राजस्थान के मेवाड़ यूनिवर्सिटी में दो पक्षों में हुए झगड़े को मीडिया ने जबरदस्ती सांप्रदायिक रंग दिया। समाचार पत्रों से लेकर ‘द वायर’ जैसे प्रोपेगंडा पोर्टल्स ने भी इसे मुस्लिम छात्रों पर अत्याचार के रूप में दिखाया। चितौड़ जिले क्व गंगवाड़ थाने में मेवाड़ यूनिवर्सिटी के ताहिर मजीद, बिलाल अहमद, इश्फाक अहमद और मोहम्मद अली ने यूनिवर्सिटी ही कुछ अन्य छात्रों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कराया। उन्होंने बिहार के कुछ छात्रों पर मारपीट का आरोप लगाया। आरोपितों में बिहार के तीन मुस्लिम छात्र हैं। मीडिया में इसे ‘कश्मीरी छात्रों पर लगातार हो रहे हमले’ की श्रृंखला की एक कड़ी के रूप में चलाया गया।
ऑपइंडिया ने सच्चाई जानने के लिए गंगवाड़ थाने से संपर्क किया, जहाँ से पता चला कि ये मामला कहीं से भी सांप्रदायिक नहीं है और न ही छात्रों को कश्मीरी होने के कारण निशाना बनाया गया। गंगवाड़ थाना ने स्पष्ट कर दिया कि इस मामले में दोनों पक्ष मुस्लिम ही हैं, ऐसे में इसके सांप्रदायिक होने का सवाल ही नहीं उठता। पुलिस ने ‘द वायर’ की उस रिपोर्ट को साफ़-साफ़ नकार दिया, जिसमें बिहारी छात्रों द्वारा कश्मीरी छात्रों को आतंकी कहने की बात लिखी गई है। पुलिस ने बताया कि इस झगड़े के दौरान किसी ने भी कश्मीरी छात्रों को आतंकी नहीं कहा। पुलिस ने इसे छात्रों के बीच का आपसी विवाद करार दिया।
वहीं मेवाड़ यूनिवर्सिटी ने भी इस पूरे प्रकरण के सांप्रदायिक होने की बात को नकार दिया। ऑपइंडिया से बात करते हुए यूनिवर्सिटी डीन सीके शर्मा ने बताया कि मीडिया में इसे ग़लत तरीके से पेश किया जा रहा है। दरअसल, ये मामला छात्रों के बीच आपसी झड़प का था, जो थाने तक पहुँच गया। पुलिस ने ऑपइंडिया को बताया कि हॉस्टल मेस में छात्रों के बीच किसी बात को लेकर वाद-विवाद हुआ और इसने संघर्ष का रूप ले लिया। जबकि ‘द वायर’ ने बिलाल के हवाले से बताया है कि उन्हें आतंकी कहा गया। सवाल ये उठता है कि ये आतंकी वाली बात कश्मीरी छात्रों ने एफआईआर में क्यों नहीं दर्ज कराई?
The Gehlot government in Rajasthan must strictly deal with the culprits and ensure that such incidents are not repeated.
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) November 24, 2019
The central government must ensure the security of Kashmiri students in the country especially in the BJP ruled states. https://t.co/ODhaBQ9MSI
इस मामूली विवाद को यूनिवर्सिटी डीन ने समाप्त कर दिया था। इसके बाद फिर से कश्मीरी छात्रों का एक गुट संघर्ष पर उतारू हो गया। जवाब में बिहारी छात्रों ने भी हमला किया और दोनों एक-दूसरे से लड़ बैठे। इसका न तो उनके कश्मीरी होने से कुछ लेना-देना था और न ही मुस्लिम होने से। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, मेवाड़ यूनिवर्सिटी में सैकड़ों कश्मीरी छात्र पढ़ते हैं और उनके लिए अलग से हॉस्टल की व्यवस्था भी की गई है। उन हॉस्टल्स में अन्य मुस्लिम छात्रों को भी रखा गया है।
Four Kashmiri students were thrashed by fellow students from Bihar, at Mewar University in Rajasthan’s Chittorgarh.https://t.co/A5uxPZVexo
— The Quint (@TheQuint) November 24, 2019
‘द वायर’ की ही रिपोर्ट को आधार बना कर ‘द क्विंट ने’ भी इसे कश्मीरी छात्रों पर हमले का रंग देकर दिखाया। मीडिया पोर्टल ने ऐसा जताया है कि ये एक सांप्रदायिक घटना थी। पुलिस के बयान के बाद इनकी पोल खुलती दिख रही है। सीताराम येचुरी जैसे वामपंथी नेताओं ने भी इसे अल्पसंख्यकों पर हमले के रूप में प्रचारित किया।