Saturday, July 27, 2024
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किसान नेताओं को पीयूष गोयल ने बैठक के दौरान ‘धमकाया’? जानिए, क्या है हकीकत

एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें पीयूष गोयल और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत और अन्य प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए नज़र आ रहे हैं। इसको लेकर ही झूठ फैलाया जा रहा है।

‘किसान आंदोलन’ ने वामपंथी प्रोपेगेंडा परस्तों को अपनी वैचारिक गुफ़ा से बाहर निकल कर एनडीए सरकार को लेकर मिथ्या प्रचार करने का अवसर दे दिया है। केंद्र सरकार के कृषि सुधार क़ानूनों के बारे में फ़ेक न्यूज़ फैलाए गए। अपनी दोयम दर्जे की हरकतों को जारी रखते हुए इन्होंने अब केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल पर किसानों को ‘धमकाने’ का आरोप लगाया है।     

एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें पीयूष गोयल और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राकेश टिकैत और अन्य प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए नज़र आ रहे हैं। वीडियो की ऑडियो गुणवत्ता अच्छी नहीं होने की वजह से उसका संदर्भ समझ नहीं आता है। वीडियो में पीयूष गोयल कहते हैं, “हमारे पास आपके 40 संगठनों की सूची है। मुझे अपना मुँह खोलने पर मजबूर मत करिए।” 

प्रोपेगेंडा करने वाले इसका इस्तेमाल ये बताने के लिए कर रहे हैं कि पीयूष गोयल किसानों को धमकी दे रहे थे। यह दावा इसलिए भी संदेह के दायरे में नज़र आता है, क्योंकि वीडियो में किसान केंद्रीय मंत्री के समक्ष मुस्कराते हुए नज़र आते हैं। केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी के बावजूद किसानों के चेहरों को देख ऐसा कतई नहीं लगता है कि पीयूष गोयल ने उन्हें धमकी दी है। किसान बेहद निश्चिंत नज़र आते हैं और केंद्रीय मंत्री खुद टिप्पणी के बाद मुस्कराते हुए नज़र आते हैं।

बता दें कि हाल ही में देश भर से तमाम किसान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताने के लिए आगे आए थे। उनका कहना था कि केंद्र सरकार को आंदोलन करने वालों के सामने झुकने की ज़रूरत नहीं है। यह किसान देश के अलग-अलग राज्यों से थे और कुछ पंजाब के भी थे। इन किसानों के मुताबिक़ नए कृषि सुधार क़ानूनों से उन्हें फ़ायदा हुआ है। इन्हें निरस्त नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि विरोध करने वाले अधिकांश किसान पंजाब से ही हैं।    

हमने इस मुद्दे पर कई रिपोर्ट तैयार की थी जिनमें इस बात का ज़िक्र था पंजाब के किसान इस बात से नाराज़ हैं कि सरकार प्रदेश की किसान इकाइयों से बातचीत नहीं कर रही थी। लगभग 40 किसान संगठनों (ज़्यादातर पंजाब) से मिलकर बने संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार को पत्र लिख कर निवेदन किया था कि सरकार प्रदेश की किसान इकाइयों से बातचीत नहीं बंद करे। यह पत्र माओवादी संगठन PDFI के संस्थापक सदस्य दर्शन पाल ने लिखा था। 

यह पत्र उस वक्त लिखा गया जब अन्य राज्यों के किसान संगठनों ने कृषि सुधार क़ानूनों का समर्थन किया था। संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार पर आरोप लगाया था कि वह किसान आंदोलन को लेकर ‘दुष्प्रचार’ कर रही है। 

पीयूष गोयल ने इस संदर्भ में अनौपचारिक टिप्पणी तब की थी जब टिकैत ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि सरकार उन किसान संगठनों से भी बात कर रही है जो नए कानूनों के समर्थन में हैं।

यह बैठक सरकार और किसानों के बीच अंतिम राउंड की बातचीत के दौरान हुई थी। बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री ब्रेक के दौरान किसानों के साथ नज़र आए और उनसे अनौपचारिक रूप से बातचीत की। 

सूत्रों ने बताया कि टिकैत ने आरोप लगाया था कि सरकार ऐसे किसान संगठनों से बात कर रही है जो आंदोलन से जुड़े ही नहीं हैं। जो संगठन बैठक में शामिल नहीं हुए थे (खासकर जो कृषि क़ानूनों का समर्थन करते हैं) वह ‘विश्वसनीय नहीं’ हैं। इस बात पर पीयूष गोयल ने कहा था कि उनके पास ऐसे 40 कृषि संगठनों की सूची है जो किसान आंदोलन का हिस्सा हैं। इसके बावजूद ऐसा दुष्प्रचार किया जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री ने किसानों को धमकी दी, जबकि वहाँ मौजूद किसी भी व्यक्ति ने इस तरह की कोई बात नहीं की है। 

‘पीआईएल एक्टिविस्ट’ प्रशांत भूषण इसे हवा देने में सबसे आगे रहे। उनके मुताबिक़, ”पीयूष गोयल किसानों को धमकी दे रहे हैं।” 

इसी तरह प्रोपेगेंडा फैलाने वाले एक व्यक्ति ने ट्विटर पर कहा, “इन्हें देखिए किसानों को सार्वजनिक रूप से धमकी दे रहे हैं।” 

तथाकथित पत्रकार रोहिणी सिंह ने कहा कि पीयूष गोयल का रवैया किसानों के प्रति बेहद घमंड भरा है। ऐसा घमंड किसी को भी ख़त्म कर देता है। 

कुछ दावा कर रहे हैं कि केंद्रीय मंत्री ने किसानों को अपशब्द कहा। 

न्यूजलॉन्ड्री के पत्रकार जस ओबरॉय ने भी यही झूठ फैलाया कि पीयूष गोयल किसानों को धमकी दे रहे हैं। 

सबसे अहम बात ये है कि यह वीडियो सम्भावित रूप से बुधवार (30 दिसंबर 2020) का है जब किसान संगठनों और सरकार के बीच अंतिम राउंड की बातचीत हुई थी। उसके बाद से अभी तक किसी किसान नेता ने ऐसा नहीं कहा कि उन्हें केंद्रीय मंत्री ने धमकी दी है। सिर्फ प्रोपेगेंडाधारी ही सोशल मीडिया पर कई तरह के दावे कर रहे हैं। 

खुद किसान संगठन के नेताओं ने मीडियाकर्मियों से कहा था कि बातचीत सकारात्मक रही। राकेश टिकैत ने भी कहा था कि बहुत जल्द हमारी समस्या हल हो जाएगी। मीडिया वालों से बात करते हुए राकेश टिकैत बेहद सहज नज़र आ रहे थे। उन्हें देख कर ऐसा नहीं लग रहा था कि उनको किसी भी तरह की धमकी दी गई है।         

  

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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