके कारण वे शेरशाह सूरी के बेटे इस्लाम शाह की नजर में आ गए। आगे चलकर वे शेरशाह के विश्वासपात्र बन गए। शेरशाह की 22 मई 1545 को मौत हो गई। उसके बाद इस्लाम शाह ने हेमू को शानाये मण्डी, दरोगा-ए-डाक चौकी तथा प्रमुख सेनापति के साथ-साथ अपना सलाहकार बना दिया। यह स्थान ब्रह्मजीत गौड़ नाम के एक ब्राह्मण को हासिल था।

सन 1552 में इस्लाम शाह की मौत हो गई। इस्लाम शाह की मौत के बाद उसके दो साल के बेटे फिरोज खान को शासक बनाया गया, लेकिन उसके मामा मुबारक शाह उर्फ आदिल शाह ने उसकी हत्या कर दी। भोग-विलास में डूबे आदिल शाह के समय हर तरफ अराजकता फैल गई। इसके बाद आदिल शाह ने हेमू को प्रधानमंत्री तथा अफगान सेना का मुख्य सेनापति बना दिया।

इस बीच बाबर का बेटा हुमायूँ 1555 में भारत लौटा और दिल्ली पर हमला कर दिया। आदिल शाह ने हेमू को लड़ाई के लिए भेजा और खुद चुनार भाग गया। अब सूरी वंश का चार भागों में बँट गया था, जिसका एक हिस्सा आदिल शाह के अंतर्गत था। 26 जनवरी 1556 को हुमायूँ की मौत हो गई और अकबर को गद्दी मिली। उस समय अकबर की उम्र 13 साल थी। बैरम खाँ को उसका अभिभावक नियुक्त किया गया।

हेमू ने इसे एक महत्वपूर्ण मौका माना। उन्होंने आगरा के मुगल गवर्नर इसकंदर खाँ उजबेग को पराजित किया शहर को कब्जे में ले लिया। इसके बाद उन्होंने दिल्ली का रूख किया। दिल्ली का मुगल गवर्नर तारीफ बेग खाँ अत्यधिक घबराकर बैरम खाँ से सेना भेजने का आग्रह किया। सेनापति पीर मोहम्मद शेरवानी के नेतृत्व में आई मुगल सेना को हेमू ने 6 अक्तूबर 1556 को तुगलकाबाद में बुरी तरह परास्त किया।

इस तरह 7 अक्तूबर 1556 को हेमू ने दिल्ली सिंहासन पर कब्जा कर लिया। इस तरह से एक भारत के इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत हुई। उनका दिल्ली के पुराने किले, जिसे पांडव निर्मित किला कहा जाता है, में राज्याभिषेक हुआ। दिल्ली की गद्दी बैठते ही उन्होंने कई घोषणाएँ कीं, जिनमें से एक गोहत्या पर प्रतिबंध भी था।

सम्राट के रूप में हेमचंद्र ने घोषणा की कि उनके राज्य में गोहत्या पर प्रतिबंध होगा और जो इस आज्ञा का पालन नहीं करेगा, उसका सिर काट लिया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने दूसरी घोषणा भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों को हटाने की की। उन्होंने शासन प्रशासन से लेकर वाणिज्य तक, हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार किए। अब हेमू का अगला लक्ष्य मुगलों और अफगानों को भारत से खदेड़ने का था। उन्होंने इसकी तैयारी शुरू कर दी।

दिल्ली में हार का समाचार सुनकर बैरम खाँ बौखला गया। उस समय पंजाब के जालंधर में बैरम ख़ाँ अकबर के साथ था। अकबर वापस काबुल जाना चाहता था, लेकिन बैरम खाँ इस हार को पचा नहीं पा रहा था। हार की जानकारी देने टारडी ख़ाँ दिल्ली से भाग कर अकबर के ख़ेमें में गया तो बैरम खाँ ने उसका सिर काट दिया। बैरम खाँ ने कहा कि इससे लोगों को सबक मिलेगा कि युद्ध से भागने का क्या अंजाम होता है।

उधर हेमू को पता चला कि बैरम खाँ हमले की योजना बना है तो उन्होंने अपनी तोपें पानीपत की तरफ भेज दीं। बैरम ख़ाँ ने भी अली क़ुली शैबानी के नेतृत्व में 10,000 सेना पानीपत की भेज दिया। हेमू की सेना में 30,000 अनुभवी घुड़सवार और 500 से 1500 के बीच हाथी थे। हाथियों की सूढ़ों में तलवारें और बरछे बँधे हुए थे और उनकी पीठ पर युद्ध कौशल में पारंगत तीरंदाज़ सवार थे।

6 नवंबर 1556 की पानीपत की दूसरी लड़ाई के नाम से मशहूर इस लड़ाई में सिर में कोई कवच नहीं पहना था। वे हाथी पर बैठकर सेना का लगातार जोश बढ़ा रहे थे। यह लड़ाई बहुत भयंकर थी। क्षत्रियों के नेतृत्व में यह हेमू के हमले से मुगल सेना बिखर गई थी। बदायूँनी ने अपनी किताब ‘मुंतख़ब-उत-त्वारीख़’ में इसका जिक्र किया था। हेमू अपनी जीत के करीब थे।

इस बीच क़ुली शैबानी के सैनिक हेमू की सेना पर लगातार तीरों की बौछार कर रहे थे। इन्हीं में से एक तीर उनकी आँख में जा धँसा। हरबंस मुखिया अपनी किताब ‘द मुग़ल्स ऑफ़ इंडिया’ में मोहम्मद क़ासिम फ़ेरिश्ता के हवाले से लिखते हैं कि तीर लगने पर भी हेमू ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अपनी आँख तीर निकाला और रूमाल से ढ़क कर लड़ना जारी रखा।

हालाँकि, अत्यधिक खून बहने के कारण हेमू बेहोश होकर अपनी हाथी के हौदे में गिर गए। इस बीच क़ुली शैबानी ने बिना महावत के एक हाथी को घूमते हुए देखा तो उसने एक व्यक्ति को उस पर चढ़कर देखने के लिए कहा। जब वह व्यक्ति हाथी पर चढ़कर देखा तो उसमें एक व्यक्ति बेहोश दिखा। वह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि हेमू थे। इसके बाद शैबानी उस हाथी को हाँक कर अकबर के पास ले गया।

इसकी जानकरी मिलते ही हेमू की सेना के हताशा छा गई और मुगल सेना खुशियाँ मनाने लगी। उधर, हेमू को जंजीरों से बाँधकर अकबर के सामने पेश किया। बैरम खाँ ने अपनी तलवार से हेमू का सिर काट दिया। उनका सिर काबुल भेजा गया और धड़ को दिल्ली दरवाजे पर लटका दिया गया। हेमू के पुराने घर माछेरी पर आक्रमण कर लूटमार की गई। उनके 80 वर्षीय पिता पूरनदास के साथ-साथ कई रिश्तेदारों को इस्लाम में धर्म परिवर्तन करने के लिए कहा गया।

जब सम्राट हेमचंद्र के परिजन और रिश्तेदार नहीं माने तो उनका कत्ल कर दिया गया। इससे एक मीनार बनाई गई। इस मीनार की पेंटिंग अकबरनामा में भी है। इस तरह हेमू एक शूरवीर की तरह युद्ध क्षेत्र में वीरगति को प्राप्त हो गए और 29 दिन के उनके शासन का अंत हो गया। विन्सेंट ए स्मिथ अकबर की जीवनी में लिखते हैं, “क्षत्रिय (राजपूत) नहीं होने के बावजूद हेमू ने युद्ध के मैदान पर आखिरी साँस ली।”

सम्राट हेमचंद्र की समाधि वक्फ बोर्ड के पास

हरियाणा के पानीपत में जहाँ हेमू का सिर काटा गया था, वहाँ एक समाधि बना दी गई। सौदापुर गाँव में स्थित हेमू की यह समाधि सदियों तक उपेक्षित रही। इस बीच प्रवासी मुस्लिमों ने वहाँ एक दरगाह बना दिया। सन 1990 तक यह जगह भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) के पास थी। सन 1990 में हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने समाधि वक्फ बोर्ड को दे दिया।  

जिस जगह सम्राट हेमू की समाधि है, वह पूरा क्षेत्र 10 एकड़ का है। चौटाला ने उन सारी जमीनों को वक्फ को दे दिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उस समय हरियाणा वक्फ बोर्ड के चेयरमैन मेवात क्षेत्र के एक मुस्लिम विधायक थे। उस विधायक पर कुछ लोगों से पैसे लेकर सम्राट हेमचंद्र की समाधि पर अतिक्रमण की अनुमति देने के आरोप लगे थे। इसको लेकर दोनों समुदायों में विवाद चल रहा है।