Thursday, November 7, 2024
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नागरिकता बिल जल्द पास नहीं हुआ तो असम जिन्ना के पास चला जाएगा: हेमंत बिस्वा शर्मा

असम से आने वाले उत्तर-पूर्व के वरिष्ट भाजपा नेता हेमंत बिस्वा शर्मा ने एक बार फिर से नागरिकता बिल 2016 के समर्थन में बयान दिया है। शर्मा ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा, “पड़ोसी मुल्कों से आने वाले घुसपैठियों को रोकने के लिए नागरिकता बिल 2016 को जल्द पास करना जरूरी है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो असम जिन्ना के पास चला जाएगा।” इस प्रेस वार्ता के दौरान हेमंत बिस्वा शर्मा ने यह भी कहा कि घुसपैठियों को शरण देने के लिए कई सारे लोग चिंतित हैं, जो कि गलत है। यदि हम ऐसा करते हैं तो एक तरह से खुद को जिन्ना के दर्शन के लिए आत्मसमर्पण कर रहे होंगे। यह एक तरह से भारत और जिन्ना के विरासत की लड़ाई है।

इस बिल पर भाजपा सरकार की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस बिल की चर्चा खुद प्रधानमंत्री मोदी ने सिलचर में की थी। उन्होंने इसे विभाजन का दंश बताया था।

नागरिकता बिल 2016 क्या है?

2016 में नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव किया गया है। इस विधेयक का नाम नागरिकता अधिनियम 2016 दिया गया है। इस बिल के मुताबिक भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को बिना वैध दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके साथ ही 24 मार्च 1971 के बाद देश में प्रवेश करने वाले घुसपैठियों को देश से बाहर कर दिया जाएगा। इस कानून को बनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि बिना सरकारी वैध कागज के कोई पड़ोसी मुल्क के लोग भारत में नहीं रह सकते हैं।

विवाद की वजह

सदन में  इस बिल को पास होते ही एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स) अपने आप ही प्रभावहीन हो जाएगा। कांग्रेस ने इस बिल को 1985 के असम समझौते के खिलाफ बताकर खारिज किया है। इस समय एनआरसी बनने की प्रक्रिया जारी है। ऐसे में यदि सदन में यह बिल पास हो जाता है, तो देश के सुरक्षा के ख्याल से बेहतर होगा।

पेराम्बरा मस्जिद पर पत्थरबाजी के मामले में CPI (M) कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज

केरल के पेराम्बरा मस्जिद पर पत्थरबाजी के मामले में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और वामपंथी संगठन डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया के कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज किया गया है। ख़बरों के अनुसार दोनों संगठनों के कार्यकर्ताओं पर दो समुदायों के बीच विद्वेष फैलाने के लिए केज रजिस्टर किया गया है। अखिलदास नाम के व्यक्ति सहित कुल 20 लोगों पर धारा 153A के तहत पुलिस ने दंगा भड़काने का भी केस दर्ज किया। इन सभी ने पिछले सप्ताह पेराम्बरा मस्जिद पर पत्थरबाजी की थी।

पेराम्बरा में DYFI और UDF के कार्यकर्ताओं ने मार्च निकाले थे जिस दौरान ये घटनाएं हुई। डीवाईएफआई एक वामपंथी संगठन है और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार और केरल के पूर्व स्पीकर एम विजयकुमार सहित कई बड़े वामपंथी नेता इस संगठन में अहम पद संभल चुके हैं। वहीं दूसरी तरफ यूडीएफ केरल में कांग्रेस के नेतृत्व में बना एक राजनितिक गठबंधन है जिसमे इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग सहित कुल छः पार्टियां शामिल है।

बता दें कि इसी मामले में सीपीआई ने 2 दिन पहले ही निष्पक्ष जांच की मांग की थी। बीते तीन जनवरी को सबरीमाला हड़ताल समीति द्वारा किये जा रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान पेराम्बरा में मस्जिद पर पत्थरबाजी की गयी थी। ये विरोध प्रदर्शन सबरीमाला मंदिर में दो 50 से कम उम्र की महिलाओं द्वारा प्रवेश करने के बाद शुरू हुए थे। ख़बरों के अनुसार इस हड़ताल के शुरू होने के बाद से अब तक 5700 से भी ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और कईयों को नजरबन्द भी किया जा चुका है।

गुरुवार को हुए विरोध प्रदर्शन में कई संगठन शामिल थे। केरल के डीजीपी ने जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस ने इस मामले में करीब तेरह सौ केस दर्ज किये हैं। सबरीमाला मामले को लेकर कई दिनों से लगातार वामपंथी दलों और श्रद्धालुओं के बीच हिंसक टकराव की स्थिति बन रही है जिसके कारण केरल में सामान्य जनजीवन प्रभावित हो रहा है। इसी सिलसिले में कोच्ची में कई भाजपा नेताओं के घरों पर भी हमले किये गए थे जिसके बाद वहां के डीएम ने एक शांति बैठक बुला कर वामदलों और भाजपा नेताओं को हड़ताली मार्च न निकालने की सलाह दी थी।

इस्लाम छोड़ने की सज़ा: एयरपोर्ट पर सऊदी अधिकारियों ने पकड़ा, अब जान का ख़तरा

नाम – राहफ़ मोहम्मद अल क़ुनन
उम्र – 18 साल
‘ज़ुर्म’ – अपनी मर्ज़ी से इस्लाम का त्याग
सज़ा – बैंकॉक एयरपोर्ट पर डिटेन्ड, ज़बरदस्ती सऊदी अरब ले जाने की तैयारी
भय – परिवार वालों से जान का ख़तरा

राहफ़ का यह पहला ट्वीट है, जो अंग्रेज़ी में है। इसके पहले उन्होंने अरबी में ट्वीट किया था। इसके बाद ट्विटर पर राहफ़ के सपोर्ट में लोगों के साथ-साथ दुनिया भर की मीडिया ने भी आवाज़ उठाई।

ऊपर के ट्वीट से यह साफ़ है कि राहफ़ को ऑनर कीलिंग का भी अंदेशा है। उनके एक अरबी ट्वीट के अनुवाद से भय साफ झलकता है – “मुझे सउदी दूतावास और कुवैती एयरलाइंस के कई कर्मचारियों द्वारा धमकी दी गई। उन्होंने कहा “यदि तुम भागती हो, तो हम तूझे ढूंढ लेंगे, तुम्हारा अपहरण कर लेंगे, फिर तुम्हें सज़ा देंगे।” अगर मैं भागी तो वो मेरे साथ क्या करेंगे, मुझे नहीं पता!

राहफ़ मोहम्मद अल क़ुनन अपने परिवार के साथ कुवैत गई थीं। वे अपने परिवार से दूर भागकर ऑस्ट्रेलिया जाने की कोशिश में पहले बैंकॉक गईं, जहाँ से वो ऑस्ट्रेलिया की फ़्लाइट लेतीं। लेकिन बैंकॉक में सऊदी अधिकारियों ने उसका पासपोर्ट ज़ब्त कर लिया। क़ुनन के चचेरे भाई ने ट्विटर पर उनका गला काटने तक की धमकी दे डाली है।

आज़ादी के लिए इस्लाम का त्याग

राहफ़ ने अपनी मर्ज़ी से इस्लाम को त्याग दिया है। उनके अनुसार, “मैंने अपनी बात और तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की। मेरे पिता इस बात को लेकर बहुत ज़्यादा नाराज़ हैं। अपने देश में पढ़ाई नहीं कर सकती, नौकरी नहीं कर सकती। जबकि मैं आज़ादी चाहती हूँ। पढ़ना चाहती हूँ, नौकरी करना चाहती हूँ।”

अमर्त्य सेन आए ‘डरे हुए’ नसीरुद्दीन शाह के बचाव में

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने रविवार को दिये अपने एक बयान में नसीरुद्दीन शाह का बचाव किया है। सेन ने कहा कि देश में इस तरह के विरोधों के खिलाफ आवाज उठाई जानी चाहिए। अमर्त्य सेन ने रविवार को अभिनेता नसीरुद्दीन शाह का समर्थन करते हुए कहा कि उन्हें ‘परेशान’ करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

देश में भीड़ हिंसा पर प्रतिक्रिया देने और गैर सरकारी संगठनों पर सरकार द्वारा की जा रही कथित कार्रवाई के खिलाफ एमनेस्टी इंडिया को दिये एक वीडियो में शाह ने कहा है कि देश में अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है। साथ ही ये भी कहा कि इस देश में अधिकार मांगने वालों को कैद किया जा रहा है। इस विडियो के बाद से नसीरुद्दीन शाह एक बार फिर विवादों में आ गए हैं।

अमर्त्य सेन ने कहा कि “अभिनेता को ‘परेशान’ करने के प्रयास किए जा रहे हैं। हमें अभिनेता को परेशान करने के इस तरह के प्रयासों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। देश में जो कुछ हो रहा है, वह आपत्तिजनक है और इसे जरूर रोका जाना चाहिए।”

इसी मुद्दे पर एक कटाक्ष यहाँ पढ़ें: चोखा धंधा है अभिव्यक्ति की आज़ादी का छिन जाना! गुनाह है ये!

Ind vs Aus: सीरीज जीत भारत ने रचा इतिहास, फिर भी कोहली दिखे निराश!

क्रिकेट के इतिहास में अभी की भारतीय टीम ऑस्ट्रेलियाई सरजमीं पर टेस्ट सीरीज़ जीतने वाली एकमात्र टीम बन गयी है और विराट कोहली ये कारनामा करने वाले पहले कप्तान बने। भारतीय टीम ने चार मैचों की इस सीरीज को 2-1 से अपने नाम किया। बारिश के कारण अंतिम मैच को ड्रा घोषित कर दिया गया और चेतेश्वर पुजारा मैन और द मैच के साथ साथ मैन ऑफ़ द सीरीज भी घोषित किये गए। इस सीरीज में तीन शतकों की मदद से 521 रन बनाकर पुजारा रन बनाने के मामले में सबसे ऊपर रहे। वहीं विकेटकीपर रिषभ पन्त ने 350 रन बनाये। कप्तान कोहली 282 रन बना कर तीसरे स्थान पर रहे। बता दें कि पन्त ऑस्ट्रेलिया में शतक बनाने वाले पहले भारतीय विकेटकीपर हैं।

गेंदबाजी के मामले में भी भारत ने इस सीरीज में काफी कमाल दिखाया। भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह 21 विकेट चटका कर सबसे ऊपर रहे तो ऑस्ट्रेलिया के नाथन लियोन ने भी उनके बराबर विकेट ही झटके। मोहम्मद शमी 16 विकेट लेकर तीसरे स्थान पर रहे।

हलांकि भारतीय कप्तान विराट कोहली सीरीज जीतने के बाद भी निराश नजर आये। विराट कोहली ने कहा कि उनकी टीम इस सीरीज का अंतिम मैच भी जीतना चाहती थी जो कि बारिश की वजह से संभव नहीं हो सका। उन्होंने कहा;

“हम सीरीज़ जीतकर बहुत खुश है, लेकिन हम ये सीरीज़ 2-1 की जगह 3-1 से जीतना चाहते थे। बारिश और खराब रोशनी की वजह हम ऐसा नहीं कर सके और इसके लिए हम निराश है, लेकिन मौसम पर हमारा बस नहीं चलता।”

वहीं भारतीय टीम की इस ऐतिहासिक जीत के बाद पूर्व क्रिकेटरों और बड़ी हस्तियों ने कप्तान कोहली और टीम को बधाई दी। सुरेश रैना ने कहा कि भले ही ये मैच बारिश से ख़त्म हुआ हो लेकिन इस से हमारे जीत के उत्सव पर कोई असर नहीं पड़ने वाला। वहीं मोहम्मद कैफ ने कहा कि सभी भारतीय को इस जीत पर गर्व है।

विराट कोहली ने कहा कि ये जीत उनके लिए काफी ख़ास है। साथ ही बुमराह की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि वह अभी दुनिया का सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज है। उन्होंने हनुमा विहारी की भी तारीफ़ की। पूर्व विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंदर सहवाग ने ट्वीट कर कहा कि इस जीत के लिए भारतीय टीम के हर सदस्य ने ख़ास योगदान दिया।

बता दें कि विराट कोहली के नेतृत्व में ये पहली एशियाई टीम है जिसने ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीती है। इसके अलावा अंतिम मैच में भारतीय टीम पिछले तीस सालों में ऐसी पहली टीम बन गयी जिसने ऑस्ट्रेलिया को फ़ॉलो-ऑन खेलने पर मजबूर किया।

मुज़फ़्फ़रनगर में गौ-तस्करों ने पुलिस पर की गोलीबारी, 2 लोग गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों में गौ-तस्करों ने आतंक मचा रखा है। राज्य के अलग-अलग जिलों से तस्करी के मामले सामने आते रहे हैं। तीन दिसंबर को बुलंदशहर में गोकशी की बात पर भारी हिंसा हुई थी। इस हिंसा में एक पुलिस इंस्पेक्टर व एक अन्य युवक की मौत हो गई थी। जिसके बाद खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के आलाधिकारियो को गोकशी जैसे मामले पर सख्त दिशानिर्देश दिए थे। इतना सबकुछ होने के बावजूद गौ-तस्करी के मामले सामने आ रहे हैं।

5 जनवरी को गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस मुज़फ़्फ़रनगर के शिकारपुर गांव पहुँची। पुलिस को देखते ही तस्करों ने ताबड़तोड़ गोलीबारी शुरू कर दी। जिसके बाद पुलिस की ओर से जवाबी कार्रवाई की गई। दोनों तरफ से हुई गोलीबारी में एक सिपाही और एक तस्कर के घायल होने की खबर है। दो तस्कर मौके से भाग निकलने में सफल रहे जबकि दो लोगों को पुलिस ने मौके पर हिरासत में ले लिया है। 

मुज़फ़्फ़रनगर पुलिस अधीक्षक आलोक शर्मा ने पत्रकारों को बताया कि घटना स्थल पर पुलिस को 100 किलो गौमांस मिला है। पुलिस ने घायल अभियुक्त को हिरासत में लेने के बाद अस्पताल में भर्ती कर दिया है।

इससे पहले मेरठ में पुलिस और गौ-तस्करों के बीच चली थी गोली

उत्तर प्रदेश में तस्करी के मामले आए दिन देखने को मिलते हैं। गौ-तस्कर और पुलिस के बीच गोलीबारी समान्य-सी बात हो गयी है। सात दिसंबर को देर रात मेरठ के मुंडाली क्षेत्र में भी गौ-तस्करों और पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई थी। दोनों तरफ से हुई गोलीबारी में आखिरकार दो घायल गौ-तस्करों को पकड़ने में पुलिस कामयाब रही थी। घायल तस्कर को हिरासत में लेने के बाद पुलिस ने अस्पताल में भर्ती कर दिया था। घायल की पहचान इमामउद्दीन और एजाज के रूप में हुई थी।

जब गौ-तस्करी में शामिल पुलिस वालों पर बरसा योगी का कहर

राज्य में लॉ एंड आर्डर को बनाए रखने के लिए योगी आदित्यनाथ लगातार पुलिस को दिशा निर्देश देते रहते हैं। इसके बावजूद यदि कोई पुलिस अधिकारी कानून को हाथ में लेते पकड़ा जाता है, तो योगी सरकार उसे सेवा मुक्त करने में भी देर नहीं करती है। पिछले दिनों गौ-तस्करी को बढ़ावा देने वाले दो दरोगा और 9 सिपाही की छुट्टी हो चुकी है। इसमें जहानाबाद थाने के कस्बा इंचार्ज एसआई रहे महेंन्द्र कुमार वर्मा, हेड कांस्टेबल नरेन्द्र कुमार सिंह, हेड कांस्टेबल शहनवाज हुसैन आदि थे।


BJP विधायक ने ओवैसी की पार्टी के प्रोटेम स्पीकर के सामने शपथ लेने से किया इनकार

तेलंगाना में भाजपा के एकमात्र नव-निर्वाचित विधायक राजा सिंह ने 17 जनवरी को होने वाले शपथग्रहण समारोह में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है क्योंकि उस समारोह में AIMIM के प्रोटेम स्पीकर द्वारा शपथ दिलाया जाना है। राजा सिंह ने कहा कि वो मुमताज़ अहमद खान द्वारा शपथ नही लेंगे और इसी कारण शपथ ग्रहण समारोह का भी बहिष्कार करेंगे। अपने फेसबुक पेज पर एक वीडियो अपलोड कर राजा सिंह ने अधिक जानकारी देते हुए कहा;

“सभी नव-निर्वाचित विधायकों को AIMIM के प्रोटेम स्पीकर के सामने शपथ लेना है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने ये निर्णय लिया है। मैं आज ये कहना चाहते हूँ कि रजा सिंह उस शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा नहीं लेगा और उस दिन विधानसभा भी नहीं जायेगा।”

बता दें कि परसों ही ये घोषणा की गयी थी कि 16 जनवरी को मुमताज अहमद खान को प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ दिलाई जाएगी और फिर 17 को उनके द्वारा बांकी विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी। सामान्य तौर पर नव निर्वाचित विधानसभा में सबसे सीनियर व्यक्ति को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है। 70 वर्षीय खान ने इस साल हुए विधानसभा चुनावों मेन हैदराबाद के चारमीनार विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की है। वहीं भाजपा के टी राजा सिंह ने गोशामहल विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की जहां उन्हें 45 प्रतिशत से भी अधिक मत मिले थे।

राजा सिंह ने कहा कि वो AIMIM के प्रोटेम स्पीकर के सामने शपथ नहीं लेंगे क्योंकि ओवैसी की पार्टी हिन्दुओं को ख़तम करने की बात करती है और वन्दे मातरम का विरोध करती है। उन्होंने कहा कि हिन्दुओं को ख़त्म करने की बात बोलने वाले के सामने वो कभी शपथ नहीं ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि ओवैसी की पार्टी एक गन्दी पार्टी है और वो देश में युद्ध करने की बात करते हैं। उन्होंने कहा;

“तेलंगाना के मुख्यमंत्री राव निजाम (हैदराबाद राज्य के पूर्व शासक) और एमआईएम के प्रशंसक रहे हैं। उन्होंने एमआईएम के विधायक को विधानसभा का अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त करने का फैसला किया है। मैं विधानसभा नहीं जाऊंगा और उनकी मौजूदगी में विधायक पद की शपथ नहीं लूंगा। अन्य पार्टी के नेता जा सकते हैं लेकिन मैं नहीं जाऊंगा।”

इस मामले में अभी तक AIMIM या TRS की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। राजा सिंह ऐसे मुद्दों पर पहले भी काफी मुखर रहे हैं। पिछले साल उन्होंने बांग्लादेशियों को असम नहीं छोड़ने पर गोली मरने की बात कही थी।

बता दें कि तेलंगाना इस साल हुए विधानसभा चुनावों में केसीआर कि पार्टी टीआरएस ने भारी जीत दर्ज की थी और असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने अपने गढ़ हैदराबाद की सातों सीटों पर अपना कब्ज़ा बरक़रार रखा था।

BJP ने जेपी नड्डा को यूपी, पीयूष गोयल को तमिलनाडु का प्रभारी बनाया

लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने जेपी नड्डा को उत्तर प्रदेश जबकि पीयूष गोयल को तमिलनाडु का प्रभारी बनाया है। पीयूष गोयल को तमिलनाडु के आलावा पुदुचेरी और अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह की जिम्मेदारी भी दी गई है। इसी तरह पार्टी में महासचिव की भूमिका निभाने वाले मुरलीधर राव को कर्नाटक का प्रभारी नियुक्त किया गया है, जबकि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारण को दिल्ली की जिम्मेदारी दी गई है।

भाजपा ने तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद अपने संगठन में महत्वपूर्ण बदलाव किए। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने कुछ दिनों पहले 17 राज्यों में प्रभारी व सहप्रभारियों की नियुक्ति की थी। इस दौरान गुजरात से आने वाले गोवर्धन झपाड़िया को उत्तर प्रदेश में सहप्रभारी के रूप में नियुक्त किया गया। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में प्रभारी के साथ काम करने के लिए कई सहप्रभारियों की जरूरत होती है। यही वजह है कि पार्टी ने उत्तर प्रदेश में अभी तक तीन सहप्रभारियों की नियुक्ति कर दी है।

जेपी नड्डा इससे पहले भी प्रभारी रह चुके हैं

जानकारी के लिए बता दें कि जेपी नड्डा को इससे पहले भी कई राज्यों में बतौर प्रभारी नियुक्त किया जाता रहा है। 2016 में धर्मेंद्र प्रधान के साथ जेपी नड्डा को उत्तराखंड का प्रभारी बनाया गया था। इसके बाद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने अक्टूबर 2018 में जेपी नड्डा को तेलांगना का प्रभारी नियुक्त किया था। इसके अलावा भाजपा संगठन में भी जेपी नड्डा की मजबूत पकड़ है। यही वजह है कि 2019 लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में भाजपा की नैय्या को पार लगाने के लिए जेपी नड्डा को नियुक्त किया गया है।

पीयूष गोयल भी पार्टी के अहम पदों पर रहे हैं

पेशेवर तौर पर चार्टर्ड एकाउंटेंट रहे पीयूष गोयल राजनीति के क्षेत्र में भी अव्वल हैं। दो दशक तक पार्टी के कोषाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। इसके आलावा सोशल मीडिया प्रभारी के रूप में भी गोयल पार्टी में योगदान दे चुके हैं। इससे पहले गोयल को कर्नाटक में प्रभारी नियुक्त किया गया था।

केंद्र सरकार द्वारा सेक्स वर्कर्स और मानव तस्करी पीड़ितों को बैंकिंग सुविधाओं से जोड़ने की पहल

केंद्र सरकार ने सेक्स वर्कर्स और मानव तस्करी पीड़ितों को अपने वित्तीय समावेश (फाइनेंसियल इन्‍क्‍ल्‍युजन) के अंतर्गत जोड़ने के लिए प्रयास शुरू कर दिये हैं। यह केंद्र सरकार द्वारा इस वर्ग के लिए एक बड़ी पहल साबित हो सकती है।

2 जनवरी को वित्त मंत्रालय द्वारा एक मेमोरेंडम जारी कर दिया जा चुका है, जो विशेष उच्चस्तरीय टास्क फ़ोर्स के गठन और क्रियाकलापों से संबन्धित है। यह टास्क फ़ोर्स तय करेगी कि सेक्स वर्कर्स के साथ ही ऐसा वर्ग, जो वित्तीय समावेश जैसी सुविधाओं के दायरे में अब तक नहीं आ पाया है, उन्हें किस तरह से बैंकिंग सुविधाओं के साथ ही अन्य वित्तीय सुविधाएँ दी जा सकती हैं।

टास्क फ़ोर्स की पहली बैठक अगले सप्ताह हो सकती है। मेमोरेंडम के अनुसार टास्क फ़ोर्स वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा संचालित की जाएगी। इसमें स्वास्थ्य मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, गृह मंत्रालय, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI), राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन ऑन बोर्ड प्रतिनिधि होंगे। इसके अलावा, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक के साथ कुछ गैर सरकारी संगठन भी टास्क फ़ोर्स में ऑन बोर्ड प्रतिनिधि रहेंगे।

टास्क फ़ोर्स का प्रमुख लक्ष्य सेक्स वर्कर्स तथा मानव व्यापार पीड़ितों को बैंक अकाउंट जैसी सुविधाओं से जोड़ना होगा जो उन्हें उनके स्वयं के रुपयों के रखरखाव के प्रति सशक्त और आत्मनिर्भर कर सकेगा। केंद्र सरकार की यह पहल समाज के वंचित, शोषित वर्ग के साथ ही उन लोगों के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है जो अब तक किसी भी प्रकार की वित्तीय सुविधाओं के दायरे में और सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाने से वंचित रहे हैं।

राजस्थान: कर्ज़ माफ़ी के नाम पर घोटाला शुरू, शक़ के घेरे में कॉन्ग्रेसी सरकार!

चुनावी वादों के अनुसार विभिन्न राज्यों में किसानों की कर्ज़ माफ़ी में विफलता के बाद, कॉन्ग्रेस पार्टी एक और विवाद में फंसती नज़र आ रही है। टाइम्स नाउ की रिपोर्ट को मानें तो राजस्थान के किसानों ने आरोप लगाया है कि कर्ज़ माफ़ी योजना अब घोटाले में तब्दील हो गई है।

जिन किसानों को इस योजना के तहत लाभ मिलने वाला था, उनके नामों की सूची http://www.lwa.rajasthan.gov.in/ पर डाली गई। टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान सरकार की इस सूची में गैर-लाभार्थियों के नाम भी हैं। स्थानीय किसानों ने राज्य सरकार के इस रवैये को ‘घोटाले’ का नाम दिया है।

इसी मामले पर इकॉनमिक टाइम्स ने भी एक रिपोर्ट की है। इस रिपोर्ट में कहा गया कि जिन लोगों के नाम पर कोई कर्ज़ नहीं था, योजना का लाभ देने के लिए उनका नाम भी सूची में जोड़ दिया गया है।

कर्ज़ माफ़ी के नाम पर यह घोटाला कितने बड़े स्तर का है, इसका पैमाना है अकेले डूंगरपुर जिले से लाभार्थियों की सूची। यहां के 1700 से अधिक किसानों के नाम उस सूची में हैं लेकिन आश्चर्य की बात है कि किसी ने भी लोन नहीं लिया था।

डूंगरपुर के सागवाड़ा सहकारी बैंक के अधिकारियों ने कथित रूप से स्वीकारा कि जैसे ही उन्हें पता चला कि अशोक गहलोत सरकार ने किसान कर्ज़ माफ़ी का आदेश दिया है, उन्होंने उन लोगों के नाम पर लोन जारी किए, जिन्होंने कभी भी लोन नहीं लिया था।

राहुल गांधी ने किसान कर्ज़ माफ़ी का चुनावी कार्ड खेलकर हिन्दी पट्टी के तीन बड़े राज्यों पर सत्ता तो पा लिया लेकिन ‘घोटाले का यह खेल’ शायद राजनीतिक रूप से भारी पड़ने वाला है। भारतीय जनता पार्टी 2019 लोकसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस के खिलाफ़ ‘घोटाले के जिन्न’ को एक बार फिर भुना सकती है।