इंडिया टुडे की डाटा इंटेलिजेंस यूनिट (DIU) एक बार फिर से सोशल मीडिया में आलोचनाओं का केंद्र बनी हुई है। इसका कारण इनकी आँकड़ों और चार्टों को लेकर नासमझी है। बता दें कि हैदराबाद निकाय चुनावों के मतगणना वाले दिन इंडिया टुडे को 2016 और 2019 में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के चुनाव परिणामों के बीच तुलना करते हुए देखा गया था।
डीआईयू के लिए फर्जी आँकड़ों को उछालना नया नहीं है। इंडिया टुडे ने दावा किया कि 2016 में टीआरएस ने 99 सीटें हासिल की थीं, जबकि 2020 में केवल 56 सीटें थीं। यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम में कुल 150 सीटें हैं। रिपोर्टों के अनुसार, टीआरएस ने 2016 में 88 सीटें हासिल की थीं, न कि 99 सीटें, जैसा कि इंडिया टुडे ने शुक्रवार (दिसंबर 4, 2020) को दावा किया। इंडिया टुडे ने आँकड़ों में गलती करने के अलावा बेसिक मैथेमेटिकल कैलकुलेशन में भी गलतियाँ की।
इंडिया टुडे की डाटा इंटेलिजेंस यूनिट के अनुसार 2020 के चुनावों में टीआरएस की 56 सीटों का मतलब था कि पार्टी की इस बार 46 सीटें कम आई। हालाँकि 99 में से 56 का घटाव करने पर परिणाम 43 आते हैं। डीआईयू में अपना विश्वास दिखाने वाले राहुल कँवल ने खुद से कैलकुलेट करके बताया कि टीआरएस को 43 सीटें कम आई। मगर स्क्रीन पर दिख रहे नंबर और राहुल कँवल द्वारा बताए जा रहे नंबरों में विरोधाभास था।
यह अपने आप में झूठे आँकड़ों पर आधारित था कि टीआरएस ने 2016 में 99 सीटें हासिल की, जबकि वास्तव में उसे 88 सीटें आई थी। यह पहली बार नहीं है जब इंडिया टुडे ने अपने ‘डाटा इंटेलिजेंस यूनिट’ के मिसकैलकुलेशन और फैब्रिकेटेड डाटा को पास करने की कोशिश की।
The joke is when he was reading the figures he calculated it In his mind and said “that’s a loss of 43 seats” then he got bamboozled by DIU’s visualisation and corrected it to 46 https://t.co/Vh7SMfTOfB
— Code-daata (@ravithinkz) December 4, 2020
आर्थिक राहत पर इंडिया टुडे का भ्रामक चार्ट
मार्च में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1.70 लाख करोड़ रुपए का पैकेज रिलीज करने का ऐलान किया ताकि कोरोना से पैदा हुए हालात से लड़ा जा सके। जैसे ही सरकार ने इस फंड की घोषणा की, इंडिया टुडे की पत्रकार गीता मोहन ने एक चार्ट शेयर किया। चार्ट में यह दर्शाया गया कि अन्य देशों के मुकाबले ये फंड कितना कम है।
डाटा इंटेलिजेंस यूनिट द्वारा बनाए गए इस चार्ट में कई त्रुटियाँ थी। इसमें दर्शाया गया कि 1.70 लाख करोड़ रुपए का फंड या फिर $22.5 बिलियन का मतलब हर व्यक्ति के हिस्से केवल $19 आता है, जो अन्य देशों द्वारा जारी किए गए फंड से बेहद कम है। जैसे जर्मनी में $7281, यूके में $ 6,246 और यूएसए में $6,042 आदि।
इस चार्ट में कई तरह से दूसरे देशों की भारत से तुलना की गई ताकि ये साबित किया जा सके कि सरकार अन्य देशों के मुकाबले कोरोना से लड़ने के लिए कम प्रयास कर रही है। लेकिन बता दें विभिन्न देशों द्वारा घोषित पैकेजों में और भारत द्वारा जारी पैकेज किसी भी रूप में तुलनीय नहीं था। अन्य देशों द्वारा घोषित अधिकांश पैकेज COVID-19 के प्रकोप के कारण होने वाले नुकसान से निपटने के लिए और अर्थव्यवस्था की मदद करने के लिए व्यापक उपाय के रूप में था। मगर भारत का पैकेज एक आर्थिक पैकेज नहीं था, ये एक कल्याणकारी पैकेज था जो केवल समाज के एक वर्ग को लक्षित करता था।
GDP पर झूठ फैला रहा था इंडिया टुडे ग्रुप का बिजनेस टुडे
गौरतलब है कि पिछले दिनों बिजनेस टुडे ने एक ग्राफ शेयर किया। इस ग्राफ में संस्थान ने G7 देशों की जीडीपी ग्रोथ दिखाई थी। ग्राफ में दावा किया गया कि यह जीडीपी ग्रोथ का आँकड़ा अप्रैल-जून 2020 के बीच का था। हालाँकि आलोक वाजपेयी नाम के ट्विटर यूजर ने इसकी पोल खोल कर रख दी। जिसके कारण संस्थान को अपना ग्राफ भी डिलीट करना पड़ा।