Monday, November 18, 2024
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विजेंद्र गुप्ता ने केजरीवाल-मनीष सिसोदिया पर किया मानहानि का केस, जाने क्या है मामला

भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता ने अपनी छवि धूमिल करने का आरोप लगाते हुए मंगलवार (जून 4, 2019) को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में मानहानि का मामला दर्ज कराया है।

दरअसल, कुछ दिनों पहले केजरीवाल और सिसोदिया ने विजेंद्र गुप्ता पर AAP प्रमुख की हत्या की साजिश रचने वालों में शामिल होने का आरोप लगाया था। जिसके बाद विजेंद्र गुप्ता ने लीगल नोटिस देकर दोनों को 7 दिनों के अंदर माफी माँगने के लिए कहा था। मगर इसका जवाब न मिलने के बाद आज उन्होंने केजरीवाल और सिसोदिया के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया। अब इस मामले की सुनवाई 6 जून को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में होगी।

गौरतलब है कि, लोकसभा चुनाव के दौरान केजरीवाल ने एक इंटरव्यू में कहा था कि जिस तरह से इंदिरा गाँधी की हत्या की गई थी ठीक उसी तरह भारतीय जनता पार्टी भी उनके (केजरीवाल के) अपने निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) के जरिए उनकी हत्या करवाना चाहती है। इस आरोप के जवाब में गुप्ता ने ट्वीट किया, “4 मई को थप्पड़कांड से पहले अरविंद केजरीवाल ने संपर्क अधिकारी से अपने वाहन के आस-पास मौजूद सुरक्षा घेरे को हटाने का निर्देश दिया था। मुख्यमंत्री का निर्देश रोजनामचे में दर्ज हैं। यह खुलासा मैने किया था, इससे AAP को कोई चुनावी लाभ नहीं मिला। इस बौखलाहट में केजरीवाल यह कह रहे हैं कि उनका पीएसओ भाजपा को रिपोर्ट करता है।”

जिसके बाद सिसोदिया ने भी पलटवार करते हुए कहा कि विजेंद्र गुप्ता के ट्वीट ने साबित कर दिया कि सीएम की डेली सिक्योरिटी की रिपोर्ट रोज़ाना बीजेपी के पास पहुँच रही है और इसके आधार पर भाजपा सीएम की हत्या की साज़िश रच रही है। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि इस साजिश में विजेंद्र गुप्ता भी शामिल हैं। बता दें कि, मानहानि का केस दायर करने से एक दिन पहले यानी सोमवार (जून 3, 2019) को इफ्तार पार्टी के दौरान विजेंद्र गुप्ता अपने हाथों से केजरीवाल को खजूर खिलाते हुए नजर आए थे।

राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए 7 प्राथमिकताएँ, जिन पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को खरे उतरना है

लोकसभा चुनाव हाल ही में संपन्न हुए हैं। इस चुनाव में नरेंद्र मोदी की सरकार को दूसरी बार केंद्र में रखकर जनता ने स्पष्ट जनादेश दिया है। और यह स्पष्ट जनादेश भाजपा को मिला है राष्ट्रवाद एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दे पर। अब जब सरकार बन गई है, नेताओं के मंत्रालयों का फैसला कर लिया गया है, तो ऐसे में नए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के लिए आगे का कार्य बहुत स्पष्ट है।

सेना के साथ-साथ सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण का कार्य रक्षा मंत्री की प्राथमिकता होनी चाहिए। मेरी समझ से नीचे के 7 पॉइंट राजनाथ सिंह के एजेंडे में यह सबसे ऊपर होने चाहिए।

1. भारतीय नौसेना के लिए 111 हेलिकॉप्टरों का अनुबंध। इस अनुबंध को ‘रणनीतिक साझेदारी’ मॉडल के तहत जमीन पर उतारा जाएगा। इस अनुबंध के लिए पहले से ही भारतीय और विदेशी कंपनियों के बीच EoI जारी किया जा चुका है। अब अगला क़दम RFP जारी करना है। चूँकि नए मंत्री ने कार्यभार संभाला है, तो उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि इस प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के लिए कैसे तेजी लाई जाए।

2. लड़ाकू जेट की घटती संख्या पर तत्काल निर्णय लेना आवश्यक है। वर्तमान में, भारतीय वायु सेना के एक स्क्वॉड्रन में 30-31 लड़ाकू विमान हैं, जबकि आदर्श स्थिति में यह 42 होने चाहिए। पिछली सरकार द्वारा किए गए 36 राफ़ेल विमानों का सौदा भी अस्थायी रूप से ही इस समस्या को दूर कर सकता है। इसलिए इस पर तत्काल निर्णय की आवश्यकता है।

देश को 114 और फाइटर जेट्स ख़रीदने की तत्काल आवश्यकता है, जिसकी प्रक्रिया भी अभी शुरू नहीं की गई है। ऐसे में, राफ़ेल की ख़रीदारी करना ही एक समझदारी वाला क़दम होगा, लेकिन हाल ही में संपन्न हुए चुनावों को देखते हुए, जहाँ राफ़ेल सौदे को कई बार उछाला गया और केंद्र सरकार को घेरने का प्रयास किया गया, उससे मुझे शक़ है कि अब शायद ही राजनाथ सिंह उस रास्ते का रुख़ करें। यहाँ फिर से, सरकार ‘एसपी’ मॉडल मतलब रणनीतिक साझेदारी मॉडल का रास्ता अपनाएगी और इतनी बड़ी खरीद के लिए हमारे रक्षा मंत्री को निश्चित तौर पर तेजी दिखानी होगी।

3. हाल ही में, समाप्त हुए एयरो इंडिया 2019 में, भारत के AMCA कार्यक्रम के लिए एक टाइमलाइन दी गई थी। AMCA की सफलता कावेरी इंजन (स्वदेशी) पर निर्भर करती है। दुर्भाग्य से, ऐसा लगता है कि कावेरी इंजन अपनी मौत मर रही है और किसी को भी इसकी परवाह नहीं है। हमारे नए रक्षा मंत्री को इस मामले को अपने हाथ में लेना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि कावेरी इंजन को उचित स्थान मिले और वो वायु सेना के काम आ सके।

4. हिंद महासागर में श्रेष्ठता बनाए रखने और चीन से ख़तरे का मुक़ाबला करने के लिए, भारत को एक मज़बूत नौसेना की आवश्यकता है। और इसके लिए एयरक्राफ्ट कैरियर इन उद्देश्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वर्तमान में, भारतीय नौसेना के पास केवल एक ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर है और एक निर्माणाधीन है। एक तीसरा विमान वाहक, INS विशाल, बजट के जाल में फँसा हुआ है। एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ पर आधारित 65,000 टन का यह INS विशाल, भारतीय नौसेना को मज़बूती प्रदान करेगी। हमारे नए रक्षा मंत्री को इस परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए नए तरीक़े खोजने पड़ेंगे।

5. भारतीय नौसेना को तत्काल सी किंग यूटिलिटी हेलीकॉप्टरों के अपने बेड़े में शामिल करने की जरूरत है। DAC ने पिछले साल 24 एमएच-60आर की खरीद की मंजरी दे दी थी लेकिन अमेरिकी सरकार ने अपनी तरफ से LoA हाल-फिलहाल ही भेजा है। अब दोनों देशों की सरकारों को अंतिम अनुबंध पर हस्ताक्षर करने की ज़रूरत है। हमारे नए रक्षा मंत्री को ऐसे में यह देखना होगा कि डील फाइनल होने में देरी न हो। यह डील काफी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि ये डील 123 अतिरिक्त मीडियम मल्टी-रोल हेलीकॉप्टरों की खरीद का रास्ता खोलेगी।

6. युद्ध या युद्ध जैसी स्थिति में, ISR और कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद इस व्यवस्था की आवश्यकता पर जोर दिया गया। चिंताजनक बात यह है कि हमारे पास AWACS की संख्या पाकिस्तान की अपेक्षा कम है। चीजें अभी पाइपलाइन में हैं, लेकिन इसमें तत्काल हस्तक्षेप की जरूरत है और रक्षा मंत्री अगर हस्तक्षेप करते हैं तो अधिग्रहण में तेजी आएगी।

7. मित्र देशों को रक्षा उपकरणों का निर्यात करना रक्षा मंत्रालय की प्राथमिकताओं में से एक है। साल 2025 तक सालाना ₹35,000 करोड़ का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो कि वर्तमान समय में ₹4000 करोड़ है। हालाँकि, यह एक बेहद ही मुश्किल लक्ष्य है, लेकिन अगर इसे संगठित और अनुकूल तरीके से पूरा करने का प्रयास किया जाए, तो इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। इस लक्ष्य को पूरा करने में मित्र देशों को LCA तेजस की बिक्री से मदद मिल सकती है। मलेशिया इस फाइटर जेट को खरीदने की फ़िराक में है और उसे बस आखिरी स्वरूप देने की आवश्यकता है। जहाँ एक तरफ़ एचएएल लागत को नीचे लाने की कोशिश कर रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ़ राजनाथ सिंह को मलेशिया का दौरा करना चाहिए और इस सौदे पर हस्ताक्षर करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।

दिवंगत मनोहर पर्रिकर ने रक्षा मंत्री के रूप में एक अमिट छाप छोड़ी है। उनके कार्यकाल के दौरान एस-400 की खरीद उनकी बड़ी उपलब्धियों में से एक थी। वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पास ऐसे कई अवसर आएँगे और मेरे ख्याल से उनको इन अवसरों को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहिए। इस बार देश की जनता ने देश को सुरक्षित बनाने के लिए भाजपा को वोट दिया है। जाहिर सी बात है कि इस मंत्रालय के प्रदर्शन पर लोगों की खास नजर रहेगी, इस विभाग के काम को बारीकी से देखा जाएगा।

कोर्ट ने दी पत्थरबाज अलगाववादी मसरत आलम, शब्बीर और आसिया अंद्राबी की गिरफ़्तारी की इजाजत

अलगाववादी नेता मसरत आलम भट्ट को मंगलवार को एनआईए कोर्ट में पेश किया गया। जाँच एजेंसी एनआईए ने कोर्ट के सामने कहा था कि कश्‍मीर घाटी में पत्‍थरबाजी के मामलों में अलगाववादी नेताओं आसिया आंद्राबी, शब्बीर शाह और मसरत आलम भट्ट से पूछताछ जरूरी है। कोर्ट ने मंगलवार (जून 04, 2019) को मसरत आलम के साथ शब्बीर शाह और आसिया अंद्राबी की गिरफ्तारी को स्वीकृति दे दी है।

एनआईए ने कोर्ट के सामने कहा था कि कश्‍मीर घाटी में पत्‍थरबाजी के मामलों में तीनों से पूछताछ जरूरी है। इसके बाद कोर्ट ने पत्थरबाजी के मामले में तीनों की गिरफ्तारी की इजाजत दे दी। एनआईए ने तीनों की 15 दिन की कस्टडी की माँग की है।

जाँच एजेंसी एनआईए कोर्ट ने मंगलवार (जून 04, 2019) को मसरत आलम के साथ शब्बीर शाह और आसिया अंद्राबी की गिरफ्तारी को स्वीकृति दे दी है। एनआईए ने कोर्ट के सामने कहा था कि कश्‍मीर घाटी में पत्‍थरबाजी के मामलों में तीनों से पूछताछ जरूरी है। इसके बाद कोर्ट ने पत्थरबाजी के मामले में तीनों की गिरफ्तारी की इजाजत दे दी। एनआईए ने तीनों की 15 दिन की कस्टडी की माँग की है।

अभी एनआईए की कस्टडी की माँग को लेकर कोर्ट में जिरह चल रही है। इससे पहले कोर्ट की इजाजत के बाद एनआईए की टीम ने कोर्ट रूम में ही पत्थरबाजी की घटनाओं में उनकी भूमिका को लेकर तीनों से अलग-अलग पूछताछ की है।

जाँच एजेंसी तीनों आरोपितों से पत्थरबाजी की फंडिंग और उसके पूरे सिस्टम के बारे में जानकारी हासिल करना चाहती है। मसरत आलम के खिलाफ कई गंभीर मामले चल रहे हैं। साल 2008 और 2010 में घाटी में सुरक्षा बलों के खिलाफ पथराव की सिलसिलेवार घटनाओं की अगुवाई मसरत आलम ने ही की थी।

इनके खिलाफ हिज्ब, दुख्तरान-ए-मिल्लत और लश्कर जैसे पेशेवरों के संगठनों के आतंकवादियों के साथ संबंध रखने का आरोप था। कोर्ट के आदेश के बाद अब तीनों से इस मामले में पूछताछ की जा सकेगी। टेरर फंडिंग मामले में एनआईए की टीम ने अलगाववादी नेता यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मीरवाइज उमर फारूक, अशरफ खान, मशर्रत आलम, जफर अकबर भट और नसीम गिलानी के घरों और दफ्तरों पर छापे मारे।

कॉन्ग्रेस MLA ने ₹50 लाख में खरीदी नाबालिग लड़की, ड्रग देकर करता था रेप

गोवा की सत्र अदालत ने कॉन्ग्रेस विधायक अतानासियो मोनसेराते की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने खुद पर लगे बलात्कार के आरोपों को खत्म करने की अपील की थी। गोवा के कॉन्ग्रेस विधायक अतानासियो मोनसेराते को नाबालिग लड़की से रेप के मामले में अब ट्रायल का सामना करना पड़ेगा। गोवा की एक अदालत ने मुकदमा रद्द करने की उनकी अपील खारिज कर दी है। मोनसेराते पर साल 2016 में लड़की के साथ रेप करने का आरोप है।

पीड़ित लड़की ने अपने बयान में कहा था कि उन्हें मोनसेराते ने ₹50 लाख में खरीदा और यौन उत्पीड़न किया। पीड़िता ने यौन उत्पीड़न से पहले लड़की को ड्रग देने का आरोप भी लगाया गया था। वहीं, एक अलग मामले में पिछले हफ्ते भी पुलिस ने मोनसेराते और 2 अन्य लोगों के खिलाफ महिला को मॉलेस्ट करने का केस दर्ज किया था।

पार्टियाँ बदलने के लिए जाने जाते हैं मोनसेराते

वर्ष 2016 के मामले में अब कॉन्ग्रेस विधायक को निचली अदालत में पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत ट्रायल का सामना करना होगा। हालाँकि, वे लगातार अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बताते रहे हैं। वर्ष 2004 में मोनसेराते भाजपा में चले गए और 2007 में फिर लौटकर युनाइटेड गोवा डेमोक्रेटिक पार्टी में आ गए। कुछ साल के बाद वह कॉन्ग्रेस में आए, लेकिन वर्ष 2015 में पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए पार्टी से निकाल दिए गए। इसके बाद उन्होंने गोवा फॉरवर्ड पार्टी ज्वाइन की थी।

अतानासियो मोनसेराते अप्रैल 2019 में कॉन्ग्रेस में शामिल हो गए थे। मोनसेराते पार्टियाँ बदलने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अपना राजनैतिक करियर युनाइटेड गोवा डेमोक्रेटिक पार्टी से शुरू किया था और विधायक बने।

महाराष्ट्र कॉन्ग्रेस: राधाकृष्ण पाटिल के बाद अब्दुल सत्तार ने भी दिया MLA पद से इस्तीफा, BJP में शामिल होने की अटकलें

लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कॉन्ग्रेस की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। अब पार्टी को महाराष्ट्र से एक और झटका लगा है, जहाँ पार्टी विधायक राधाकृष्ण विखे पाटिल ने अपने पद से मंगलवार (जून 4, 2019) को इस्तीफा दे दिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ऐसी सम्भावना है कि वह महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार से पहले बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।

पाटिल महाराष्ट्र में कॉन्ग्रेस विधायक दल के नेता पद से पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं। इस्तीफा देने के बाद राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा, “मैंने लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी के लिए प्रचार भी नहीं किया था। मुझे हाईकमान पर संदेह नहीं है। उन्होंने मुझे विपक्ष का नेता बनाकर अच्छा मौका दिया था। मैंने अच्छा काम करने की कोशिश की, लेकिन हालात ने मुझे इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया है।”

एक तरफ कहाँ कॉन्ग्रेस की लोकसभा में हार के बाद राहुल गाँधी के इस्तीफे की चर्चा थी, वह तो नहीं हुआ लेकिन अलग-अलग राज्यों में हार की ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफों का सिलसिला जारी है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि कुछ नेता पार्टी के भविष्य को लेकर सशंकित हैं। इसलिए कॉन्ग्रेस से इस्तीफा देकर अपने लिए बीजेपी में मुकाम ढूँढ रहे हैं।

कॉन्ग्रेस की समस्या को और बढ़ाते हुए, पाटिल के साथ पूर्व मंत्री अब्दुल सत्तार ने भी कॉन्ग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने तो यहाँ तक दावा किया कि जल्द ही 8-10 और विधायक भी कॉन्ग्रेस पार्टी छोड़ बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। इन घटनाओं को देखने से एक बात स्पष्ट है कि लोकसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस के बेहद ख़राब प्रदर्शन प्रदर्शन से निराश पार्टी नेता महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना के गठजोड़ की लगातार बढ़त को देखते हुए, आगामी विधानसभा चुनाव से पहले कॉन्ग्रेस की डूबती नाव छोड़कर कहीं और ठाँव ढूँढने लगे हैं और इस समय बीजेपी से मजबूत ठिकाना किसी भी नेता को नज़र नहीं आ रहा है। इस तरह से लगातार कॉन्ग्रेस की हालत पतली और बीजेपी मजबूत होती जा रही है।

गौरतलब है कि राधाकृष्ण विखे पाटिल के बेटे सुजय विखे पाटिल भी कॉन्ग्रेस छोड़कर कुछ समय पहले ही सीएम देवेंद्र फड़नवीस की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गए थे। वैसे राधाकृष्ण विखे पाटिल के नेता प्रतिपक्ष के पद छोड़ने की सबसे बड़ी वजह अहमदनगर लोकसभा सीट को बताया जा रहा है। इस सीट से वो अपने बेटे के लिए टिकट माँग रहे थे। लेकिन ये सीट एनसीपी के खाते में चली गई। इसके चलते पहले उनके बेटे ने पार्टी छोड़ी और अब राधाकृष्ण विखे पाटिल ने विधायक पद से भी दे दिया है।

रेप आरोपित पूर्व मंत्री को 1 साल से बचा रही केजरीवाल सरकार, दिल्ली पुलिस को भेजना पड़ा रिमाइंडर

दिल्ली पुलिस ने राज्य के पूर्व मंत्री संदीप कुमार के खिलाफ यौन उत्पीड़न के एक मामले में केजरीवाल सरकार को रिमाइंडर भेजा है। पुलिस की ओर से भेजे गए इस रिमाइंडर में दिल्‍ली सरकार से संदीप कुमार के खिलाफ बनाई गई चार्जशीट को मंजूरी देने की माँग की गई है। पुलिस का कहना है कि केजरीवाल सरकार की ओर से मंजूरी न मिलने के कारण चार्जशीट पिछले एक साल से पेंडिंग है। दरअसल, अगर किसी जनप्रतिनिधि (आरोपी) के खिलाफ पुलिस को चार्जशीट दाखिल करनी होती है, तो इसके लिए राज्य सरकार (अगर आरोपी विधायक हो तो) से अनुमति लेनी पड़ती है।

गौरतलब है कि, संदीप कुमार के खिलाफ राशन कार्ड बनवाने के नाम पर एक महिला से रेप करने का आरोप है। इस मामले से जुड़ा एक वीडियो भी सामने आया था। वीडियो में दिख रही पीड़ित महिला ने आरोप लगाया था कि राशन कार्ड बनवाने और बच्चों को अच्छी नौकरी दिलाने के नाम पर संदीप कुमार ने उसका शारीरिक शोषण किया था। महिला की शिकायत पर साल 2016 में दिल्ली के सुल्तानपुरी थाने में संदीप कुमार के खिलाफ केस दर्ज किया गया था और फिर उनको गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया था। हालाँकि, कुछ दिनों बाद ही उन्हें जमानत मिल गई थी। इस घटना के बाद अपनी किरकिरी होते देख केजरीवाल सरकार ने संदीप को मंत्री पद से हटा दिया था और पार्टी से भी निकाल दिया था।

आगामी चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में महिलाओं के लिए मेट्रो और बस सफर मुफ्त करने की घोषणा की है, लेकिन रेप के आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दायर करने की मंजूरी में देरी को लेकर लोग केजरीवाल पर निशाना साध रहे हैं। लोगों का कहना है कि एक तरफ तो केजरीवाल महिलाओं की सुरक्षा की बात करते हैं, वहींं दूसरी तरफ रेप के आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दायर करने के लिए मंजूरी नहीं दे रहे हैं। ये उनका कैसा दोहरा रवैया है!

नीतीश की इफ्तार Vs नवरात्रि पे फलाहार: ‘हिंदू हृदय सम्राट’ को लोगों ने कहा – आप बनें बिहार के CM

बिहार में इन दिनों सियासी पारा बहुत गरमाया हुआ। चुनावों के दौरान एक दूसरे के विरोधी अब एक दूसरे की इफ्तार पार्टी में शिरकत करने के कारण चर्चा का विषय बन गए हैं। ऐसे में सोशल मीडिया पर गिरिराज सिंह ने नीतीश कुमार पर एक ट्वीट किया है, जिसके बाद लोगों ने नीतीश की आलोचना में और गिरिराज सिंह की तारीफ़ में ट्वीट्स की झड़ी लगा दी।

दरअसल, पटना के हज भवन में जदयू द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में ‘हम'(हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा) के अध्यक्ष जीतनराम माँझी शामिल हुए, और माँझी द्वारा आयोजित इफ्तार में नीतीश कुमार पहुँचे। इसके बाद इफ्तार पार्टी के बहाने मेल-जोल बढ़ाने पर भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने नीतीश पर तीख़ी टिप्पणी करते हुए लिखा, “कितनी खूबसूरत तस्वीर होती जब इतनी ही चाहत से नवरात्रि पे फलाहार का आयोजन करते और सुंदर सुदंर फ़ोटो आते??…अपने कर्म धर्म में हम पिछड़ क्यों जाते और दिखावा में आगे रहते हैं???”

गिरिराज सिंह की इस टिप्पणी पर अधिकांश ट्विटर यूजर उनसे सहमत नजर आए और अप्रत्यक्ष रूप से यूजर्स ने नीतीश के इस मेल-जोल पर खूब तंज कसा। नीतीश पर गिरिराज की दिखावे वाली टिप्पणी पर सबसे पहले तो लोगों ने गिरिराज की बेबाकी की तारीफ़ की।

कुछ लोगों ने यहाँ तक इच्छा जताई कि वो उन्हें बिहार का मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं। यूजर्स ने उन्हें ‘हिंदू हृदय सम्राट’ भी बताया।

अधिकतर यूजर्स सोशल मीडिया पर गिरिराज के समर्थन में नजर आए और उन्होंने नीतीश के इफ्तार को नाटक करार दिया। एक यूजर का ये भी कहना रहा कि अगर अब इन्होंने नवरात्रि में फलाहार का आयोजन नहीं करवाया तो आगामी विधानसभा चुनाव में इन्हें करारा जवाब मिलेगा।

कार्यकाल पूरा नहीं करेंगी ममता, BJP सत्ता में आई तो डेमोग्राफी बदल देंगे: कैलाश विजयवर्गीय

भाजपा के बंगाल प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने दावा किया है कि ममता बनर्जी की पश्चिम बंगाल सरकार अपना वर्तमान कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगी। टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बात करते हुए उन्होंने ‘जय श्री राम’ के घोष को अपने साथ दुर्व्यवहार बताने के ममता बनर्जी के दावे पर भी सवाल खड़ा किया और यह भी दावा किया कि किसी भी समय तृणमूल के विधायक जत्थे-के-जत्थे बनाकर पार्टी छोड़ सकते हैं, जिससे ममता बनर्जी की सरकार खतरे में पड़ जाएगी। उन्होंने तृणमूल के विधायकों में असंतोष का एक और बड़ा कारण पार्टी में ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी का परिवारवाद के चलते बढ़ता कद बताया है।

‘जय श्री राम’ के पोस्टकार्डों पर, ‘बाहरियों’ के सवाल पर

ममता बनर्जी को भाजपा नेताओं द्वारा ‘जय श्री राम’ वाले पोस्टकार्ड भेजे जाने के सवाल पर विजयवर्गीय बताते हैं कि लोकसभा के नतीजे आने पर ख़ुशी मनाते हुए तीन भाजपा कार्यकर्ताओं की बंगाल में हत्या कर दी गई थी। ममता बनर्जी ‘जय श्री राम’ सुनकर भड़क उठतीं हैं। वह पूछते हैं कि लाखों लोगों का धार्मिक उद्घोष गाली कैसे हो सकता है। वह देश के लोगों से अपील करते हैं कि अगर ममता बनर्जी को ऐसा ही लगता है तो देश के लोग उनका भविष्य तय कर दें। ममता ने भाजपा समर्थकों से इंच-इंच इंतकाम लेने की बात की थी, जिसे उन्होंने करना शुरू कर दिया था।

ममता बनर्जी के ‘बाहर से आए लोग राज्य की शांति भंग कर रहे हैं’ के वक्तव्य पर कैलाश विजयवर्गीय ममता बनर्जी के विरोधाभासों की ओर ध्यान खींचते हैं। वह बताते हैं कि रोहिंग्याओं जैसे असली बाहरियों को तो ममता बनर्जी खुद पाल रही हैं (और भारतीयों को ‘बाहरी’ बता रहीं हैं)। वह दावा करते हैं कि 1.5 करोड़ अवैध अप्रवासी बांग्लादेशियों को ममता बनर्जी ने बंगाल में बसा रखा है और उन्हें नागरिकता प्रमाणपत्र से लेकर राशन कार्ड तक दे रखे हैं। इन अवैध निवासियों के लिए ममता सरकार राज्य के असली बाशिंदों का हक लूट रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अपनी संस्कृति पर हो रहे आक्रमण से चिंतित बंगाली समुदाय क्रुद्ध है।

ममता खुद शपथ-ग्रहण से कतरा रहीं थीं, ‘निजी’ बताकर भाजपाईयों की हत्या का बचाव

लोकसभा निर्वाचन के दौरान मारे गए भाजपा कार्यकर्ताओं के परिवार वालों को प्रधानमंत्री के शपथ-ग्रहण समारोह में बुलाने को ‘राजनीतिकरण’ कहे जाने पर कैलाश विजयवर्गीय पलट कर पूछते हैं कि जिन्होंने संगठन के लिए परिवारजन कुर्बान कर दिए, उन्हें भला पार्टी के लिए ख़ुशी के समारोह में क्यों नहीं बुलाया जाए? यह कोई पहले से की गई तैयारी पर आधारित नहीं, स्वःस्फूर्त निर्णय था। और ममता बनर्जी ने उन्हें बुलाए जाने का बहाना बना कर समारोह से किनारा कर लिया। ममता बनर्जी का इन हत्याओं को ‘निजी कारण से की गई’ बताया जाना एक तरह से उचित सिद्ध करने का प्रयास है।

अभिषेक बनर्जी, जीतने पर भाजपा क्या करेगी

ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी के बढ़ते कद को विजयवर्गीय परिवारवाद का कारण बताते हुए इसे तृणमूल के विधायकों में बढ़ते असंतोष की एक प्रमुख वजह बताते हैं। वह दावा करते हैं कि पार्टी के बहुत से विधायक असंतुष्ट हो विद्रोह के लिए तैयार हैं, और उनके एक साथ पार्टी छोड़ देने के चलते तृणमूल कॉन्ग्रेस राज्य सरकार में 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगी। भाजपा के राज्य सरकार में आने पर प्राथमिकताओं की सूची में विजयवर्गीय कानून व्यवस्था, विकास के अलावा सीमावर्ती जिलों की डेमोग्राफी बदलने पर भी जोर देते हैं। उनके मुताबिक पार्टी ने डेमोग्राफिक असंतुलन को सुधारने का भी प्रण ले रखा है।

प्रियंका गाँधी ने खूब मेहनत की, हार के लिए कार्यकर्ता ज़िम्मेदार: राज बब्बर

उत्तर प्रदेश कॉन्ग्रेस कमिटी के अध्यक्ष राज बब्बर ने पार्टी महासचिव प्रियंका गाँधी के बचाव किया है। राज बब्बर ने कहा कि हार के लिए प्रियंका नहीं बल्कि कार्यकर्ता और स्थानीय नेतागण ज़िम्मेदार हैं। राहुल और प्रियंका की तारीफ करते हुए राज बब्बर ने कहा कि उन दोनों ने ख़ूब मेहनत की। प्रियंका गाँधी को लोकसभा चुनाव से ऐन पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश में पार्टी का प्रभारी बना कर भेजा गया था। इसके बाद मीडिया के हलकों में यह चर्चा थी कि प्रियंका संगठन में नई जान फूँकेंगी और राज्य में कॉन्ग्रेस का जीर्णोद्धार होगा, लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद पार्टी का प्रदर्शन बदतर रहा।

यहाँ तक कि ख़ुद कॉन्ग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी अपने परिवार की पारंपरिक सीट अमेठी से हार गए। प्रियंका गाँधी द्वारा धुआँधार प्रचार करने का पार्टी को कोई फायदा नहीं मिला और भाजपा ने बड़ी बढ़त बनाई। पूर्व सांसद राज बब्बर ने प्रियंका का बचाव करते हुए कहा:

“प्रियंका गाँधी ने अपना काम किया। लेकिन, पार्टी कार्यकर्ताओं, स्थानीय नेताओं, प्रत्याशियों और संगठन उनसे चुनावी लाभ नहीं ले सके। राहुल जी ने इस चुनाव के बहुत कड़ी मेहनत की और प्रियंका जी ने भी उसी दमखम के साथ उनसे ताल मिलाई। हम लोग (पार्टी कार्यकर्ता, स्थानीय नेता और उम्मीदवार) ख़ुद को साबित करने में नाकाम रहे। अमेठी को उन्होंने कभी भी अपना संसदीय क्षेत्र नहीं माना बल्कि परिवार माना। अब, घरवालों (अमेठी की जनता) ने इस तरह का निर्णय दे दिया है।”

राज बब्बर ने ख़ुद फतेहपुर सिकरी से चुनाव लड़ा था, जहाँ उन्हें बुरी हार का सामना करना पड़ा। भाजपा के राजकुमार चाहर ने उन्हें लगभग 5 लाख मतों के भारी अंतर से बुरी तरह मात दिया। चाहर को कुल मतों का 64% प्राप्त हुआ जबकि बब्बर को सिर्फ़ 16% से संतोष करना पड़ा। राज बब्बर ने कहा कि राहुल गाँधी के मन में एक पीड़ा है, जो साफ़ नज़र आ रही है। उन्होंने अमेठीवासियों के मन में भी पीड़ा होने का दावा किया। बब्बर ने कहा कि राहुल भले ही वायनाड से सांसद बन गए हों, लेकिन उनके मन में कहीं न कहीं एक टीस ज़रूर है।

उत्तर प्रदेश में इस बार कॉन्ग्रेस का प्रदर्शन पिछले चुनाव के मुक़ाबले भी बहुत बुरा रहा। हालाँकि, कॉन्ग्रेस की पूरे देश में जितनी सीटें आई हैं, उससे ज्यादा भाजपा को अकेले यूपी से मिल गई। यूपी में वोटरों ने जातीय अंकगणित के आधार पर बने महागठबंधन को भी नकार दिया और चुनाव परिणाम के बाद अब सपा-बसपा की राहें भी जुदा हो गई हैं। राज बब्बर ने हार की ज़िम्मेदारी लेते हुए प्रदेश अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा भी सौंपा था। हालाँकि, कई राज्यों में कॉन्ग्रेस के पदाधिकारियों ने अपना इस्तीफा सौंपा था।

राज बब्बर ने कहा कि जीते हुए 52 कॉन्ग्रेस सांसदों से बातचीत कर यह जानना पड़ेगा कि उनकी रणनीति क्या रही। उन्होंने कहा कि मौका मिलने पर वे इस काम को करेंगे। राज बब्बर ने कहा कि इस हार के मंथन के लिए ऊपर से नीचे तक, सभी को बैठ कर विचार करना पड़ेगा। बब्बर ने कहा कि किसी को दोष देने के बजाए अपनी हार को स्वीकार करना ज्यादा बेहतर है। ये सारी बातें उन्होंने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कही।

100 दिनों में भारत में शुरू हो जाएगा 5G का ट्रायल, BSNL-MTNL को दौड़ में वापस लाएँगे: रविशंकर

भारत में अब ज़ल्द ही 5G इन्टरनेट की सुविधा मिलने लगेगी। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसकी पुष्टि की है। भारत जल्द ही 5G के लिए फील्ड ट्रायल शुरू करने वाला है। इस प्रक्रिया को पूरे देश में 100 दिनों के भीतर शुरू किया जाएगा। इसके अलावा 5G की सर्विस के लिए एक मेगा स्पेक्ट्रम ऑक्शन भी होगा। इसमें 5G के अलावा अन्य रेडियो वेव भी शामिल होंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक बार ट्रायल सही से ख़त्म हो जाए, फिर आम जनता के प्रयोग के लिए भी 5G उपलब्ध हो जाएगा।

केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि Huwaei कम्पनी के 5G ट्रायल में हिस्सा लेने के बारे में अभी कुछ तय नहीं है और वह इस मामले में गंभीरता से विचार करेंगे। बता दें कि Huwaei और इसकी अन्य सहयोगी कम्पनियों को अमेरिका की ट्रम्प सरकार ने ब्लैकलिस्ट कर दिया है, जिसके बारे में बात करते हुए प्रसाद ने कहा कि किसी कम्पनी को परीक्षण में भागीदारी लेने की इजाजत देना या नहीं देना सेफ्टी का मुद्दा है। बता दें कि Huwaei टेलीकॉम सेक्टर में 5G की अग्रणी कम्पनी मानी जाती है।

दैनिक जागरण में प्रकाशित ख़बर के अनुसार, टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने टेलीकॉम फ्रीक्वेंसी के लगभग 8,644 एमएचजेड की नीलामी की सिफारिश की है, जिसमें 5G सर्विस के लिए 4.9 लाख करोड़ रुपए की अनुमानित क़ीमत है, लेकिन टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि वे क़ीमत का जोखिम नहीं उठा सकते हैं। केंद्रीय मंत्री प्रसाद को उम्मीद है कि क़ीमत को लेकर टेलीकॉम पर संसद की स्टेंडिंग कमेटी या फाइनेंस कमेटी कोई न कोई समाधान ज़रूर निकाल लेगी।

केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार 5G का प्रयोग विकासोन्मुखी कार्यों के लिए करने का पूरा प्रयास करेगी। उन्होंने बताया कि इस तकनीक का प्रयोग वंचित वर्गों और ग्रामीणों के हित में होगा। साथ ही उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के जनहितकारी कार्यों के लिए 5G तकनीक का इस्तेमाल करने की बात कही। सरकारी कम्पनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल का जिक्र करते हुए प्रसाद ने कहा कि सरकारी कम्पनियों को वापस प्रतिस्पर्धा में लाना उनका उद्देश्य है। साथ ही उन्होंने इन कम्पनियों को प्रोफेशनल तरीका अपनाने की सलाह भी दी।