भारतीय मिसाइल प्रोग्राम के जनक कहे जाने वाले एपीजे अब्दुल कलाम की आज पुण्यतिथि है। अपनी मौत से एक महीने पहले उन्होंने रक्षा अनुसंधान एवं संगठन (DRDO) के मौजूदा प्रमुख सतीश रेड्डी को दोबारा उपयोग में लाई जाने वाली मिसाइल प्रणाली पर काम करने की सलाह दी थी। उस समय रेड्डी रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार थे।
रेड्डी ने बताया कि कलाम के निधन से महीने भर पहले उन्होंने उनसे उनके आवास पर मुलाकात की थी। इस दौरान कलाम ने उन्हें दोबारा उपयोग में लाई जाने वाली मिसाइलों पर काम का सुझाव दिया था। एक ऐसी मिसाइल जो पेलोड ले जा सके, फिर वापस आ जाए और दूसरा पेलोड ले जाए। उन्होने रेड्डी से कहा कि इस तरह की प्रणाली पर काम करिए।
DRDO प्रमुख ने बताया कि पहली बार एक युवा वैज्ञानिक के तौर पर वे 1986 में कलाम से मिले थे। 2012 में डीआरडीओ के तत्कालीन प्रमुख वीके सारस्वत ने दूरदर्शन को दिए साक्षात्कार में कहा था कि भारत दोबारा उपयोग में लाई जा सकने वाली मिसाइल प्रणाली विकसित करने की योजना बना रहा है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ‘फिर से उपयोग में लाए जा सकने वाले प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी प्रदर्शक’ (आरएलवी-टीडी) का सफल परीक्षण कर चुका है।
‘अग्नि’ मिसाइल देने वाले पूर्व राष्ट्रपति कलाम का IIM शिलॉन्ग में लेक्चर देते वक़्त दिल का दौरा पड़ने से 27 जुलाई 2015 को 83 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। 1981 में उन्हें पद्म भूषण, 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।