CNBC-TV18 से बातचीत में विप्रो ने कहा, “यह ऐलान मार्च 2019 में हुआ था। आज ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई है।” करीब एक साल पहले मार्च 2019 में जब अजीम विप्रो के चेयरमैन थे, तो उन्होंने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के लिए 52750 करोड़ रुपए दान किया था।
निर्झरी सिन्हा यानी, प्रतीक सिन्हा की मम्मी ने इस तस्वीर के जरिए PM मोदी के 21 दिनों के लॉकडाउन के ऐलान का उपहास करने का प्रयास किया लेकिन दुर्भाग्यवश कुछ दिन से माँ-बेटों के षड्यंत्र को ज्यादा बल मिल नहीं पा रहा है।
दुकान का नाम गुजराती में लिखा हुआ है। ऑपइंडिया ने इस फोटो को लेकर और चीजें पता लगाने की कोशिश की और पाया कि बोर्ड पर 'चन्द्रमानवाला' लिखा हुआ है, जो गुजरात के पाटन के पास स्थित है।
जोस ने एक ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर किया है। जिसमें दावा किया गया है कि अन्य मुल्कों में कोरोना का टेस्ट फ्री है, जबकि भारत में नहीं। हकीकत यह है कि सरकारी लैब में टेस्ट फ्री हो रहे हैं। 4500 रुपए का जो अधिकतम शुल्क तय किया गया है वह प्राइवेट लैब के लिए है।
...चोरी पकड़ी इसलिए गई, क्योंकि इस ट्विटर अकाउंट ने नाम तो बदल लिया लेकिन वो अपना यूजरनेम या फिर ट्विटर हैंडल का नाम नहीं बदल पाए। तैयारी अधूरी रह गई और प्रपंच पकड़ा गया। इसका मतलब है कि प्रतीक सिन्हा ने एक फेक अकाउंट का ट्वीट शेयर किया।
केन्या रिपोर्ट की खबर में इस घटना की जाँच कर रही पुलिस का हवाला दिया गया था और बताया गया था कि पादरी ने पहले अनुयायियों को यह विश्वास दिलाया कि कोरोनावायरस के खतरे को कीटाणुनाशक द्वारा खत्म किया जा सकता है। उसके बाद उसने सभी को मुँह से...
"इस दौरान मैंने ड्राइवर से पूछा कि वो यहाँ कैसे आया? तो उसने मुझे बताया कि उसे कैंसर था। कोई दवाई नहीं थी, जिससे इलाज हो सके। आखिरकार उसे इस आश्रम आना पड़ा। इस आश्रम में उसे गोमूत्र दिया गया। उसे लेने के बाद बहुत आराम मिला और उसका कैंसर का इलाज हो गया।"
तस्वीर के साथ कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस के बढ़ते ख़तरे के मद्देनज़र लोग सेल्फ-क्वारंटाइन में रहें, इसीलिए पुतिन ने लोगों के भीतर डर बैठाने के लिए ये तरीका आजमाया है। ये भी दावा किया जा रहा है कि रूस में ऐसे 500 शेर सड़कों पर खुले छोड़ दिए गए हैं?
जहाँ एक तरह पीएम मोदी जनता कर्फ्यू की अपील कर लोगों को संक्रमण से बचाव के उपायों पर अमल करने को कह रहे हैं, वहीं कुछ नेता लगातार अफवाह फैलाने में लगे हैं। त्रिवेदी उनमें से ही एक हैं। कॉन्ग्रेस परस्त पत्रकार इसे आगे बढ़ाने में लगे हैं।
आध्यात्मिक नेता अक्सर फेक न्यूज के निशाने पर रहे हैं। इससे पहले, हाल ही में एक एक्टिविस्ट डॉक्टर ने किसी शख्स की गोपनीय मेडिकल रिपोर्ट को पोस्ट करते झूठा दावा किया था कि बाबा रामदेव का सहयोगी गाँजा पीता है।