जिन्हे विपक्षी तानाशाह कहते हैं, उन्होंने छोटे से छोटे दलों को भी गले लगाया, गठबंधन बचाया, नया गठबंधन बनाया। जो मंचों से एकता का नारा देते फिरते हैं, वे ही एक-दूसरे के साथ गठबंधन नहीं कर पाए। राजग आज भी समावेशी है।
अरविन्द केजरीवाल को जब उनके पूर्व सहयोगी कुमार विश्वास ने आत्ममुग्ध बौना कहा था तो किसी ने सोचा नहीं होगा कि केजरीवाल उन्हें सच साबित करने के लिए किस हद तक जाएँगे।
इसी तरह के SMS दोपहर 2 बजे के करीब ऋण माफी के अन्य आवेदकों को भी भेजा गया, जबकि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के लिए चुनाव आयोग ने शाम को 5 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।
अरविन्द केजरीवाल सपोर्ट देना चाह रहे हैं, आगे पीछे घूम रहे हैं, मीटिंग कर रहे हैं, पब्लिक जगहों से आवाज लगा रहे हैं, और एक बेवफ़ा सनम राहुल हैं कि लेना ही नहीं चाह रहे सपोर्ट।
माहौल ऐसा बने कि वोट नहीं कर पाने पर व्यक्ति को पश्चाताप हो। फिर कभी देश में कुछ भी गलत दिखे तो व्यक्ति अपने आप को उसके लिए जिम्मेदार माने और सोचे कि यदि मैं उस दिन वोट करने गया होता तो ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति पैदा नहीं होती।
चुनाव के इस मौसम में भाजपा भी बाहर से आ रहे नेताओं के स्वागत में खड़ी है। जदयू, लोजपा, शिवसेना और अकाली दल जैसे पुराने गठबंधन साथियों का साथ बनाए रख कर भाजपा और उत्साह में नज़र आ रही है।
अमेठी के रेलवे स्टेशन परिसर में राहुल गाँधी के विरोधस्वरूप एक पोस्टर लगाया गया है। इस पोस्टर में वह आतंकी मसूद अज़हर के साथ दिख रहे हैं। पोस्टर में राहुल गाँधी को जैश सरगना का पाँव छूते हुए दिखाया गया है।
राहुल गाँधी की हालात उस बोर्ड परीक्षा के विद्यार्थी की तरह हुई पड़ी है, जिसे कल सुबह पेपर देने जाना है और वो आज शाम नोट्स बनाने बैठा है। उसे अभी सिलेबस भी खरीदना है, ‘मोस्ट इम्पोर्टेन्ट’ और वेरी-वेरी इम्पोर्टेन्ट सवाल लाल-नीले और तमाम रंगीन पेनों से रंग कर परीक्षा के मैदान में कूदना है।