वैज्ञानिक से वकील और तथाकथित कार्यकर्ता से राजनेता बने मुकुल सिन्हा और उनकी पत्नी ने अपना पूरा राजनीतिक करियर गुजरात दंगों में मारे गए लोगों की लाशों पर बनाया है।
जिस चौपाई का जिक्र चंद्रशेखर यादव ने किया, उसे काकभुशुण्डि कह रहे होते हैं, एक ऋषि जो काग (कौवा) के रूप में रहा करते थे। चंद्रशेखर यादव ने इसे गलत अर्थ में पेश किया।
'किसान आंदोलन' से रेप-हत्या की खबरें आती थीं, 'किसान गर्जना रैली' में अलग-अलग संस्कृतियों का प्रदर्शन दिखा। आक्रोश तो था, लेकिन दुर्भावना नहीं। टिकैत जैसों को ये फर्क देखना चाहिए। यहाँ टुकड़े-टुकड़े की बातें करने वाले खालिस्तान नहीं थे, 'भारत माता' थीं।