Sunday, November 24, 2024

राजनैतिक मुद्दे

मोदी के लिए पाकिस्तान की अहमियत &@%# जितनी ही है

पाकिस्तान की अहमियत मोदी के लिए इतनी भी नहीं है कि उसके द्वारा किए गए हमलों के जवाब में एयर स्ट्राइक होने पर एक भी बार कहीं सीधा बयान दे। पूरे प्रकरण में मोदी ने अपनी रैलियों से लेकर, कई कार्यक्रमों के दौरान कहीं भी पाकिस्तान पर किए गए स्ट्राइक का सीधे ज़िक्र नहीं किया।

पाकिस्तानी मीडिया की कवरेज में दिखा INDIA का खौफ़

पाकिस्तान मीडिया फिलहाल इस समय पर जोरो-शोरों से प्रमाण देने पर तुला हुआ है कि उसे शांति और अमन चाहिए... शायद पाकिस्तान इस बात को अच्छे से जानता है कि अब भारत किसी भी कीमत पर चुप नहीं रहने वाला है।

प्रिय इमरान, अगर सीरियस हो तो कुछ ढंग की बात तो करो

क्या इमरान नहीं जानते कि जैश-ए-मोहम्मद के बाक़ायदा बोर्ड लगे हुए हैं पाकिस्तान में? फिर ये दोगलों जैसी बातें क्यों करता है इमरान? स्वीकार लो कि तुम एक नकारा प्रधानमंत्री हो, जिसके हाथ में न तो सत्ता है, न आर्मी है और न ही वो तमाम आतंकी जो तुम्हारी बात सुनते हों।

#SayNoToWar का रोना रोने वालो, कभी #SayNoToTerrorism भी कह लिया होता

बन्दूक की नाली पर सत्ता लेने की बात करने वाले जब #SayNoToWar का रोना रोने लगें, तो समझ जाइए कि दाल में कुछ काला है। जैसे ही आतंकियों पर कार्रवाई का समय आता है, ये अपने बिल से निकल आते हैं और युद्ध बनाम शांति की बहस क्रिएट कर उसमें कूद पड़ते हैं।

वही मिराज, वही सेना… लेकिन दृढ़ इच्छाशक्ति ने बदल दिया सब कुछ

हमारे देश के आम नागरिकों पर 2004 से 2014 के बीच कई बार हमले हुए मगर तब राजनैतिक इच्छाशक्ति ऐसी थी ही नहीं कि नागरिकों को बचाने का सशस्त्र बलों को कोई आदेश दिया जाता। अब हालात बदल गए हैं।

काश मनमोहन सिंह ने तब वायुसेना प्रमुख की सलाह मान ली होती तो…

डॉक्टर मनमोहन सिंह ने तत्कालीन वायुसेना प्रमुख को सीमा पार आतंकियों पर 'एयर स्ट्राइक' करने से रोक दिया था क्योंकि उन्हें युद्ध का डर था। नेहरू भी सेना पर भरोसा नहीं करते थे। अब भारत जवाब देता है क्योंकि अब सरकार के पास मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति है।

अंतरराष्ट्रीय खेल जगत में होना चाहिए पाकिस्तान का बहिष्कार क्योंकि रंगभेद और ग्लोबल जेहाद का एक ही है ‘रंग’

रंगभेद और जेहादी आतंकवाद में कोई विशेष अंतर नहीं दिखाई पड़ता। आइसीस (ISIS) द्वारा औरतों को सेक्स स्लेव बनाना, पाकिस्तान में आतंकी संगठन जमात-उद-दावा की शरिया अदालतों द्वारा अमानवीय दंड देने वाले फैसले सुनाना जैसे कारनामें जेहाद को रंगभेद से अलग नहीं करते।

मुझे नहीं पता कि जम्मू-कश्मीर में तिरंगे की जगह कौन से झंडे लोग लहराने को मजबूर होंगे : महबूबा

चुनाव आने वाले हैं महबूबा जी, आपकी भी मजबूरी होगी आतंक और आतंकियों को प्रश्रय देना, लगातार उनके पक्ष में बयान देना। शायद आपको भी शांति अच्छी नहीं लगती होगी?

नेशनल वॉर मेमोरियल पर सिब्बल की घटिया राजनीति: भूल गए देश व कॉन्ग्रेस का इतिहास

कॉन्ग्रेस भले ही जवानों की इस माँग को पूरा करने में विफल रही हो लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिमाग में यह चीज तब से थी, जब वो पीएम नहीं बने थे। इस मंच से उन्होंने किया था कि सत्ता में आते ही देश के सैनिकों की याद में युद्ध स्मारक का निर्माण कराया जाएगा।

‘जन सेवा’ की 40 तस्वीरों से ग़रीब, परोपकारी किसान रॉबर्ट ने सरकार पर साधा निशाना

वाड्रा ख़ुद ऐसा काम कर रहे हैं जिससे वो एक दयावान के रूप में ख़ुद को सामने रख सकें और इसके लिए वो नेत्रहीन और ग़रीब लोगों की तस्वीरों का इस्तेमाल करके जनता का ध्यान भटकाने का काम कर रहे हैं।

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