OpIndia is hiring! click to know more
Sunday, April 13, 2025
Homeदेश-समाजAES से 100+, गर्मी से 160+ मौतें: बिहार में इंसान की जान का कोई...

AES से 100+, गर्मी से 160+ मौतें: बिहार में इंसान की जान का कोई मोल नहीं, 450 अस्पताल में

औरंगाबाद, गया और नवादा ऐसे जिले हैं- जहाँ गर्मी से सबसे ज्यादा मौतें हुईं। वहीं ASE से अधिकार मौतें उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर में हो रही हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने...

बिहार से लगातार आ रही ख़बरों के मुताबिक़, वहाँ शायद अब जान की कोई क़ीमत नहीं रह गई है। चाहे बच्चें हों या बड़े, सभी की थोक में जानें जा रही हैं और प्रशासन अभी तक उदासीन रवैया अपनाए हुए है। ताज़ा ख़बरों के अनुसार, बिहार में ASE (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) से मरने वालों की संख्या 100 पार हो गई है। अभी भी मुजफ्फरपुर के केजरीवाल अस्पताल और श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SKMCH) में 350 से भी अधिक बच्चे भर्ती हैं, जिनके इलाज की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। राजद सांसद मनोज झा ने ट्वीट कर इस मामले को संसद सत्र में उठाने की बात कही है, जो आज से शुरू हो रहा है। पिछले 24 घंटों में 17 बच्चे अपनी जान गँवा चुके हैं।

उधर AES से हो रही मासूमों की मौतें थमने का नाम नहीं ले रही, इधर बिहार में गर्मी व लू का ऐसा प्रकोप चला है कि 160 से भी अधिक लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। दक्षिण-पूर्वी बिहार में गर्मी का प्रकोप भयंकर तरीके से बढ़ गया है और मरने वालों में अधिकार बुज़ुर्ग हैं, जो मौसम की मार को बर्दाश्त नहीं कर पाए। अस्पतालों में गर्मी की मार से बीमार होने वालों के इलाज के लिए कोई व्यवस्था नहीं है और जानें लगातार जा रही हैं। अकेले रविवार (जून 16, 2019) को 61 लोगों की मौत गर्मी के कारण हो गई। अस्पतालों का कहना है कि लोग जब तक यहाँ पहुँच रहे हैं, तब तक उनकी हालत और ख़राब हो जा रही है।

औरंगाबाद, गया और नवादा ऐसे जिले हैं- जहाँ गर्मी से सबसे ज्यादा मौतें हुईं। वहीं ASE से अधिकार मौतें उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर में हो रही हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने स्थिति की समीक्षा करने के बाद कहा:

“केंद्र सरकार, राज्य सरकार को एईएस के प्रकोप के बाद स्थिति को नियंत्रित करने में मदद कर रही है। हम स्थिति को नियंत्रित करने हेतु उचित उपचार प्रदान करने और इसके लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचा विकसित करने के लिए राज्य को वित्तीय मदद के साथ सभी संभव सहायता प्रदान करेंगे। यह स्तब्ध करने वाला व कष्टदायक है कि बच्चों की लगातार मृत्यु हो रही है। मैंने माता-पिता के दुःख-दर्द को अच्छी तरह महसूस किया है। बीमारी को नियंत्रित करने व इस पर रोक लगाने के लिए एक समय सीमा तय करने का निर्णय लिया गया है।”

मंत्रियों के लगातार पहुँचने के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है और बिहार के अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है। वहाँ के मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की भी काफ़ी कमी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा अभी तक मुजफ्फरपुर न जाने के कारण लोग उनसे भी नाराज़ हैं। इधर गर्मी के प्रकोप की बात करें तो नालंदा के पावापुरी अस्पताल में अभी भी 58 मरीज भर्ती हैं। कुल मिला कर 100 से भी अधिक लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की बात कही जा रही है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गर्मी से मरने वाले लोगों के परिजनों को 4 लाख रुपया बतौर मुआवजा देने की घोषणा की है। लोगों को राज्य सरकार द्वारा चेतावनी जारी की गई है कि वे दिन में बाहर न निकलें और निकलें भी तो उचित सावधानी के साथ।

OpIndia is hiring! click to know more
Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

हिन्दू लोग हैं, मारो-पीटो जो भी करो… बंगाल के ‘शरणार्थी’ हिन्दुओं की आपबीती, बताया – पानी में जहर मिलाया, हर शुक्रवार मचाते हैं आतंक

मुर्शिदाबाद में इस्लामी कट्टरपंथियों ने हिन्दुओं के इलाकों में पानी में जहर मिला दिया, उनकी दुकानें और राशन तक लूट लिया।

क्या राष्ट्रपति को आदेश दे सकता है सुप्रीम कोर्ट, किन कारणों से डेडलाइन तय करने के फैसले पर उठ रहे सवाल: जानिए अधिकारों को...

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, "राज्यपालों द्वारा भेजे गए बिल के मामले में राष्ट्रपति के पास पूर्ण वीटो या पॉकेट वीटो का अधिकार नहीं है।"
- विज्ञापन -