Friday, April 26, 2024
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कारवाँ के संपादक ने फैलाया झूठ, कहा- देश में नहीं है कोरोना के फ्री टेस्ट की सुविधा

सच ये है कि सरकारी लैब में ये टेस्ट फ्री हैं और प्राइवेट प्रयोगशालाओं में इनके लिए कुछ पैसे लगते हैं। यह 4500 रुपए से ज्यादा नहीं हो सकता। साथ ही सरकार लगातार कहती रही है कि सरकारी प्रयोगशालाओं में जाँच की पर्याप्त क्षमता है।

चीन के वुहान शहर से निकलकर पूरे विश्वभर में आतंक मचाने वाले कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ हर देश ने जंग छेड़ रखी है। लेकिन इतने संवेदनशील मौक़े पर भी वामपंथी मीडिया गिरोह की ओछी हरकतें जारी है। भारत में जहाँ सरकार संक्रमित लोगों को हर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने में प्रयासरत है। वहीं मीडिया गिरोह उनके ख़िलाफ़ फेक न्यूज फैलाने में। कल हमने देखा कि किस तरह कुछ फर्जी ट्विट्स को आधार बनाकर चुनिंदा लोगों द्वारा सरकार पर सवाल उठाए गए। अब कारवाँ मैग्जीन के एक्जिक्यूटिव एडिटर भी इसी खेल को आगे बढ़ाते यानी झूठ फैलाते पकड़े गए हैं।

विनोद के. जोस ने एक ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर किया है। इसमें दावा किया गया कि अन्य देशों में कोरोना वायरस का टेस्ट फ्री है, जबकि भारत में इसके लिए बहुत रुपए लिए जा रहे हैं। विनोद ने ट्विटर पर जिस स्क्रीनशॉट को शेयर किया, वो @devil-ind नाम के यूजर का है। इस यूजर ने दावा किया है कि इरान, चीन, यूरोप, अमेरिका, श्रीलंका में ये टेस्ट फ्री है। लेकिन पाकिस्तान में इसे कराने की कीमत 500 है, बांग्लादेश में 300 और भारत में 4500। अब हालाँकि, जो लोग सरकार की कोशिशों के गवाह है उन्हें ये समझने में बिलकुल समय नहीं लगेगा कि ये झूठी खबर है। लेकिन जो उनके विरोधी हैं उनके लिए ये प्रमाण की तरह है। इसलिए आपको बता दें कि जो दावे विनोद द्वारा किए जा रहे हैं वो देश की निजी लैब द्वारा निर्धारित दामों पर किए जा रहे हैं, क्योंकि भारत में सरकार द्वारा किए जा रहे कोरोना वायरस के टेस्ट बिलकुल फ्री हैं।

अब हालाँकि, ये बात सच है कि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखकर सरकार ने कुछ प्राइवेट लैब को टेस्ट करने के लिए अप्रूव किया है। जिसमें ICMR ने टेस्ट की अधिकतम कीमत 4500 रखी है। यानी प्राइवेट लैब में ये टेस्ट कराने वाले मरीज को प्राइवेट लैब 4500 तक चार्ज कर सकती हैं। लेकिन ये भी सच है कि सरकार ने इस बात की अपील है कि या तो वे इस टेस्ट को फ्री करें या फिर अपने दामों को कम करें।

ये सब लेफ्ट लिबरलों द्वारा फैलाए जा रहे झूठ से बिल्कुल उलट है। सरकार ने टेस्ट के दाम 4500 रुपए तय नहीं किए हैं, बल्कि यह केवल दाम की अधिकतम सीमा है। प्राइवेट लैब से इससे काम पैसा लेने की उम्मीद की जाती है। यहाँ स्पष्ट कर दें कि ये स्थिति सिर्फ़ भारत के साथ नहीं है। बल्कि यूएस में भी है जहाँ सरकार ने टेस्ट को मुफ्त किया हुआ है। लेकिन अगर प्राइवेट लैब में चेक करवाया जाता है तो वह पैसा या तो मरीज को देना होता है या फिर वो पैसा उसके इंश्योरेंस से कटता है। इसलिए लेफ्ट मीडिया द्वारा लगाए जा रहे आरोप बिलकुल गलत है कि कोरोना वायरस का टेस्ट भारत में फ्री नहीं है।

सच ये है कि सरकारी लैब में ये टेस्ट फ्री हैं और प्राइवेट प्रयोगशालाओं में इनके लिए कुछ पैसे लगते हैं। यह 4500 रुपए से ज्यादा नहीं हो सकता। साथ ही सरकार लगातार कहती रही है कि सरकारी प्रयोगशालाओं में जाँच की पर्याप्त क्षमता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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