राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में हर तरफ कॉन्ग्रेस बैकफुट पर दिख रही है। टिकट को लेकर हर सीट पर लड़ाई है तो नेतृत्व को लेकर सालों से राजस्थान में चल रही कॉन्ग्रेसी लड़ाई से कौन वाकिफ नहीं है। इस चुनाव में सचिन पायलट और अशोक गहलोत ने अब तक एक भी रैली साथ में नहीं की है। ऐसे में माना जा रहा था कि दोनों ही नेता अपनी-अपनी ताकत अपनी मजबूत सीटों पर दिखा रहे हैं। सचिन को कॉन्ग्रेस खारिज नहीं कर सकी थी। यही वजह है कि सचिन ने अपने समर्थक सभी 19 विधायकों को इस बार भी टिकट दिलवा लिया है। कॉन्ग्रेस को लग रहा है कि सचिन को अलग-थलग करके काम नहीं चलेगा। ऐसे में उनकी कॉन्ग्रेस के पोस्टरों पर वापसी कराई गई है।
जयपुर में कॉन्ग्रेस की ओर से गृह लक्ष्मी गारंटी योजना के पोस्टर लगाए गए हैं। इन पोस्टरों के साथ ही करीब 4 साल बाद सचिन पायलट की कॉन्ग्रेस के पोस्टरों में वापसी हुई है। दरअसल, 12-13 जुलाई 2020 को जयपुर से जो तस्वीरें आई थीं, वो सचिन पायलट को नीचा दिखाने के लिए थीं। अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे, लेकिन संगठन की कमान तब भी सचिन पायलट के ही हाथों में थी। उस समय सचिन पायलट के जन्मदिन पर जयपुर स्थित पार्टी के कार्यालय में जब उनके समर्थकों ने पोस्टर लगाए थे तो उन्हें हटा दिया गया था।
#Jaipur: In a harsh reality tap amid the ongoing political crisis in #Rajasthan, Pradesh Congress Committee President #SachinPilot's posters were removed from outside the state headquarters premise on Monday. pic.twitter.com/blmtJZ75fu
— IANS (@ians_india) July 13, 2020
पुरानी है लड़ाई, लेकिन अब क्यों याद आई?
वैसे आपको फिर से याद दिला देते हैं कि राजस्थान में सचिन पायलट की अगुवाई में 2018 में जीत हासिल करने वाली कॉन्ग्रेस ने उन्हें सत्ता नहीं सौंपी तो सचिन पायलट ने कुछ महीनों के इंतजार के बाद बगावत का झंडा उठा लिया था। इसके बाद अशोक गहलोत की अगुवाई में कॉन्ग्रेस हाईकमान ने भी सचिन को किनारे लगा दिया। सचिन पायलट के डिप्टी सीएम पद पर रहते हुए बगावत को देखकर अशोक गहलोत के इशारे पर उनके पोस्टर फड़वा दिए गए, वो भी तब जब खुद सचिन पायलट ही राजस्थान प्रदेश कॉन्ग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे।
इस घटना ने सचिन पायलट को इस कदर निराश कर दिया था कि उन्होंने अगले ही दिन डिप्टी सीएम का पद छोड़ दिया और खुलकर सरकार से अलग हो गए। अभी इस चुनाव की बात करें तो अब तक सचिन पायलट और अशोक गहलोत कॉन्ग्रेस पार्टी में दो ध्रुव की तरह काम करते दिख रहे हैं। इस चुनाव में दोनों की एक रैली तक साथ नहीं हुई है। अब जबकि मतदान से पहले चुनाव प्रचार के लिए सिर्फ एक सप्ताह का समय बचा है तो कॉन्ग्रेस पार्टी के पोस्टरों पर सचिन पायलट की वापसी हुई है।
पोस्टरों पर सचिन पायलट की वापसी हुई है तो उसके पीछे की वजह विशुद्ध राजनीतिक है। सचिन पायलट का राजस्थान के गुज्जर समुदाय पर पर मजबूत पकड़ माना जाता है। इस चुनाव में मीडिया रिपोर्ट्स ये बता रही हैं कि गुज्जर बहुल इलाकों में कॉन्ग्रेस का तीखा विरोध हो रहा है। गुज्जर अब भी ये बात पचा नहीं पा रहे हैं कि जिस सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के लिए पूरे समाज ने अपना जोर लगा दिया था, उसे मुख्यमंत्री बनाना तो दूर, कॉन्ग्रेस हाई कमान ने डिप्टी सीएम पद से भी हटा दिया था। ऐसे में अब जब प्रचार के लिए कॉन्ग्रेसी उम्मीदवार गुज्जर बहुल इलाकों में पहुँच रहे हैं तो उन्हें विरोध का सामना करना पड़ रहा है। कई इलाकों में स्थानीय गुज्जर नेताओं ने बकायदा भाजपा का झंडा उठा लिया है।
गुज्जरों का दबाव कर रहा काम?
राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से 40-50 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिस पर सचिव पायलट का सीधा प्रभाव रहता है। इन सीटों पर गुज्जर समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है। ये उत्तर प्रदेश और हरियाणा से भी सटी सीटें हैं। इन इलाकों में अशोक गहलोत ने एक भी रैली नहीं की है। अब चूँकि कॉन्ग्रेस अपने 7 वादों को लेकर जनता तक पहुँचने की कोशिश कर रही है तो उसे गुज्जर बहुल इलाकों में भी जाना ही होगा। ऐसे में नाराजगी कम करने के लिए अशोक गहलोत और कॉन्ग्रेस हाईकमान ने फैसला किया है कि सचिन पायलट को फिर से पोस्टरों पर जगह दी जाए, वर्ना बहुत देर हो जाएगी। क्योंकि, सचिन पायलट के पास इतना समय है कि वो अगले 5 साल इंतजार कर सकते हैं, लेकिन ये समय अब अशोक गहलोत के पास नहीं है।
अभी तक की रणनीति सफल रही, लेकिन आगे क्या?
अभी तक सचिन पायलट और अशोक गहलोत को एक साथ मंच पर न लाकर कॉन्ग्रेस ने समझदारी का ही परिचय दिया है। इसकी वजह साफ है कि सचिन पायलट का विरोध करने वाले गहलोत के समर्थकों को पायलट समर्थक सार्वजनिक तौर पर बेइज्जत कर चुके हैं। इसीलिए कॉन्ग्रेस की कोशिश रही है कि वो दोनों नेताओं को एक साथ एक मंच पर न लाएँ। ऐसे में कॉन्ग्रेस अब तक इस स्थिति को संभाल पाने में सफल रही है। यही नहीं, कॉन्ग्रेस ने दोनों ही नेताओं को एक-दूसरे के मजबूत इलाकों में भी जाने से रोक रखा है। हालाँकि, पूरे चुनाव में कॉन्ग्रेस ये बैलेंस बनाकर रख पाएगी, इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता।
वैसे, अशोक गहलोत जानते हैं कि सचिन पायलट का साथ रहना कॉन्ग्रेस के लिए जरूरी है। दोनों साथ मिलकर ही भाजपा को टक्कर दे सकते हैं, सरकार भले ही न बना सके। इसलिए इतने समय बाद अशोक गहलोत ने एक तस्वीर अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर शेयर की है, जिसमें सचिन को सम्मानजनक तरीके से बैठा दिखाया गया है। हालाँकि, फोकस में वो खुद ही हैं और सचिन का चेहरा तक नहीं दिख रहा है। उन्होंने कैप्शन दिया है, “एक साथ, जीत रहे हैं फिर से…”
एक साथ
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 15, 2023
जीत रहे हैं फिर से#कांग्रेस_फिर_से pic.twitter.com/saWIdZ0SGl
बहुत देर कर दी हुजूर आते-आते!
बहरहाल, सचिन पायलट की कॉन्ग्रेस के पोस्टरों पर वापसी को दोनों ही रूपों में देखा जा सकता है। एक ओर यह एक मजबूरी भी हो सकती है, क्योंकि कॉन्ग्रेस को राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने के लिए पायलट की लोकप्रियता की जरूरत है। दूसरी ओर, यह कॉन्ग्रेस के लिए एक जरूरी कदम भी हो सकता है, क्योंकि इससे पार्टी एकता का संदेश देने में सफल हो सकती है।
वैसे, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कॉन्ग्रेस ने काफी देर कर दी है। जो संदेश आम जनता तक जाना था, वो पहले ही जा चुका है। ऐसे में कॉन्ग्रेस को इन पैतरों से क्या फायदा मिलेगा, आने वाले 3 दिसंबर को इसका पता चल ही जाएगा। इन सबके बीच महत्वपूर्ण बता ये है कि भाजपा को हर तरफ बढ़त हासिल होती दिख रही है।