कोरोना महामारी के समय में विपक्षी पार्टियाँ, वामपंथी पत्रकार और प्रोपगेंडा फैलाने वाले लोग लगातार फर्जी खबरों के सहारे देश में पैनिक क्रिएट करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे समय में जब कोविड महामारी से भारत त्रस्त है तब हर किसी को झूठी खबरें फैलाने से बचना चाहिए, लेकिन ये लोग इसे अवसर मानकर अपना एजेंडा चला रहे हैं।
इसी क्रम में कश्मीर के पत्रकार आरिफ शाह ने कल एक बुजुर्ग महिला की पुरानी तस्वीर शेयर की। तस्वीर में महिला रोड पर बैठी दिखी और ऑक्सीजन सिलेंडर उसके बगल में रखा था। शाह ने इस तस्वीर को शेयर करके कहा, “ये वो जगह है जहाँ भारत इस समय है।”
पत्रकार का मकसद जाहिर है यही दिखाना था कि ये फोटो अभी हाल की है जबकि हकीकत में ये फोटो पुरानी है। हमारे खबर लिखने तक आरिफ इस तस्वीर को डिलीट कर चुके हैं। लेकिन स्क्रीनशॉट में देख सकते हैं कि इस पर हजार रीट्वीट हो चुके हैं। इतने व्यापक स्तर पर झूठी खबर फैलाने के बाद आरिफ ने किसी तरह की माफी भी नहीं माँगी।
इसी तस्वीर को अपने ट्विटर हैंडल से RVCJ ग्रुप ने भी शेयर किया था। हालाँकि, आलोचना के बाद उन्होंने पोस्ट डिलीट कर दिया। अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा था, “इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता।”
ममता सरकार के एक आधिकारिक ट्विटर हैंडल ‘बंगलार गोरबो ममता’ ने भी इस पुरानी तस्वीर को शेयर करके मोदी सरकार को देश से हटाने की अपील की। हमारे खबर लिखने तक ये पोस्ट अकॉउंट पर ही था।
बता दें कि सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही इस तस्वीर पर जब हमने पड़ताल की तो पाया कि ये तस्वीर 2018 की है। ANI ने तब रिपोर्ट में बताया था कि एक आदमी आगरा मेडिकल कॉलेज के बाहर कंधे पर ऑक्सीजन सिलेंडर रखकर एम्बुलेंस का वेट कर रहा था। उसी समय ये तस्वीर भी ली गई थी।
यहाँ हम ये नहीं कह रहे कि 2018 की यह तस्वीर किसी कीमत पर जायज है या इसे सही ठहराया जा सकता है, लेकिन इस समय में इसे शेयर करना सिर्फ़ सामान्य जन में डर व्याप्त करने के अतिरिक्त और कुछ नहीं है।
महाराष्ट्र की तस्वीर को बताया गया गुजरात का मॉडल
स्वरा भास्कर के दोस्त व अनारकली ऑफ आरा के निर्देशक अविनाश दास ने 20 अप्रैल को एक तस्वीर शेयर की थी। तस्वीर में लोग अपने हाथ में ड्रिप लगाए जमीन पर पड़े थे। इसमें दास ने लिखा था कि यह गुजरात के हेल्थकेयर का मॉडल है और तस्वीर गुजरात के तापी जिले की है, जहाँ कोरोना मरीजों का इलाज टेंट में हो रहा है।
इसी तस्वीर को ममता सरकार के एक आधिकारिक ट्विटर हैंडल ‘बंगलार गोरबो ममता’ ने शेयर किया। अपने ट्वीट में उन्होंने पूछा कि क्या वाकई प्रधानमंत्री को कोई परवाह है।
जब हमने इस तस्वीर का पता लगाया तो पता चला कि ये तस्वीर गुजरात की नहीं बल्कि महाराष्ट्र के नवापोरा की है और यहाँ कोविड का इलाज नहीं बल्कि टाइफाइड का इलाज हो रहा है। अस्पताल में बेड की कमी के कारण इलाज टेंट में दिया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर ऐसी भ्रामक सामग्री कई यूजर्स शेयर कर रहे हैं और कई यूजर्स ऐसे हैं जो इनकी पोल खोल रहे हैं।
सुधर जाओ @RVCJ_FB , सुधारने पे आएंगे तो DM में आके रोने लगते हो pic.twitter.com/0zYrR2INqu
— Naweed (@Spoof_Junkey) April 21, 2021
वेरिफाइड pro TMC वामपंथी हैंडल से फर्जी खबरें आ रही है।
— Heera Thakur (@ViewsIdentity) April 21, 2021
पहली तस्वीर महाराष्ट्र की है, गुजरात की नही।
दूसरी तस्वीर कोविड के दौर की भी नहीं है यह 3 साल से अधिक पुराना है।
यदि BJP शासित राज्य इतना ही बुरा कर रहे हैं, तो ये नकली तस्वीरें लाने का क्या उद्देश्य हैं?
Hello @TwitterIndia, will you mark TMC official handles for Fake News?
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) April 21, 2021
This image is from media declared world’s best CM @OfficeOfUT ruled Maharashtra. https://t.co/OS8tzce68V pic.twitter.com/Q4wbgwDbCT
फर्जी खबर फैलाने वालों के लिए क्या है कानून?
बता दें कि भारत में ऐसी फर्जी खबरें फैलाने वालों से निपटने के लिए कोई अलग से कानून नहीं है। लेकिन आईपीसी, आईटी एक्ट, महामारी अधिनियम कानून में कुछ प्रावधान है जिनका इस्तेमाल इनसे निपटने के लिए किया जा सकता है।
IPC, 1860 की धारा 505 (1 ) के अनुसार जो कोई भी ऐसे बयान या झूठी खबरें फैला कर डर व्याप्त करने की कोशिश करता है, उसे 3 साल की जेल या जुर्माना या दोनों भुगतना पड़ सकता है।
इसी तरह आईटी एक्ट की धारा 66डी के तहत, जो कोई भी संचार उपरकरण या कम्प्यूटर संसाधनों का प्रयोग करके कोई ऐसी धोखाधड़ी करता है तो उसे जेल या फिर 1 लाख तक का फाइन हो सकता है।
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 54 के अनुसार, जो कोई भी झूठी चेतावनी देता है या आपदा या उसकी गंभीरता या परिमाण के रूप में ऐसा कोई झूठ फैलाता है, जिससे लोगों में घबराहट पैदा हो, तो उसे 1 वर्ष तक की कारावास की सजा या जुर्माना हो सकता है।