Tuesday, December 10, 2024
Homeदेश-समाजभले कानून देता है चार निकाह की इजाजत, पर पहली बीवी के साथ 'मानसिक...

भले कानून देता है चार निकाह की इजाजत, पर पहली बीवी के साथ ‘मानसिक क्रूरता’ है मुस्लिमों का दूसरा निकाह: हाई कोर्ट, मुआवजा नहीं दे रहा था शौहर

मद्रास हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि मुस्लिम मर्द का दूसरा निकाह करना पहली बीवी से 'मानसिक क्रूरता' है। हालाँकि, अदालत ने यह भी माना कि मुस्लिम पसर्नल लॉ के कारण कि उसे दूसरा निकाह करने से रोका नहीं जा सकता।

मद्रास हाई कोर्ट ने अपने एक हालिया निर्णय में कहा है कि एक मुस्लिम मर्द का दूसरा निकाह करना अपनी पहली बीवी से ‘मानसिक क्रूरता’ जैसा है। हालाँकि मुस्लिम पसर्नल लॉ के कारण अदालत ने माना कि उसे दूसरा निकाह करने से रोका नहीं जा सकता। इसी मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने शरिया काउंसिल को कानूनी अधिकार नहीं होने की बात कहते हुए कहा था कि वह तलाक का प्रमाण-पत्र जारी नहीं कर सकती है।

इस मामले में शौहर ने ही हाई कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की थी। उसने निचली अदालत के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उसे पहली बीवी को गुजारा-भत्ता देने का आदेश दिया गया था। शौहर का कहना था कि दूसरे निकाह से पहले ही उसका पहला निकाह टूट गया था।

इसे साबित करने के लिए उसने शरिया काउंसिल द्वारा तलाक का जारी किया गया सर्टिफिकेट भी लगाया था। लेकिन हाई कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि जब तक अदालत आदेश नहीं देती पहला निकाह भी मान्य रहेगा। इसी आधार पर उसे पहली बीवी को 5 लाख रुपया मुआवजा और नाबालिग बच्चे के भरण-पोषण के लिए हर महीने 25 हजार रुपए देने का आदेश दिया है।

फैसला सुनाते हुए जस्टिस न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन ने कहा कि शौहर के दोबारा निकाह के कारण पहली बीवी को भावनात्मक तौर पर बेहद दुख और दर्द हुआ है। उन्होंने कहा, “मुस्लिम होने के नाते याचिकाकर्ता दूसरा निकाह करने के लिए स्वतंत्र है। लेकिन उसे इसका भुगतान करना होगा। उसके दूसरे निकाह से पहली बीवी को काफी दुख हुआ होगा। लिहाजा यह मानसिक क्रूरता है।”

निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए हाई कोर्ट ने माना कि मुस्लिमों को कानूनी तौर पर चार निकाह करने की इजाजत है। लेकिन यह कानूनी अधिकार या स्वतंत्रता उसकी बीवी के अधिकारों को सीमित नहीं करती। भले बीवी उसे दूसरा निकाह करने से नहीं रोक सकती, लेकिन भरण-पोषण का खर्च माँगना उसका अधिकार है। इसे देने से शौहर इनकार नहीं कर सकता।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

राम मंदिर में दर्शन की गाँधी परिवार को फुर्सत तक नहीं, पर बीवी के MP बनते ही रॉबर्ट वाड्रा को ‘हाजी अली ने बुलाया’:...

रॉबर्ट वाड्रा हाल ही में मुंबई स्थित हाजी अली दरगाह पहुँचे। उन्होंने देश में न्यायालयों के आदेश पर मस्जिदों में हो रहे सर्वे को गलत ठहराया है।

भारत ने घर में घुसकर बांग्लादेश को सुनाया, कहा- हिंदुओं और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करो: शेख हसीना के तख्तापलट के बाद पहली...

भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार (9 दिसंबर 2024) को ढाका में अपने बांग्लादेशी समकक्ष मोहम्मद तौहीद हुसैन से मुलाकात की।
- विज्ञापन -