Tuesday, November 26, 2024

भारत की बात

गुजरात में मकरसंक्रांति पर पटाखे क्यों? विवादित बाबरी ढाँचे और वाजपेयी-आडवाणी के कनेक्शन से कैसे हुई इसकी शुरुआत?

पूरे गुजरात में मकरसंक्रांति की संध्या को पटाखे फोड़े जाते हैं। दो पल को ऐसा लगता है कि समग्र गुजरात में दीवाली वापस आ गई है।

‘जब तक एक भी हिन्दू व्यक्ति जीवित है… तब तक रहेगी माता सीता की कथा’ – क्यों स्वामी विवेकानंद बनना चाहते थे गिलहरी?

“अपने महिमावान अतीत को मत भूलो। स्मरण करो... हम कौन हैं? किन महान पूर्वजों का रक्त हमारी नसों में प्रवाहित हो रहा है?” - स्वामी विवेकानंद

धर्म के लिए हुए बलिदान, मुगलों के सामने नहीं झुकने दी खालसा की शान: कहानी गुरु के उन साहिबजादों की जिनको समर्पित है ‘वीर...

आज 26 दिसंबर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल के बाद से यह दिन वीर बाल दिवस के तौर पर मनाया जाता है। य​ह दिन समर्पित है गुरु गोविंद सिंह के चार साहिबजादों को।

2 शब्द की जगह 3 शब्द लिखवाया सरदार पटेल ने… वो कदम, जिसके कारण अनुच्छेद 370 हटाया जा सका

मई 1949 में पंडित नेहरू जम्मू कश्मीर चले गए और शेख अब्दुल्ला के साथ कई सारे समझौते किए। इसकी भनक तक सरदार पटेल को नहीं लगी।

हर दिन काटी गाय, मंदिर में फैलाया खून… मंदिर में ही खाते थे गोमांस: अजमेर के मोइनुद्दीन चिश्ती और उसके शागिर्दों का सच

जिसके बारे में हमें पढ़ाया गया ‘सूफी संत’, उस मोइनुद्दीन चिश्ती ने पृथ्वीराज को जिंदा पकड़ लिया और उसे 'इस्लाम की सेना' को सौंप दिया।

‘400 हिन्दुओं को मार डाला, बहुत राहत मिली’: महिला मित्र को ‘Love’ के साथ नेहरू की चिट्ठी, गाँधी ने पूरे बिहार के हिन्दुओं को...

जवाहरलाल नेहरू महिला मित्र को पत्र में फ़ौज द्वारा 400 हिन्दुओं की हत्या पर ख़ुशी जताते हैं। महात्मा गाँधी बिहारी हिन्दुओं को 'पापी' और 'कुकर्मी' कहते हैं। इस बौखलाहट का कारण क्या था?

ओडिशा के सूर्यवंशी गजपति राजा, जिन्होंने तेलंगाना तक इस्लामी शासन को उखाड़ फेंका: सरदार पटेल से 575 साल पहले राजा कपिलेंद्र देव ने चटाई...

सूर्यवंशी गजपति वंश के राजा कपिलेंद्र देव एक शक्तिशाली और दूरदर्शी शासक थे, जिन्होंने बहमनी साम्राज्य पर कब्जा कर लिया था।

‘विद्रोह को क्रांति नहीं कहा जा सकता’: भगत सिंह ने लिखा था, समझाया भी था… काश उनकी टीशर्ट पहने लोग, ‘लाल-सलाम’ वाली भीड़ इसे...

“विद्रोह को क्रांति नहीं कहा जा सकता यद्यपि यह हो सकता है कि विद्रोह का अंतिम परिणाम क्रांति हो।” - भगत सिंह ने लिखा-समझाया था।

गोरों ने जिसे समझा गुलाम, स्वामी विवेकानन्द ने उनसे हाथ मिला कर कहा था – ‘धन्यवाद भाई’

“ऐसे विद्वान राष्ट्र में मिशनरी भेजना मूर्खता। वहाँ से तो हमारे देश में धर्मप्रचारक भेजे जाने चाहिए।” - स्वामी विवेकानन्द पर एक टिप्पणी।

पशु-पक्षी, देवी-देवता, नदी-पहाड़… एक पहिये में सब कुछ: विज्ञान और अध्यात्म का मिश्रण है कोणार्क का चक्र, बंगाल में इस्लामी आक्रांताओं के संहार के...

नरसिंहदेव द्वारा बनवाया गया कोणार्क का सूर्य मंदिर, साम्ब से जुड़ी सूर्य उपासना की कथा और मंदिर में लगे पहियों का जानिए महत्व। यूँ ही नहीं बना G20 की शान।

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