अब उसी जाँच टीम की रिपोर्ट सामने आई है जिससे पता चलता है कि बर्दवान मेडिकल कॉलेज के रेडियोडायग्नोसिस विभाग के पूर्व आरएमओ अवीक डे पर लगे सारे आरोप वाकई सच थे।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अपनी जाँच में टीम ने बताया डॉ अविक डे के खिलाफ धमकी देने, अनुचितता, अनैतिक व्यवहार करने के आरोप दुर्भाग्यपू्र्ण हैं। वह पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल के सदस्य रहे, नैतिक और दंड समिति में शामिल रहे और साथ ही पश्चिम बंगाल फार्मेसी काउंसिल में राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में नामित किए गए। हालाँकि उन्हें स्थानीय अधिकारियों द्वारा की गई पड़ताल के नतीजे देखते हुए उनके पद से निलंबित कर दिया गया है और सिफारिश की जाती है कि अन्य पद से भी उन्हें हटाया जाए।
जाँच समिति ने यह भी बताया कि 9 अगस्त को जब महिला डॉक्टर के साथ घटना घटी तब डॉक्टर अविक डे की मौजूदगी के आरोपों पर पाया गया है कि डॉ अविक ने इससे इनकार नहीं किया कि वो वहाँ थे। उन्होंने कहा कि वे पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल के अन्य सदस्यों के साथ वहाँ गए थे, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि उन्हें किसने बुलाया था या किसने आने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपराध स्थल पर किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की और केवल उतनी ही दूर गए जितनी पुलिस ने उन्हें अनुमति दी थी।
धमकी के आरोपों पर पता चलता है कि डॉ अविक डे छात्र-छात्रों को धमकाते था। अपने कक्ष में खड़े रहने के लिए बोलते थे और परीक्षा में हेरफेर करके अंकों का घोटाला भी करते थे। इसके अलावा वह अस्पताल की छात्राओं को देर रात चलने वाली पार्टियों में बुलाते थे और न जाने पर उन्हें फेल करने की धमकी देता था।
इसी तरह कुछ अवार्ड्स देने में छेड़छाड़ करने में भी डॉ अविक का हाथ होता था। एक छात्र ने लिखित रूप में स्वीकार किया कि वह एक सम्मान के अयोग्या था लेकिन वह उसे सिर्फ डॉ अविक के कारण मिला। इसी तरह मानव तस्करी के आरोपों पर भी डॉ अविक ने कोई टिप्पणी नहीं की और बताया कि उनका मॉर्च्युरी और एनाटॉमी विभाग से लेना-देना था ही नहीं।
बता दें कि जाँच समिति ने राज्य स्वास्थ्य विभाग को अपनी रिपोर्ट 4 अक्तूबर को सौंपी थी। जाँच करने वाले अधिकारियों में एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्रिंसिपल पीतबरन चक्रवर्ती, डायमंड हार्बर गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल उत्पल दान, प्रफुल्ल चंद्र सेन गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, आरामबाग के प्रिंसिपल रामप्रसाद रॉय और आईपीजीएमईएंडआर के छात्र मामलों के डीन अविजित हाजरा शामिल थे।