राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने वसुंधरा राजे सरकार के दौरान लागू किए गए भामाशाह स्वास्थ्य योजना को बंद कराने के बाद अब उसी भामाशाह के नाम पर शुरू किए गए भामाशाह टेक्नो हब की जमकर तारीफ की है।
एनआरसी में जिन 19 लाख लोगों का आँकड़ा निकाला गया है, उसमें से अधिकांश हिन्दू ही हैं। जिन 19 लाख लोगों को एनआरसी से बाहर किया गया है, उनकी अपील को अगर फोरेनर ट्रिब्यूनल ने ठुकरा दिया तो उन्हें लम्बी कानूनी लड़ाई भी लड़नी पड़ेगी।
तीन तलाक को जुर्म बनाने वाले मोदी सरकार के बिल का समर्थन करने वाले खान ने शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन किया था। इस मामले में राजीव गॉंधी की सरकार ने मुस्लिम नेताओं के दबाव में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटते हुए कानून संसद से पास करवाया था।
भगवा आतंकवाद की थ्योरी गढ़ने वाले दिग्विजय सिंह ने इससे पहले कहा था कि जितने भी हिंदू आतंकी पकड़े गए हैं वे आरएसएस से जुड़े हैं। उन्होंने कहा था कि हिंदू आतंकवादी संघ से आते हैं, क्योंकि संघ की विचारधारा नफरत फैलाने वाली है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कालेधन के खिलाफ लड़ाई में इसे काफी महत्वपूर्ण कदम बताया है। दोनों देशों के बीच का यह आदान-प्रदान AEOI के तहत होगा। इससे बड़ी-बड़ी 'मछलियों' की काली कमाई का खुलासा होने की उम्मीद है।
आज बांग्लादेशी घुसपैठियों की सबसे बड़ी पैरोकार ममता बनर्जी ने एक समय (2005 में) बांग्लादेशी घुसपैठियों पर चर्चा कराने की माँग को लेकर तत्कालीन लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी पर कागज़ फेंके थे। महीना यही था अगस्त का और तारीख थी चार।
अमृता प्रीतम साहिर की प्रेमिका थीं, वे उनकी छोड़ी हुई सिगरेट पीती थीं। इमरोज़ अमृता से बहुत प्यार करते थे लेकिन अमृता को साहिर से ज़्यादा प्यार था। क्या अमृता के इस परिचय से ज्यादा भी कुछ पढ़ा है आज? क्या इतनी उम्दा लेखिका सिर्फ़ दो मर्दों तक सीमित थीं?
कॉर्पोरेट को समझना होगा कि उसके एजेन्डाबाज और राजनीतिक रूप से वामपंथी झुकाव वाले प्रोफेशनल किसी मुद्दे का समाधान करने की कोशिश नहीं कर रहे। यही कारण है कि मूल व्यवसाय से ज्यादा ऐसी फ़िज़ूल की गतिविधियों में ऊर्जा खपाना धंधे पर भारी पड़ रहा है।
साहो फिल्म में नील नितिन मुकेश ने भी काम किया है। उन्हीं को लेकर साहो फिल्म पर अपनी राय देते हुए अंकुर पाठक ने लिखा- "ये 2019 है, और फिल्म प्रोड्यूसर्स अभी भी नील नितिन मुकेश को फिल्मों में एक्टिंग करने के लिए पेमेंट दे रहे हैं? मुझे जवाब चाहिए।
लोकतंत्र के चार खम्भे जब गिनवाए जाते हैं तो विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बाद पत्रकारिता का नंबर भी आता है। जब पहले तीन से जनता सवाल कर सकती है तो आखिर ऐसा क्यों है कि पत्रकारिता सीजर्स वाइफ की तरह सवालों से बिलकुल परे करार दी जाती है?