Tuesday, March 19, 2024
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‘अमित शाह के मंत्रालय ने कहा- हिंदू धर्म को खतरा काल्पनिक’: कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता को RTI एक्टिविस्ट बता TOI ने किया गुमराह

हालाँकि, अगर TOI की इस खबर पर स्पष्ट रूप से नजर डालें तो पता चलता है कि ये खुद में ही एक प्रोपेगंडा है और इसमें जम कर भ्रम फैलाया गया है।

‘टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI)’ ने सोमवार (20 सितंबर, 2021) को एक खबर चलाई, जिसका शीर्षक था – ‘RTI: हिन्दू धर्म को खतरा ‘काल्पनिक’ है – केंद्रीय गृह मंत्रालय’ ने कहा’। ये खबर लिखे जाने तक भी TOI का ये लेख उसकी वेबसाइट पर मौजूद है। इस खबर में लिखा है कि अमित शाह के प्रभार वाले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है कि हिन्दू धर्म को किसी प्रकार का खतरा मौजूद नहीं है।

इस खबर को मूल रूप से समाचार एजेंसी IANS ने तैयार किया था, लेकिन TOI सबसे प्रमुख मीडिया संस्थान था जिसने इसे प्रकाशित किया और आगे बढ़ाया। इसके अलावा ‘दैनिक जागरण‘ और कॉन्ग्रेस पार्टी के मुखपत्र ‘नेशनल हेराल्ड‘ ने भी इस खबर को चलाया। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इन ख़बरों का इस्तेमाल भाजपा पर राजनीतिक हमले के लिए किया और दावा किया कि हिन्दू कभी पीड़ित नहीं हो सकते।

हालाँकि, अगर इस खबर पर स्पष्ट रूप से नजर डालें तो पता चलता है कि ये खुद में ही एक प्रोपेगंडा है और इसमें जम कर भ्रम फैलाया गया है। असल में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने महाराष्ट्र स्थित नागपुर के रहने वाले मोहनीश जबलपुरे द्वारा दायर की गई एक RTI का जवाब दिया था। न्यूज़ रिपोर्ट्स में उसने खुद को एक ‘RTI एक्टिविस्ट’ का तमगा दिया है। TOI की खबर में केंद्रीय गृह मंत्रालय के शब्दों की जगह मोहनीश द्वारा की गई उसकी व्याख्या को ही आधार बनाया गया है।

सबसे बड़ी बात तो ये है कि कहीं भी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी इस प्रतिक्रिया में ‘काल्पनिक’ शब्द का इस्तेमाल किया ही नहीं है। तथाकथित RTI एक्टिविस्ट ने ऐसा दावा कर दिया और मीडिया ने बिना इसकी जाँच-पड़ताल के इसे प्रकाशित कर डाला। साथ ही इस चीज को हेडलाइन में भी घुसेड़ दिया गया। असल में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ये कहा था कि वो अलग से इस प्रकार का कोई डेटा नहीं रखता, जिससे पता चले कि किस धर्म/मजहब को कितना खतरा है।

यानी, मंत्रालय ऐसा कोई ट्रैक रिकॉर्ड नहीं रखता जिसमें अपराधों का वर्गीकरण इस प्रकार से हो जिससे पता चले कि कौन से धर्म/मजहब को कितना खतरा है। बस यही कारण है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि वो इस बारे में जानकारी देने में सक्षम नहीं है। इसे इस रूप में प्रचारित किया गया कि हिन्दू धर्म को कोई खतरा नहीं ‘काल्पनिक’ है। अर्थात, सरकार ने इस प्रकार से सूचनाओं का वगीकरण नहीं किया है।

इसका सीधा मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति सरकार से पूछे कि इस्लाम, ईसाई या यहूदी मजहब को कितना खतरा है, तो उन सबका जवाब भी यही मिलेगा। या फिर कोई पूछे कि लिबरल मूल्यों को कितना खतरा है, फिर भी यही जवाब मिलेगा। ये सब राजनीतिक बहस में प्रयोग की जाने वाली चीजें हैं, प्रशासनिक रिकॉर्ड्स में नहीं। मीडिया ने ‘सबूत के आभाव’ को ‘अभाव का सबूत’ मान कर खबर चला दी।

अगर गृह मंत्रालय के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है तो इसका ये अर्थ थोड़े है कि हिन्दुओं के खिलाफ अपराध नहीं होते, हिन्दू धर्म के खिलाफ घृणा नहीं फैलाई जाती और हिन्दू धर्म व हिन्दुओं को कोई खतरा है ही नहीं। इसीलिए, केंद्रीय गृह मंत्रालय के हवाले से ये लिखना कि ‘हिन्दू धर्म को खतरा काल्पनिक है’ अपने-आप में एक काल्पनिक खबर है। और मोहनीश जबलपुरे कोई निष्पक्ष व्यक्ति नहीं, बल्कि कॉन्ग्रेस पार्टी का कर्यकर्ता है।

उसके ट्विटर बायो में ही लिखा है कि वो ‘कॉन्ग्रेस का व्हिसलब्लोअर’ है। राहुल गाँधी और दिग्विजय सिंह जैसे कॉन्ग्रेसी नेताओं की तारीफ़ से उसका सोशल मीडिया हैंडल भरा पड़ा है। महाराष्ट्र के कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा उसे पार्टी का वफादार बताया जाता है, ये सब वो खुद शेयर करता है। उसके ट्वीट्स भाजपा और RSS के खिलाफ होते हैं। स्पष्ट है कि राजनीतिक लाभ के लिए उसने मीडिया का गलत इस्तेमाल किया और मीडिया ने भी उसके प्रोपेगंडा को पूरा स्थान दिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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