Wednesday, October 9, 2024
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‘रेप की घटनाओं के कारण स्विस खिलाड़ी नहीं आई भारत’: एंटी-रेप एक्टिविस्ट ने फैलाया झूठ, PM मोदी को बनाया निशाना

2018 में यह खबर कई मीडिया संस्थानों ने चलाई थी। लेकिन, उसी समय यह खबर झूठी साबित हो गई थी। अब एक बार फिर हाथरस केस के बाद इसे फैलाया जा रहा है।

खुद को एंटी-रेप एक्टिविस्ट बताने वाली योगिता भयाना ने शुक्रवार (अक्टूबर 9, 2020) को महिला सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे को लेकर भी राजनीति की और फेक न्यूज़ फैलाया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर उन्होंने एक खबर शेयर किया, जिसमें दावा किया गया था कि स्विट्ज़रलैंड की स्क्वैश खिलाड़ी एम्ब्रे एलिन्क्से ने बलात्कार और महिला सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के कारण भारत का दौरा करने से इनकार कर दिया है।

2018 में ‘नवभारत टाइम्स’ अख़बार द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट की कोई को ट्विटर पर साझा करते हुए योगिया भयाना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए तंज कसा और लिखा, “हमें एक वैश्विक शक्ति बनाने के लिए धन्यवाद।” उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने में विफल रही है। योगिता भयाना के लगभग हर सोशल मीडिया पोस्ट में इसी तरह की बातें भरी पड़ी हैं।

उन्होंने जिस खबर को शेयर किया, उसका शीर्षक था, “रेप की वारदात से डरी खिलाड़ी, नहीं आई भारत“। साथ ही इसमें लिखा था कि उन्होंने इंटरनेट पर भारत की ख़बरें पढ़ कर चैंपियनशिप में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया। साथ ही एम्ब्रे के माता-पिता के हवाले से बयान छापा गया कि वो ‘भारत में रेप की बढ़ती घटनाओं’ के कारण नहीं चाहते हैं कि उनकी बेटी चेन्नई जाए। साथ ही इसमें लिखा है कि ईरान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने भी अपनी महिला खिलाड़ियों को बाहर न जाने को कहा है।

योगिता भयाना ने शेयर की झूठी ख़बर

योगिता भयाना ने जिस खबर को शेयर किया, उसके कैप्शन में लिखा था, “विदेशों में हुआ भारत का नाम रौशन“। हालाँकि, 2018 में आई ये खबर पहले ही झूठी साबित हो चुकी है, क्योंकि एंबर एलिन्क्से के माता-पिता पहले ही कह चुके हैं कि भारतीय मीडिया में चल रही ये खबरें झूठी थीं और उन्हें भारत में अपनी बेटी की सुरक्षा को लेकर कोई चिंता नहीं थी। उन्होंने इन ख़बरों को ‘पत्रकारों की झूठी खोज’ करार दिया था।

एम्ब्रे के माता पिता ने कहा था, “हमें भारत में अपनी बेटी की सुरक्षा को लेकर कोई चिंता नहीं है। हम गर्मियों में एक पारिवारिक छुट्टियाँ मनाना चाहते थे और कुछ काम की वजह से ये तय समय में मई में नहीं हो पाया, जुलाई में हुआ। इसीलिए, हमारे निर्णय का महिला सुरक्षा से कोई लेना-देना नहीं है।” ‘टाइम्स नाउ’ से लेकर ‘पत्रिका’ तक ने इस झूठी खबर को प्रकाशित किया। अब हाथरस की घटना के बाद इसे फिर से फैलाया जा रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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