भारत और चीन के बीच लद्दाख में जारी सीमा विवाद को लेकर दो समाचार समूहों ने एक ख़बर प्रकाशित की। दोनों ख़बरों के अनुसार अरुणाचल प्रदेश के तवांग स्थित मैकमोहन रेखा के आस-पास रहने वाले कई ग्रामीण वह क्षेत्र छोड़ कर जा रहे हैं। लेकिन ख़बर सामने आने के कुछ ही समय बाद भारतीय सेना ने इसका खंडन किया। इसके अलावा इस मुद्दे पर ट्वीट करते हुए सही जानकारी दी।
EastMojo में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़ लद्दाख स्थित सीमा पर भारतीय और चीनी सेना के बीच विवाद बढ़ा। जिसके बाद अरुणाचल प्रदेश के तवांग स्थित मैकमोहन रेखा के आस-पास रहने वाले गाँव के लोग अपना घर छोड़ कर जाने लगे।
ख़बर में यह भी बताया गया कि ज़मीथांग क्षेत्र से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तवांग जिले में तकसंग गाँव है। हाल ही में इस गाँव के लोगों ने भारत और चीन की सेना के बीच तनाव की ख़बरें सामने आने के बाद अपने घर छोड़े थे।
इसके बाद HWnews ने भी यही ख़बर प्रकाशित की, जिसमें लोगों के अपने घरों को छोड़ने का दावा किया गया था। ख़बर में यह भी लिखा हुआ है कि साल 1986 में भारत चीनी सेना के सामने तवांग जिले की ज़मीथांग स्थित सुमदोरोंग चू वैली हार गया था। उस दौरान कृष्ण स्वामी सुंदरजी भारतीय सेना के मुखिया थे।
ख़बर के अगले हिस्से में बताया गया कि 26 जून साल 1986 में भारत ने इस घटना का आधिकारिक तौर पर विरोध किया था। साथ ही 16 जून को चीनी सेना द्वारा की गई घुसपैठ पर आक्रोश जताया था। तब चीन ने भारत के इस दावे को पूरी तरह से नकार दिया था और कहा था चीनी सेना की तरफ से ऐसी कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।
#HarKaamDeshKeNaam #IndianArmy #WeCare
— PRO Defence Tezpur (Assam/Arunachal Pradesh) (@ProAssam) September 9, 2020
The news of vacation of villages near #LAC are fake & malicious. The public of #ArunachalPradesh & #Assam are advised not to pay heed to such rumours and get all news confirmed by authorities before retweeting it. @adgpi @SpokespersonMoD pic.twitter.com/iRmy3oIVI6
इस मुद्दे पर ट्वीट करते हुए भारतीय सेना के तेजपुर रक्षा जनसंपर्क विभाग (असम – अरुणाचल प्रदेश) ने खंडन किया। अपने खंडन में उन्होंने लिखा कि एलएसी के आस-पास स्थानीय लोगों के पलायन की ख़बरें पूरी तरह फ़र्ज़ी हैं।
इतना ही नहीं, भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश और असम के आम नागरिकों से निवेदन भी किया कि वह इस तरह की झूठी और बेबुनियाद ख़बरों पर भरोसा न करें। ऐसी किसी भी ख़बर को संज्ञान में लेने या रीट्वीट करने से पहले अधिकारियों से पुष्टि करा लें।