Wednesday, November 20, 2024
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मदरसे में 20 बच्चों से कारी ने किया कुकर्म, पीड़ित नाबालिगों ने वीडियो बना मदद की लगाई गुहार: परिजनों को करना पड़ा समझौता, पाकिस्तान का मामला

पाकिस्तान के रावलपिंडी में एक मदरसे के अंदर दीनी तालीम ले रहे 20 नाबालिग बच्चों से कुकर्म का मामला सामने आया है। आरोप मदरसे के कारी (पढ़ाने वाला) जफर पर लगा है। कारी की तरफ से इन बच्चों को किसी से बताने पर मारने की धमकी भी दी गई। पीड़ित बच्चों के अभिभावकों के साथ एक समझौते के तहत मदरसा मैनेजमेंट ने कारी को निकाल दिया।

मामला रावलपिंडी के नाला मुसलमाना इलाके का है। यहाँ मुस्लिमों की बरेलवी विचारधारा वाला मदरसा जामिया फैजान-ए-खुशबू-ए-मदीना है। यहाँ के कुछ छात्रों ने 16 अक्टूबर 2024 को अपना सामूहिक वीडियो वायरल किया। 1 मिनट 1 सेकेंड के इस वीडियो की शुरुआत में एक छात्र ने आरोप लगाया कि उनके साथ मदरसे के अंदर कारी गलत हरकत करते हैं।

उसने बताया कि इस हरकत एक विरोध करने और किसी से बताने पर मारने की धमकी दी जाती है। कारी की करतूत से छात्रों ने मदरसे में जाना ही छोड़ दिया था। पीड़ित छात्र ने आगे बताया कि आरोपित कारी पहले इसी मदरसे का छात्र था, जिसे पढ़ाने के लिए अब नियुक्त कर दिया गया है।

जब पीड़ितों ने कारी की इस करतूत की शिकायत मदरसा मैनेजमेंट से की तो उन पर कोई असर नहीं पड़ा। वीडियो में पीछे दिख रहे अन्य छात्रों ने भी इन आरोपों पर हाँ में हाँ मिलाई। सभी ने एकजुट होकर कारी जफर पर कार्रवाई की माँग की है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर अब तक वायरल हो रहा है।

वायरल के वीडियो होने और पुलिस की किरकिरी होने के बाद आखिरकार इसका संज्ञान पाकिस्तानी पुलिस ने लिया है। पुलिस ने गुरुवार (17 अक्टूबर) को सभी बच्चों को मदरसे के मैनेजमेंट कमेटी के सदस्यों के सामने बुलवाया गया। अंत में सर्वसम्मति से कारी जफर को नौकरी से निकालने का निर्णय लिया गया।

मदरसे बच्चों के साथ उनके अभिभावकों ने भी कारी को मदरसे से निकालने पर अपनी सहमति दे दी। पीड़ितों के परिजनों ने मदरसा मैनेजमेंट के साथ लिखित समझौता कर लिया है। उन्होंने बताया कि वो आगे कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं। फ़िलहाल पीड़ित छात्र का वीडियो अब तक सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

गुलामुद्दीन ने बीवी आबिदा संग मिल अनीता को घर बुलाया, शरबत में बेहोशी की दवा मिला पिलाई: मांस काटने वाले चाकू से किए टुकड़े-टुकड़े, कर्ज उतारने के लिए हिंदू महिला की हत्या

राजस्थान के जोधपुर में 50 वर्षीया अनीता चौधरी नाम की महिला की हत्या करने के आरोपित आबिदा परवीन को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, उसके फरार शौहर गुलामुद्दीन की तलाश जारी है। इस बीच मृतका के पति और मृतका के पार्लर में काम करने वाली महिला के बीच बातचीत का ऑडियो सामने आया है। इसके कारण केस उलझता जा रहा है। वहीं, पुलिस करीब डेढ़ दर्जन लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है।

शव का अभी तक पोस्टमार्टम नहीं हुआ है। इससे मौत की वजह का पता नहीं चल पाया है। ना ही मृतका का मोबाइल मिला है। वहीं, एक रिपोर्ट में बताया कि अनीता का शव जिन कपड़ों में बरामद हुआ है, वो पार्लर के सीसीटीवी में ऑटो रिक्शा में बैठने के दौरान नजर आ रहे कपड़ों से अलग हैं। अब सवाल ये भी है कि जिस घटना को लूट बताया जा रहा है, उसमें मृतका का कपड़े कैसे चेंज हो गए। 

कहा जा रहा है कि गुलामुद्दीन और उसकी बीवी आबिदा ने अनीता चौधरी के गहने बेचकर 12 लाख रुपयों का कर्ज उतारने के लिए उसकी हत्या कर दी थी। हत्या से पहले मृतका को शर्बत पिलाकर बेहोश किया गया था। इसके बाद हत्या करके उसकी लाश को 6 टुकड़ों में काटकर दफना दिया गया था। पुलिस ने आबिदा को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि फरार गुलमुद्दीन की तलाश जारी है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मामला जोधपुर के पश्चिमी इलाके की है। यहाँ सरदारपुरा सी रोड पर 50 वर्षीया अनीता चौधरी अपने पति मनमोहन चौधरी के साथ रहती थी। अनीता ब्यूटी पॉर्लर चलाती थी। 26 अक्टूबर की दोपहर 12 बजे अनीता ने अपने पति से बात की। इसके बाद वो लापता हो गई। पति ने फोन किया तो उसका फोन भी बंद आने लगा।

काफी खोजबीन के बाद भी जब अनीता नहीं मिली तो मनमोहन चौधरी ने अगले दिन पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई। इसके बाद पुलिस ने अनीता चौधरी की खोजबीन शुरू की। एक CCTV फुटेज में घटना के दिन दोपहर ढाई बजे के आसपास अनीता टैक्सी में बैठकर जाती दिखी। टैक्सी वाले से पूछताछ हुई तो उसने बताया कि अनीता गुलमुद्दीन के गंगाना स्थित घर उतरी थी।

42 वर्षीय गुलमुद्दीन उर्फ़ गुल मोहम्मद की अनीता के पॉर्लर के सामने ही स्टार ड्राई क्लीन नाम से दुकान है। दोनों के बीच लगभग 25 साल पुरानी जान-पहचान थी। पुलिस 30 अक्टूबर को यहाँ पहुँची तो घर पर गुलमुद्दीन की बीवी आबिदा मिली। शुरुआती पूछताछ में आनाकानी करने के बाद आखिरकार आबिदा ने शौहर के साथ मिलकर अनीता की हत्या का गुनाह कबूल कर लिया।

आबिदा ने बताया कि उसके शौहर गुलामुद्दीन को जुआ और ऑनलाइन गेमिंग की लत है। उसने हाल ही में मकान भी खरीदा था। इन सबके कारण उस पर 12 लाख रुपए का कर्ज हो गया है। गुलमुद्दीन अनीता चौधरी को अक्सर महँगे गहनों में देखता था। ऐसे में उसने अनीता को मारकर गहने हड़पने की साजिश रची। इस साजिश में उसकी बीवी आबिदा भी शामिल हो गई।

तय प्लान के मुताबिक दोनों ने अनीता को अपने घर पर बुलाया। वहाँ उसे पीने के लिए शर्बत दिया गया। इस शर्बत में बेहोशी की दवा डाल दी गई थी, जिसको पीने के बाद अनीता बेहोश हो गई। बेहोशी की हालत में मियाँ-बीवी ने मिलकर अनीता को मार डाला। दोनों ने अनीता की लाश से सारी ज्वैलरी उतार ली और लाश को ठिकाने लगाने की तरकीब सोचने लगे।

इसके बाद दोनों मांस काटने वाले चाकू से शव को 6 टुकड़ों में काटा। शव के हाथ, पैर और सिर को धड़ से अलग कर दिया। इसके बाद इन मानव अंगों को बोरे में भर लगभग घर के पास में ही 10 फीट गड्ढा खोदकर उसमें दफना दिया। यह गड्ढा गुलमुद्दीन के घर के बाहर है। इस बीच अनीता चौधरी के घर नहीं पहुँचने पर परिजनों ने तलाश शुरू कर दी।

पहले से ही रची गई थी साजिश

पुलिस की पूछताछ में आबिदा ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है। इस साजिश के तहत JCB मशीन से गुलमुद्दीन के घर के आगे 10 फ़ीट गड्ढा पहले से खोदवा दिया गया था। शव के टुकड़े करने के लिए बाजार से मांस काटने वाला चाकू भी पहले से मँगवा लिया गया था। गड्ढे से लाश की बदबू ना आए, इसके लिए इत्र की शीशियाँ भी उसने खरीदकर लाश पर छिड़क दी थी।

पुलिस ने अनीता की एक अंगूठी आबिदा के पास से बरामद की है। अनीता की मोबाइल को आरोपितों ने गायब कर दिया है, जिसकी खोजबीन जारी है। फरार गुलमुद्दीन की तलाश में पुलिस लगातार दबिश दे रही है। अनीता के पति द्वारा हत्या का केस दर्ज करवाया गया है, जिसमें गुलमुद्दीन फारुकी और उसकी बीवी आबिदा के साथ तैयब अंसारी नाम के व्यक्ति को भी नामजद किया गया है।

सर्व समाज के साथ धरने पर परिजन

अनीता के परिजनों ने अभी तक शव नहीं उठाया है। इसका पोस्टमार्टम भी नहीं हुआ है। तेजाजी मंदिर में धरने पर बैठे हैं। वहाँ हिन्दू संगठनों के लोग भी मौजूद हैं। इस धरने को सर्व समाज का समर्थन भी मिल रहा है। इन लोगों की माँग है कि पूरे प्रकरण की हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से जाँच करवाई जाए। इसी के साथ मृतका के बेटे को सरकारी नौकरी के साथ परिजनों को 1 करोड़ रुपए का मुआवजा भी मिले।

अनीता के पति मनमोहन और अनीता के पार्लर में काम करने वाली सुनीता उर्फ सुमन सेन के बीच बातचीत का एक ऑडियो वायरल हो रहा है। इसमें सुनीता किसी अंसारी का नाम ले रही है। अंसारी को केस में नामजद तैयब अंसारी माना जा रहा है। इसमें सुनीता अपनी जान खतरे में बताती है और कई लोगों के नाम भी लेती है। हालाँकि, ऑपइंडिया इस ऑडियो की पुष्टि नहीं करता।

रिपोर्ट के मुताबिक, सुनीता ने मनमोहन से कहा था कि तैयब अंसारी उसको मार सकता है। शव मिलने से पहले की इस बातचीत में सुनीता ने मनमोहन से कहा था, “तैयब दीदी (अनीता) को निपटा दिया होगा। अब मैं अंसारी को फोन करूंगी तो चार दिन के अंदर वह मुझे भी मरवा देगा।” मृतक अनीता के पति ने ऑडियो की पुष्टि की है। अब इस मामले में कई मोड़ आ गए हैं।

बाज नहीं आ रही जस्टिन ट्रूडो की सरकार, भारतीय राजनयिकों की ऑडियो-वीडियो निगरानी: कूटनीतिक प्रोटोकॉल के उल्लंघन पर कनाडा को लताड़

भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक तनाव चरम पर है। इस बीच भारत ने कनाडा पर आरोप लगाया है कि वह भारतीय राजनयिकों और वाणिज्य दूतावास अधिकारियों की निगरानी, उत्पीड़न और जासूसी कर रहा है।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शनिवार (2 नंबर 2024) को इस मुद्दे पर बयान दिया, जिसमें कहा गया कि कनाडाई सरकार ने न केवल भारतीय राजनयिकों की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग की, बल्कि उनके संचार को भी इंटरसेप्ट किया है। उन्होंने इसे ‘अत्यंत गंभीर’ मुद्दा बताया और कहा कि यह सभी कूटनीतिक प्रोटोकॉल का उल्लंघन है।

रणधीर जायसवाल ने बताया कि कनाडाई अधिकारियों ने भारतीय राजनयिकों को हाल ही में सूचित किया कि वे लगातार निगरानी में हैं। भारत ने इसे ‘उत्पीड़न’ करार देते हुए कहा कि इन हरकतों का उद्देश्य राजनयिकों को डराना और उनके कामों में बाधा डालना है। विदेश मंत्रालय ने कनाडा की इस हरकत की कड़ी निंदा की और इसे अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक नियमों के खिलाफ बताया।

भारत का कहना है कि कनाडा की सरकार तकनीकी का सहारा लेकर अपनी इस हरकत को जायज ठहराने की कोशिश कर रही है। जायसवाल ने कहा, “हमारे कूटनीतिक और वाणिज्य दूतावास के अधिकारी पहले से ही चरमपंथ और हिंसा के वातावरण में काम कर रहे हैं, ऐसे में उन पर इस तरह की निगरानी और जासूसी का सीधा मतलब उनका उत्पीड़न है।”

इस विवाद की जड़ कनाडा के उपविदेश मंत्री डेविड मॉरिसन का बयान है, जिसमें उन्होंने भारतीय गृह मंत्री अमित शाह को लेकर भी टिप्पणी की थी। भारत ने इसे ‘बेहद बेतुका’ और ‘निराधार’ बताते हुए कड़े शब्दों में विरोध जताया और कहा कि ऐसी टिप्पणियों से द्विपक्षीय संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ेगा।

पिछले महीने कनाडा ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारतीय राजनयिकों को ‘जाँच के दायरे’ में बताते हुए उन पर नजर रखने का संकेत दिया था। इसके बाद भारत ने अपने उच्चायुक्त और अन्य प्रमुख राजनयिकों को कनाडा से वापस बुला लिया था। कनाडा ने भी जवाबी कदम उठाते हुए कई भारतीय राजनयिकों को निष्कासित किया, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया।

युवती को जबरन हिजाब पहनाना चाहता था ईरान का कठमुल्ला शासन, ब्रा-पैंटी में पूरी यूनिवर्सिटी घूमी: Video वायरल होने के बाद बता रहे ‘मानसिक बीमार’

ईरान के एक विश्वविद्यालय के भीतर एक महिला ने अपने कपड़े उतार कर विरोध किया। महिला ने अपने अंडरगारमेंट छोड़ कर सब कुछ उतार दिया और विश्वविद्यालय में घूमती रही। महिला की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। दावा है कि यह कदम महिला ने हिजाब पहनने के दबाव के विरोध में उठाया।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राजधानी तेहरान के आजाद इस्लामिक विश्वविद्यालय में शनिवार (2 नवम्बर, 2024) को एक छात्रा ने यह कदम उठाया। बताया गया कि महिला पर ईरान की पुलिस ने हिजाब पहनने का दबाव डाला था। इसके बाद वह इन पुलिसकर्मियों से भिड गई।

इसके बाद महिला ने अपने कपड़े उतार दिए। वह केवल अंडरगारमेंट में रह गई। उसने इसी अवस्था में पूरे विश्वविद्यालय परिसर के चक्कर काटे। इस दौरान बाकी छात्र-छात्राएँ उसकी फोटो वीडियो बनाते रहे। महिला ने एक जगह पर बैठ कर विरोध प्रदर्शन भी किया।

उसकी कई फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं। एक वीडियो में महिला को अंडरगारमेंट में एक सीमेंट के स्लैब पर बैठे हुए देखा जा सकता है। वह इस दौरान कुछ लोगों से बहस कर रही है। उसके आसपास कई लोग इकट्ठे हैं और देख रहे हैं।

एक अन्य वीडियो में वह विश्वविद्यालय परिसर में घूमती हुई दिखाई पड़ती है। इस बीच वह कपड़े फाड़ती है। उसका वीडियो बना रहे लड़के-लडकियाँ आश्चर्य में शोर मचाते हुए भी दिखते हैं। महिला की पहचान नहीं हो पाई है।

महिला को इस विरोध प्रदर्शन के बाद गार्ड एक गाड़ी में उठा ले गए। विश्वविद्यालय ने कहा है कि महिला मानसिक तौर पर बीमार है इसलिए उसने यह कदम उठाया। विश्वविद्यालय ने बताया है कि महिला को पुलिस ले गई और उसे अब इलाज के लिए भर्ती करवाया गया है।

वहीं सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा है कि महिला ने यह ईरान के मुल्लों की कट्टरपंथी सरकार का विरोध करने के लिए उठाया और अब उसकी विश्वसनीयता खत्म करने को उसे मानसिक तौर पर बीमार बताया जा रहा है। ईरान में महिला अधिकारों के लिए बोलने वालों ने दावा किया है कि महिला के साथ इसके बाद ज्यादती की गई है और वह कोमा में है।

गौरतलब है कि ईरान में महिलाओं के हिजाब और पहनावे को लेकर काफी कड़े नियम हैं। ईरान में महिलाओं को हिजाब पहनने पर मजबूर करने के लिए यहाँ सड़कों पर पुलिस घूमती रहती है। महिलाएँ इसका लम्बे समय से विरोध करती रही हैं। 2022 में ऐसे ही एक मामले में पुलिस ने नाबालिग को मार दिया था। इसके बाद ईरान में काफी प्रदर्शन हुए थे।

दमन के खिलाफ सड़कों पर उतरे बांग्लादेश के हिंदू, चटगाँव में 30 हजार लोगों की रैली: शेख हसीना के जाने के बाद से निशाने पर, सुरक्षा देने में अंतरिम सरकार नाकाम

बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों और उत्पीड़न की घटनाओं में हाल के महीनों में तेजी से इजाफा हुआ है, जो देश के बदलते सामाजिक और राजनीतिक माहौल का गहरा संकेत देता है। इस बीच, शुक्रवार (1 नवंबर 2024) के बाद शनिवार (2 नवंबर 2024) को भी बाँग्लादेश के चटगाँव में 30,000 से अधिक हिंदू प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर अपनी सुरक्षा की माँग की।

प्रदर्शनकारियों ने सरकार से हिंदू नेताओं पर लगाए गए राजद्रोह के आरोप वापस लेने की भी माँग की। उल्लेखनीय है कि इन आरोपों का सामना 19 हिंदू नेताओं को करना पड़ रहा है, जिनमें से कुछ को गिरफ्तार भी किया गया है। ये आरोप तब लगे जब एक रैली के दौरान एक भगवा झंडा बांग्लादेश के झंडे के ऊपर फहराने की घटना हुई, जिसे सरकारी ध्वज का अपमान माना गया। हालाँकि हिंदू नेताओं का कहना है कि ये आरोप झूठे हैं और उनका उद्देश्य केवल समुदाय को डराना है।

शेख हसीना के खिलाफ प्रदर्शन के बाद जातीय पार्टी और उसके समर्थकों पर भी हमले बढ़े हैं। जातीय पार्टी का मुख्यालय हाल ही में उपद्रवियों द्वारा आग के हवाले कर दिया गया, जिसके बाद पार्टी प्रमुख जीएम क़ादिर ने हिंसा की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि जातीय पार्टी अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण रैली जारी रखेगी, भले ही इसके लिए उनके समर्थकों को खतरा झेलना पड़े।

बता दें कि प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने और एक इस्लामी कट्टरपंथी समर्थित अंतरिम सरकार के गठन के बाद से हिंदू, बौद्ध और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा एक बड़े मुद्दे के रूप में उभरी है। बांग्लादेश में लगभग 170 मिलियन की आबादी है, जिसमें 91% मुस्लिम और मात्र 8% हिंदू हैं।

हालाँकि इस्लामिक कट्टरपंथी ताकतों के प्रभाव में बढ़ोतरी से हिंदू समुदाय की संख्या में तेजी से गिरावट आ रही है, जो चिंता का विषय है। इस बीच, यूनुस सरकार ने इस्लामिक कट्टरपंथियों को कानूनी कवच दे दिया है। शेख हसीना सरकार को गिराने वाले प्रदर्शनों और हिंदुओं को निशाना बनाने वाले मामलों में ऐसे कट्टरपंथियों पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी।

हिंदू अल्पसंख्यकों की घटती जनसंख्या, उनके धार्मिक स्थलों और संपत्तियों पर हमलों की घटनाएँ बांग्लादेश में एक बड़े संकट का संकेत देती हैं। नए इस्लामी कट्टरपंथी सरकार के अधीन स्थिति और भी विकट हो रही है, क्योंकि ये ताकतें देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा दे रही हैं और उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई भी नहीं कर रही है।

हाथों में सारंगी, तन पर गेरुआ वस्त्र… साधु बन भीख माँगते पकड़े गए सोहराब, नियाज और शहजाद: खुद को गोरखनाथ मठ से बता रहे थे, गंगाजल पीने को नहीं थे तैयार

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में लोगों ने शुक्रवार (1 नवंबर 2024) को गेरुआ वस्त्र पहनकर साधु वेश में भीख माँगते हुए तीन मुस्लिमों को पकड़ा है। तीनों को पुलिस के हवाले कर दिया गया है। पुलिस ने इन पर FIR दर्ज करके गिरफ्तार कर लिया है। इनके नाम सोहराब, शहज़ाद खान और नियाज़ हैं। तीनों पड़ोसी जिले मऊ के रहने वाले हैं।

जब स्थानीय लोगों ने इनसे ऐसा करने के बारे में पूछा तो इन्होंने बताया कि ये उनका खानदानी पेशा है। यही हरकत उनके बाप-दादा भी करते आए हैं। इस स्थानीय हिंदुओं ने इन साधु वेशधारियों से गंगाजल पीने के लिए कहा। हालाँकि, तीनों ने गंगाजल पीने से साफ इनकार कर दिया। इसके बाद लोगों ने पुलिस को सूचित करके तीनों को उसके हवाले कर दिया।

मामला गाजीपुर के थाना क्षेत्र कासिमाबाद का है। शुक्रवार को शिवकुमार गुप्ता ने पुलिस में तहरीर देकर बताया कि 1 नवंबर को वो अपने घर पर मौजूद थे, तभी गेरुआ वस्त्रों में साधु वेश बनाकर तीन लोग उनके पास भीख माँगने आए। जब शिवकुमार ने जब इनके नाम-पूछे तो ये तीनों आनाकानी करने लगे। इन तीनों ने खुद को गोरखनाथ मंदिर से जुड़ा योगी बताया।

हालाँकि, इनके हावभाव को देखकर शिवकुमार और अन्य लोगों को इन पर शक गहरा गया। जोर देकर पूछने पर तीनों ने कबूल किया कि वो मुस्लिम हैं। इन्होंने अपने नाम सोहराब, नियाज़ और शहजाद खान बताए। ये सभी पड़ोसी जिले मऊ के थाना क्षेत्र दोहरीघाट में पड़ने वाले गाँव अतरसांवा के रहने वाले हैं।

पूछताछ के दौरान इन सभी ने शिवकुमार गुप्ता से विवाद भी किया और उत्तेजना में कहा, “तुम कौन होते हो पूछने वाले।” शिवकुमार तीनों को थाने ले जाने की कोशिश कर रहे थे तो वो झगड़ना शुरू कर दिए।शिकायतकर्ता ने इन नियाज़, सोहराब और शहज़ाद को बहरूपिया बताते हुए कार्रवाई की माँग की है। उन्होंने अपने साथ भविष्य में किसी अनहोनी की भी आशंका जताई है।

पुलिस ने तीनों आरोपितों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज कर ली है। यह केस भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 319 (1) के तहत दर्ज हुआ है। ऑपइंडिया के पास FIR कॉपी मौजूद है। डिप्टी एसपी कासिमाबाद के मुताबिक, तीनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया है। मामले में जाँच व अन्य जरूरी कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में सोहराब, कासिम और नियाज़ अपना गुनाह कबूल करते दिखाई दे रहे हैं। लोग उन पर हिन्दू साधु-संतों को बदनाम करने का आरोप लगा रहे हैं। जवाब में तीनों ने कहा कि गेरुआ कपड़ों में सिर्फ वही नहीं, उनके बाप-दादा भी भीख माँगकर गुजारा किए हैं। तीनों ने मजदूरी करके कमाने-खाने की नसीहत को भी टाल दिया।

बांधवगढ़ में एक के बाद एक 10 हाथी मरे मिले, क्या मध्य प्रदेश में इंसानों को मारकर बदला ले रहे हैं उनके साथी: जानिए क्या है मामला, कितनी मौतें अब तक

मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में हाथियों ने 2 लोगों पर हमला करके उनकी जान ले ली। एक युवक को गाँव वालों के सामने पटक पटक कर घायल कर दिया। यह घटना बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व से जुड़े इलाके में हुई है। घटना से कुछ दिन पहले ही यहाँ 10 हाथियों की रहस्यमयी तरीके से मौत हो चुकी है। हाथी के हमले से प्रभवित लोग इसे बदला मान रहे हैं। हमले के बाद सीएम मोहन यादव ने एक टीम भी बाँधवगढ़ भेजी है। मामले में वन विभाग भी खाली हाथ है, कोई स्पष्ट कारण समझ नहीं आ रहा है।

2 को मारा, 1 को किया घायल

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यहाँ के चंदिया क्षेत्र में शनिवार (2 नवम्बर, 2024) को बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व के भीतर से आए तीन हाथियों ने रामरतन यादव की हत्या कर दी। रामरतन यादव सुबह अपने खेतों की तरफ गए हुए थे। उनको हाथी ने काफी दूर तक खींचा और मार दिया। उनका शव उनके बेटे को मिला।

पास में खड़े लोगों ने जानकारी दी कि रामरतन यादव को हाथियों ने मार दिया है। वहीं पास के ही इलाके के भैरव कोल की हत्या भी हाथियों ने कर दी। भैरव कोल भी अपने खेतों की तरफ जा रहे थे, इसी दौरान उन पर हाथियों ने हमला किया और हत्या कर दी।

दोनों को मारने के अलावा हाथी और भी लोगों पर हमलावर हुए। यहीं के एक गाँव में फसल काट रहे लोगों पर हाथियों ने हमला कर दिया। हाथियों ने सचिन नाम के एक युवक को उठा लिया और उसे पटक पटक कर घायल कर दिया। गाँव वालों ने किसी तरह हाथियों को जंगल की तरफ वापस भेजा।

हमले में सचिन की हड्डियाँ टूट गई हैं और उसका इलाज चल रहा है। गाँव वाले अब हाथियों के आतंक के कारण फसल भी नहीं काट पा रहे। वहीं हाथी फसल बर्बाद करने में जुटे हुए हैं। गाँव वालों ने बताया है कि हमला करने वाले हाथियों की संख्या तीन है।

10 हाथियों की हुई है मौत

हाथियों के हमले का यह सिलसिला दिवाली के समय से चालू हुआ। यहाँ 29 अक्टूबर के दिन से हाथियों की मौत चालू हो गई। यह मौतें चंदिया के पास के गाँव सलखनिया में होनी चालू हुई थी। 29 अक्टूबर को 4 जबकि 30 अक्टूबर को भी 4 की मौत हुई। बाकी हाथी वन विभाग को बीमार मिले। इलाज चालू हुआ लेकिन 31 अक्टूबर आते-आते 2 और ने दम तोड़ दिया।

इस तरह मरने वाले हाथियों की संख्या 10 पहुँच गई। एक हाथी को वन विभाग बीमारी से ठीक करने में कामयाब रहा। हाथियों की मौत का कारण स्पष्ट नहीं हुआ है लेकिन स्थानीय प्रशासन का दावा है कि यह मौतें पास के गाँव में लगाई जाने वाली कोदों की फसल खा कर हुई हैं। दावा है कि हाथियों ने ज्यादा फसल खा ली और इससे उनकी तबियत बिगड़ गई।

गाँव वालों ने बताया- हाथी बदला ले रहे

गाँव वालों का दावा है कि हमला करने वाले 3 हाथी, उसी झुंड का हिस्सा हैं जिसके बाकी 10 हाथियों की रहस्यमयी तरीके से मौत हुई है। समाचार पत्र दैनिक भास्कर को गाँव के लोगों ने बताया है कि उन्होंने पहली बार हाथियों को रौद्र रूप में देखा है। हाथी इससे पहले कभी भी बेकाबू नहीं हुए हैं।

गाँव के लोगों का कहना है कि इससे पहले हाथी उनके गाँव की सीमा तक आते थे लेकिन इंसानों पर हमला नहीं करते थे। हालाँकि, वह वह लोगों को निशाना बना रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हाथी इससे पहले फसल खराब किया करते थे। उन्होंने कई बार पूरी पूरी फसल तबाह की है लेकिन यह रूप पहली बार दिखा है।

गाँव के कुछ लोगों का दावा है कि अपने साथियों की मौत के बाद हाथी परेशान इसलिए हमला कर रहे हैं। कुछ लोगों ने यह भी कहा है कि जो हाथी हमला कर रहे हैं, उन्होंने भी वह जहरीला पदार्थ खाया है, जिससे बाकी हाथी मारे गए हैं। ऐसे में उनका संतुलन बिगड़ गया है। अब गाँव वाले बाहर निकलने में भी डर रहे हैं।

CM ने टीम भेजी, रिपोर्ट आना बाकी

हाथियों के हमले में हुई मौतों के बाद राज्य के CM मोहन यादव ने एक आपातकालीन बैठक बुला कर एक टीम बाँधवगढ़ भेजी है। दो सदस्यीय टीम ने अपनी रिपोर्ट CM को सौंप दी गई है। बताया गया है कि टीम ने भी हाथियों की मौत का कारण प्रथम दृष्टया कोदों की फसल बताया है। टीम हाथियों की मौत के पीछे साजिश की बात नकारी है।

वहीं स्थानीय वन विभाग के अधिकारी कुछ भी बताने से हिचक रहे हैं। स्थानीय वन अधिकारी कुलदीप त्रिपाठी ने बताया है कि उन्हें 2 लोगों के मौत की सूचना मिली थी। हाथियों ने यहाँ हमला किया है। उन्होंने बताया है कि वन विभाग की टीम लगातार काम्बिंग कर रही है और आसपास के गाँवों में मुनादी करवाई जा रही है।

चीन के करीब पहुँची भारतीय वायुसेना, 13700 फीट की ऊँचाई पर एयरफील्ड तैयार: कभी लद्दाख में एयरस्ट्रिप खोलने पर कॉन्ग्रेस की सरकार ने पूछा था- क्यों किया ऐसा?

लद्दाख के न्योमा में भारत का अत्याधुनिक एडवांस लैंडिंग ग्राउंड (ALG) लगभग तैयार है, जो चीन के साथ लगने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास स्थित है। इसे 13,700 फीट की ऊँचाई पर बनाया गया है, और इसमें 3 किलोमीटर लंबा रनवे है, जो आपातकालीन परिस्थितियों में तुरंत इस्तेमाल किया जा सकता है।

मोदी सरकार द्वारा ये प्रोजेक्ट साल 2021 में शुरू हुआ था और इसके लिए सरकार ने 214 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था। इस एएलजी के तैयार होने से भारतीय सुरक्षा बलों को उत्तरी सीमा पर त्वरित रूप से पहुँचने में सहायता मिलेगी।

न्योमा एएलजी की स्टेटजिक लोकेशन बनाती है इसे खास

लद्दाख में न्योमा ALG का लोकेशन इसे सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाता है। यह LAC के सबसे नजदीक स्थित हवाई अड्डा है, जो कठिन पर्वतीय क्षेत्रों में भारतीय वायुसेना को सीधी पहुँच प्रदान करेगा। भारत-चीन तनाव के दौरान, इस तरह के इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। हाल के वर्षों में गलवान की घटना के बाद से भारत-चीन के बीच विवादित क्षेत्रों में अक्सर तनाव बना रहता है। इस नई एयरस्ट्रिप के जरिए भारत अपनी सामरिक और लॉजिस्टिक क्षमताओं को काफी हद तक बढ़ा सकता है, क्योंकि एलएसी से इसकी दूरी महज 30 किमी है।

दौलत बेग ओल्डी के लिए सरकार से छिपाकर वायुसेना ने किया था काम

इससे पहले, एक अन्य एयरस्ट्रिप दौलत बेग ओल्डी (DBO) को 2008 में बिना सरकारी अनुमति के दोबारा शुरू किया गया था। ये हवाई पट्टी 16,614 फीट की ऊँचाई पर स्थित है और इसे भी एडवांस लैंडिंग ग्राउंड के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। 43 साल तक बंद रहने के बाद वायुसेना के उस समय के उप प्रमुख एयर मार्शल पीके बारबोरा ने इसे पुनः चालू कराया था।

साल 2020 में पीके बारबोरा ने बताया था कि इस मिशन को पूरी तरह सीक्रेट रखा गया था, और तत्कालीन रक्षा मंत्री को भी मिशन के पूरा होने के बाद ही इसकी जानकारी दी गई थी। बारबोरा ने बताया कि अगर उन्होंने सरकार से लिखित अनुमति माँगी होती, तो कई बार की तरह उनकी इस योजना को भी रोका जा सकता था। इसलिए उन्होंने अपने समकक्ष अधिकारियों से बात करके, और बिना किसी लिखित आदेश के, दौलत बेग ओल्डी को फिर से चालू करने का निर्णय लिया।

इस बार सरकार ने खुलकर किया वायुसेना का सहयोग

इस बार न्योमा एएलजी की स्थापना में सरकार का पूर्ण समर्थन मिला है। सरकार ने न केवल बजट आवंटित किया बल्कि सेना को पूरी छूट भी दी। हाल ही में भारत और चीन के बीच तनाव के चलते, भारत ने अपनी सीमाओं पर बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने के लिए तेजी से काम किया है। यह रणनीति दिखाती है कि भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर है और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई के लिए तैयार है।

सेना के साथ ही नागरिकों को भी होगा फायदा

न्योमा एएलजी के चालू होने से भारत की LAC पर ऑपरेशनल क्षमता में भारी इजाफा होगा। सेना अब ऊँचे और दुर्गम इलाकों में त्वरित रूप से पहुँच सकती है। इसके अलावा, इस एएलजी से नागरिक क्षेत्रों में भी कनेक्टिविटी सुधरेगी, जिससे स्थानीय निवासियों के जीवन स्तर में सुधार आएगा। स्थानीय स्तर पर यात्राओं के लिए इस हवाई पट्टी का इस्तेमाल किया जा सकेगा, जिससे आपूर्ति और अन्य जरूरतों को समय पर पूरा किया जा सकेगा।

‘कार्यकर्ताओं के कहने पर गई मंदिर, पूजा-पाठ नहीं की’ : फतवा जारी होते ही सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी ने की तौबा, पार्टी वाले वीडियो शेयर कर बता रहे थे सेकुलरिज्म की मिसाल

समाजवादी पार्टी की नेत्री और कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट से प्रत्याशी नसीम सोलंकी के खिलाफ फतवा जारी हुआ है। यह फतवा एक मंदिर में उनके द्वारा पूजा-अर्चना करने के बाद जारी हुआ है। फतवे में बुतपरस्ती को इस्लाम में हराम बताते हुए नसीम सोलंकी से तौबा करने के लिए कहा गया है। यह फतवा बरेली के मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने शुक्रवार (1 नवंबर 2024) को जारी किया है। हालाँकि फतवा जारी होने के बाद सपा प्रत्याशी मंदिर में पूजा करने के समाजवादी पार्टी के तमाम नेताओं के दावों से पलट गईं हैं। उन्होंने कहा कि वो मंदिर में अपने कार्यकर्ताओं के कहने पर गई थीं।

क्या कहा मौलाना ने

फतवा जारी करने के बाद ऑपइंडिया को भेजे गए वीडियो संदेश में मौलाना ने फतवा देने की वजह को विस्तार से बताया है। मौलाना शहाबुद्दीन से किसी ने सवाल किया था कि अगर कोई मुस्लिम महिला मंदिर में पूजापाठ कर रही हो तो उसके बारे में शरीयत क्या कहती है ? मौलाना ने इसके जवाब में कहा, “शरीयत ए इस्लामिया का नजरिया है ला इलाहा इल्लल्लाह मोहम्मद रसूलुल्लाह। नहीं है कोई माबूद सिवाय अल्लाह के। यानी पूजने के लायक सिर्फ खुदा है।”

मौलाना ने अपने बयान में आगे मोहम्मद को अंतिम नबी बताया। उन्होंने आगे कहा, “इस्लाम में मूर्ति पूजा हराम है। कोई भी शख्स महिला हो या पुरुष, अगर वो अपनी मर्जी से, राजी ख़ुशी से पूजा अर्चना या जलभिषेषक करती है, तो उस पर अगर वो जानबूझ कर करती है तो सख्त हुक्म है। अगर वो अनजाने में या किस के दबाव में करती है तो उस पर सिर्फ तौबा का हुक्म है।” मौलाना शहाबुद्दीन ने शिवलिंग पर जल चढ़ाने वाली मुस्लिम महिला को शरीयत की नजर में मुजरिम बताया है।

नसीम सोलंकी को फ़ौरन तौबा करने का फतवा देते हुए शहाबुद्दीन ने आगे कहा कि आइंदा भविष्य में वो दोबारा ऐसा कभी न करें। उन्होंने कहा, “जिस से उसका ईमान, उसका इस्लाम खतरे में पड़ जाए। शहाबुद्दीन की तरफ से सपा कैंडिडेट नसीम सोलंकी को दुबारा से कलमा पढ़ने की भी नसीहत दी गई है। बताते चलें कि अक्सर अपने विवादित बयानों से चर्चा में रहने वाले मौलाना शहाबुद्दीन ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। वो मौलाना के साथ मुफ़्ती भी हैं।

‘मैंने कोई पूजा नहीं की वहाँ, आगे से ध्यान भी रखेंगे’

अपने खिलाफ फतवा आने के बाद नसीम सोलंकी की सफाई भी आ गई। नसीम सोलंकी ने साफ तौर पर कहा कि उन्होंने महादेव के मंदिर में कोई पूजा अर्चना नहीं की थी। बकौल नसीम सोलंकी उनके मंदिर में जाने की वजह बस इतनी थी कि उनके साथ मौजूद कार्यकर्ताओं ने उनसे कह दिया कि आज दीपावली है और वो दीया जला कर लोगों को त्यौहार की शुभकामनाएँ दे दें। खुद के खिलाफ जारी फतवे का सम्मान करते हुए नसीम ने कहा है कि वो आगे से ध्यान रखेंगी।

नसीम सोलंकी ने यह माना कि उनके मज़हब में बुत (मूर्ति) पूजा नहीं होती है। शिवलिंग पर जल चढ़ाने कोई भी नसीम ने अपनी इच्छा नहीं बल्कि कार्यकर्ताओं की सलाह बताया है। उन्होंने कहा कि वो कोई धर्म अपना नहीं रहीं हैं अलबत्ता वो सबका सम्मान करती हैं। नसीम ने भविष्य में गुरूद्वारे और चर्च भी जाने की बात कही है।

वामपंथियौं और समाजवादियों ने बताना चाहा था भाईचारा

भले ही नसीम सोलंकी मंदिर में पूजा करने के तमाम प्रचार से अचानक मुकर गईं लेकिन उस से पहले उनकी शान में कसीदे गढ़े जा चुके थे। वामपंथी और समाजवादी मानसिकता वाले हैंडलों ने समाजवाद को ही देश के विकास का रास्ता बताना शुरू कर दिया था। फ़िलहाल नसीम सोलंकी के मुकर जाने के बाद इन हैंडलों से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

खुद की लगाई आग में जल रही है सपा

इस बीच नसीम सोलंकी के खिलाफ जारी हुए फतवे पर भारतीय जनता पार्टी ने तंज कसा है। भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने मज़हबी कट्टरता की जो आग लगाई थी उसमें वो अब खुद ही जल रही है। बकौल राकेश त्रिपाठी फतवा जारी करने वालों का मनोबल सपा जैसी ही पार्टियों की वजह से बढ़ता है। भाजपा प्रवक्ता ने यह भी कहा कि अब ये समझ लेना चाहिए कि मज़हबी कट्टरता से किसी का भी भला नहीं होने वाला है।

मंदिर का हुआ शुद्धिकरण

नसीम सोलंकी के जाने के बाद तमाम श्रद्धालुओं ने मंदिर का शुद्धिकरण किया। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हुए इस शुद्धिकरण के लिए हरिद्वार से 1 हजार लीटर जल मंगवाया गया। हर हर महादेव के नारों के बीच पुजारी ने सनातन के शत्रुओं के विनाश की कामना की।

बताते चलें कि दीपावली को समाजवादी पार्टी की सीसामऊ से प्रत्याशी नसीम सोलंकी अपने समर्थकों सहित चुनाव प्रचार कर रहीं थीं। इस दौरान वो रास्ते में पड़ने वाले एक मंदिर में रुकी। उन्होंने शिवलिंग पर जल चढ़ाया और वायरल वीडियो में उनको हाथ भी जोड़े देखा गया। हालाँकि फिलहाल नसीम सोलंकी पूजा करने के तमाम सपा नेताओं के दावों से साफ पलट चुकी हैं।

कर्नाटक में ASI की संपत्ति के भी पीछे पड़ा वक्फ बोर्ड, 53 ऐतिहासिक स्मारकों पर दावा: RTI से खुलासा, पहले किसानों की 1500 एकड़ जमीन को बता चुका है अपना

कॉन्ग्रेस-शासित कर्नाटक में वक्फ बोर्ड ने राज्य के 53 ऐतिहासिक स्मारकों पर अपना दावा किया है, जिनमें से 43 स्मारक पहले ही उनके कब्जे में आ चुके हैं। ये स्मारक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अंतर्गत आते हैं और इनमें प्रसिद्ध गोल गुम्बज, इब्राहिम रौजा, बारा कमान और बीदर व कलबुर्गी के किले शामिल हैं। इन 53 स्मारकों में से 43 विजयपुरा में हैं, जो कभी आदिल शाही साम्राज्य की राजधानी था, इसके अलावा 6 हम्पी में और 4 बेंगलुरु सर्कल में मौजूद हैं।

वक्फ बोर्ड का दावा और दस्तावेजी सबूत

डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, विजयपुरा वक्फ बोर्ड ने इन 43 स्मारकों को 2005 में अपना घोषित कर दिया था, जब मोहम्मद मोहसिन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग (मेडिकल एजुकेशन) के प्रधान सचिव थे। मोहसिन ने उस समय वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और विजयपुरा के डिप्टी कमिश्नर का पद भी संभाला था। उनके मुताबिक, राजस्व विभाग ने सरकारी गजट अधिसूचना जारी कर वक्फ बोर्ड के दावे को मान्यता दी थी, जिसमें उन्होंने ‘प्रामाणिक दस्तावेजी सबूत’ पेश किए थे।

वक्फ बोर्ड कथित तौर पर संपत्ति के मालिकाना हक के प्रमाणपत्र का फायदा उठा रहा है, जबकि कानून के अनुसार एक बार ASI के पास किसी संपत्ति का अधिकार आ जाता है तो उसे वापस किसी अन्य के नाम नहीं किया जा सकता।

साल 1958 के प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल (AMASR) अधिनियम और नियमों के तहत ASI द्वारा संरक्षित संपत्ति को किसी अन्य को नहीं सौंपा जा सकता है। ASI के एक अधिकारी ने बताया कि यह कार्यवाही ASI की सहमति के बिना हुई है, जो कि नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। 2012 में एक संयुक्त सर्वेक्षण के दौरान वक्फ बोर्ड अपने दावे के समर्थन में कोई ठोस प्रमाण पेश नहीं कर सका था, और ASI ने पुष्टि की थी कि इन स्मारकों पर कब्जा हो चुका है।

साल 2007 से चल रहे अवैध कब्जे

ASI के अधिकारी का कहना है कि विजयपुरा में 43 स्मारकों को बदलने और उनके साथ छेड़छाड़ करने के लिए उन पर प्लास्टर और सीमेंट का इस्तेमाल किया जा रहा है। इनमें पंखे, एसी, ट्यूबलाइट और टॉयलेट जैसी सुविधाएँ जोड़ी जा रही हैं। कुछ संपत्तियों पर दुकानें भी बनाई जा चुकी हैं, जो इन ऐतिहासिक स्थलों की स्थिति को खराब कर रही हैं और पर्यटकों के आकर्षण को भी प्रभावित कर रही हैं।

ASI ने लंबे समय से राज्य सरकार और केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय को इन कब्जों को हटाने के लिए निर्देश भेजे हैं। लेकिन 2007 से अब तक, केंद्र सरकार के निर्देशों के बावजूद कर्नाटक के चीफ सेक्रेटरी, विजयपुरा के डिप्टी कमिश्नर और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इसीलिए स्मारकों पर अवैध कब्जे बने हुए हैं।

कर्नाटक के ऐतिहासिक स्मारकों पर वक्फ बोर्ड का दावा और कब्जा एक गंभीर मुद्दा बन चुका है, जिससे न केवल कानूनी सवाल खड़े हो रहे हैं बल्कि इनकी ऐतिहासिक विरासत भी खतरे में पड़ रही है। इस मुद्दे पर कॉन्ग्रेस सरकार और संबंधित विभागों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।