हिन्दू महासभा के पूर्व अध्यक्ष और हिन्दू समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे कमलेश तिवारी हत्याकांड में पुलिस को एक और बड़ी क़ामयाबी मिली है। नागपुर एटीसी ने एक संदिग्ध को गिरफ़्तार किया है। पकड़े गए आरोपित की पहचान सैय्यद आसिम अली के रूप में हुई। पुलिस का कहना है कि सैय्यद दूसरे हत्यारों के साथ लगातार सम्पर्क में था। पुलिस ने यह भी बताया कि कमलेश तिवारी की हत्या में पकड़े गए सैय्यद अली की मुख्य भूमिका थी।
It was revealed that the suspect Sayyed Asim Ali was in constant touch with other accused in this case. It is also revealed that he has played very important role in the #KamleshTiwariMurder case. The accused was
— ANI (@ANI) October 21, 2019
arrested by ATS, Maharashtra.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने आज आरोपित को नागपुर कोर्ट में पेश किया और उसकी ट्रांजिट रिमांड हासिल की।
Uttar Pradesh Police produced the accused
— ANI (@ANI) October 21, 2019
before Court in Nagpur today and obtained his transit remand. #KamleshTiwariMurder
इससे पहले यह पता चला था कि इस हत्याकांड को अंजाम देने वाले संदिग्ध हत्यारे अशफ़ाक़ और मोईनुद्दीन की लोकेशन लगातार चेंज हो रही है। रविवार (अक्टूबर 20, 2019) को पुलिस को पता चला कि उनकी लोकेशन अम्बाला में है। इसके बाद पुलिस को उनकी तलाश में लगाया गया। रात होते-होते उनके शाहजहाँपुर में होने की ख़बर मिली। शाहजहाँपुर रेलवे स्टेशन के पास एक होटल के सीसीटीवी में आरोपितों को देखा गया।
जब तक पुलिस शाहजहाँपुर में आरोपितों को लोकेट कर पाती, उनकी लोकेशन फिर बदल गई। पुलिस का कहना है कि दोनों आरोपित अपने फोन की बजाय राहगीरों से मोबाइल माँगकर इस्तेमाल कर रहे हैं। पुलिस ने दोनों की तलाश में यूपी के शाहजहॉंपुर में मुसाफिरखानों और मदरसों पर छापेमारी की है। ये आरोपित शाहजहाँपुर में रुके थे लेकिन एसटीएफ के पहुँचने के भनक मिलते ही लापता हो गए। यूपी के डीजीपी ओपी सिंह ने दोनों पर ढाई-ढाई लाख रुपए के ईनाम का ऐलान किया है। कुछ मीडिया रिपोर्टों में संदिग्ध हत्यारों के नेपाल भाग जाने की भी आशंका जताई गई है।
गौरतलब है कि कमलेश तिवारी की 18 अक्टूबर को उनके कार्यालय में हत्या कर दी गई थी। पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में ख़ुलासा हुआ कि कमलेश तिवारी की नृशंस हत्या को मौलाना मोहसिन ने शरियत कानून के कत्ल-ए-वाजिब के सिद्धांत के तहत जायज़ ठहराया था। उसने राशिद के भाई मोईनुद्दीन और अशफाक को इसके लिए तैयार किया। इस मामले में राशिद की माँ और अशफ़ाक की बीबी से भी पूछताछ की गई।