Wednesday, May 21, 2025
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संप्रदाय विशेष के लोगों ने नहीं किया पुणे के ‘डॉक्टर’ का अंतिम संस्कार: तबलीगी जमात की छवि चमकाने के लिए पुरानी तस्वीर से खेल

वायरल की जा रही तस्वीर के साथ यह भी दावा किया जा रहा है कि रमाकांत चाहते थे कि वह चार कंधे पर जाएँ। लेकिन उन्हें कोरोना होने के कारण कोई उनके नजदीक नहीं आ रहा था। ऐसे में संप्रदाय विशेष के युवकों ने मजहबी प्रचार का काम छोड़ उन्हें कंधे पर उठाया और श्मशान घाट तक लेकर गए। वहाँ उनका अंतिम संस्कार किया गया।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर इन दिनों एक तस्वीर शेयर की जा रही है। इस तस्वीर को लेकर दावा किया जा रहा है कि पुणे में कोरोना वायरस के कारण मरने वाले हिंदू डॉक्टर रमाकांत जोशी का अंतिम संस्कार संप्रदाय विशेष के लोगों ने किया।

इस तस्वीर को कई यूजर्स अपने अकॉउंट्स से साझा कर रहे हैं। उनका दावा है कि यह संप्रदाय विशेष के लोग तबलीगी जमात के हैं, जिन्होंने अपने मजहबी कार्य को छोड़कर हिंदू डॉक्टर का दाह संस्कार करवाया। साथ ही ये भी दावा किया जा रहा कि डॉ जोश की का एक लड़का है जो अमेरिका में रहता है और पत्नी की आयु 74 साल है।

वायरल की जा रही तस्वीर के साथ यह भी दावा किया जा रहा है कि रमाकांत चाहते थे कि वह चार कंधे पर जाएँ। लेकिन उन्हें कोरोना होने के कारण कोई उनके नजदीक नहीं आ रहा था। ऐसे में संप्रदाय विशेष के युवकों ने मजहबी प्रचार का काम छोड़ उन्हें कंधे पर उठाया और श्मशान घाट तक लेकर गए। वहाँ उनका अंतिम संस्कार किया गया।

तस्वीर को लेकर झूठा दावा
तस्वीर को लेकर झूठा दावा
तस्वीर को लेकर झूठा दावा

अब टाइम्स ऑफ इंडिया का कहनाD

टाइम्स ऑफ इंडिया में 30 अप्रैल को प्रकाशित खबर

टाइम्स ऑफ इंडिया ने तस्वीर से संबंधित अपने ही खबर का उल्लेख करते हुए, फैलाए जा रहे झूठे दावे को खारिज किया है। उनकी खबर का टाइटल fasting muslim men take out funeral procession of hindu priest in meerut है। यह खबर 30 अप्रैल को प्रकाशित हुई थी।

साभार: ट्विटर

इस रिपोर्ट में पुरानी तस्वीर, माथुर, और मजहब विशेष के युवकों का जिक्र है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अलावा मेरठ की यह घटना कई लोकल चैनल ने भी कवर की थी। इनमें से एक का लिंक नीचे है।

बता दें, माथुर की मौत कोरोना के कारण नहीं हुई थी, जैसा कि तबलीगी जमातियों की छवि निर्माण के लिए बताया जा रहा है। इसके अलावा यह भी मालूम रहे कि जिन लोगों की मौत कोरोना से होती है, उनके दाह संस्कार को भीड़-भाड़ के साथ करने की अनुमति गाइडलाइन्स कभी नहीं देती।

मेरठ की घटना पर यूट्यूब चैनल की कवरेज

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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