छोटा वलीद उर्फ अबू उस्मान आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का डिविजनल कमांडर था। मूल रूप से पाकिस्तान के रहने वाले इस आतंकवादी की करीब 20 साल से सुरक्षा बलों की तलाश थी। आखिरकार 2 नवंबर 2024 को जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में उसे एक मुठभेड़ में मार गिराया गया। उसके 2 साथी फरार हो गए थे जिनकी तलाश जारी है।
इस एनकाउंटर से पहले सुरक्षा बलों को श्रीनगर के खानयार इलाके में आतंकियों के मूवमेंट की सूचना मिली थी। इस सूचना पर CRPF की VQAT (वैली क्विक एक्शन टीम) और जम्मू कश्मीर पुलिस की SOG (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) ने एक साथ तलाशी अभियान शुरू किया। इसी दौरान एक घर की तरफ बढ़ते जवानों पर अचानक ही फायरिंग शुरू हो गई।
खुद से बचाते हुए जवानों ने पोजीशन ली और जवाबी कार्रवाई शुरू की। घर में छिपे आतंकियों को पहले सरेंडर का मौका दिया गया। जब उन्होंने प्रस्ताव ठुकराते हुए गोलीबारी जारी रखी तो सुरक्षा बलों ने भी जवाबी कार्रवाई की। इसी दौरान एक ग्रेनेड विस्फोट में उस घर में आग लग गई जिसमें आतंकी छिपे हुए थे। इसके बाद सुरक्षा बलों जवाबी कार्रवाई जारी रखते हुए यह सुनिश्चित किया कि आग से पड़ोस के घरों को कोई नुकसान न हो।
करीब 9 घंटों तक चली मुठभेड़ में एक आतंकी ढेर हो गया, जबकि 2 अन्य भाग गए। मारे गए आतंकी की पहचान अबू उस्मान उर्फ छोटा वलीद के तौर पर की गई।
20 वर्षों से थी अबू उस्मान उर्फ छोटा वलीद की तलाश
आतंकी अबू उस्मान उर्फ छोटा वलीद मूल रूप से पाकिस्तान का रहने वाला था। वह पाकिस्तानी आतंकी संगठन TRF (द रेसिस्टेंस फ्रंट) के कमांडर सज्जाद गुल का बेहद करीबी था। सुरक्षा बलों को उसकी पिछले 20 वर्षों से तलाश थी। वह 2000 के दशक से ही कश्मीर में हुए कई बड़े आतंकी हमलों में शामिल था। साल 2016-17 में कश्मीर पुलिस के इंस्पेक्टर मशरूर वानी की गोली मार कर हुई हत्या में भी वह शामिल था।
छोटा वलीद को मार गिराना सुरक्षा बलों की बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। द रेसिस्टेंस फ्रंट कश्मीर में पिछले कुछ समय से हिन्दुओं और गैर कश्मीरियों को निशाना बना रहा है। इनमें वे मजदूर भी शामिल हैं जो अन्य प्रांतों से रोटी-रोटी कमाने जम्मू-कश्मीर आए हुए हैं।
कुत्तों को खामोश रखने के लिए खिलाए बिस्कुट
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक छोटा वलीद को मार गिराने के लिए चले लगभग 9 घंटे के अभियान में न सिर्फ आम नागरिकों की सुरक्षा बल्कि कुत्तों के भौंकने का भी ध्यान रखा गया। कुत्तों के भौंकने से अक्सर छिपे आतंकी सतर्क हो जाते हैं और उनको भाग निकलने का मौका मिल जाता है। इसलिए जवानों ने घर के आसपास मौजूद कुत्तों को बिस्कुट खिलाए जिस से वो भौंकने के बजाय खाने में व्यस्त हो गए। ये बिस्किट जवान ऑपरेशन पर निकलने के दौरान अन्य साजो-सामान की तरह अपने साथ ले गए थे।
ऑपइंडिया के पास इस घटना से जुड़े कई फोटो और वीडियो मौजूद हैं। इन वीडियो में आतंकियों की टोह लेने के लिए जवानों को ड्रोन का इस्तेमाल करते देखा जा सकता है। एक अन्य विजुअल में घर में लगी आग, जबकि दूसरे में आतंकी की लाश चादर में समेट कर निकलते जवान देखे जा सकते हैं। जिस घर में यह ऑपरेशन चला वह घनी आबादी के बीच था, इसलिए आतंकी को ढेर करने में सुरक्षा बलों को अधिक समय लगा।
एक गिलहरी की मौत अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में बड़ा मुद्दा बन गई है। गिलहरी को एक पशुप्रेमी ने रेस्क्यू किया था और अपने घर में रखता था। गिलहरी का नाम पीनट था और वह सोशल मीडिया पर भी काफी पॉपुलर थी। गिलहरी को घर से पकड़ कर न्यूयॉर्क शहर के अधिकारियों ने मौत की नींद सुला दी।
जानकारी के अनुसार, मार्क लोंगो नाम के एक आदमी द्वारा बचाई गई इस जंगली गिलहरी को न्यूयॉर्क शहर के पर्यावरण संरक्षण विभाग के अधिकारियों ने लोंगो के घर से पकड़ लिया। उन्होंने इसी के साथ एक रकून को भी पकड़ लिया और अपने साथ लेकर चले गए। यह कार्रवाई 30 अक्टूबर, 2024 को हुई।
न्यूयॉर्क सिटी के अधिकारियों ने इसके बाद इन दोनों जानवरों को मेडिकल तरीके से जहर दे दिया और उनकी मौत हो गई। अधिकारियों ने बताया कि गिलहरी ने उनमें से एक के काट लिया था और मारने की कार्रवाई इसके बाद रेबीज चेक करने के लिए की गई।
बताया गया कि यह कार्रवाई एक महिला की शिकायत के बाद की गई। मार्क लोंगो के खिलाफ शिकायत के बाद एक जज ने सर्च वारंट जारी किया और फिर न्यू यॉर्क के अधिकारियों ने उनके घर पाँच घंटे तक तलाशी ली और गिलहरी तथा रकून को पकड़ कर अपने साथ ले गए।
इसके बाद उन्हें मौत की नींद सुला दी गई। गौरतलब है कि न्यू यॉर्क शहर में जंगली जानवर घर में नहीं रखे जा सकते, भले ही वह कितने भी छोटे क्यों ना हों। मार्क लोंगो ने यह भी आरोप लगाया कि उनके साथ आतंकियों ऐसा बर्ताव किया गया।
जबरदस्ती मार दी गई इस गिलहरी को मार्क लोंगो ने 7 साल पहले बचाया था और इसके वीडियो सोशल मीडिया पर लगातार साझा करते थे। इन वीडियो को हजारों लोग पसंद करते थे। पीनट के सोशल मीडिया पर 5 लाख से अधिक फॉलोवर थे। गिलहरी की मौत के बाद उसके फैन्स में काफी गुस्सा है। लोग अब इस कानून में बदलाव की माँग कर रहे हैं।
इस गिलहरी को मार दिया जाना अब अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में भी मुद्दा बन गया है। राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प के बेटे डोनाल्ड ट्रम्प जूनियर ने इस मुद्दे को लेकर एक्स (पहले ट्विटर) पर पोस्ट किया है। उनके साथ ही एलन मस्क ने भी इस मामले में पोस्ट किया है।
It’s time to vote out a government that will kill a pet squirrel but will gladly allow 600,000 criminals with 13,000 murderers & 16,000 rapists knowingly into their country. Maybe P’nuts murder will be the catalyst for real change & awakening as to our govts broken priorities! pic.twitter.com/g2ykG2ORaN
ट्रम्प जूनियर ने पोस्ट किया, “अब समय आ गया है कि हम ऐसी सरकार को वोट देकर बाहर करें जो एक पालतू गिलहरी को मार देती है लेकिन 600,000 अपराधियों, 13,000 हत्यारों और 16,000 बलात्कारियों को जानबूझकर अपने देश में आने की अनुमति देती है। शायद पीनट्स की हत्या बदलाव के प्रति हमारी जागरूकता को बढ़ाएगी।”
The government should not be allowed to barge into your house and kill your pet! That’s messed up.
Even if it is illegal to have a pet squirrel (which it shouldn’t be), why kill PNut instead of simply releasing him into the forest!? https://t.co/2m9Gi5QpUT
वहीं एलन मस्क ने लिखा, “सरकार को आपके घर में घुसकर आपके पालतू जानवर को मारने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। यह गलत है। भले ही पालतू गिलहरी रखना गैरकानूनी हो (जो कि नहीं होना चाहिए), फिर भी PNut को जंगल में छोड़ने के बजाय उसे क्यों मारा गया!?”
अमेरिकी चुनावों के लिए मंगलवार (5 नवम्बर, 2024) को वोटिंग होनी है। चुनाव में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और वर्तमान उपराष्ट्रपति कमला हैरिस आमने सामने हैं। इस लड़ाई में ट्रम्प को आगे माना जा रहा है। अमेरिका को जनवरी, 2025 में नया राष्ट्रपति मिल जाएगा। गिलहरी पीनट की मौत इस पर कितना असर डालती है, देखने वाला होगा।
मध्य प्रदेश के उमरिया में बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथियों के हमले में हुई मौतों को लेकर CM मोहन यादव सख्त हो गए हैं। उन्होंने मामले में लापरवाही बरतने वाले 2 अफसरों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। दूसरी तरफ वन विभाग ने उस हाथी को पकड़ लिया है, जिसने हमला करके 2 लोगों को मार दिया था। CM मोहन यादव ने राज्य में हाथियों को लेकर स्पेशल टास्क फ़ोर्स (STF) बनाने का आदेश दिया है। वहीं ओडिशा में भी हाथियों की असामान्य मौत के मामले में जाँच के आदेश दिए गए हैं।
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, वन विभाग की एक टीम ने खितौली के जंगल से उस हाथी को रविवार (3 नवम्बर, 2024) शाम को पकड़ लिया जिसने शनिवार (2 नवम्बर) को 2 लोगों को मार दिया था। उसे अब पेड़ से बाँध दिया गया है। हाथी पकड़ने के लिए 100 लोगों की टीम को घंटो मशक्कत करनी पड़ी।
CM मोहन यादव ने भी रविवार को इस मामले में बैठक की। उन्होंने हमले से पहले 10 हाथियों की मौत को लेकर अधिकारियों से प्रश्न पूछे और आदेश दिए। CM मोहन यादव ने इस दौरान बाँधवगढ़ में लापरवाही करने वाले दो अफसरों को सस्पेंड कर दिया।
मध्य प्रदेश में हाथियों की बसाहट और सुरक्षा को देखते हुए CM मोहन यादव ने एक स्पेशल टास्क फ़ोर्स बनाने का आदेश दिया है। CM मोहन यादव ने कहा है कि यह टास्क फ़ोर्स दूसरे राज्यों के अनुभव को अपने काम में शामिल करेगी। इसके अलावा फसलें बचाने का काम करने के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने पीड़ित परिवारों के लिए ₹25 लाख के मुआवजे का ऐलान भी किया है।
गौरतलब है कि 29 अक्टूबर, 2024 के बाद से बाँधवगढ़ के इस इलाके में 10 हाथियों की मौत हो गई थी। हाथियों की मौत का कारण कोदों की फसल खाना बताया गया था। इसके बाद ही हाथियों के हमले सामने आए थे। स्थानीय लोगों ने कहा था कि झुंड के बाकी हाथी उन पर ‘बदला’ लेने के लिए हमला कर रहे हैं। इन हमलों में दो की मौत हुई थी जबकि एक घायल था।
ओडिशा में भी एक्शन
हाथियों की मौत के मामले में ओडिशा में भी एक्शन चालू हो गया है। ओडिशा में इस साल 50 हाथियों की मौत असामान्य तरीके से हो चुकी है। अब राज्य के वन मंत्री गणेश राम सिंहखुटिया ने इस मामले में जाँच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि एक माह के भीतर इन मौतों के बारे एक रिपोर्ट पेश की जाए।
उन्होंने राज्य वन विभाग के अफसरों को चेताया भी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार लगातार हाथियों की सुरक्षा के लिए प्रयास कर रही है उसने इस संबंध में कई कदम उठाए हैं लेकिन वन विभाग को भी अब काम करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जो कर्मचारी-अधिकारी ऐसा नहीं करेंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
कनाडा के ब्रैम्पटन शहर में हिंदू मंदिर में श्रद्धालुओं पर खालिस्तानी समर्थकों की भीड़ द्वारा हमला किया गया। इस दौरान, मंदिर में मौजूद श्रद्धालुओं पर लाठी-डंडे बरसाए गए और महिलाओं व बच्चों को भी नहीं बख्शा गया। हमला तब हुआ जब सारे श्रद्धालु मंदिर में पूजा-अर्चना कर रहे थे।
घटना की वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। वीडियो में खालिस्तानी समर्थक लाठी-डंडे लेकर हिंदू श्रद्धालुओं को मारते और उन्हें दौड़ाते हुए दिखाई दे रहे हैं। वहीं दूसरी वीडियो में पुलिस इलाके को घेरकर स्थिति नियंत्रित करने का प्रयास कर रही है।
Khalistan supporters have attacked devotees at Hindu sabha temple in Brampton, #Canada.
Khalistan supporters are protesting against Indian Consulate officials who attended the mandir for a document attestation camp organized by the mandir organization. pic.twitter.com/mHbwYE1wWr
हमले के बाद पील रीजनल पुलिस चीफ निशान दुरईप्पा ने लोगों से संयम बरतने को कहा है और कहा है कि हिंसा और अपराध को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पुलिस ने आश्वासन दिया है कि वे इस मामले की जाँच करेंगे और दोषियों को जवाबदेह ठहराने के लिए आवश्यक कदम उठाएँगे।
A red line has been crossed by Canadian Khalistani extremists today. The attack by Khalistanis on the Hindu-Canadian devotees inside the premises of the Hindu Sabha temple in Brampton shows how deep and brazen has Khalistani violent extremism has become in Canada. I begin to feel… pic.twitter.com/vPDdk9oble
इसके अलावा कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि हर कनाडाई नागरिक को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है और ऐसी हिंसा को स्वीकार नहीं किया जा सकता। कनाडा के एमपी चंद्र आर्या ने भी कहा कि खालिस्तानियों द्वारा आज सीमा पार कर दी गई। उनके द्वारा हिंदू-कनाडाई लोगों पर हिंदू सभा में हमला दिखाता है कि ये लोग कितने कट्टरपंथी होते जा रहे हैं।
वहीं ब्रैम्पटन के हिंदू सभा मंदिर में खालिस्तानियों के हमले की कड़ी निंदा कनाडा संसद में विपक्ष के नेता पियरे पोलीएवर ने भी की। उन्होंने इस घटना को ‘पूरी तरह अस्वीकार्य’ बताया। उन्होंने कहा कि सभी कनाडाई नागरिकों के लिए शांति से अपने धर्म का पालन करने का अधिकार जरूरी है।
दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान 13 साल के एक बच्चे के पेट से अलग-अलग तरह की 56 वस्तुएँ मिली हैं। इनमें बैटरी, चेन, स्क्रू, ब्लेड और नट-बोल्ट आदि शामिल हैं। डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद कक्षा 9 के इस छात्र को बचाया नहीं जा सका। रविवार (27 अक्टूबर 2024) को हुए इस ऑपरेशन को डॉक्टरों ने दुर्लभ केस बताया है। फ़िलहाल यह पता नहीं चल पाया है कि ये वस्तुएँ बच्चे के पेट में पहुँची कैसे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मृतक का नाम आदित्य था। वह कक्षा 9 का छात्र था। वह हाथरस के रत्नगर्भा कॉलोनी में परिवार के साथ रहता था। आदित्य के पिता संकेत शर्मा ने बताया कि 13 अक्टूबर को उनके बेटे को पेट दर्द व साँस लेने में समस्या हुई। इलाज के लिए आदित्य को हाथरस के ही एक प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया। यहाँ से उसे रेफर कर दिया गया। आगे का इलाज जयपुर के SDMH हॉस्पिटल में हुआ। पाँच दिन तक चले इलाज में आदित्य को फायदा हुआ और परिजन उसे घर ले आए।
संचेत शर्मा ने बताया कि 19 अक्टूबर को आदित्य ने फिर से साँस लेने में दिक्कत होने लगी। तब उसे अलीगढ़ के एक निजी अस्पताल में दिखाया गया। यहाँ CT स्कैन के बाद आदित्य की नाक में गाँठ दिखी जिसे 26 अक्टूबर को सर्जरी से निकाल दिया गया। ऑपरेशन के बाद साँस लेने की दिक्कत तो दूर हो गई, लेकिन पेट दर्द बना रहा। इसी दिन आदित्य का अल्ट्रासाउंड हुआ तो उसके पेट में 19 सामान दिखे। इलाज के लिए उसे को नोएडा लाया गया।
नोएडा में पता चला कि आदित्य के पेट में 19 नहीं, बल्कि 56 वस्तुएँ मौजूद हैं। आखिरकार आदित्य को ऑपरेशन के लिए दिल्ली के सफदरगंज हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया। 27 अक्टूबर को आदित्य शर्मा का ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के दौरान पेट से घड़ी में लगनी वाली बैटरी, ब्लेड के टुकड़े, कीलें, टूटे काँच के हिस्से, नट-बोल्ट, सिक्के, सेंट, चेन और कुछ अन्य धातुएँ मिली हैं। सामान्य व्यक्ति की हार्टबीट 60 से 100 के बीच होती है, लेकिन इलाज के समय आदित्य की 280 के आसपास थी।
इस मामले को दुर्लभ बताते हुए डॉक्टरों ने भी हैरानी जताई है। आदित्य के पेट में भले ही ब्लेड मिली हो लेकिन गले में कहीं भी कटे का निशान नहीं पाया गया। अभी तक यह सामने नहीं आ पाया है कि ये सब सामान आदित्य के पेट में पहुँच कैसे गया। कुछ डॉक्टरों ने इसे पिका सिंड्रोम जैसी मानसिक बीमारी बताया है। इस सिंड्रोम में कोई व्यक्ति उन चीजों को भी खाना शुरू कर देता है जो खाने योग्य नहीं होती हैं। डॉक्टरों ने अभिभावकों को भी आगाह किया है कि वो बच्चों की असमान्य हरकतों पर गहरी नजर रखें।
गुजरात के सूरत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में कुछ लोग भगवा वस्त्र पहनकर साधु वेश में भीख माँगते दिखाई दे रहे हैं। इन तीनों से वीडियो में कुछ लोग बहस कर रहे हैं। इन लोगों का आरोप है कि वो सभी हिन्दू साधु नहीं, बल्कि मुस्लिम हैं। ये सभी न तो ठीक से हिन्दू देवताओं का नाम बता सके और न ही किसी शास्त्र से कोई श्लोक सुना पाए।
यह वीडियो 43 सेकेंड का है, जो शनिवार (2 नवंबर 2024) को शेयर हुआ। वीडियो में दिख रहे तीनों भगवाधारियों ने लम्बी दाढ़ी रखी है। माथे पर त्रिपुण्ड लगा रखा है। वीडियो बना रहे व्यक्ति ने इन लोगों से श्लोक बोलने के लिए कहा तो जवाब मिला, “दुआ है हमारा दुआ।” जब सामने वाले ने पूछा कि उन्हें कितने भगवान के नाम आते हैं तो उन्होंने सिर्फ भोलेनाथ का नाम बताया।
वीडियो बना रहे व्यक्ति ने कहा कि क्या एक हिन्दू भगवान का नाम जानकर वो साधु बन गए हैं? तभी तीनों में से एक ने अपनी दाढ़ी पर हाथ फेर कर कहा कि वो खेल करने वाले मदारी हैं। पास खड़े एक व्यक्ति ने इन तीनों को रोहिंग्या बताया तो एक अन्य व्यक्ति ने दावा किया कि उन तीनों में से एक का नाम सलमान है। कुछ ही देर में वहाँ भीड़ जमा हो गई।
भीड़ में से एक अन्य व्यक्ति ने तीनों से कोई श्लोक पूछा पर वो नहीं बता पाए। इनमें से एक व्यक्ति साधुओं में से एक का आईडी कार्ड चेक करता है तो उसका नाम सलमान लिखा मिलता है। वीडियो को शेयर करते हुए ज़ी 24 कलक ने कैप्शन में लिखा, “साधु के वेश में पकड़ा गया सलमान नाथ। सूरत में भीख माँग रहे एक साधु का आईडी कार्ड चेक करते हुए भंडा फूट गया।”
बताते चलें कि 1 नवंबर को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में भी पुलिस ने गेरुआ वेश पहन कर साधु वेश में घूम रहे 3 मुस्लिमों को गिरफ्तार किया था। तब इन तीनों ने खुद को गोरखनाथ मठ से जुड़ा योगी बताया था। जब लोगों ने इनसे गंगाजल पीने को कहा तो इन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया। इसके बाद लोगों ने इन्हें पुलिस को सौंप दिया।
झारखंड विधानसभा चुनाव अभियान जोरों पर है। NDA और INDI गठबंधन पूरा जोर लगा रहा है। भाजपा जहाँ हेमंत सोरेन सरकार की कमियाँ बता कर सत्ता में आने की जुगत भिड़ा रही है तो वहीं JMM-कॉन्ग्रेस अपनी सत्ता बचाने में जुटे हुए हैं। इस बीच भाजपा ने राज्य के लिए अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है। भाजपा ने इसे संकल्प पत्र का नाम दिया है। चुनावी वादों के बीच बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या को भाजपा ने अपने तरकश का सबसे पैना तीर बनाया है।
रविवार (3 नवम्बर, 2024) को गृह मंत्री अमित शाह ने राँची में भाजपा का संकल्प पत्र लोकार्पित किया। इस संकल्प पत्र में भाजपा ने वादा किया है कि यदि वह राज्य की सत्ता में आते हैं तो बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या से निपटने के लिए कानून बनाएँगे। भाजपा ने कहा कि वह घुसपैठ को रोकने के साथ ही उन जमीनों को वापस लेने के लिए कानून बनाएगी, जिन्हें घुसपैठियों ने कब्जाया है या फिर जालसाजी करके खरीदा है।
#WATCH | Ranchi, Jharkhand: Union Home Minister Amit Shah says, "Infiltration has not stopped in Bengal because the local administration is encouraging infiltration. Infiltration has not stopped in Jharkhand because the local administration is encouraging infiltration. There is… pic.twitter.com/AAmbfbcVDX
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने घोषणा पत्र लोकार्पित करते हुए झारखंड सरकार पर हमला भी बोला। अमित शाह ने कहा कि झारखंड में घुसपैठ की समस्या इसलिए है क्योंकि यहाँ का स्थानीय प्रशासन इसे बढ़ावा देता है। उन्होंने कहा कि झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार राज्य के घुसपैठियों पर एक्शन नहीं लेती और इसके बाद वह केंद्र सरकार पर प्रश्न उठाते हैं। उन्होंने कहा कि आखिर घुसपैठ की जानकारी पुलिस या फिर केंद्र सरकार को नहीं दी जाती।
अमित शाह के अलावा झारखंड भाजपा के बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने भी घुसपैठ का मुद्दा उठाया। उन्होंने दैनिक भास्कर को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा कि राज्य के संथाल परगना में घुसपैठ से बुरा हाल है। जनजातीय क्षेत्रों की गहरी जानकारी रखने वाले चंपाई सोरेन ने कहा कि संथाल परगना के लगभग एक दर्ज गाँवों में पूरी तरह घुसपैठियों का कब्जा है। उन्होंने दावा किया कि जिन गाँवों में 100-150 परिवार जनजातीय समुदाय के रहते थे, वह अब घुसपैठियों से डर कर भाग गए हैं।
चंपाई सोरेन ने ऐलान किया है कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो यह सभी जमीनें घुसपैठियों से वापस ले ली जाएँगी। चंपाई सोरेन ने यह भी कहा कि जनजातियों के लिए अगर कोई आवाज नहीं उठाएगा तो वह खुद ही उठाएँगे, इसके लिए वह जनजातीय समुदाय की बैठक भी बुलाएँगे।
राजनीतिक बयानों के इतर, गंभीर है समस्या
झारखंड चुनाव के बीच घुसपैठ का जिक्र कहीं ज्यादा बढ़ गया है। भाजपा ने और ज्यादा आक्रामकता से यह मुद्दा उठाना चालू कर दिया है जबकि JMM-कॉन्ग्रेस या तो चुप हैं या फिर घुसपैठ को नकारते हैं। लेकिन समस्या असल में कहीं गंभीर है।
दैनिक भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में झारखंड के पाकुड़ जिले के झिकरहटी गाँव का जिक्र किया है। यह गाँव साल 2000 तक संथाल बहुल था। आज इस गाँव में एक भी जनजातीय (ST) परिवार नहीं है। सब अपनी जमीन-संपत्ति बेचकर गाँव से जा चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार जनजातीय समाज के पूजा स्थल ‘सरना’ की जगह अब मस्जिद और मदरसे काफी संख्या में नजर आते हैं, जो कुछ साल पहले तक इक्का-दुक्का ही थे। स्थानीय लोगों के हवाले से बताया गया है कि इस इलाके में अब मुस्लिम ही नजर आते हैं जो इधर-उधर से आकर गाँव में बसे हैं।
झारखंड हाई कोर्ट में प्रदेश में घुसपैठ को लेकर सुनवाई भी चल रही है। हाल ही में केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट में प्रदेश में जनसांख्यिकी के बदलाव को लेकर जवाब दाखिल किया था। केंद्र सरकार ने बताया था कि राज्य के संथाल परगना के साहिबगंज, पाकुड़, दुमका, गोड्डा व जामताड़ा समेत 6 जिलों से 16 फीसदी (44% से 28%) जनजातीय समुदाय के लोग घटे हैं जबकि मुस्लिमों की आबादी में 13% की वृद्धि हुई है और दो जिले- साहिबगंज और पाकुड़ में तो इनकी संख्या 35% बढ़ी है।
सिर्फ आँकड़े ही डरावने नहीं हैं, बल्कि इसका सामाजिक बदलाव भी देखने को मिल रहा है। मार्च, 2024 में आजतक की रिपोर्ट में बताया गया था कि यहाँ बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए, पश्चिम बंगाल के रास्ते आते हैं। इसके बाद वह बस जाते हैं। इनमें से कुछ आदिवासियों की लड़कियों को निशाना बनाते हैं। जब लडकियाँ उनके दिखावे में फंस जाती हैं तो उनसे शादी कर ली जाती है।शादी के बाद लड़की की कागजों में पहचान आदिवासी के तौर पर ही रहने दी जाती है।
इसके बाद उस लड़की के नाम पर जमीन ली जाती है या फिर उसकी ही जमीन कब्जा ली जाती है। रिपोर्ट में बताया गया था कि यह सब करने के लिए बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठियों को फंडिंग मिलती है। लड़की की पहचान आदिवासी रखने के पीछे सरकारी फायदे लेने के मकसद रहता है। इसके अलावा कई जगह उन लड़कियों को चुनाव भी लड़वाया गया, जिन्होंने मुस्लिमों से शादी की। बांग्लादेशी घुसपैठियों की यह समस्या शादी करने और जमीन हथियाने तक सीमित नहीं रही है। इसका कनेक्शन लोकसभा चुनाव तक से जुड़ा है।
लोकतंत्र को तक खतरा
सामाजिक बदलावों के अलावा बड़ा खतरा लोकतंत्र को भी है। झारखंड की 10 विधानसभा सीटों के कई बूथ पर वोटरों की संख्या में पाँच साल में 100% से अधिक वृद्धि हुई है। यह खुलासा झारखंड भाजपा ने हाल ही में एक रिपोर्ट में किया गया है। वोटर बढ़ने वाले अधिकांश वह इलाके हैं जो संताल परगना में आते हैं। इन इलाकों में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठ की बात लगातार सामने आई है।
भाजपा ने इस रिपोर्ट के आधार पर झारखंड चुनाव आयोग से जाँच की माँग की थी। भाजपा ने कहा कि अगर ढंग से जाँच हुई तो डेमोग्राफी बदलने की बड़ी साजिश सामने आएगी। भाजपा की यह रिपोर्ट एक तीन सदस्यीय समिति ने तैयार की थी, इस समिति के मुखिया प्रदेश उपाध्यक्ष अवधेश कुमार हैं। यह पूरी रिपोर्ट ऑपइंडिया के पास मौजूद है।
भाजपा ने 2019 लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची और 2024 की मतदाता सूची का अध्ययन किया है। भाजपा ने पाया है कि झारखंड की 10 विधानसभा सीटों के कुछ बूथ पर (विशेष कर मुस्लिम आबादी वाले बूथ) पर वोटरों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि पाँच वर्षों में हुई है।
भाजपा की रिपोर्ट में सामने आया है कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में वोटरों की संख्या में यह अप्रत्याशित बढ़त 20% से 123% तक की है। यह बढ़त इन 10 विधानसभा के कुल 1467 बूथ पर हुई है। भाजपा ने कहा है कि सामान्यतः पाँच वर्षों में 15% से 17% की वृद्धि होती है, इसीलिए यह वृद्धि असामान्य है। भाजपा ने यह भी बताया है कि हिन्दू आबादी वाले बूथ पर वोटरों की संख्या में बढ़त मात्र 8% से 10% हुई है। भाजपा ने यह भी बताया है कि कई बूथ पर हिन्दू मतदाता घट भी गए हैं।
इससे पहले राजमहल के विधायक अनंत ओझा ने भी इस संबंध में शिकायत की थी। उन्होंने ऑपइंडिया को बताया था कि उनकी विधानसभा के 187 नंबर बूथ पर 2019 में 672 वोट थे। 2024 में यह बढ़ कर 1461 हो गए। यानी इसमें लगभग 117% की वृद्धि हुई। इसी के साथ सरकारी मदरसा बूथ पर 754 वोट बढ़ कर 1189 हो गए। ऐसे कम से कम 73 बूथ इस विधानसभा के भीतर हैं जहाँ की वोटर वृद्धि असामान्य है।
विधायक अनंत ओझा ने ऑपइंडिया को बताया था कि यह सभी बूथ मुस्लिम आबादी के बीच स्थित हैं। इसी इलाके में हिन्दू आबादी वाले 17 बूथ पर इसी दौरान आबादी कम हो गई है। उन्होंने इस संबंध में राज्य चुनाव आयोग से भी शिकायत की थी। राज्य चुनाव आयोग ने इस मामले में एक टीम बनाकर एक्शन लेने की बात कही थी।
सामाजिक कार्यकर्ता बोले- JMM सरकार कर रही लापरवाही
हाई कोर्ट में बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ लड़ रहे सामाजिक कार्यकर्ता दान्याल दानिश भी इस मामले को सालों से उठा रहे हैं। दान्याल इस मामले में पूछे जाने पर ऑपइंडिया से कहते हैं, “हाई कोर्ट ने हेमंत सोरेन सरकार को आदेश दिया था कि वह राज्य भर के भीतर बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करे और रिपोर्ट दें। सरकार ने सप्ताह भर के भीतर ही रिपोर्ट दे दी। आखिर राज्य की पुलिस के पास ऐसी कौन सी कुंजी है जिससे सप्ताह भर में लाखों लोगों का सर्वे हो गया।”
झारखंड चुनाव का रुख बदल सकता है मुद्दा
बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा झारखंड में प्रमुखता से अब उठ रहा है। भाजपा जनजातीय पहचान और संस्कृति मिटाए जाने के मुद्दे को लगातार उठा रही है। राज्य भाजपा के मुखिया बाबूलाल मरांडी और चंपाई सोरेन जैसे जनजातीय पहचान वाले नेता भी इस मुद्दे को उठा रहे हैं। इससे सामान्य जनजातीय जनता भी अब इसे जान रही है।
बांग्लादेशी घुसपैठ झारखंड के संथाल परगना में सबसे बड़ी समस्या बन रहा है। संथाल परगना में 6 जिले हैं। इनमें राज्य की 18 महत्वपूर्ण विधानसभा सीटें हैं। यह सीटें राज्य में किसी भी पार्टी की ताकत में बड़ा फर्क डालती है। 2019 में हुए चुनाव में इस इलाके में JMM और कॉन्ग्रेस आगे रहे थे।
लेकिन इस बार मामला बदला है। भाजपा विधायक अनंत ओझा ने हाल ही में ऑपइंडिया से बताया था कि JMM के पास अच्छा वोट था, जिसमें जनजातीय वोट प्रमुख है। लेकिन अब जनजातीय पहचान बचाने के नाम पर भाजपा इन इलाकों में बढ़त ले रही है।
संथाल के अलावा उन इलाकों में भी यह मुद्दा असर डाल सकता है, जहाँ गैर आदिवासी रहते हैं, लेकिन राज्य में घुसपैठ के विरोध में हैं। यह वोट भी भाजपा को बढ़त दिला सकता है। राज्य में जनजातीय युवा भी नौकरियों के मुद्दे उठाता रहा है। यदि उसे भाजपा सांस्कृतिक पहचान के मुद्दे से जोड़ती है तो उसे फायदा मिल सकता है।
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एक हिन्दू परिवार ने पालयन का पोस्टर लगाया है। शुक्रवार (1 नवंबर 2024) को लगाए गए इस पोस्टर में पलायन की वजह मुस्लिमों के अत्याचार से तंग होना बताया गया है। पीड़ित का कहना है कि पड़ोसी मुस्लिमों द्वारा उनके घर पर कूड़ा-करकट डाला जाता है। विरोध करने पर उन्हें धमकियाँ दी जाती हैं। हालाँकि, पुलिस इसे नाली का झगड़ा बता रही है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मामला कुशीनगर के विशुनपुरा थाना क्षेत्र का है। यहाँ के गाँव बाँसगाँव खास के रहने वाले सच्चिदानंद पांडेय ने शुक्रवार को अपने घर पर पलायन का पोस्टर लगा दिया। इन पोस्टरों में उन्होंने लिखा, “मुस्लिमों के अत्याचार से पीड़ित होकर मैं अपनी सारी सम्पत्ति बेचकर जा रहा हूँ।” ऊपर बड़े-बड़े अक्षरों में पलायन लिखा हुआ है और नीचे कुछ मोबाइल नंबर।
पोस्टर में आगे सच्चिदानंद पूरे परिवार के साथ खड़े दिख रहे हैं। बताया जा रहा है कि ग्राम पंचायत द्वारा सच्चिदानंद के घर के सामने से नाली का निर्माण करवाया जा रहा है। नाली के पानी को गिराने के लिए उनकी ही जमीन चिन्हित की गई है। इस जमीन पर वो खेती-बाड़ी का काम करते हैं। जब उन्होंने इसका विरोध किया, तब उन्हें धमकियाँ मिलनी शुरू हो गईं।
प्रकरण में दोनो पक्षों के मध्य नाली के पानी को लेकर विवाद था, पुलिस द्वारा मौके पर पहुचकर मामले का निस्तारण करा दिया गया है। प्रकरण मे पलायन संबंधी कोई समस्या नही है। मौके पर शान्ति व्यवस्था कायम है।
पीड़ित के परिवार को धमकाने का आरोप गाँव के प्रधान प्रतिनिधि जैनुद्दीन अंसारी पर लगा है। इस बीच उन्होंने अपनी खेती वाली जमीन बचाने के लिए छप्पर डालना शुरू किया तो जैनुद्दीन ने डायल 112 पर पुलिस बुला ली। मुस्लिम पक्ष से उन्हें धमकियाँ भी मिलने लगीं। सच्चिदानंद का आरोप है कि उनके घर के आगे मुस्लिम पड़ोसियों द्वारा कूड़ा-करकट फेंका जाता था।
कूड़ा फेंकने से रोकने पर विपक्षी पार्टी उनसे झगड़े पर उतारू हो जाते थे। बकौल सच्चिदानंद, उन्होंने कई बार अपनी तमाम शिकायतें उच्चाधिकारियों को भेजी हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। आखिरकार थक-हार कर सच्चिदानंद ने पूरे परिवार के साथ गाँव से पलायन का एलान कर दिया। इस एलान का पोस्टर भी उन्होंने लगवा दिया।
पोस्टर वायरल होते ही कुशीनगर के प्रशासनिक अधिकारियों ने फ़ौरन ही इसका संज्ञान लिया। उन्होंने मौके पर जाकर जाँच की। कुशीनगर पुलिस ने इसे नाली का विवाद बताया है और दावा किया है कि मामले को सुलझा लिया गया है। पुलिस के मुताबिक, पलायन संबंधी कोई समस्या नहीं है और मौके पर शांति-व्यवस्था कायम है।
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में मोहम्मद निशाद और नासिया ने 15 साल की अपनी घरेलू नौकरानी की हत्या कर दी है। हत्या से पहले दोनों ने किशोरी को बुरी तरह से प्रताड़ित किया था। उसे सिगरेट और लोहे के तवे से दागा था। मृतका का शव बाथरूम से बरामद हुआ है। पुलिस ने दोनों मियाँ-बीवी मोहम्मद निशाद और निवेता उर्फ नासिया को गिरफ्तार कर लिया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटना चेन्नई के अमीनजीकराई थाना क्षेत्र स्थित मेहतानगर की है। यहाँ मोहम्मद निशाद और उसकी बीवी नसिया ने घरेलू काम के लिए 15 वर्षीया एक नाबालिग नौकरानी को रखा था। उसे एक भाई-बहन ने निशाद के घर काम पर रखवाया था। नाबालिग मूलतः तंजावुर की थी। लड़की अपनी विधवा माँ को सहारा देने के लिए घरेलू कामकाज करती थी।
बताया जा रहा है कि 35 वर्षीय मोहम्मद निशाद और 30 साल की उसकी बीवी अपनी नौकरानी को कई दिनों से प्रताड़ित कर रहे थे। आरोप है कि करीब डेढ़ साल पहले लाई गई किशोरी को निशाद और उसकी बीवी अक्सर पीटते थे। कई बार उसे सिगरेट और लोहे के तवे से जलाया था। उसके गले पर भी घोंटने के निशान मिले हैं। 31 अक्टूबर को फ्लैट के बाथरूम में शव मिला था।
पुलिस के अनुसार, दिवाली के दिन उसे मृतका को बेरहमी से पीटा गया था। जब वह बाथरूम में गई और वहीँ उसकी मौत हो गई। पीड़िता की मौत के बाद मोहम्मद निशाद और उसकी बीवी नसिया घर को बंद करके भाग गए और दोस्त के यहाँ छिप गए। कहा जा रहा है कि मौत की जानकारी पुलिस को आरोपितों के वकील ने दी थी। पुलिस फौरन मौके पर पहुँची और लाश को कब्ज़े में लिया।
पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए किलपॉक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भेज दिया है। रिपोर्ट आने के बाद किशोरी की प्रताड़ना और उसकी मौत के असली कारणों का खुलासा होगा। पुलिस ने व्यवसायी मोहम्मद निशाद और उसकी बीवी नसिया को खोज कर गिरफ्तार कर लिया है। इनके अलावा 4 अन्य संदिग्धों को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।
हिरासत में लिए गए लोगों में लड़की को काम रखवाने वाले भाई-बहन और निशाद के पति-पत्नी दोस्त हैं, जिनके घर वह छिपा था। पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के साथ-साथ पॉक्सो एक्ट में भी मामला दर्ज कर लिया है। भारतीय महिलाओं के राष्ट्रीय महासंघ ने आरोप लगाया कि दीपावली के दिन घर के काम ठीक से करने के बावजूद पिटाई की गई।
आम आदमी पार्टी (AAP) के मुखिया और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली की जनता को सलाह दी है कि वह बिजली और पानी के बिल ना भरें। उन्होंने वादा किया कि वह जब चुनाव में जीतेंगे तो इन बिलों को माफ़ कर देंगे। केजरीवाल ने माना कि दिल्ली में अब लोगों को बढ़े हुए बिजली और पानी के बिल मिल रहे हैं।
शनिवार (2 नवम्बर, 2024) को दिल्ली के संजय गाँधी ट्रांसपोर्ट नगर में केजरीवाल ने यह सलाह जनता को दी। वह यहाँ एक रैली को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, “हाल ही में जब मैं जेल में था तो मैंने सुना कि तो उन्होंने मेरी पीठ पीछे कुछ गड़बड़ की और आपको फिर से भारी-भरकम पानी का बिल भेज दिया। कई लोगों को गलत और बढ़ा हुआ बिल मिला है।”
इसके बाद केजरीवाल ने कहा, “जिन लोगों को पानी के गलत बिल मिले हैं, उन्हें भरने की जरूरत नहीं है। बस फरवरी में मेरी सरकार एक बार फिर से बन जाए, मैं सबके पानी के बिल माफ कर दूँगा और आपको पहले की तरह ही पानी के बिल जीरो मिलने लगेंगे।”
जहाँ एक ओर केजरीवाल वादा कर रहे हैं कि वह पानी के बढ़े हुए बिल माफ़ कर देंगे, वहीं दूसरी तरफ यह बिल भेजे भी उन्हीं की सरकार ने ही हैं। यह समस्या लम्बे समय से चली आ रही है। वह अपनी ही सरकार द्वारा पैदा की गई समस्या से लड़ने को अब ‘मास्टरस्ट्रोक’ घोषित करना चाहते हैं।
केजरीवाल की यह घोषणा उनके पुराने क़दमों के भी विपरीत जा रही है। जहाँ अब वह बिल भरने से मना कर रहे हैं तो वहीं उनकी ही सरकार ने फरवरी, 2024 में बकाया बिल वसूलने को वन टाइम सेटलमेंट स्कीम की घोषणा की थी। इसके अंतर्गत बढ़े हुए बिल वसूले जाने थे।
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि दिल्ली के 10 लाख से अधिक परिवार बढ़े हुए पानी के बिल से परेशान हैं। यह बढ़ा हुआ बिल तब आया है जब केजरीवाल सरकार लोगों को मुफ्त पानी देने का दावा करती है और इसको हर बार चुनावी घोषणापत्र में भी जगह देती है।
केजरीवाल ने दिल्ली के भीतर पानी के बिल जीरो करने का वादा तो कर दिया है, लेकिन उन्होंने इस बीच यह नहीं बताया है कि इससे दिल्ली जल बोर्ड और भी घाटे में जाएगा। दिल्ली जल बोर्ड वर्तमान में ₹3000 करोड़ से अधिक के घाटे में हैं।
भाजपा ने केजरीवाल के इस वादे पर हमला बोला है। भाजपा ने पूछा है कि आखिर किसने यह बिल बढ़ाए हैं। भाजपा दिल्ली अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है कि AAP सरकार में दिल्ली की स्थित बदहाल है और लोग त्यौहार के दिन भी बिजली नहीं पा रहे हैं।