‘आजतक’ ने एक बार फिर से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का महिमामंडन करने के लिए एक मंदिर के योगदान को छिपा दिया। दरअसल, आजतक ने एक मंदिर द्वारा चलाए जा रहे कम्युनिटी किचेन को ‘केजरीवाल का कम्युनिटी किचेन’ कह कर न सिर्फ़ प्रचारित किया बल्कि इस उपलब्धि के लिए दिल्ली सरकार की ही पीठ थपथपाई। नीचे संलग्न किए गए ट्वीट में आप आजतक की वो ख़बर देख सकते हैं, जिसमें मंदिर के कम्युनिटी किचेन के लिए केजरीवाल की वाहवाही की गई है:
Shame on @aajtak for spreading fake news!
— Rahul Kaushik (@kaushkrahul) March 30, 2020
Community Kitchen being run by Jhandewala Mandir committee in association with Sewa Bharati is being credited to Arvijd Kejriwal by @aajtak. pic.twitter.com/ln3hLCld8A
आजतक ने लिखा कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए गए 21 दिनों के लॉकडाउन के बाद अपने गाँव को पलायन करने वाले मजदूरों और गरीबों की भारी भीड़ बॉर्डर पर रोजाना देखने को मिलती है। इन्ही मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने पूरा जोर लगा दिया है। इसके बाद लिखा गया कि केजरीवाल सरकार मजदूरों के रहन-सहन के इंतजाम में जुटी है और ऐसे ही एक कम्युनिटी किचेन को झंडेवालान में चलाया जा रहा है।
जबकि सच्चाई ये है कि इस कम्युनिटी किचेन को ‘झंडेवालान मंदिर कमिटी’ और समाजसेवा संगठन ‘सेवा भारती’ मिल कर चला रही है। इसीलिए आजतक ने बाद में हेडिंग को बदल दिया और ‘कैसा है केजरीवाल का कम्युनिटी किचेन’ की जगह ‘कैसा है मंदिर का कम्युनिटी किचेन’ कर दिया। साथ ही लेख के भीतर भी लिख दिया गया कि पलायन करने वाले मजदूरों के रहने-खाने के इंतजामों में कई गैर सरकारी संस्थान भी सरकार की मदद के लिए आगे आ रहे हैं।
‘सेवा भारती’ ने भी साफ कर दिया है कि इस कम्युनिटी किचेन को चलाने में उसे सिर्फ़ झंडेवालान मंदिर का सहयोग प्राप्त है और उसके अलावा किसी का भी सहयोग नहीं मिला है। वहाँ प्रतिदिन 30,000 लोगों को खाना खिलाया जा रहा है।
बता दें कि इस आपदा के समय देश भर के मंदिर आगे आकर न सिर्फ़ वित्तीय सहयोग कर रहे हैं बल्कि ग़रीबों तक समुचित संसाधन पहुँचाने में भी लगे हुए हैं। कई समाजिक संगठन भी जनसेवा में रत हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी लगातार इसी काम में लगा हुआ हैं। जबकि अरविन्द केजरीवाल की पार्टी के नेता आरोप-प्रत्यारोप खेल रहे हैं और मीडिया इससे इतर दिल्ली सरकार के महिमामंडन में लगा है। साथ ही मंदिरों के योगदान को भी जानबूझ कर छिपाया जा रहा है।