Thursday, April 25, 2024
Homeफ़ैक्ट चेकसोशल मीडिया फ़ैक्ट चेकभारतीय नोटों से हटेगी महात्मा गाँधी की तस्वीर? मीडिया में हो रहे दावों पर...

भारतीय नोटों से हटेगी महात्मा गाँधी की तस्वीर? मीडिया में हो रहे दावों पर आया RBI का बयान

RBI ने कहा, "मीडिया के कुछ वर्गों में ऐसी खबरें हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक महात्मा गाँधी के चेहरे को अन्य लोगों के साथ बदलकर मौजूदा मुद्रा और बैंक नोटों में बदलाव पर विचार कर रहा है। यह नोट किया जाए कि रिजर्व बैंक में ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।"

मीडिया में ऐसी खबरें चल रही हैं, जिनमें ये दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार कुछ नोटों पर से महात्मा गाँधी की तस्वीर को हटाकर गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर और देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की तस्वीरों को लगाने पर विचार कर रही है। हालाँकि, सोमवार (6 जून 2022) को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इसका खंडन किया है। बैंक ने कहा कि फिलहाल ऐसा कोई भी प्रस्ताव नहीं है।

एक बयान जारी कर RBI ने कहा, “मीडिया के कुछ वर्गों में ऐसी खबरें हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक महात्मा गाँधी के चेहरे को अन्य लोगों के साथ बदलकर मौजूदा मुद्रा और बैंक नोटों में बदलाव पर विचार कर रहा है। यह नोट किया जाए कि रिजर्व बैंक में ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।”

केंद्रीय बैंक ने यह बयान कुछ न्यूज रिपोर्ट्स के बाद दिया है, जिनमें दावा किया गया था कि जल्द ही केंद्रीय बैंक उन लोगों की तस्वीरों का उपयोग करना शुरू कर सकता है जो भारतीय मुद्रा पर पहले कभी नहीं देखे गए थे। रिपोर्टों में कहा गया था कि वित्त मंत्रालय और आरबीआई कुछ मूल्यवर्ग के बैंक नोटों की एक नई श्रृंखला पर रवींद्रनाथ टैगोर और एपीजे अब्दुल कलाम के वॉटरमार्क का उपयोग करने पर विचार कर रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया गया था कि इस पर विचार किया जा रहा है ताकि नोटों पर कई अंकों के वॉटरमार्क शामिल किए जा सकें। अमेरिका में ऐसी ही व्यवस्था है। अमेरिका में डॉलर के विभिन्न मूल्यवर्गों में देश के कुछ संस्थापक पिताओं जैसे जॉर्ज वाशिंगटन, बेंजामिन फ्रैंकलिन, थॉमस जेफरसन, एंड्रयू जैक्सन, अलेक्जेंडर हैमिल्टन और अब्राहम लिंकन सहित कुछ 19 वीं सदी के राष्ट्रपतियों की तस्वीरों को छापा जाता है।

नोटों पर नेताजी की तस्वीर की माँग वाली जनहित याचिका

गौरतलब है कि ये पहली बार नहीं है जब इस तरह की खबरें सामने आई हों। इससे पहले पिछले साल दिसंबर 2021 में कलकत्ता हाई कोर्ट में एक पीआईएल दायर कर पूछा गया था कि महात्मा गाँधी की ही तरह नोटों पर सुभाष चंद्र बोष की तस्वीर क्यों नहीं छापी जा सकती। मामले पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को 8 सप्ताह के भीतर एक याचिका पर जवाब देने के लिए कहा था। इसी तरह की प्रतिक्रिया 2017 में भी कलकत्ता हाई कोर्ट ने माँगी थी।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

इंदिरा गाँधी की 100% प्रॉपर्टी अपने बच्चों को दिलवाने के लिए राजीव गाँधी सरकार ने खत्म करवाया था ‘विरासत कर’… वरना सरकारी खजाने में...

विरासत कर देश में तीन दशकों तक था... मगर जब इंदिरा गाँधी की संपत्ति का हिस्सा बँटने की बारी आई तो इसे राजीव गाँधी सरकार में खत्म कर दिया गया।

जिस जज ने सुनाया ज्ञानवापी में सर्वे करने का फैसला, उन्हें फिर से धमकियाँ आनी शुरू: इस बार विदेशी नंबरों से आ रही कॉल,...

ज्ञानवापी पर फैसला देने वाले जज को कुछ समय से विदेशों से कॉलें आ रही हैं। उन्होंने इस संबंध में एसएसपी को पत्र लिखकर कंप्लेन की है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe