Monday, November 18, 2024
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बिहार में भीषण गर्मी के कारण 200 मौतें, धारा 144 लागू, अस्पतालों में मचा कोहराम

बिहार में गर्मी का प्रकोप ऐसा है कि अब इसके कारण प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दी है। आपदा प्रबंधन विभाग ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि अब तक भीषण गर्मी व लू के कारण 184 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह आँकड़ा अब 200 के पार हो चुका है। हालत यह है कि सिर्फ़ पिछले 2 दिनों में 113 लोग काल के ग्रास बन गए हैं। स्थिति को और बदतर होने से बचाने के लिए गया में धारा 144 लागू कर दी गई है। डीएम अभिषेक सिंह ने नया निर्देश जारी करते हुए सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक लोगों को घर में ही रहने को कहा है।

इसके अलावा 11 बजे से 4 बजे तक दिन में सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई है। जब तक मौसम सामान्य नहीं हो जाता, धारा 144 लागू रहेगी। यहाँ तक कि सरकारी मनरेगा योजनाएँ व उनके तहत होने वाले कामकाज भी सुबह 10.30 के बाद ठप्प रहेंगे। खुले स्थानों पर किसी भी प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करने पर भी प्रशासन ने निषेध लगा दिया है। यह सब इसीलिए किया गया है क्योंकि ज़िले के अस्पतालों में कोहराम मचा हुआ है और गर्मी से पीड़ित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

बताया जा रहा है कि लू लगने से सबसे ज्यादा मौतें औरंगाबाद जिले में हुई हैं। धारा 144 लागू करने का एक कारण यह भी है कि किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होने के कारण लोग आक्रोशित हो सकते हैं और असामाजिक तत्व इसका फ़ायदा उठा कर अस्पतालों में तोड़फोड़ कर सकते हैं, जिससे पहले से ही बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं पर और बुरा असर पड़ेगा। क़ानून व्यवस्था को देखते हुए डीएम ने समूचे जिले के लिए यह निर्देश जारी किया है।

गया जिलाधिकारी ने दिया धारा 144 लगाने का आदेश

जिलाधिकारी ने एहतियातन चैंबर ऑफ कॉमर्स, गया से भी निवेदन किया है कि गया शहरी क्षेत्र की दुकानों को दिन में सिर्फ 11:00 बजे तक खोला जाए एवं अपराह्न में 4:00 बजे के बाद खोला जाए। जिलाधिकारी ने आगे कहा कि दिन में 11:00 बजे से 4:00 बजे के बीच दुकानों को बंद रखा जाए और ग्राहकों को भी इसकी सूचना दी जाए, ताकि ग्राहक भीषण गर्मी एवं लू का शिकार न हो सकें।

कस्टमर के साथ सेक्स से इनकार करने पर सईद समेत 4 साथी डांसरों ने बेरहमी से पीटा

हैदारबाद के बेगमपेट इलाके में रविवार (जून 16, 2019) को एक बार में डांसर को कस्टमर के साथ सेक्स न करने पर कपड़े उतारकर पीटा गया। महिला ने अपनी 4 साथी महिला डांसर और एक सईद नाम के कस्टमर पर
मारपीट का आरोप लगाया है। पुलिस ने चारों महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया जबकि सईद अभी फरार है।

मीडिया खबरों के मुताबिक पुलिस अभी फरार सईद को ढूँढ रही है। पंजागुट्टा पुलिस ने बताया है कि महिला ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि उसने जब से बार ज्वाइन किया था तब से उसपर कस्टमर्स के साथ सेक्स करने के लिए दबाव बनाया जाता था। रविवार को जब उसने सेक्स करने से इंकार किया तो चार महिला डांसर और कस्टमर ने उसके कपड़े उतार दिए और सड़क पर पीटा।

25 वर्षीय महिला लोकल फिल्म इंडस्ट्री में बतौर जूनियर कलाकार काम किया करती थी लेकिन जनवरी में आर्थिक संकट के कारण उसने बार ज्वाइन किया था। न्यूज 18 में प्रकाशित खबर के मुताबिक शहर के जाने-माने लिस्बन रेस्ट्रोबार में महिला को अवैध रूप से काम पर रखा गया था। पीड़िता ने आरोप लगाया है कि जब उसने मदद के लिए पुलिस से गुहार लगाई तो पुलिस ने भी उसे बचाने में आनाकानी की।

हालाँकि, एएनआई की खबर के अनुसार इस मामले में पुलिस ने आरोपितों पर आईपीसी धारा 354, 509, 506, 323, 34 के तहत मामला दर्ज कर लिया है, और उनके खिलाफ जाँच भी शुरू हो गई है। इसके अलावा चार महिला आरोपितों को गिरफ्तार करके न्‍यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। जबकि एक की तलाश जारी है। इस मामले में तेलंगाना के डीजीपी महेंद्र रेड्डी ने विस्‍तृत रिपोर्ट माँगी है।

Video वायरल: मध्य प्रदेश में कॉन्ग्रेस के नेता ने प्रेस कॉन्फ्रेस से पहले की पुलिस के साथ हाथापाई

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ की सरकार को 6 महीने पूरे हो गए हैं। राज्य सरकार के मंत्री इन दिनों अपने-अपने क्षेत्रों में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने में व्यस्त हैं। इसी बीच इंदौर से एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स में बवाल होने की ख़बर सामने आई है। दरअसल, वहाँ राज्य सरकार में मंत्री सज्जन सिंह वर्मा एक प्रेस कॉन्फ्रेस में मीडिया को संबोधित करने वाले थे। इस मौक़े पर कई अन्य कॉन्ग्रेसी नेता भी शामिल होने आए थे। इन्हीं में एक नाम स्थानीय कॉन्ग्रेसी नेता सनी राजपाल का भी था। वहाँ पहुँचकर कॉन्ग्रेस के इस दबंग नेता ने न सिर्फ़ पुलिस वालों के साथ बदसलूकी की बल्कि अपनी पावर का भी इस्तेमाल किया।

न्यूज़ एजेंसी ANI द्वारा शेयर किए इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि जब पुलिस अधिकारी ने नेता साहब को रोक कर कुछ पूछना चाहा तो उन्होंने भड़कते हुए कहा कि वो पार्टी के स्पोक पर्सन (प्रवक्ता) हैं। इतना कहते-कहते वो पुलिस से हाथापाई करने लगे और ज़बरदस्ती अंदर चले गए। हल्ला-गुल्ला होता देख वहाँ मौजूद अन्य नेताओं ने मामले को शांत कराया।

सोशल मीडिया पर अब यह वीडियो वायरल हो चुका है। बता दें कि सज्जन सिंह वर्मा राज्य सरकार में PWD मंत्री हैं, जिनके पास राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की ज़िम्मेदारी है।

कमलनाथ सरकार सत्ता पर आसीन होते ही आए दिन चर्चा का विषय बनी हुई है। कभी किसानों की क़र्ज़माफ़ी, कभी आयकर विभाग की छापेमारी। ख़बर तो यह भी है कि CBI की रडार पर कमलनाथ के क़रीबी भी हैं। हद तो तब पार हो जाती जब कमलनाथ यह तक बोलने से नहीं चूकते कि लोकसभा चुनाव 2019 का ख़र्च उठाने के लिए बीजेपी नेताओं की पत्नियाँ गहने बेच रही हैं।

अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को रेलवे का बड़ा तोहफ़ा, सुरक्षा के भी कड़े इंतज़ाम

अमरनाथ धाम की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए भारतीय रेलवे नया तोहफ़ा लेकर आया है। भारत सरकार जहाँ इस यात्रा को सफलतापूर्वक सुगमता से संचालित करने की पूरी कोशिश में लगी है, रेलवे ने इसके लिए स्पेशल ट्रेन चलाने की घोषणा की है। यह ट्रेन दिल्ली से लेकर जम्मू-कश्मीर तक चलेगी और बीच में 11 स्टेशनों पर रुकेगी। यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए रेलवे ने उनकी सुविधा के लिए यह ऐलान किया है। यह ट्रेन दिल्ली के आनंद विहार टर्मिनल से हर सप्ताल 2 बार चलेगी। इसे 1 जुलाई से लेकर 15 अगस्त तक चलाया जाएगा

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने स्पेशल ट्रेन को लेकर दी जानकारी

केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इस सम्बन्ध में अधिक जानकारी देते हुए बताया, “अमरनाथ यात्रियों को रेलवे का तोहफ़ा: विश्व प्रसिद्ध तीर्थ बाबा अमरनाथ के दर्शन हेतु जाने वाले श्रद्धालुओं के लिये रेलवे विशेष ट्रेन चलाने जा रहा है। यह ट्रेन 1 जुलाई से शुरु होगी तथा सप्ताह में दो बार आनंद विहार, दिल्ली से उधमपुर तक चलेगी।” इसके अलावा वापसी के लिए भी स्पेशल ट्रेन की घोषणा की गई है, जो उधमपुर से आनंद विहार तक चलेगी। ये ट्रेनें गाजियाबाद, मेरठ सिटी जंक्शन, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, यमुनानगर जगाधरी, अंबाला कैंट जंक्शन, लुधियाना जंक्शन, जालंधर कैंट, पठानकोट कैंट और जम्मू तवी स्टेशन पर रुकेगी।

भारतीय रेल द्वारा जारी किया गया विज्ञापन

इन ट्रेनों में जनरल व स्लीपिंग वर्ग की सुविधा उपलब्ध होगी। इस बार अमरनाथ यात्रा पर इस्लामिक कट्टरपंथी आतंकियों द्वारा हमले के मँडराते ख़तरे को देखते हुए अतिरिक्त सुरक्षा की व्यवस्था की गई है। पुलवामा और अनंतनाग में हाल के दिनों में बड़े हमले हो चुके हैं। ये अमरनाथ यात्रा की रास्ते में ही आते हैं। ऐसे में, सुरक्षा को लेकर पहले से सतर्कता बरती जा रही है। इस बार की अमरनाथ यात्रा में 350 से भी अधिक अर्धसैनिक बलों की कम्पनियाँ तैनात किए जाने की तैयारी है।

TMC विधायक सुनील सिंह समेत 12 पार्षद होंगे BJP में शामिल, दिल्ली के लिए हुए रवाना

पश्चिम बंगाल में एक तरफ जहाँ डॉक्टरों के हड़ताल का मामला तूल पकड़ता जा रहा है, वहीं एक और बड़ी खबर आ रही है। दरअसल, लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से तृणमूल कॉन्ग्रेस (टीएमसी) के नेताओं का भाजपा में शामिल होना लगातार जारी है। इसी कड़ी में अब बंगाल के नौपारा के टीएमसी विधायक सुनील सिंह ने ऐलान किया है कि वह 12 पार्षदों के साथ सोमवार (जून 17, 2019) को दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में पार्टी में शामिल होंगे।

दिल्ली के लिए रवाना होने से पहले सुनील सिंह ने कहा, “पश्चिम बंगाल की जनता सबका साथ-सबका विकास चाहती है। दिल्ली में मोदी जी की सरकार है और हम चाहते हैं कि यही सरकार प्रदेश में भी बने। ताकि हम पश्चिम बंगाल का विकास कर सकें।”

इस बार के लोकसभा चुनाव में बंगाल में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की है। 2014 में मात्र 2 सीटों पर सिमटी बीजेपी इस बार 18 सीटें जीत कर आई है। चुनाव परिणाम सामने आने के बाद टीएमसी के 3 विधायक और 50 से अधिक पार्षद टीएमसी का साथ छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने बंगाल में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि चुनाव के नतीजों के बाद 40 विधायक भाजपा में शामिल होंगे। पीएम मोदी ने कहा था कि ये विधायक लगातार उनके संपर्क में हैं।

प्रधानमंत्री मोदी के अलावा भाजपा के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने भी कहा था कि टीएमसी विधायक किश्तों में भाजपा ज्वाइन करेंगे। उन्होंने कहा था, “जैसे सात चरणों में लोकसभा का निर्वाचन हुआ, वैसे ही (दूसरी पार्टियों के नेताओं का) भाजपा में शामिल होना भी सात चरणों में होगा। आज तो केवल पहला चरण था।” नेताओं के पलायन के साथ ही पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हत्याओं का दौर भी जारी है। टीएमसी के कार्यकर्ताओं द्वारा बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्याओं के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।

योगी से सीख सकते हैं नीतीश कुमार: गोरखपुर में AES से हुई मौतों को इस तरह किया नियंत्रित

बिहार के मुजफ्फरपुर में 100 से भी अधिक बच्चे ASE (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) के कारण जान गँवा चुके हैं और नीतीश सरकार व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय इस त्रासदी को रोकने में नाकाम साबित हुए हैं। स्थानीय जनता के अनुसार, मरने वाले मासूमों की संख्या सरकारी आँकड़ों से कहीं ज्यादा है। पूरे उत्तर बिहार में फ़ैल चुके इस जापानी बुखार को लेकर प्रशासन अभी भी सुस्त बना हुआ है। आज से 2 वर्ष पहले तक योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक व धार्मिक कर्मभूमि रहा गोरखपुर भी जापानी इंसेफेलाइटिस की चपेट में था।

2017 से पहले उत्तर प्रदेश (खासकर गोरखपुर में) में प्रति वर्ष हज़ारों बच्चों की मौतें होती थीं। 2017 में जब योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री के रूप में उत्तर प्रदेश की सत्ता संभाली, तब उनके सामने इससे निपटने की सबसे बड़ी चुनौती थी, जो पिछली सरकारों की निष्क्रियता के कारण उन्हें विरासत में मिली थी। अकेले उसी वर्ष 500 से अधिक बच्चे अपनी जान गँवा चुके थे। गोरखपुर व आसपास के 14 जिले इस बीमारी की चपेट में थे। 2017 में गोरखपुर के अस्पताल में कई बच्चों की मौत के बाद यह एक बहुत बड़ा राजनीतिक मुद्दा भी बन गया था।

योगी आदित्यनाथ ने इस बीमारी से निपटने के लिए बड़े स्तर पर योजनाएँ तैयार कीं। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (WHO) और UNICEF जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ साझेदारी की और उनके साथ मिल कर एक एक्शन प्लान पर काम शुरू किया। एक बड़ा और व्यापक टीकाकरण अभियान शुरू किया गया। स्वास्थ्य व सफाई को लेकर जागरूकता फैलाने के तहत एक बड़ा अभियान चलाया गया। प्रभावित क्षेत्रों से सूअरों को अलग किया गया। फॉगिंग के लिए त्वरित प्रतिक्रया टीम को लगाया गया।

बच्चों के माता-पिता को घर-घर जाकर यह समझाया गया कि वे अपने बच्चों को मिट्टी की पुताई वाली जमीन पर न सोने दें। पीने का पानी के लिए इंडिया मार्क-2 वाटर पाइप का और हैंड पंप का प्रयोग करने की सलाह दी गई। इस बीमारी से जुड़े लक्षणों के बारे में हर परिवार को बताया गया और किसी भी आपात स्थिति में 108 एम्बुलेंस नंबर पर कॉल करने को कहा गया। इन सभी कार्यों के परिणाम भी अच्छे मिले। जापानी इंसेफेलाइटिस के कारण हुई मौतों में एक वर्ष के भीतर दो तिहाई की कमी आई। जहाँ 2017 में इस बीमारी से 557 जानें गई थीं, 2018 में यह आँकड़ा 187 रहा।

अगर 14 जिलों के आँकड़ों की बात करें तो 2017 में इस बीमारी को लेकर कुल 3817 मामले आए थे, 2018 में इसकी संख्या आधे से भी कम होकर 2043 पर पहुँच गई। जब इस बीमारी से पीड़ित होने वाले बच्चों की संख्या में कमी आई तो इसका अर्थ यह हुआ कि अस्पताल में भी कम बच्चे भर्ती होंगे। इससे डॉक्टरों को मृत्यु दर रोकने में मदद मिली। जहाँ 2017 में प्रत्येक 7 मरीज में से 1 की मृत्यु हो जाती थी, 2018 में हर 11 में से 1 बीमार की मृत्यु हुई। इस वर्ष फ़रवरी में जापानी इंसेफेलाइटिस की वजह से 1 भी बच्चे की जान जाने की बात सामने नहीं आई है।

अब चूँकि पूर्वी यूपी और उत्तरी बिहार के भौगोलिक हालात मिलते-जुलते हैं, बिहार सरकार को योगी प्रशासन से यह सीखना चाहिए कि उन्होंने कैसे इस बीमारी पर काबू पाने में सफलता हासिल की। हालाँकि, बिहार सरकार ने भी 2016 एवं 2017 में इस बीमारी से हुई मौतों में कमी लाने के प्रयास में सफलता पाई थी, लेकिन इस वर्ष हुई इतनी संख्या में मौतें सरकार की सुस्ती का परिणाम हैं।

BJP सांसद को नहीं मिली भोजपुरी में शपथ लेने की अनुमति, पूर्व केंद्रीय मंत्री ने जताई आपत्ति

आज सोमवार (जून 17, 2019) को संसद का नया सत्र शुरू हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अन्य नव-निर्वाचित सांसदों को प्रोटेम स्पीकर वीरेंदर कुमार ने शपथ दिलाई। वहीं बिहार स्थित महराजगंज के सांसद जर्नादन सिंह सिग्रीवाल ने जब भोपजपुरी में शपथ ग्रहण करने की इच्छा जताई, तब उन्हें रोक दिया गया। लोकसभा महासचिव ने कहा कि नियमानुसार यह संभव नहीं है क्योंकि भोजपुरी भाषा संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल नहीं है और जो भाषाएँ इस अनुसूची में शामिल नहीं होती हैं, उसमें शपथ लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती। पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने इस नियम पर आपत्ति जताई।

सारण से सांसद चुने गए रूडी इस बात से नाराज़ थे कि भोजपुरी में शपथ लेने की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके बाद दोनों ही सांसदों ने हिंदी में शपथ ली। उधर दूसरी तरफ छिंदवाड़ा से कॉन्ग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए नकुल नाथ को पहली संसद तक छोड़ने के लिए ख़ुद उनके पिता व मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ भी साथ में पहुँचे। इन सभी सांसदों को कार्यवाहक अध्यक्ष वीरेंदर कुमार ने शपथ दिलाई। इस दौरान संसद पहुँचे प्रधानमंत्री मोदी ने एक स्वस्थ लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विपक्ष को अपने संख्याबल को लेकर चिंता करने की ज़रुरत नहीं है, उनकी हर बात सरकार के लिए मूल्यवान है। उन्होंने कहा कि सभी पक्ष और विपक्ष को छोड़ निष्पक्ष होकर कार्य करें।

प्रधानमंत्री ने आशा जताई कि विपक्ष के नेतागण लोकसभा की बहसों में सक्रियता से भाग लेंगे और खुले मन से अपनी बात रखेंगे। पश्चिम बंगाल से जीत कर आए भाजपा सांसदों बाबुल सुप्रियो और देवाश्री चौधरी ने भी शपथ ली। इन दोनों के शपथ लेने के दौरान पूरे सदन में ‘जय श्री राम’ के नारे गूँजते रहे। सत्र शुरू होने के तुरंत बाद राष्ट्रगान हुआ और उसके बाद 2 मिनट का मौन रखा गया। सबसे पहले पीएम मोदी ने शपथ ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कार्यवाहक अध्यक्ष को शपथ दिलाई।

दो दिनों के अंदर सभी 542 सांसदों को शपथ दिलाई जाएगी। बता दें कि टीकमगढ़ से सांसद चुने गए वीरेंद्र कुमार का लोकसभा में लम्बा अनुभव है और 1996 से लेकर अब तक वे 7 बार सांसद चुने जा चुके हैं। सत्र शुरू होने से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में सरकार ने विपक्ष से मत्वपूर्ण बिलों को पारित कराने के लिए सहयोग माँगा। सभी सांसदों के शपथग्रहण के बाद लोकसभा में स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का भी चुनाव होगा।

जिनके परदादा ने रखी थी UCO बैंक की नींव, आज वही घोषित हुए विलफुल डिफॉल्टर

बिड़ला सूर्या लिमिटेड के निदेशक यशोवर्धन बिड़ला को यूको बैंक ने रविवार (जून 17, 2019) को विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर दिया। बिड़ला सूर्या लिमिटेड पर बैंक का 67.55 करोड़ रुपया बकाया है। यूको बैंक द्वारा दी गई सार्वजनिक सूचना में यशोवर्धन बिड़ला की तस्वीर भी प्रकाशित की गई।

नोटिस में बैंक ने बताया कि बिड़ला सूर्या लिमिटेड को मुंबई के नरीमन प्वाइंट कॉरपोरेट ब्रांच से 100 करोड़ रुपए की क्रेडिट लिमिट दी गई थी। इसमें 67.55 करोड़ का ब्याज न चुका पाने के कारण कंपनी को 3 जून को एनपीए घोषित कर दिया था। लेकिन नोटिस मिलने के बाद भी जब कंपनी ने कर्ज नहीं चुकाया तो बैंक ने निदेशक, प्रमोटर और गारंटर को विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर दिया।

बता दें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के निर्देशों के अनुसार विलफुल डिफॉल्टर को बैंकों या वित्तीय संस्थानों की ओर से किसी प्रकार का कोई कर्ज नहीं दिया जाता। इसके अलावा कंपनी पर पाँच साल तक नए उद्यम लाने पर रोक लग जाती है। कर्जदाता कंपनी या फिर डायरेक्टर्स के ख़िलाफ़ आपराधिक कार्रवाई भी शुरू कर सकते हैं।

जानने वाली बात ये है कि यूको बैंक की स्थापना यशोवर्धन के परदादा घनश्याम दास बिड़ला ने की थी। घनश्याम दास बिड़ला महात्मा गाँधी के भी करीब थे। उनका परिवार देश के प्रमुख औद्योगिक परिवारों में गिना जाता है जिन्होंने देश की आजादी के लिए गांधीजी के आह्वान के बाद आर्थिक मदद भी दी थी।

रमज़ान ने अपना नाम अखिलेश बताकर शादी की फिर तीन तलाक देकर बेघर किया

झारखंड में हज़ारीबाग के चरही थाना क्षेत्र में एक चौंकाने वाली ख़बर का ख़ुलासा हुआ है। एक मुस्लिम शख़्स ने ख़ुद को हिन्दू बताकर हिन्दू युवती से पहले तो शादी की और फिर बाद में अपनी असलियत बताकर युवती का धर्म परिवर्तन करा दिया। पाँच साल बाद मुस्लिम शख़्स ने ‘तीन तलाक़’ देकर उक्त महिला को दो बच्चों समेत घर से बाहर निकाल दिया। दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर महिला का नाम मनीषा यादव है जो उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ की रहने वाली है।

दैनिक जागरण की ख़बर के अनुसार, मनीषा यादव ने पुलिस से मौखिक शिक़ायत की जिसमें उन्होंने कहा कि पाँच साल पहले चरही के पिपरा का रहने वाला ट्रक ड्राइवर रमज़ान अंसारी ट्रक में कोयला लेकर आज़मगढ़ जाता था। वहीं दोनों में जान-पहचान हो गई। मनीषा ने बताया कि रमज़ान ने ख़ुद को हिन्दू बताते हुए अपना नाम अखिलेश यादव बताया था और फिर उससे प्रेम-विवाह कर लिया। बाद में पता चला कि अखिलेश ने उससे झूठ बोला था क्योंकि उसका असली नाम रमज़ान अंसारी है जो पहले से ही शादीशुदा था।

मनीषा ने इस बात की भी जानकारी दी कि शादी के बाद रमज़ान ने उसे चरही ले जाने की बजाए रांची में ही रखा। वहाँ उसने अपनी असलियत बताकर मनीषा का धर्म परिवर्तन करवाया और फिर उससे मुस्लिम रीति-रिवाज़ से पुन: निक़ाह किया। निक़ाह के बाद उसका नाम मनीषा से शबनम रख दिया।

मनीषा ने बताया कि उसके दूसरे बच्चे के जन्म से पहले से ही रमज़ान ने उसके साथ बदसलूकी करनी शुरू कर दी थी। रमज़ान उसे बात-बात पर ताने देता और तरह-तरह से उसे प्रताड़ित करता था। मनीषा ने जब इन सबसे तंग आकर उसका विरोध किया तो एक साथ तीन बार तलाक़ बोलकर उसने उसे घर से निकाल दिया।

ख़बर में इस बात का भी ज़िक्र किया गया कि मनीषा ने अपने पति के ख़िलाफ़ लिखित में कोई शिक़ायत दर्ज नहीं की है और न ही करेगी क्योंकि वो उससे सहानुभूति भी रखती है। मनीषा ने अपने पति रमज़ान अंसारी से प्रति माह तीन हज़ार रुपए बतौर गुज़ारा भत्ता और कमेटी का 40 हज़ार रुपए की माँग की है। रमज़ान ने यह रक़म देने पर मौखिक रूप से सहमति जताई है, इसलिए इस मामले में कोई मुक़दमा दर्ज नहीं किया जा रहा है।    

AES से 100+, गर्मी से 160+ मौतें: बिहार में इंसान की जान का कोई मोल नहीं, 450 अस्पताल में

बिहार से लगातार आ रही ख़बरों के मुताबिक़, वहाँ शायद अब जान की कोई क़ीमत नहीं रह गई है। चाहे बच्चें हों या बड़े, सभी की थोक में जानें जा रही हैं और प्रशासन अभी तक उदासीन रवैया अपनाए हुए है। ताज़ा ख़बरों के अनुसार, बिहार में ASE (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) से मरने वालों की संख्या 100 पार हो गई है। अभी भी मुजफ्फरपुर के केजरीवाल अस्पताल और श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SKMCH) में 350 से भी अधिक बच्चे भर्ती हैं, जिनके इलाज की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। राजद सांसद मनोज झा ने ट्वीट कर इस मामले को संसद सत्र में उठाने की बात कही है, जो आज से शुरू हो रहा है। पिछले 24 घंटों में 17 बच्चे अपनी जान गँवा चुके हैं।

उधर AES से हो रही मासूमों की मौतें थमने का नाम नहीं ले रही, इधर बिहार में गर्मी व लू का ऐसा प्रकोप चला है कि 160 से भी अधिक लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। दक्षिण-पूर्वी बिहार में गर्मी का प्रकोप भयंकर तरीके से बढ़ गया है और मरने वालों में अधिकार बुज़ुर्ग हैं, जो मौसम की मार को बर्दाश्त नहीं कर पाए। अस्पतालों में गर्मी की मार से बीमार होने वालों के इलाज के लिए कोई व्यवस्था नहीं है और जानें लगातार जा रही हैं। अकेले रविवार (जून 16, 2019) को 61 लोगों की मौत गर्मी के कारण हो गई। अस्पतालों का कहना है कि लोग जब तक यहाँ पहुँच रहे हैं, तब तक उनकी हालत और ख़राब हो जा रही है।

औरंगाबाद, गया और नवादा ऐसे जिले हैं- जहाँ गर्मी से सबसे ज्यादा मौतें हुईं। वहीं ASE से अधिकार मौतें उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर में हो रही हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने स्थिति की समीक्षा करने के बाद कहा:

“केंद्र सरकार, राज्य सरकार को एईएस के प्रकोप के बाद स्थिति को नियंत्रित करने में मदद कर रही है। हम स्थिति को नियंत्रित करने हेतु उचित उपचार प्रदान करने और इसके लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचा विकसित करने के लिए राज्य को वित्तीय मदद के साथ सभी संभव सहायता प्रदान करेंगे। यह स्तब्ध करने वाला व कष्टदायक है कि बच्चों की लगातार मृत्यु हो रही है। मैंने माता-पिता के दुःख-दर्द को अच्छी तरह महसूस किया है। बीमारी को नियंत्रित करने व इस पर रोक लगाने के लिए एक समय सीमा तय करने का निर्णय लिया गया है।”

मंत्रियों के लगातार पहुँचने के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है और बिहार के अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है। वहाँ के मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की भी काफ़ी कमी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा अभी तक मुजफ्फरपुर न जाने के कारण लोग उनसे भी नाराज़ हैं। इधर गर्मी के प्रकोप की बात करें तो नालंदा के पावापुरी अस्पताल में अभी भी 58 मरीज भर्ती हैं। कुल मिला कर 100 से भी अधिक लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की बात कही जा रही है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गर्मी से मरने वाले लोगों के परिजनों को 4 लाख रुपया बतौर मुआवजा देने की घोषणा की है। लोगों को राज्य सरकार द्वारा चेतावनी जारी की गई है कि वे दिन में बाहर न निकलें और निकलें भी तो उचित सावधानी के साथ।