Wednesday, November 20, 2024
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‘पार्टी में आओ वरना फेल कर दूँगा’: कोलकाता के जिस अस्पताल में महिला डॉक्टर की रेप-हत्या, वहाँ छात्र-छात्राओं को पूर्व प्रिंसिपल का करीबी धमकाता था; अब हुआ सस्पेंड

कोलकाता के आर जी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या मामले के बाद मेडिकल छात्र-छात्राओं को धमकाए जाने और सबूतों से छेड़छाड़ का मामला पिछले महीने प्रकाश में आया था। पता चला था कि मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का करीबी डॉक्टर अविक डे इस मामले का आरोपित है। इसके बाद राज्य स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें 5 सितंबर को निलंबित कर दिया था। और एक जाँच टीम बनाकर कहा था कि सारे आरोपों की जाँच हो।

अब उसी जाँच टीम की रिपोर्ट सामने आई है जिससे पता चलता है कि बर्दवान मेडिकल कॉलेज के रेडियोडायग्नोसिस विभाग के पूर्व आरएमओ अवीक डे पर लगे सारे आरोप वाकई सच थे।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अपनी जाँच में टीम ने बताया डॉ अविक डे के खिलाफ धमकी देने, अनुचितता, अनैतिक व्यवहार करने के आरोप दुर्भाग्यपू्र्ण हैं। वह पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल के सदस्य रहे, नैतिक और दंड समिति में शामिल रहे और साथ ही पश्चिम बंगाल फार्मेसी काउंसिल में राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में नामित किए गए। हालाँकि उन्हें स्थानीय अधिकारियों द्वारा की गई पड़ताल के नतीजे देखते हुए उनके पद से निलंबित कर दिया गया है और सिफारिश की जाती है कि अन्य पद से भी उन्हें हटाया जाए।

जाँच समिति ने यह भी बताया कि 9 अगस्त को जब महिला डॉक्टर के साथ घटना घटी तब डॉक्टर अविक डे की मौजूदगी के आरोपों पर पाया गया है कि डॉ अविक ने इससे इनकार नहीं किया कि वो वहाँ थे। उन्होंने कहा कि वे पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल के अन्य सदस्यों के साथ वहाँ गए थे, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि उन्हें किसने बुलाया था या किसने आने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपराध स्थल पर किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की और केवल उतनी ही दूर गए जितनी पुलिस ने उन्हें अनुमति दी थी।

धमकी के आरोपों पर पता चलता है कि डॉ अविक डे छात्र-छात्रों को धमकाते था। अपने कक्ष में खड़े रहने के लिए बोलते थे और परीक्षा में हेरफेर करके अंकों का घोटाला भी करते थे। इसके अलावा वह अस्पताल की छात्राओं को देर रात चलने वाली पार्टियों में बुलाते थे और न जाने पर उन्हें फेल करने की धमकी देता था।

इसी तरह कुछ अवार्ड्स देने में छेड़छाड़ करने में भी डॉ अविक का हाथ होता था। एक छात्र ने लिखित रूप में स्वीकार किया कि वह एक सम्मान के अयोग्या था लेकिन वह उसे सिर्फ डॉ अविक के कारण मिला। इसी तरह मानव तस्करी के आरोपों पर भी डॉ अविक ने कोई टिप्पणी नहीं की और बताया कि उनका मॉर्च्युरी और एनाटॉमी विभाग से लेना-देना था ही नहीं।

बता दें कि जाँच समिति ने राज्य स्वास्थ्य विभाग को अपनी रिपोर्ट 4 अक्तूबर को सौंपी थी। जाँच करने वाले अधिकारियों में एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्रिंसिपल पीतबरन चक्रवर्ती, डायमंड हार्बर गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल उत्पल दान, प्रफुल्ल चंद्र सेन गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, आरामबाग के प्रिंसिपल रामप्रसाद रॉय और आईपीजीएमईएंडआर के छात्र मामलों के डीन अविजित हाजरा शामिल थे।

सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, कैराना… छोटे मदरसों पर बड़ा एक्शन: फंडिंग की ATS ने शुरू की पड़ताल, जाँच के दायर में हैं UP के 473 मकतब

उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) ने पश्चिम उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर और कैराना में मकतबों (छोटे मदरसे) की जाँच की। ATS मकतबों की कुल संपत्ति और उनकी फंडिंग समेत कुल आठ बिंदुओं पर पूछताछ कर रही है। बता दें कि UP ATS ने प्रदेश के 473 मकतबों की जाँच शुरू की है। इनमें से कई बिना मान्यता के संचालित हो रहे हैं।

कुछ दिन पहले ही मुख्यालय ने सहारनपुर मंडल के 473 मकतबों की जाँच के आदेश दिए थे। इसके साथ ही अब शामली और मुजफ्फरनगर के मकतब भी जाँच के दायरे में हैं। इसकी जिम्मेदारी एटीएस देवबंद को दी गई है। जो मकतब जाँच के घेरे में हैं उनमें शामली के 190, मुजफ्फरनगर के 165 और सहारनपुर के 118 मकतब शामिल हैं। जाँच के लिए जिला अल्पसंख्यक अधिकारियों से रिकॉर्ड माँगे गए हैं।

ATS देवबंद की टीम बुधवार (30 अक्टूबर 2024) को सहारनपुर शहर के कई मकतबों पर पहुँचकर की थी। वहीं, ATS यूनिट की एक टीम शामली के कैराना भी गई और वहाँ के मकतबों में पूछताछ की।पानीपत मार्ग पर स्थित मदरसा फलाहुल मुबीन और मदरसा फैज मसीहुल उम्मत में जाकर उसके संचालकों से जानकारी हासिल की।

टीम ने मदरसा संचालकों से इन मदरसों में पंजीकृत छात्र एवं छात्राओं की संख्या, इंफ्रास्ट्रक्चर, उनकी आय के स्रोत आदि के बारे में जानकारी हासिल की और जरूरी रिकॉर्ड खंगाले। इसके अलावा, ATS की टीम ने कस्बे के अलग-अलग मोहल्लों में स्थित करीब आधा दर्जन मकतब (छोटे मदरसों) की लगभग 6 घंटे तक गहन जाँच-पड़ताल की। इससे वहाँ हड़कंप मच गया।

शुरुआती जाँच में कई मकतबों में खामियाँ पाई गई हैं, साथ ही उनके वित्तीय लेन-देन में भी संदेहजनक गतिविधियाँ देखी गई हैं। ATS ने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी है। इससे पहले, उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य में मदरसों का व्यापक सर्वेक्षण कराया था, जिसके तहत कई गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों को बंद कर दिया गया था।

सहारनपुर मंडल के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश में आने वाले गोंडा जिले में भी कई मकतब चलते पाए गए हैं। यहाँ के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने अपने जिले में चल रहे 20 मकतबों को बंद करने की सिफारिश शासन को भेजी है। यहाँ कुल 286 मकतब चलते पाए गए हैं जिसमें 19 गैर-मान्यता प्राप्त हैं। ATS मुख्यालय से प्रदेश के हर जिले में अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों से मकतबों की जाँच में सहयोग करने के लिए कहा गया है।

बता दें कि 18 सितंबर 2022 को शासन के निर्देश पर शामली में स्थानीय प्रशासन ने गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का भौतिक सत्यापन कराया था। टीम में अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और एसडीएम कैराना शामिल थे। इस दौरान मदरसों में शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या, इंफ्रास्ट्रक्चर, आय के साधनों समेत कुल 11 बिंदुओं पर सर्वे किया गया था, जिसकी रिपोर्ट लखनऊ भेजी गई थी।

क्या होता है मकतब

ऑपइंडिया ने मकतब के बारे में गाजियाबाद के मौलवी अब्दुल सलाम से जानकारी ली। उनके अनुसार, मकतब एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है ‘पढ़ाई-लिखाई का स्थान’। उन्होंने बताया कि मकतब और मदरसे में अंतर है। मदरसे में पढ़ाई के बाद एक औपचारिक डिग्री प्राप्त होती है, जबकि मकतब में ऐसी कोई डिग्री नहीं दी जाती।

अब्दुल सलाम ने मकतब को एक तरह का ‘कोचिंग सेंटर’ बताया, जहाँ आस-पास के मुस्लिम बच्चों को दीनी तालीम दी जाती है। उन्होंने कहा कि देश की लगभग 95% मस्जिदों में मकतब चलते हैं। अब्दुल सलाम ने आगे बताया कि मकतब खासतौर से मुस्लिम बच्चों के लिए होते हैं, जहाँ कुरान और हदीस की तालीम दी जाती है।

मकतब संचालित करने वाले मौलवी, मौलाना या हाफिज आमतौर पर कोई शुल्क नहीं लेते, लेकिन कहीं-कहीं मेहनताना के लिए धन इकट्ठा किया जाता है। मौलवी के अनुसार, मकतब में पढ़ने वालों की उम्र सीमा नहीं होती, लेकिन सामान्यतः नाबालिग बच्चे ही इनमें पढ़ते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि कई मकतब इस्लामी जानकारों के घरों में भी संचालित होते हैं।

हिंदू पुरुष से किया विवाह, पर हिंदू परंपराओं का उड़ाती थी मजाक… नहीं करती थी पूजा: जानिए हाई कोर्ट ने पति की धार्मिक मान्यताओं को क्यों माना तलाक का आधार

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अगर पत्नी अपने पति की धार्मिक मान्यताओं का मजाक उड़ाती है तो पति उससे तलाक लेने का हकदार है। इस आधार पर हाई कोर्ट ने हिंदू धर्म के एक पति को ईसाई धर्म की पत्नी से तलाक को सही ठहराया और फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। इसके साथ ही निचली अदालत के फैसले को खिलाफ पत्नी की अपील खारिज कर दी।

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की जज रजनी दुबे और जस्टिस संजय जायसवाल की डिवीजन बेंच ने तलाक के एक मामले में फैसला सुनाते हुए पति-पत्नी के रिश्तों पर रामायण और महाभारत सहित विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में वर्णित मान्यताओं का हवाला दिया। इस आधार पर पति को तलाक की मंजूरी वाली फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। इस फैसले को पत्नी ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में चुनौती दी।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता पत्नी ने खुद स्वीकार किया है कि पत्नी ने वह पिछले 10 सालों से किसी भी हिंदू धार्मिक अनुष्ठान में शामिल नहीं हुई। पूजा-पाठ के बजाय उन्होंने चर्च जाना शुरू कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह दो अलग-अलग धर्म के लोगों के बीच विवाह का मामला नहीं है, जहाँ धार्मिक प्रथाओं में आपसी समझ की अपेक्षा की जाती है।

कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पति ने बताया कि पत्नी ने बार-बार उसकी धार्मिक मान्यताओं को अपमानित किया। उसके देवी-देवताओं का अपमान किया। बेंच ने आगे कहा कि कोर्ट के विचार में पत्नी, जिसे ‘सहधर्मिणी’ होने की उम्मीद की जाती है, उससे ऐसा व्यवहार एक धर्मनिष्ठ हिंदू पति के प्रति मानसिक क्रूरता है। ऐसे में पति तलाक पाने का हकदार है। इस दौरान कोर्ट ने धार्मिक ग्रंथों का भी हवाला दिया।

डिवीजन बेंच ने कहा कि महाभारत और रामायण में ही नहीं, बल्कि मनु स्मृति में भी कहा गया है कि पत्नी के बिना कोई भी यज्ञ अधूरा है। धार्मिक कर्म में पत्नी अपने पति के साथ बराबर की भागीदार होती है। कोर्ट ने आगे कहा कि पति अपने माँ-बाप का इकलौता बेटा है। ऐसे में उसे परिवार के सदस्यों के लिए धार्मिक अनुष्ठान करना होता है। इसके बाद हाई कोर्ट ने पत्नी की अपील खारिज कर दी।

दरअसल, मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले के करंजिया निवासी नेहा ईसाई धर्म का पालन करती हैं। उन्होंने 7 फरवरी 2016 को बिलासपुर के रहने वाले विकास चंद्र से हिंदू रीति-रिवाज से विवाह किया था। विकास दिल्ली में नौकरी करते थे। नेहा कुछ दिन अपने पति विकास के साथ दिल्ली में रही। उसके बाद वह बिलासपुर लौट आई। इस दौरान नेहा ने ईसाई धर्म अपना लिया और चर्च जाना शुरू कर दिया।

ईसाई धर्म अपनाने के बाद नेहा हिंदू धार्मिक मान्यताओं और देवी-देवताओं का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। विकास ने नेहा को कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानी। आखिरकार पत्नी के इस व्यवहार से परेशान होकर विकास ने तलाक लेने का निर्णय किया और फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दी। सुनवाई के बाद फैमिली कोर्ट ने विकास के पक्ष में फैसला दिया।

 

जिस ‘टेनिस वाली लड़की’ के इश्क में मरना चाहते थे पप्पू यादव, क्या उसने ‘पूर्णिया के रंगबाज’ को छोड़ दिया: लॉरेंस बिश्नोई की एंट्री, बाहर आई अलगाव की स्टोरी

बिहार में जब जंगलराज था तो वे ‘पूर्णिया के रंगबाज’ कहलाते थे। जेल में बंद थे तो टेनिस खेलती एक लड़की की तस्वीर देख इश्क हो गया। इश्क का नशा ऐसा चढ़ा, नींद की गोलियाँ खाकर जान देने की कोशिश की। फिर इश्क की इस कहानी को शादी का मुकाम मिला और दोनों पति-पत्नी हो गए। लेकिन एक गैंगस्टर की इस कहानी में एंट्री से लगता है कि अब ये इश्क अलगाव की राह पर है।

यह कहानी है पूर्णिया से लोकसभा के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव और कॉन्ग्रेस की राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन की। अलगाव की यह कहानी रंजीत रंजन के उस बयान से सामने आई है जो उन्होंने गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के नाम पर पप्पू यादव को मिली धमकी को लेकर दिया है।

उन्होंने मीडिया में कहा, “मेरा और पप्पू यादव का राजनीतिक जीवन अलग-अलग रहा है। हमारे बीच बहुत मतभेद है और हम पिछले डेढ़-दो सालों से अलग-अलग रह रहे हैं। उन्होंने जो कुछ भी कहा है, उससे मेरा और मेरे बच्चों का कोई संबंध नहीं है। जो चल रहा है वो तो कानून व्यवस्था का मामला है। मेरे परिवार का इससे कोई लेना-देना नहीं है।”

गौरतलब है कि पिछले दिनों बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद पप्पू यादव ने अपने ट्वीट में लिखा था कि अगर कानून द्वारा द्वारा अनुमति दी गई तो वह जेल में बंद गैंगस्टर बिश्नोई के पूरे नेटवर्क को 24 घंटे के भीतर खत्म कर देंगे।

इसी के बाद पप्पू यादव को कथिततौर पर बिश्नोई गैंग के सदस्य की ओर से कॉल आई और उसने उन्हें कहा, “सुधर जाओ नहीं तो आगे तो हम देख ही लेंगे…आगे हम फोन नहीं करेंगे… हमारे रास्ते में जो आएगा उसका वही होता रहेगा।”

इसी फोन कॉल के बाद जहाँ पप्पू यादव ने अपने सुरक्षा बढ़ाए जाने की माँग केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से की तो वहीं उनकी पत्नी ने भी उनसे किनारा कर लिया जिनके प्रेम में उन्होंने कभी नींद की गोलियाँ खा ली थीं।

दोस्त की बहन को पप्पू यादव ने दिया दिल

पप्पू यादव ने अपनी आत्मकथा में खुद इस वाकये के बारे में बताया कि जब वह बांकीपुर जेल में बंद थे तो वहाँ उनकी मुलाकात विक्की से हुई थी। जब उन्होंने विक्की की बहन रंजीत को एल्बम में टेनिस खेलते देखा तो उन्हें वहीं उससे प्यार हो गया। इसके बाद पप्पू यादव रंजीत को देखने अक्सर टेनिस क्लब पहुँच जाया करते थे, जहाँ रंजीत उन्हें खेलती मिलती थीं। रंजीत को शुरू में ये सब पसंद नहीं था। उन्होंने कई बार पप्पू यादव को इस तरह आने से मना भी किया। मगर पप्पू यादव कहाँ मानने वाले थे। उन्होंने अपने प्रयास जारी रखे।

आखिर में रंजीत मान गईं, लेकिन उनका परिवार सिख था और वो इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं हुए। पप्पू यादव ने बहुत कोशिश की। फिर उन्हें कहा गया कि वह इस मामले में कॉन्ग्रेस नेता एसएस अहलूवालिया से मदद माँगे।

पप्पू यादव को जैसे ही पता चला कि अहलूवालिया इसमें उनकी मदद करेंगे वो फौरन दिल्ली आ गए। यहाँ उन्होंने रंजीत से शादी के लिए कॉन्ग्रेस नेता को मनाया और फिर आखिर में 1991 में शुरू लव स्टोरी 1994 में शादी के अंजाम तक पहुँची। इन तीन सालों के बीच पप्पू यादव ने अपना प्यार पाने के लिए खूब कोशिश की।

वो इस कदर रंजीत के प्रेम में थे कि कोई रास्ता न दिखने पर उन्होंने नींद की गोलियाँ तक खा ली थीं और जब दोनों की शादी हुई तब भी रंजीत के शौक पूरे करने में पप्पू यादव ने कोई कसर नहीं छोड़ी। बताया जाता है कि शादी के बाद रंजीत चार्टेड प्लेन में बिहार आई थीं और उसका सारा खर्चा पप्पू यादव ने ही दिया था। बाद में इस जोड़े के एक बेटा और बेटी हुए। इनकी कई तस्वीरें अक्सर मीडिया में चर्चा में रहीं हैं।

राष्ट्रीय एकता दिवस पर PM मोदी ने सरदार पटेल को दी पुष्पांजलि: NSG सहित सशस्त्र बलों की परेड की सलामी ली, कहा- देश को एकजुट करने में उनका बड़ा योगदान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (31 अक्टूबर 2024) को सरदार वल्लभभाई पटेल की 149वीं जयंती को उन्हें श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने गुजरात के केवड़िया स्थित ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ पर पुष्पांजलि अर्पित की। सरदार की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर एक बड़ा कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसमें सांस्कृतिक एवं सैन्य कार्यक्रम भी शामिल हैं।

इस दौरान प्रधानमंत्री ने एकता दिवस भी परेड देखी, जिसमें 9 राज्यों और 1 केंद्रशासित प्रदेश की पुलिस के साथ-साथ 4 केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, NCC और एक मार्चिंग बैंड की 16 मार्चिंग टुकड़ियाँ शामिल हुईं। परेड में NSG की हेल मार्च टुकड़ी, BSF और CRPF के महिला और पुरुष बाइकर्स की रैली, BSF के मार्शल आर्ट का शो, वायुसेना का ‘सूर्य किरण’ फ्लाईपास्ट शामिल हुईं।

पीएम मोदी ने कहा कि जब भारत को आजादी मिली थी, तब दुनिया में कुछ लोग थे जो भारत के बिखरने का आकलन कर रहे थे। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि सैकड़ों रियासतों को जोड़कर एक भारत का निर्माण हो पाएगा, लेकिन सरदार पटेल ने ये करके दिखा दिया। पीएम ने कहा कि ये इसलिए संभव हुआ क्योंकि पटेल व्यवहार में यथार्थवादी, संकल्प में सत्यवादी, कार्य में मानवतावादी और ध्येय में राष्ट्रवादी थे।

प्रधानमंत्री ने कहा, “एक सच्चे भारतीय होने के नाते, हम सभी का कर्तव्य है कि हम देश की एकता के हर प्रयास को celebrate करें। उत्सव, उमंग से भर दें। ऊर्जा, आत्मविश्वास, हर पल नए संकल्प, नई उम्मीद, नई उमंग… यही तो celebration है।” इस दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर मे अनुच्छेद 370 खत्म होने का भी जिक्र किया।

पीएम मोदी ने कहा, “अनुच्छेद-370 को हमेशा-हमेशा के लिए जमीन में गाड़ दिया गया है। पहली बार वहाँ इस विधानसभा चुनाव में बिना भेदभाव के मतदान किया गया। पहली बार वहाँ के मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान की शपथ ली है। ये दृश्य भारत के संविधान निर्माताओं को अत्यंत संतोष देता होगा, उनकी आत्माओं को शांति मिलती होगी और ये संविधान निर्माताओं को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि है।”

उन्होंने आगे कहा, “आज पूरे देश को खुशी है कि आजादी के सात दशक बाद देश में एक देश और एक संविधान का संकल्प भी पूरा हुआ है। सरदार साहब को मेरी ये सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है। 70 साल तक बाबा साहेब अंबेडकर का संविधान पूरे देश में लागू नहीं हुआ था। संविधान की माला जपने वालों ने संविधान का ऐसा घोर अपमान किया था। कारण था, जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद-370 की दीवार।”

मूर्ति की विशेषता

सरदार पटेल की यह मूर्ति 182 मीटर ऊँची है, जो दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा है। इसे साल 2010 में नरेंद्र मोदी ने बतौर मुख्यमंत्री इसे स्थापित करने का ऐलान किया था। 31 अक्टूबर 2013 से प्रतिमा का निर्माण शुरू हुआ था, जो पाँच साल बाद यानी कि 31 अक्टूबर 2018 को सरदार पटेल की 143वीं जयंती पर पूरा हुआ। इसका उद्घाटन नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में किया था।

कहा जाता है कि इस प्रतिमा के लिए देश भर के पाँच लाख से अधिक किसानों के पास से 135 मीट्रिक टन खेती-किसानी के पुराने औजार दान में लिए गए। इन्हें गलाकर 109 टन लोहा तैयार किया गया और इसे प्रतिमा बनाने में इस्तेमाल किया गया। इसमें 2.10 लाख क्यूबिक मीटर सीमेंट-कंक्रीट और 2000 टन काँसे, 6500 टन स्ट्रक्चरल स्टील और 18500 टन सरिया का इस्तेमाल किया गया है।

यह प्रतिमा लगभग 2989 करोड़ रुपए की लागत से 12 किलोमीटर के इलाके में बनाए गए तालाब के बीचों-बीच बनी है। यह प्रतिमा 6.5 तीव्रता के भूकंप और 220 किलोमीटर की गति के तूफान का सामना कर सकती है। प्रतिमा में 85% ताँबे का उपयोग किया गया है। इससे सैकड़ों सालों तक जंग नहीं लगेगा।

मुस्लिमों से बात करो… मुरादाबाद की सरकारी लाइब्रेरी में ‘इस्लामी पाठ’ पढ़ाता था आसिफ हसन: जाँच टीम ने 21 छात्र-छात्राओं के बयान किए दर्ज

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में सरकारी लाइब्रेरी में लव जिहाद करवाने के आरोपों पर जाँच टीम ने छात्राओं के बयान दर्ज किए हैं। लव जिहाद और इस्लाम का जबरदस्ती प्रचार करने का आरोप लाइब्रेरी के केयर टेकर आसिफ हसन पर है। मामले में मुरादाबाद डीएम की बनाई टीम जाँच कर रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सोमवार (28 अक्टूबर, 2024) को दो सदस्यीय जाँच टीम ने लाइब्रेरी पहुँच कर पूछताछ चालू की। इस टीम में एक वरिष्ठ पुरुष शिक्षक और एक महिला शिक्षक हैं। उन्होंने लाइब्रेरी पहुँच कर छात्र-छात्राओं के बयान दर्ज किए।

जाँच टीम ने 21 छात्र-छात्राओं के बयान दर्ज किए हैं। जाँच टीम को उन 6 छात्राओं ने भी अपनी आपबीती बताई है, जिन्होंने आसिफ हसन के खिलाफ शिकायत की थी। अब तक जाँच टीम कुल 27 लोगों से आसिफ हसन की करतूतों के बारे में सुन चुकी है।

जाँच टीम ने अभी आसिफ हसन का बयान नहीं लिया है। उसके बयान भी जल्द होने की संभावना है। इस बीच आसिफ हसन के जाँच के दौरान भी लाइब्रेरी में मौजूद रहने की बात कही गई है। इससे जाँच को प्रभावित करने सम्बन्धी बातें भी उठ रही हैं।

गौरतलब है कि लाइब्रेरी के वरिष्ठ सहायक आसिफ हसन पर आरोप है कि वह यहाँ आने वाली छात्राओं को मुस्लिम युवकों से बातचीत करने के लिए प्रेरित करता था और इस्लाम से संबंधित बातें करता था। पिछले छह माह से लाइब्रेरियन का कार्यभार संभाल रहे आसिफ हसन पर यह आरोप लगाया गया है कि वह छात्राओं को मुस्लिम लड़कों से दोस्ती करने को कहता था।

आसिफ हसन की हरकतों से परेशान होकर कुछ छात्राओं ने इस बारे में डीएम को लिखित शिकायत दी थी। इसके बाद दो सदस्यीय कमिटी जाँच के लिए बनाई गई थी। वहीं आरोपों के सामने आने के बाद आसिफ हसन ने खुद के निर्दोष होने का दावा किया था।

आसिफ हसन को आरोपों के बाद उसके पद से हटा कर दूसरी जगह पर तैनात कर दिया गया था। हालाँकि, इस कार्रवाई पर लोगों ने असंतोष व्यक्त किया था। जाँच कमिटी की रिपोर्ट सामने आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि लव जिहाद के इस मामले में आसिफ हसन की क्या भूमिका थी।

देवभूमि में एक और नाबालिग हिंदू लड़की लापता, UP के सलमान पर धर्मांतरण एवं भगाने का आरोप: आक्रोशित लोग सड़कों पर उतरे, पुलिस को दिया अल्टीमेटम

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में मंगलवार (29 अक्टूबर 2024) को साम्प्रदयिक तनाव फ़ैल गया। एक नाबालिग हिन्दू लड़की के अचानक लापता हो जाने से भड़के लोगों ने लव जिहाद का आरोप लगाते हुए एक मुस्लिम की दुकान में भी तोड़फोड़ की। आक्रोशित लोगों ने लड़की से छेड़खानी और धर्मांतरण के दबाव का आरोप लगाया है। मुख्य साजिशकर्ता सलमान को बताया है, जो सैलून चलाता है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटना पौड़ी गढ़वाल के कीर्ति नगर इलाके की है। यहाँ सोमवार (28 अक्टूबर) को 16 साल की एक नाबालिग लड़की के माता-पिता ने पुलिस में अपनी बेटी की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवाई। लड़की के परिजनों से शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।

इस बीच लड़की के परिजनों ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी के लापता होने में सलमान नाम के हज्जाम का हाथ है। वह उनकी बेटी से लंबे समय से छेड़खानी कर रहा था और उस पर मुस्लिम बनने का दबाव डाल रहा था। पीड़िता के लापता होने के बाद से अपना सैलून बंद करके सलमान भी फरार चल रहा है।

मंगलवार (29 अक्टूबर) को जैसे ही इस अपहरण की खबर आसपास फैली, वैसे ही लोग भड़क उठे। आसपास के लोग कीर्ति नगर कस्बे में इकट्ठा हुए और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसी बीच प्रदर्शन उग्र हो गया और आरोपित के दुकान में तोड़फोड़ की। सलमान के सैलून के साथ एक अन्य मुस्लिम व्यक्ति की दुकान को भी निशाना बनाया गया।

नाराज जनसमूह ने इस घटना को ‘लव जिहाद’ बताया है। कुछ अन्य दुकानों के नेमप्लेट और होर्डिंग को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया। प्रदर्शनकारियों ने इस घटना में शामिल सभी लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की माँग की। लोगों के आक्रोश के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और एक और FIR दर्ज की।

यह FIR भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के साथ-साथ उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम और POCSO एक्ट के तहत दर्ज किया गया है। इस FIR में सलमान को नामजद किया गया है। टिहरी गढ़वाल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) आयुष अग्रवाल ने कहा कि लड़की रात लगभग 11 बजे अपने घर से गायब हुई थी।

एसएसपी ने बताया कि पुलिस की कई टीमें लापता लड़की की तलाश में जुटी है। इस बात की भी जाँच चल रही है कि इसमें कितने लोग शामिल हैं। CCTV फुटेज व अन्य साक्ष्य भी खँगाले जा रहे हैं। पुलिस के मुताबिक, सलमान मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बिजनौर नजीबाबाद का रहने वाला है। वहीं, भाजपा नेता ने पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाया है।

भाजपा के पौड़ी-गढ़वाल जिले से उपाध्यक्ष लखपत सिंह भंडारी ने कहा, “पहले तो उन्होंने सलमान को शहर से बाहर जाने दिया गया, अब लड़की भी लापता है। अगर पुलिस ने ठीक से काम किया होता तो ये घटना न घटी होती।” लोगों ने लड़की खोजने के लिए पुलिस को अल्टीमेटम दिया है। इसके बाद विरोध प्रदर्शन तेज करने का एलान किया गया है।

‘द हिंदू’ के पत्रकार ने दफ्तर खरीदने के लिए कारोबारी से लिए ₹23 लाख, बीवी की जन्मदिन की पार्टी के नाम पर भी ₹5 लाख झटके: महेश लांगा के खिलाफ 3 FIR, जानिए डिटेल

गुजरात पुलिस की अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ के ‘पत्रकार’ महेश लांगा के खिलाफ तीसरी FIR दर्ज की है । लांगा पर एक व्यापारी ने आरोप लगाया है कि उन्होंने अपना राजनीतिक रसूख दिखाते हुए उससे ₹28 लाख की ठगी कर ली। महेश लांगा के खिलाफ यह मामला अहमदाबाद में एड एजेंसी कंपनी चलाने वाले एक कारोबारी की शिकायत के बाद दर्ज किया गया है। GST फर्जीवाड़े से शिंकजे में आने वाला महेश लांगा जेल में बंद है।

अहमदाबाद में एक एड एजेंसी के मालिक ने महेश लांगा के खिलाफ यह शिकायत मंगलवार (29 अक्टूबर, 2024) को दर्ज करवाई है। अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने शिकायत के आधार पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 316(2), 318(4) के तहत FIR दर्ज की है। FIR की कॉपी ऑपइंडिया के पास मौजूद है। व्यापारी का आरोप है कि महेश लांगा ने उससे अलग-अलग मौके पर मिलाकर कुल ₹28 लाख की धोखाधड़ी की।

नया ऑफिस खरीदने को लिए ₹23 लाख

शिकायत के अनुसार, कारोबारी खुद वर्षों से विज्ञापन का काम कर रहा है और इसके चलते वह अक्सर अखबारों में विज्ञापन देता रहता है। कुछ महीने पहले उसकी मुलाकात एक कैफे में महेश लांगा से हुई थी। महेश लांगा ने कारोबारी से यह कहकर दोस्ती बढ़ाई कि उसकी बड़े लोगों तक पहुँच है। उसने अपने राजनीतिक रसूख की भी धौंस दिखा और कारोबारी ओ बताया कि उसकी उसके कई अख़बारों में भी अच्छे संबंध हैं। महेश लांगा ने उसकी एड एजेंसी का काम करने को भी हामी भर दी।

कारोबारी की शिकायत में बताया गया कि कुछ समय पहले महेश लांगा ने उसे को फोन किया और अपनी पत्नी और भाई के नाम पर शुरू की गई कंपनी ‘डीए एंटरप्राइजेज’ के बारे में बताया। महेश लांगा ने कारोबारी को बताया कि वह एक अन्य कंपनी ‘निसर्ग एंटरप्राइजेज’ के लिए ऑफिस खोज रहा है। इसके बाद महेश लांगा ने कारोबारी से कहा कि उसने एक ऑफिस देखा है। महेश लांगा ने इसके बाद कारोबारी से बैंक में पैसे लेने की माँग की और कहा कि वह इसके बदले नकद रूपए देगा।

कारोबारी ने उसकी बात पर भरोसा करते हुए 16 मार्च, 2024 को अपनी कंपनी के खाते से ₹9.9 लाख लांगा के खाते में पहुँचाए। बाद में 6 जून, 2024 को कारोबारी से दोबारा महेश लांगा ने ₹12.87 लाख लिए। कारोबारी ने आरोप लगाया कि महेश ने जहाँ शुरुआत में नकद देने की बात कही, वहीं बाद में उसने एक भी रुपया नहीं लौटाया।

बीवी के जन्मदिन के लिए भी लिए पैसे

ऑफिस के नाम पर पैसे हड़पने के 2 महीने बाद, सितंबर 2024 में महेश लांगा लंगा ने कारोबारी को बताया कि उसकी पत्नी कविता लांगा का 27 सितंबर को जन्मदिन था और उसे दोस्तों को पार्टी देने के लिए एक बैंक्वेट हॉल की जरूरत है। इसके बाद कारोबारी से महेश लांगा ने कोई हॉल तलाशने को कहा।

जब व्यापारी ने महेश लांगा को ‘जे बैंक्वेट हॉल’ की जानकारी दी, तो महेश ने उनसे ही पैसे का भुगतान करने को कहा और वादा किया यह पैसा कारोबारी को जन्मदिन के दिन मिल जाएगा।कारोबारी ने महेश लांगा पर भरोसा करते हुए ₹5.18 लाख का भुगतान कर दिया। कारोबारी ने सजावट के लिए अलग से ₹50 हजार दिए। महेश लांगा ने यह पैसे भी वापस नहीं दिए।

पैसे माँगने पर मिली धमकी

जब पैसे देने के कुछ दिनों बाद कारोबारी ने अपना पैसा वापस माँगा तो महेश लांगा गुंडागर्दी पर उतर आया। कारोबारी के अपने ₹28.68 लाख वापस माँगने पर महेश लांगा ने राजनीतिक रसूख दिखाते हुए धमकी देना चालू कर दिया। महेश लांगा ने कहा कि अगर कारोबारी पुलिस के पहुँचा तो उसके खिलाफ पेपर में खराब खबरें छपवाई जाएँगी।

ऑपइंडिया से बातचीत में कारोबारी ने बताया कि महेश लांगा ने उसे धमकी दी थी और कहा था कि उसका काफी अच्छा राजनीतिक कनेक्शन है और साथ ही उसके कई बड़े अधिकारीयों से भी अच्छे संबंध है। लांगा की धमकी के बाद कारोबारी खौफ में आ गया और पैसे माँगना बंद कर दिया।

जब महेश लंगा के खिलाफ कार्रवाई चालू हुई और अहमदाबाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया तो कारोबारी की भी हिम्मत बढ़ी और उन्होंने खुद पुलिस को सम्पर्क करके सारी जानकारी दी और मामला दर्ज करवाया। पुलिस को महेश के घर से ₹20 लाख नकद मिले थे। कारोबारी ने ऑपइंडिया से इस बारे में कहा, “महेश के पास नकदी थी। वे चाहते तो इसे मुझे दे सकते थे। लेकिन मुझे पैसे नहीं मिले। यह विश्वासघात और धोखाधड़ी का मामला है। इसीलिए हमने एफआईआर दर्ज कराने का फैसला किया।”

पुलिस ने बताया- 17 को पकड़ा

अहमदाबाद पुलिस कमिश्नर GS मलिक ने लांगा पर मुकदमों की जानकारी दी है। उन्होंने बताया, “हम द हिंदू के पत्रकार महेश लांगा के खिलाफ एक और FIR दर्ज करने जा रहे हैं। हमें 28 लाख रुपये की धोखाधड़ी की एक और शिकायत मिली है। लांगा के खिलाफ सबसे पहले 7 अक्टूबर, 2024 को GST विभाग ने एक FIR दर्ज करवाई थी। इसके बाद महेश लांगा और कुछ साथियों को गिरफ्तार किया गया था। महेश के घर में तलाशी के दौरान ₹20 लाख और फर्जी कम्पनियों की जानकारी मिली थी।”

पुलिस ने बताया कि FIR में लांगा की 222 कम्पनियों का जिक्र है। इनमें से एक फर्जी कंपनी ध्रुवी एंटरप्राइज थी। महेश लांगा ने 2023 में अपने भाई की पत्नी नैना लांगा के नाम से भी एक कंपनी शुरू की थी। इस कम्पनी के लेनदेन की जाँच भी चल रही है। पुलिस अब महेश लांगा और उनकी पत्नी की कमाई और उनके खर्चों को लेकर जाँच कर रही है।

राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के बाद पहली दीवाली मना रही अयोध्या, जानिए क्यों इसे कह रहे ‘महापर्व’: दीपदान की तैयारियों से लेकर सुरक्षा तक सब कुछ अनूठी

हिन्दू समाज के 500 वर्षों के सतत संघर्ष के बाद अयोध्या में इस साल भगवान श्रीराम का मंदिर उनकी जन्मस्थली पर बना है। इस वजह से अयोध्या के लिए साल 2024 की दीपावली बेहद अहम होने जा रही है। प्रशासनिक स्तर पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधाओं की व्यापक स्तर पर तैयारियाँ की जा रही हैं। वहाँ राज्य पुलिस बल के साथ-साथ केंद्रीय बलों को भी तैनात किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे महापर्व बताते हुए सबको सहभागी बनने का आमंत्रण दिया है। वहीं, अयोध्या जिले के हर वर्ग ने इस महापर्व पर प्रसन्नता जताते हुए इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने का मन बनाया है। अयोध्या में तमाम बड़े प्रशासनिक अधिकारियों ने डेरा डाल रखा है। पुलिस विभाग लगातार बैठकें कर रखा है। चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जा रही है।

अयोध्या पुलिस ने अपने मीडिया सेल में बताया है कि नयाघाट, राम की पैड़ी, रामकथा पार्क, लता मंगेशकर चौक, सरयू नदी घाट और आरती स्थल आदि पर विशेष सतर्कता बरती जा रही है। पुलिस के साथ पैरा मिलिट्री के जवान पैदल गश्त कर रहे हैं। इस अवसर पर भगवान राम के जीवन से जुड़ीं कई झाँकियाँ भी धर्मक्षेत्र में दिख रही हैं।

दीपावली के इस महाआयोजन की सुरक्षा में लगभग 10 हजार सुरक्षाकर्मी लगाए गए हैं। इन्हें प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से अयोध्या बुलाया गया है। ये पुलिस एवं सुरक्षाकर्मी अत्याधुनिक हथियारों और चेकिंग आदि के लिए सुरक्षा उपकरणों से लैस हैं। प्रशासन ने अयोध्या में अभेद्य सुरक्षा बताया है।

इस बार अयोध्या में 28 लाख दीपक जलाए जाने का लक्ष्य तय किया गया है। मिट्टी के ये दीपक सरयू तट पर जलेंगे। बुधवार (30 अक्टूबर) की सुबह से ही इन दीपकों को सजाया जा रहा है। इसके अलावा पूरे अयोध्या धाम को भव्य रूप दिया गया है। अयोध्या धाम के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसी प्रकार का दीपोत्सव की तैयारी है।

इसी तरह की सजवाट रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप और एयरपोर्ट पर भी देखने को मिल रही है। श्रीरामजन्मभूमि ट्रस्ट ने घोषणा की है कि अयोध्या में स्वदेशी सामानों से सजावट हो रही है। पूरा अयोध्या भगवा ध्वजों से पटा हुआ है। इस मौके पर UP के CM योगी आदित्यनाथ रामकथा पार्क में भगवान राम का राज्याभिषेक करेंगे। इस कार्यक्रम के सम्पन्न होने के बाद दीपोत्सव का आरम्भ होगा।

CM योगी ने इस मौके पर लोगों को शुभकामनाएँ दी हैं। उन्होंने लोगों से इस भव्य कार्यक्रम में सहभागी बनने की अपील की है। उन्होंने कहा कि 500 वर्ष बाद धर्मधरा अयोध्या धाम में श्रीरामलाल की पावन जन्मभूमि पर बने उनके भव्य-दिव्य मंदिर में भी हजारों दीप प्रज्ज्वलित किए जाएँगे। उन्होंने कहा कि सभी लोग इस गौरवशाली परंपरा का उत्सव मनाएँ।

चित्र- X/योगी आदित्यनाथ

पहले कभी नहीं देखी ऐसी दीपावली

ऑपइंडिया ने इस महापर्व के बारे में अयोध्या के महंत अजय दास से बातचीत की। अजय दास ने हमें बताया कि उनकी उम्र लगभग 50 वर्ष है और वो बचपन से ही अयोध्या में ही पले-बढ़े हैं। अजय दास का दावा है कि इससे पहले उन्होंने कभी भी ऐसी दीपावली नहीं देखी।

महंत अजय दास ने बताया कि जिस अयोध्या में श्रद्धालुओं का आना-जाना ना के बराबर था, वहाँ आज देश के सभी राज्यों के लोग तो दूर विदेशी मेहमान भी भरे पड़े हैं। अजय दास इसका पूरा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को देते हैं।

आगंतुकों में अब और अधिक जोश और जागरूकता

ऑपइंडिया ने अयोध्या में तैनात सुरक्षाबलों के एक अधिकारी से बात की। नाम नहीं छापने की शर्त पर उन्होंने बताया कि पहले के मुकाबले अब आ रहे श्रद्धालुओं में जोश और जागरूकता ज्यादा है। हमें बताया गया कि हर दीपावली पर सुरक्षा व्यवस्था सामान्यतया बढ़ाई ही जाती थी, लेकिन अब उन्हें अतिरिक्त सावधानी का अलर्ट रहता है।

अधिकारी ने बताया कि जिस प्रकार से हर साल अयोध्या दीपकों की संख्या के साथ श्रद्धालुओं की संख्या भी रिकॉर्ड तोड़ रही है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में आने वाले श्रद्धालु अनुशासित होते हैं और कानून का पालन करते हैं। उनका मानना है कि कोई सामाजिक चेतना है जो भगवान राम के भक्तों में मन में जगी है। यही चेतना श्रद्धालुओं को अयोध्या की तरफ आकर्षित कर रही है।

बढ़ा गया हमारा कारोबार

ऑपइंडिया ने अयोध्या के एक व्यापारी विमलेंद्र श्रीवास्तव उर्फ़ पट्टू से बात की। पट्टू का टेढ़ी बाजार के पास घर है, जहाँ वो टेंट हाउस की दुकान चलाते थे। विमलेंद्र ने बताया कि अयोध्या के पहले वाले माहौल में उनको टेंट के कारोबार में बहुत घाटा लगा था। उनको लाखों का नुकसान हुआ था। इसके बाद उन्होंने इस काम को छोड़कर शाकाहारी खान-पान का काम शुरू किया है।

विमलेंद्र श्रीवास्तव ने हमें बताया कि अब अयोध्या का माहौल पूरी तरह बदल गया है। श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार आ रही है। इसकी वजह से उनका खाने-पीने का कारोबार बहुत अच्छा चल रहा है। बकौल विमलेंद्र, पहले उनको बड़ी पूँजी लगाकर मुनाफे के बजाय घाटा मिला, लेकिन अब कम पूँजी के काम में भी उनको अच्छा मुनाफा मिल रहा है। इसके लिए उन्होंने भगवान राम को धन्यवाद दिया।

मंदिरों में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध: केरल हाई कोर्ट में याचिका, कहा- फिल्मों की शूटिंग से भी भक्तों की भावनाएँ होती हैं आहत

केरल हाई कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर करके दूसरे धर्म के लोगों को कोचीन देवस्वोम बोर्ड (CDB) के अंतर्गत आने वाले मंदिरों या उसके परिसरों में प्रवेश की अनुमति नहीं देने का निर्देश देने की माँग की गई है। इसके बाद अदालत ने कोचीन देवस्वोम बोर्ड को दो सप्ताह में अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है।

इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अनिल के. नरेन्द्रन और न्यायमूर्ति पीजी अजीत कुमार की खंडपीठ ने की। दरअसल, यह याचिका त्रिपुनिथुरा स्थित भगवान पूर्णात्रेयसा मंदिर के भक्तों द्वारा दायर की गई है। याचिकाकर्ताओं का है कि ‘पूजा, समारोह, अनुष्ठान या आगम प्रणाली की पवित्र प्रकृति के प्रति कम सम्मान रखने वाले’ गैर-आस्तिक लोग इस मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं।

याचिकाकर्ताओं ने मंदिर में मलयालम फिल्म ‘विशेषम’ की शूटिंग की ओर खासतौर पर ध्यान दिलाया। उन्होंने आरोप लगाया गया कि फिल्म की अधिकांश टीम गैर-हिंदू थी और इसे धार्मिक अनुष्ठानों एवं समारोहों की अनदेखी करके शूट किया गया था। इसके कारण भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुँची। इस मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी।

इस याचिका में आगे कहा गया है कि इस फिल्म में दिखाए गए एक दृश्य में मंदिर में एक जोड़े की शादी होती है और दुल्हन को अपने प्रेमी के साथ भागते हुए दिखाया जाता है। इसके कारण मंदिर में हंगामा हो जाता है। आगे तर्क दिया गया है कि मंदिर में व्यावसायिक फिल्म की शूटिंग करना केरल हिंदू सार्वजनिक पूजा स्थल (प्रवेश प्राधिकरण) नियम 1965 के प्रावधानों के खिलाफ है।

याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया है कि प्रतिबंधों के बावजूद गुरुवायुर मंदिर सहित अन्य मंदिर परिसरों में कई फिल्मों की शूटिंग की गई है। याचिकाकर्ताओं ने कहना है कि इस तरह की गतिविधियाँ मंदिरों में मर्यादा और धार्मिक माहौल को बिगाड़ती हैं। इसके कारण भक्तों में नाराजगी बढ़ती है।

याचिका में मंदिर के अंदर नशे में धुत व्यक्तियों और जूते पहने हुए लोगों के प्रवेश को भी प्रतिबंधित करने तथा मंदिर के अंदर वीडियो या व्यावसायिक फिल्मों की शूटिंग पर रोक लगाने की माँग की है। याचिकाकर्ता ने CDB के अंतर्गत आने वाले मंदिरों के गेट पर बोर्ड लगाने की माँग की है, ताकि मंदिर में प्रवेश करने वाला प्रत्येक भक्त मंदिर के रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों का पालन करे।