Friday, May 3, 2024
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‘CM बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने अपनी जाति को OBC में शामिल किया’- जदयू अध्यक्ष ने जो कहा, जानें उसकी सच्चाई

यह पहली बार नहीं है जब विपक्ष ने मोदी की ओबीसी स्थिति पर सवाल उठाया है। 2014 में भी कॉन्ग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल और 2019 में BSP चीफ मायावती ने आरोप लगाया था कि नरेंद्र मोदी 'फर्जी ओबीसी' हैं। दोनों का दावा था कि मोदी के सीएम बनने से पहले मोध घांची जाति ओबीसी सूची में नहीं थी।

बिहार की सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पर झूठा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि 2014 में पीएम मोदी ने देश में घूम-घूमकर कहा था कि वे अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) से हैं।

ललन सिंह ने कहा कि गुजरात में कोई EBC नहीं है, केवल OBC है। ये OBC में भी नहीं थे। जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपनी जाति को OBC में शामिल कर लिया था। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को ‘डुप्लीकेट’ कहा और कहा कि वे ऑरिजिनल नहीं हैं।

पटना में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “भारतीय जनता पार्टी का जो चरित्र है, वो गड़बड़ है। हाथी का दो दाँत होता है, एक खाने वाला और एक दिखाने वाला। 2014 के चुनाव में देश के प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी… ये डुप्लीकेट आदमी देश भर में घूम-घूम के कह रहे हैं कि हम अति पिछड़ा हैं।”

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोध घांची जाति से हैं, जिसे गुजरात सरकार द्वारा ओबीसी के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। अन्य अभिलेखों से पता चलता है कि ललन सिंह यह कहकर झूठ बोल रहे हैं कि राज्य के सीएम के रूप में नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में उनकी जाति को OBC की सूची में शामिल किया गया था।

रिकॉर्ड बताते हैं कि नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने से काफी पहले, यानी जुलाई 1994 में ही मोध घांची जाति को OBC के रूप में वर्गीकृत किया गया था। 25 जुलाई 1994 को राज्य सरकार के सामाजिक न्याय विभाग ने कई जातियों को OBC की सूची में जोड़ा था। मोध घांची जाति उनमें से एक थी।

इस संबंध में गुजरात सरकार के सामाजिक न्याय विभाग ने प्रस्ताव संख्या SSP/1194/1411/A, दिनांक 25/07/1994 जारी किया था। गुजरात सरकार के इस प्रस्ताव के संबंधित पेज को यहाँ दिया जा रहा है, जो गुजराती भाषा में है। गुजरात सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग की वेबसाइट पर पूर्ण प्रस्ताव को यहाँ देखा जा सकता है।

घांची जाति को OBC में शामिल करने के लिए गुजरात सरकार का प्रस्ताव

गौरतलब है कि मंडल आयोग की रिपोर्ट के बाद वीपी सिंह सरकार के दौरान ओबीसी आरक्षण दिया गया था। इससे पहले केवल एससी और एसटी आरक्षण के पात्र थे। मंडल आयोग की रिपोर्ट आने के बाद से अधिक जातियों को ओबीसी में शामिल करने की प्रथा शुरू हो गई थी।

इसके बाद संबंधित राज्यों ने ओबीसी जातियों की पहचान की और उन्हें 1990 के दशक में सूची में शामिल किया था। इसी तरह पीएम की जाति मोध घांची गुजरात में 1994 में OBC के रूप में सूचीबद्ध होने वाली जातियों में एक थी।

यह पहली बार नहीं है जब विपक्ष ने मोदी की ओबीसी स्थिति पर सवाल उठाया है। 2014 में भी कॉन्ग्रेस (Congress) नेता शक्ति सिंह गोहिल (Shakti Singh Gohil) ने आरोप लगाया था कि नरेंद्र मोदी ‘फर्जी ओबीसी’ हैं। उन्होंने दावा किया था कि मोदी के सीएम बनने से पहले मोध घांची जाति ओबीसी सूची में नहीं थी। उस समय गुजरात सरकार ने स्पष्टीकरण जारी किया था।

इसके बाद अप्रैल 2019 में बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने भी कहा था कि मोदी मूल रूप से पिछड़ी जाति के नहीं थे। जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने अपनी जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में जोड़ा था। मायावती ने कहा था कि चुनावों में राजनीतिक लाभ लेने के लिए मोदी ने अपनी सवर्ण जाति को OBC में शामिल किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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