ज्यादातर बजट भाषण अंग्रेज़ी में दिया जाता है। ऊपर से भारी-भरकम शब्द! आदमी समझे तो समझे कैसे? इसलिए हम लेकर आए हैं एकदम बोलचाल वाली भाषा में बजट की शब्दावली
जीत का शंखनाद फूँका जा रहा है। देश को 'संघी-सांप्रदायिक' ताकतों से छुटकारा मिल गया है। समाजवाद-लालवाद-बेटावाद-दाढ़ीवाद से लेकर दीदी-बुआवाद सब मिलकर अब माल-वाद की मलाई खाएँगे
आख़िर क्यों वाजपेयी ने अपनी कविता में दधीचि का जिक्र किया था? बांद्रा के शिक्षक स्वर्गीय राजेश की कहानी ले जाती है हमें हज़ारों साल पीछे। वृत्रासुर वध की महान गाथा फिर से...
"सबरीमाला मंदिर मार्ग पर एक हवाई अड्डा बनाने की योजना है, यह तभी लाभप्रद होगी जब मंदिर को 365 दिन खुला रखा जाए। इसीलिए मंदिर को एक तीर्थस्थल के बजाय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के प्रयास चल रहे हैं।"
कोलकाता की 'ममता'मयी महफ़िल। बड़े-बड़े धुरंधर। जमावड़ा था एक गिरोह का, 'चौकीदार' को हटाना ही जिनका परम लक्ष्य। केजरीजी को आया जोश और महफ़िल को लूटने की जल्दी में...
स्मृति ईरानी ने कहा कि SC सरकार के पक्ष में फ़ैसला दे चुकी है, रक्षा मंत्री ने विपक्ष के सभी सवालों का जवाब दिया है, कैग के पास मामले से जुड़ी सभी फ़ाईल है। इस मामले पर कॉन्ग्रेस का असली चेहरा लोगों के बीच आ गया है
मीसा को आज हम जिस रूप में देख रहे हैं, दरअसल वो लालू यादव की ही देन है। एक कहावत 'बापे पूत परापत घोड़ा, नै कुछ तो थोड़म थोड़ा' लालू जी के प्रदेश में खूब बोला जाता है। मतलब बच्चों पर कुछ न कुछ असर तो अपने पिता का पड़ता ही है