दहशतगर्दी के शुरुआती दिनों में आतंकियों को हीरो समझा जाता था। उन्हें मुजाहिद कहकर सम्मान भी दिया जाता था। लोग अपनी बेटियों की शादी इनसे करवाते थे लेकिन जल्दी ही कश्मीरियों को यह एहसास हुआ कि आज़ादी की बंदूक थामे ये लड़ाके असल में जिस्म को नोचने वाले भेड़िये हैं।
पवार ने कहा, "राणे ने कॉन्ग्रेस में शामिल होने का फैसला इसलिए किया क्योंकि पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया था। राणे को लगा कि कॉन्ग्रेस वादा पूरा करेगी। मेरे जैसे नेताओं को पता है कि ऐसे वादे केवल फायदे के लिए होते हैं। मैंने कॉन्ग्रेस में लंबा वक्त बिताया है।"
जेएनयू का नाम बदलने का सुझाव पहली बार नहीं आया है। इससे पहले 2016 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा था कि जेएनयू ऐसे लोगों का अड्डा बनती जा रही है जो देश के खिलाफ साजिश में शामिल है। उन्होंने इसका नाम बदल कर सुभाष चन्द्र बोस यूनिवर्सिटी रखने की मॉंग की थी।
वामपंथी एक्टिविस्ट कविता कृष्णन ने सोशल मीडिया में वायरल हुए अपने लीक ईमेल में भी कपिल काक, जस्टिस शाह के बारे में बात की है। लीक मेल में जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 से मिला विशेष दर्जा हटने के विरोध की रणनीति का ब्यौरा मौजूद है।
खुसरो की कविताओं से पहले कल्हण की राजतरंगिणी को याद करना जरूरी है, जिसमें कश्मीर को 'कश्यपमेरू' बताया गया है। कहा जाता है कि महर्षि कश्यप श्रीनगर से तीन मील दूर हरि-पर्वत पर रहते थे। जहाँ आजकल कश्मीर की घाटी है, वहाँ अति प्राचीन प्रागैतिहासिक काल में एक बहुत बड़ी झील थी, जिसके पानी को निकाल कर महर्षि कश्यप ने इस स्थान को मनुष्यों के बसने योग्य बनाया था।
अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत इंदौर आई हॉस्पिटल में 13 मरीजों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया। इनमें से सिर्फ 2 मरीजों की आँखें ठीक हुईं। लेकिन शेष 11 मरीजों की आँखें ठीक होने के बजाय रोशनी ही चली गई।
ओवैसी ब्रीड के तमाम नेता हमेशा भीम-मीम से लेकर तमाम अदरक-लहसुन करते रहते हैं। और सबके केन्द्र में यही बात होती है कि देखो हिन्दू तुमको काटने की तैयारी में है, तुम्हारे बकरीद का बकरा छीन लेगा, तुम्हें अब बच्चे पैदा नहीं करने देगा, तुम्हारे बच्चों को नपुंसक बना देगा।
‘‘गाँधी परिवार से बाहर किसी व्यक्ति का पार्टी का नेतृत्व करना वास्तव में मुश्किल होगा। राजनीति में भी ‘ब्रांड इक्विटी’ होती है। अगर आप अभी भाजपा को देखेंगे तो क्या मोदी और शाह के बिना वह सुचारू रूप से चल सकती है? जवाब है नहीं। इसी तरह...”
अंग्रेज सिपाही प्लेग नियंत्रण के नाम पर औरतों-मर्दों को नंगा करके जाँचते थे। चापेकर बंधुओं ने इसका आदेश देने वाले अफसर वॉल्टर चार्ल्स रैंड का वध करने की ठानी। प्लान के मुताबिक जैसे ही वो आया, दामोदर ने चिल्लाकर अपने भाइयों से कहा "गुंडया आला रे" और...
तुष्टीकरण और वोटबैंक की राजनीति करने वाले दलों के लिए 370 के उन्मूलन का विरोध सैद्धांतिक नहीं, अपितु अवसरवादी और पोल खुलने के भय से उपजा है। क्योंकि वे जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर से इस कलंक के समाप्त होने के बाद अब वहाँ निजी निवेश के द्वार खुल जाएँगे, जिससे वहाँ विकास की संभावना बढ़ेंगी।